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प्रफुल्लचन्द्र नटवरलाल भगवती (पी.एन. भगवती) : P.N.Bhagwati - Short Introduction and Biography

प्रफुल्लचन्द्र नटवरलाल भगवती (पी.एन. भगवती)

★ पी. एन. भगवती का जन्म  21 दिसम्बर, 1921 को गुजरात के अहमदाबाद में हुआ।

★ जस्टिस पी. एन. भगवती का निधन 15 जून, 2017 को नई दिल्ली में हुआ। 

★ पी. एन. भगवती जनहित याचिका के समर्थकों में से एक थे।

★ भारत में चलित न्यायालय (मोबाइल कोर्ट) इन्हीं की देन है।

★ इन्हें जुलाई, 1973 में उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

★ जस्टिस पी. एन. भगवती 12 जुलाई, 1985 से 20 दिसम्बर, 1986 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे।

★ इन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी थी।

★ इन्होंने गुजरात में मुफ्त कानूनी सहायता और सलाह की पायलट परियोजना चलाने के लिए राज्य कानूनी सहायता समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

जनहित याचिका/लोकहितवाद

(1) लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा हेतु उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा याचिका स्वीकार करना जनहित याचिका या लोकहित वाद कहलाता है।

(2) लोकहित वाद जैसा शब्द संविधान में उल्लिखित नहीं है। यह अवधारणा अमेरिका से ली गई है।

★  पी. एन. भगवती भारत के 17वें मुख्य न्यायाधीश थे। इन्हें भारत में 'लोकहित वाद का जनक' कहा जाता है।

नोट – लोकहित वाद के सन्दर्भ में वी. आर. कृष्णन अय्यर का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। वे उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश थे। वे एकमात्र व्यक्ति हैं, जो व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका तीनों के सदस्य रह चुके हैं।

नोट – बेगम हुश्न आरा खातून बनाम बिहार राज्य (1978) के मामले से भारत में P.I.L. की शुरुआत मानी जाती है। इस मामले में अधिवक्ता कपिला हिंगोरानी थी, जिन्हें भारत में 'लोकहित की जननी' कहा जाता है। 

नोट – S. P. गुप्ता बनाम भारत संघ (1982) के मामले में लोकहित वाद (PIL) को भारतीय सन्दर्भ में परिभाषित किया गया।

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