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कैसे पहचानें कि घर में रोजाना लिया जाने वाला दूध असली है या नकली? : Health and Beauty Care

@.शरीर और साँसों की बदबू भगाइए
@.कैसे पहचानें कि घर में रोजाना लिया जाने वाला दूध असली है या नकली?


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कैसे पहचानें कि घर में रोजाना लिया जाने वाला दूध असली है या नकली?


1 सबसे पहले दूध में पानी की मिलावट को परखने के लिए किसी लकड़ी या पत्थर पर दूध की एक या दो बूंद गिराइए। अगर दूध बहकर नीचे की तरफ गिरे और सफेद निशान बन जाए तो दूध पूरी तरह से शुद्ध है।

2 दूध में डिटर्जेंट की मिलावट को पहचानने के लिए, दूध की कुछ मात्रा को एक कांच की शीशी में लेकर जोर से हिलाइए। अगर दूध में झाग निकलने लगे तो इस दूध में डिटरर्जेंट मिला हुआ है। अगर यह झाग देर तक बना रहे, तो दूध के नकली होने में कोई संशय नही है।

3 दूध को सूंघकर देखें। अगर दूध नकली है, तो उसमें साबुन की तरह गंध आएगी, और अगर दूध असली है, तो उसमें इस तरह की गंध नहीं आती।

4 दूध को दोनों हाथों में लेकर रगड़कर देखें। अगर दूध असली है, तो सामान्य तौर पर चिकनाहट महसूस नहीं होगी। लेकिन अगर दूध नकली है, तो इसे रगड़ने पर बिल्कुल वैसी ही चिकनाहट महसूस होगी, जैसी कि डिटर्जेंट को रगड़ने पर होती है।

5 दूध को देर तक रखने पर, असली दूध अपना रंग नहीं बदलता है। जबकि दूध अगर नकली है, तो वह कुछ समय बाद पीला पड़ने लगेगा।

6 असली दूध को उबालने पर उसका रंग बिल्कुल नहीं बदलेगा, लेकिन नकली दूध का रंग उबलने पर पीला हो जाएगा।

7 सिंथेटिक दूध में अगर यूरिया मिला हुआ है, तो वह गाढ़े पीले रंग का हो जाता है।

8 स्वाद के मामले में असली दूध हल्का-सा मीठा स्वाद लिए हुए होता है, जबकि नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है।

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शरीर और साँसों की बदबू भगाइए

शरीर और साँसों में बदबू आने के आंतरिक और बाह्य दोनों तरह के कारण हो सकते हैं। एक तो खान-पान की गड़बड़ी या किसी रोग की वजह से बदबू आ सकती है, दूसरे शरीर और दाँतों व मुँह की साफ़-सफ़ाई में की जा रही लापरवाही से भी बदबू की समस्या पैदा हो सकती है। बदबू की समस्या के यदि शारीरिक विकार, जैसे कि -दाँतों, मसूड़ों की ख़्ाराबी, पेट की गड़बड़ी, टॉन्सिल की सूजन-पस, नाक व साइनस विकार, श्वासनली व फेफड़ों के विकार, मुँह के छाले, रक्त की कमी, मधुमेह, यकृत-गुर्दों की बीमारी, पीनस आदि कारण हों तो आहार-विहार ठीक रखते हुए आवश्यक उपचार करना चाहिए और यदि बाह्य कारण हों, तो साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखते हुए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं-
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बेलपत्र, आँवला, हरड़ चूर्ण मिलाकर शरीर में लेप करके कुछ देर बाद धो दें। इससे शरीर और पसीने की दुर्गंध से छुटकारा मिलता है।
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सुपारी, जायफल, शीतलचीनी, कपूर, लौंग तथा लता कस्तूरी को पान में रखकर ज़रा सा चूना लगाकर चबाने से मुख शुद्धि होती है तथा दुर्गंध ख़त्म होती है। यह पान मसूड़े, दाँत तथा जीभ के लिए भी हितकारी है। ध्यान रखने योग्य इतना सा है कि रक्त-पित्त के रोगियों, बहुत दुर्बल, भूखे, प्यासे तथा मूच्र्छा से पीड़ित लोगों के लिये पान सेवन वर्जित है।
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साँस में बदबू आती हो तो ऐसे लोगों को नीम की दातून नियमित करनी चाहिए। इसके अलावा खाने के बाद मुँह अच्छी तरह साफ़ रखें।
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दो चम्मच शहद को 1 गिलास पानी में घोलकर गरारा करने से हफ्ते भर में मुँह की दुर्गन्ध से आसानी से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ दाँत की सफ़ाई और खान-पान पर भी ध्यान दें तो उत्तम है।
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मुँह की दुर्गंध दूर करने के लिए दोनों समय भोजन के बाद अथवा यदा-कदा सौंफ़ चबाना चाहिए। इससे हाज़मा भी दुरुस्त होता है।
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चंदन, मुक्ता, हरड़, नागरमोथा, उशीर व लोध्र का लेप बनाकर शरीर में लगाने से दुर्गंध की समस्या से निजात मिलती है।
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कूठ, हरड़ और नागरपान समान मात्रा में पीसकर पानी के साथ लेप बनाकर शरीर में लगाने से दुर्गंध आनी बंद होती है।
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वच, कूठ, तज, छोटी इलायची, कमल की जड़, नागकेसर सभी सममात्रा में लेकर कपड़छन चूर्ण बनाएं और शहद में मिलाकर 250 मि. ग्रा. की गोलियाँ बना लें।
इन गोलियों को चूसने से मुँह की दुर्गंध दूर होकर सुगंध आने लगती है।
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लोध्र, अनार का छिलका, रीठे के पत्ते, धाय के फूल एक में मिलाकर पीसकर लेप करने से शरीर की दुर्गंध मिटती है
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