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षट्तिला एकादशी Shattila ekadashi: 06 फरवरी 2024

षट्तिला एकादशी : 06 फरवरी 2025

*🔸एकादशी 05 फरवरी शाम 05:24 से 06 फरवरी शाम 04:07 तक*

*🔸व्रत उपवास 06 फरवरी मंगलवार को रखा जायेगा ।*

*🔹इस दिन छ: कामों में तिल का उपयोग करने के कारण यह एकादशी 'षटतिला' कहलाती है, जो सब पापों का नाश करनेवाली है ।* :

*१] पानी में तिल डाल के स्नान करना ।*

*२] तिलों का उबटन लगाना ।*

*३] तिल डालकर पितरों का तर्पण करना, अर्घ्य देना ।*

*४] अग्नि में तिल डालकर यज्ञादि करना ।*

*५] तिलों का दान करना ।*

*६] तिल को भोजन के काम में लेना ।*

*तिलों की महिमा तो है लेकिन तिल की महिमा सुनकर तिल अति भी न खायें और रात्रि को तिल और तिलमिश्रित वस्तु खाना वर्जित है ।*

*🔹तेलों में सर्वश्रेष्ठ बहुगुणसम्पन्न तिल का तेल🔹*

*🔹तेलों में तिल का तेल सर्वश्रेष्ठ है । यह विशेषरूप से वातनाशक होने के साथ ही बलकारक, त्वचा, केश व नेत्रों के लिए हितकारी, वर्ण ( त्वचा का रंग ) को निखारनेवाला, बुद्धि एवं स्मृतिवर्धक, गर्भाशय को शुद्ध करनेवाला और जठराग्निवर्धक है । वात और कफ को शांत करने में तिल का तेल श्रेष्ठ हैं ।*

*🔸अपनी स्निग्धता, तरलता और उष्णता के कारण शरीर में सूक्ष्म स्त्रोतों में प्रवेश कर यह दोषों को जड़ से उखाड़ने तथा शरीर के सभी अवयवों को दृढ़ व मुलायम रखने का कार्य करता है । टूटी हुई हड्डियों व स्नायुओं को जोड़ने में मदद करता है ।*

*🔸तिल के तेल की मालिश करने व उसका पान करने से अति स्थूल (मोटे ) व्यक्तियों का वजन घटने लगता है व कृश ( पतले ) व्यक्तियों का वजन बढ़ने लगता है । तेल खाने की अपेक्षा मालिश करने से ८ गुना अधिक लाभ करता है । मालिश से थकावट दूर होती है, शरीर हलका होता है । मजबूत व स्फूर्ति आती है । त्वचा का रुखापन दूर होता है, त्वचा में झुर्रियाँ तथा अकाल वार्धक्य नहीं आता । रक्तविकार, कमरदर्द, अंगमर्द ( शरीर का टूटना ) व वात-व्याधियाँ दूर रहती हैं ।शिशिर ऋतू में मालिश विशेष लाभदायी है ।*

*🔹औषधीय प्रयोग🔹*

*🔸१] तिल का सेवन १०-१५ मिनट तक मुँह में रखकर कुल्ला करने से शरीर पुष्ट होता है, होंठ नहीं फटते, कंठ नहीं सूखता, आवाज सुरीली होती है, जबड़ा व हिलते दाँत मजबूत बनते हैं और पायरिया दूर होता है ।*

*🔸२] ५० ग्राम तिल के तेल में १ चम्मच पीसी हुई सोंठ और मटर के दाने बराबर हींग डालकर गर्म किये हुए तेल की मालिश करने से कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, अंगों की जकड़न, लकवा आदि वायु के रोगों में फायदा होता है ।*

*🔸३] २०-२५ लहसुन की कलियाँ २५० ग्राम तिल के तेल में डालकर उबालें । इस तेल की बूँदे कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है ।*

*🔸४] प्रतिदिन सिर में काले तिलों के शुद्ध तेल से मालिश करने से बाल सदैव मुलायम, काले और घने रहते हैं, बाल असमय सफेद नहीं होते ।*

*🔸५] ५० मि.ली. तिल के तेल में ५० मि.ली. अदरक का रस मिला के इतना उबालें कि सिर्फ तेल रह जाय । इस तेल से मालिश करने से वायुजन्य जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।*

*🔸६] तिल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर कुल्ले करने से दाँतों के हिलने में लाभ होता है ।*

*🔸७] घाव आदि पर तिल का तेल लगाने से वे जल्दी भर जाते हैं ।*

अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़म ❪वर्णांधता या अवर्णता❫ जागरूकता दिवस : 13 जून - International Albinism Awareness Day - Knowledge-Point

अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़म ❪वर्णांधता या अवर्णता❫ जागरूकता दिवस : 13 जून

International Albinism Awareness Day

अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़म ❪रंगहीनता❫ जागरूकता दिवस (International Albinism Awareness Day),

  • अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़म ❪रंगहीनता❫ जागरूकता दिवस (International Albinism Awareness Day), हर साल प्रतिवर्ष 13 जून को,  ऐल्बिनिज़म से पैदा हुए मनुष्यों के अधिकारों का जश्न मनाता है और इसका उद्देश्य इस आनुवंशिक स्थिति के बारे में जागरूकता और समझ बढ़ाना है।

  • ऐल्बिनिज़म की विशेषता त्वचा, बालों और आँखों में मेलेनिन वर्णक की कमी है। 
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के अनुसार, ऐल्बिनिज़म एक दुर्लभ बीमारी है। 
  • दुनिया भर में, 20,000 लोगों में से एक को ऐल्बिनिज़म है। 
  • यह विकार अफ्रीका के कुछ हिस्सों में सबसे अधिक प्रचलित है। 
  • दक्षिण अफ्रीका में लगभग चार में से एक व्यक्ति को ऐल्बिनिज़म है। 
  • तंजानिया में, यह माना जाता है कि 1,400 में से एक में आनुवंशिक स्थिति हो सकती है।

 चिकित्सा मुद्दे :

  • जिन लोगों को ऐल्बिनिज़म होता है, वे सूरज के संपर्क में  आ जाते हैं तो इस एक्सपोजर से त्वचा कैंसर और गंभीर दृश्य हानि की संभावना बढ़ जाती है। 
  • ऐल्बिनिज़म से पीड़ित लोगों को अक्सर ऐल्बिनो कहा जाता है। हालांकि, कई लोग इसे अपमानजनक शब्द मानते हैं।
  • ऐल्बिनिज़म अभी भी पूरी तरह से समझा नहीं गया है, सामाजिक या चिकित्सकीय रूप से। 
  • भले ही माता-पिता में जीन होता है, लेकिन हो सकता है कि उनके पास इस स्थिति के कोई शारीरिक लक्षण न हों। 
  • चूँकि आँख को सामान्य दृष्टि विकसित करने के लिए वर्णक की आवश्यकता होती है, ऐल्बिनिज़म वाले लोगों की दृष्टि क्षीण होती है।
  •  ऐल्बिनिज़म से पीड़ित कई लोग कानूनी रूप से अंधे होते हैं।

सामाजिक मुद्दे :


  • अफसोस की बात है कि ऐल्बिनिज़म वाले लोगों को नाम से निशाना बनाते हैं। वे अक्सर भेदभाव की वस्तु भी होते हैं। 
  • एशियाई देशों में, ऐल्बिनिज़म वाले बच्चों को उनके परिवारों द्वारा छोड़ दिया जाता है या अस्वीकार कर दिया जाता है।
  •  अन्य देशों में, ऐल्बिनिज़म वाले लोगों को स्वास्थ्य और शिक्षा में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। 
  • ऐल्बिनिज़म वाले कुछ लोग अक्सर गलत मान्यताओं, मिथकों और अंधविश्वास के शिकार होते हैं। 
  • उन देशों में जहां जादू टोना प्रचलित है, लोग ऐल्बिनिज़म वाले बच्चों का अपहरण करने और उनके शरीर के अंगों को आकर्षण और जादुई औषधि के लिए निकालने के लिए जाने जाते हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि कुछ लोग ऐल्बिनिज़म वाले लोगों को जघन्य हमलों और हत्याओं को अंजाम देने के लिए निशाना बनाते हैं।
  •  इन सभी कारणों से, इस स्थिति वाले लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा करना बहुत ही महत्वपूर्ण है।

कैसे कम व जाँच और निरीक्षण करें :

  • इस दिन, स्वास्थ्य संगठन और ऐल्बिनिज़म वाले लोगों के अधिवक्ता इस दुर्लभ स्थिति के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए शैक्षिक सेमिनार और कार्यशालाएँ आयोजित करते हैं।

भाग लेने के लिए (To Participate) :
  • किसी संगठन को दान करें, जैसे कि वर्ल्ड ऐल्बिनिज़म एलायंस या नेशनल ऑर्गनाइज़ेशन ऑफ़ ऐल्बिनिज़म एंड हाइपोपिगमेंटेशन।
  • ऐल्बिनिज़म के बारे में जानें और यह उन लोगों को कैसे प्रभावित करता है जिनकी यह स्थिति है।
  • अभिनेता-हास्य अभिनेता विक्टर वर्नाडो, संगीतकार एडगर विंटर, फैशन मॉडल कोनी चिउ और जापान के सम्राट सेनेई सहित ऐल्बिनिज़म वाले प्रसिद्ध लोगों के बारे में पढ़ें।

वीडियो देखें, 

  • "बॉर्न टू व्हाइट: अल्बिनिज़म इन अफ्रीका।" 

Watch the video,

  •  “Born Too White: Albinism in Africa.”


️अंतर्राष्ट्रीय रंगहीनता जागरूकता दिवस इतिहास :

  • 2013 में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक प्रस्ताव अपनाया जिसमें ऐल्बिनिज़म वाले व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव की रोकथाम का आह्वान किया गया था। 18 दिसंबर 2014 को, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 13 जून को अंतर्राष्ट्रीय ऐल्बिनिज़म जागरूकता दिवस के रूप में घोषित किया। पहला व्रत 2015 में हुआ था।


भाईदूज :15 नवम्बर 2023- भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक

भाईदूज :15 नवम्बर 2023- भाई-बहन के स्नेह का प्रतीक*

*🌹यमराज, यमुना, तापी एवं शनि ये भगवान सूर्य की संतानें कही जाती है किसी कारण से यमराज अपनी बहन यमुना से वर्षों दूर रहे एक बार यमराज के मन में हुआ कि 'मेरीबहन यमुना को देखे हुए बहुत वर्ष हो गये हैं ।' अतः उन्होंने अपने दूतों को कहा कि "जाओ, जाकर जाँच करो कि यमुना आज कल कहाँ स्थित है ।"*

*🌹यमदूत विचरण करते-करते धरती पर आये तो सही किन्तु उन्हें कहीं यमुनाजी का पता नहीं लगा। फिर यमराज स्वयं विचरण करते हुए मथुरा आये एवं बहुत वर्षों के बाद अपने भाई को पाकर बहन यमुना ने बड़े प्रेम से यमराज का स्वागत सत्कार किया एवं यमराज ने भी बहन की सेवा सुश्रूषा केलिए याचना करते हुए कहा "बहन तू क्या चाहती है ? मुझे अपनी प्रिय बहन की सेवा का मौका चाहिए ।"*

*🌹देवी स्वभाववाला एवं परोपकारी आत्मा क्या मोंगे ? अपने लिए जो मांगता है, वह तो भोगी होता है, विलासी होता है लेकिन जो औरों के लिए माँगता है अथवा भगवत्प्रीति  माँगता है वह तो भगवान का भक्त होता है, परोपकारी आत्मा होता है । भगवान सूर्य दिन-रात परोपकार करते हैं तो सूर्यपुत्री यमुना क्या माँगती ?*

*🌹यमुना ने कहा "जो भाई मुझमें स्नान करे वह यमपुरी न जाये ।"*

*🌹यमराज चिंतित हो गये कि 'इससे तो यमपुरी का ही दिवाला निकल जायेगा । कोई कितने ही पाप करे और यमुना में गोता मारे तो यमपुरी न आये ! सब स्वर्ग के अधिकारी हो जायेंगे तो अव्यवस्था हो जायेगी ।'*

*🌹अपने भाई को चिंतित देखकर यमुना ने कहा । "भैया! अगर यह वरदान देना तुम्हारे लिये कठिन है तो आज नववर्ष की द्वितीया है । आज के दिन भाई बहन के यहाँ आये या बहन भाई के यहाँ पहुँचे और जो भाई बहन से स्नेह से मिले ऐसे भाई को यमपुरी के पाश से मुक्त करने का वचन तो तुम दे सकते हो ।"*

*🌹यमराज प्रसन्न हुए और बोले : 'बहन ! ऐसा ही होगा' ।*

*🌹पौराणिक दृष्टि से आज भी लोग बहन यमुना एवं भाई यग के इस शुभ प्रसंग का स्मरण करके आशीर्वाद पाते हैं एवं यम के पास से छूटने का संकल्प करते हैं ।*

*🌹यह पर्व भाई बहन के स्नेह का द्योतक है । कोई बहन नहीं चाहती कि उसका भाई दीन-हीन हो, तुच्छ हो, सामान्य जीवन जीनेवाला हो, ज्ञानरहित हो, प्रभावरहित हो । इस दिन भाई को अपने घर पाकर वह अत्यंत प्रसन्न होती है अथवा किसी कारण से भाई नहीं आ पाता तो स्वयं उसके घर चली जाती है ।*

*🌹बहन भाई को तिलक करती है इस शुभ भाव से कि मेरा मैया त्रिनेत्र बने इन दो आँखों से जो नाम-रूपवाला जगत दिखता है, यह इन्द्रियों को आकर्षित करता है लेकिन ज्ञाननेत्र से जो जगत दिखता है उससे इस नाम वाले जगत की पोल खुल जाती है और जगदीश्वर का प्रकाश दिखने लगता है ।*

*🌹बहन तिलक करके अपने भाई को प्रेम से भोजन करवाती है एवं भाई बदले में बहन को बस्त्र-अलंकार, दक्षिणादि देता है । बहन निश्चिन्त होती है कि मैं अकेली नहीं हूँ मेरे साथ मेरा भैया है ।*

*🌹दिवाली के तीसरे दिन आनेवाला भाईदूज का यह पर्व बहन के संरक्षण की याद दिलानेवाला एवं बहन द्वारा भाई के लिए शुभकामनाएं करने का पर्व है । इस दिन बहन को चाहिए कि वह अपने भाई की के लिए यमराज से अर्चना करे एवं इन अष्ट चिरंजीवियों के नाम का स्मरण करे मार्कण्डेय, बलि व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, अश्वत्थामा एवं परशुराम 'मेरा भाई चिरंजीवी हो ऐसी उनसे प्रार्थना करे तथा मार्कण्डेयजी से इस प्रकार प्रार्थना करे ।*

*मार्कण्डेय महाभाग सप्तकल्पजीवितः ।*
*चिरंजीवी यथा त्वं तथा मे भातारं कुरुः ॥*

*🌹'हे महाभाग मार्कण्डेय आप सात कल्प के अंत तक जीनेवाले चिरंजीवी है जैसे आप चिरंजीवी वैसे मेरा माई भी दीर्घायु हो । (पद्मपुराण)'*

*🌹इस प्रकार भाई के लिये मंगल कामना करने का एवं भाई-बहन के पवित्र स्नेह का पर्व है भाईदूज ।*

चंद्रग्रहण सम्बंधित महत्त्वपूर्ण बातें - Chandra Grahan Related Important Facts..

जहाँ ग्रहण दिखाई देगा, वहाँ पर नियम पालनीय हैं ।

चंद्रग्रहण सम्बंधित महत्त्वपूर्ण बातें  - भाग (१)

*🌹 चन्द्रग्रहण के समय श्रेष्ठ साधक उपवासपूर्वक ब्राह्मी घृत (5 से 10 ग्राम {एक या दो चम्मच } का स्पर्श करके 'ॐ नमो नारायणाय' मंत्र का आठ हजार जप करने के पश्चात ग्रहणशुद्धि होने पर उस घृत को पी ले । ऐसा करने से वह मेधा (धारणशक्ति), कवित्वशक्ति तथा वाक् सिद्धि प्राप्त कर लेता है ।*

*🌹 चन्द्रग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (09 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए । बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं ।*

*🌹 ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक 'अरुन्तुद' नरक में वास करता है ।*

*🌹 सूतक से पहले पानी में कुशा, तिल या तुलसी-पत्र डाल के रखें ताकि सूतक काल में उसे उपयोग में ला सकें । ग्रहणकाल में रखे गये पानी का उपयोग ग्रहण के बाद नहीं करना चाहिए किंतु जिन्हें यह सम्भव न हो वे उपरोक्तानुसार कुशा आदि डालकर रखे पानी को उपयोग में ला सकते हैं ।*

*🌹 ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते । पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए ।*

*🌹 ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए ।*

*🌹 ग्रहण पूरा होने पर स्नान के बाद सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर अर्घ्य दे कर भोजन करना चाहिए ।*

*🌹 ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए । स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं ।*

*🌹 ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए । ग्रहण के स्नान में गरम जल की अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है ।*

*🌹 ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है ।*

*🌹 ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए । बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए ।*

*🌹 ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं ।*

*🌹 ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए ।*

चंद्रग्रहण सम्बंधित महत्त्वपूर्ण बातें  - भाग (२)

*🌹 ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए ।*

*🌹 भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना होता है । यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना फल दायी होता है ।*

*🌹 ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, मंत्र जप न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है ।*
  
*🌹 ग्रहण के समय उपयोग किया हुआ कपड़े, आसन, माला, गोमुखी ग्रहण पूरा होने के बाद गंगा जल में धो लेना चाहिए ।*

*🌹 ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है ।* 

*🌒 ग्रहणकाल में गर्भवती महिलायें क्या करें, क्या ना करें ?*

*🔹गर्भिणी के लिए ग्रहण के कुछ नियम विशेष पालनीय होते हैं । इन्हें कपोलकल्पित बातें अथवा अंधविश्वास नहीं मानना चाहिए, इनके पीछे शास्त्रोक्त कारण हैं ।*

*🔹ग्रहण के प्रभाव से वातावरण, पशु-पक्षियों के आचरण आदि में परिवर्तन दिखाई देते हैं इससे स्पष्ट है कि मानवीय शरीर तथा मन के क्रिया-कलापों में भी परिवर्तन होते हैं ।*

*🔹ग्रहणकाल में कुछ कार्य करने से आशातीत लाभ होते हैं और कुछ से अत्याधिक हानि । सभी उन्हें न भी समझ सकें परंतु उनका पालन करना अति आवश्यक है इसलिए हमारे हितैषी ऋषि-मुनियों के द्वारा इन कार्यों का नियम के रूप में समाज में प्रचलन किया गया है । ध्यान रहे, इन नियमों से गर्भवती को भलीभाँति अवगत करायें परंतु भयभीत नहीं करें । भय का गर्भ पर विपरीत असर पड़ता है ।*

*👉 ग्रहण के दौरान गर्भिणी को लोहे से बनी वस्तुओं से दूर रहना चाहिए । वह अगर चश्मा लगाती हो और चश्मा लोहे का हो तो उसे ग्रहणकाल के दौरान निकाल देना चाहिए ।*

*👉 बालों पर लगी पिन या शरीर पर धारण किये हुए नुकीली गहने भी उतार दें । चाकू, कैंची, पेन, पेंसिल, सुई जैसी नुकीली चीजों का प्रयोग कदापि न करें । किसी भी लोहे की वस्तु, बर्तन, दरवाजे की कुंडी, ताला आदि को स्पर्श न करें ।*

*👉 ग्रहण काल में भोजन बनाना, साफ-सफाई आदि घरेलू काम, पढ़ाई-लिखाई, कम्प्यूटर वर्क, नौकरी या बिजनेस आदि से संबंधित कोई भी काम नहीं करने चाहिए क्योंकि इस समय काम करने से शारीरिक और बौद्धिक क्षमता क्षीण होती है ।*

*👉 ग्रहणकाल में घर से बाहर निकलना, यात्रा करना, चन्द्र अथवा सूर्य के दर्शन करना निषिद्ध है ।*

*👉 ग्रहणकाल के दौरान पानी पीना, भोजन करना, लघुशंका अथवा शौच जाना, सोना या स्नान करना, वज्रासन में बैठना भी निषिद्ध है । ग्रहणकाल से 4 घंटे पूर्व इस प्रकार अन्न-पान करें कि ग्रहण के दौरान शौचादि के लिए जाना न पड़े ।*

*👉 ग्रहण के दौरान सेल्युलर फोन (मोबाइल) से निकले रेडिएशन्स से शिशु में स्थायी विकृति या मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है अत: इस समय मातायें फोन से दूर रहें ।*

*👉 सूर्यग्रहण में 4 प्रहर (12 घंटे) पहले से सूतक माना जाता है । जो गर्भवती माताएँ हैं वे ग्रहण से 1 से 1.5 प्रहर (4 से 4.30 घंटे) पहले तक खा-पी लें तो चल सकता है ।*

*👉 गर्भवती ग्रहणकाल में गले में तुलसी की माला व चोटी में कुश धारण कर लें ।*

*👉 ग्रहण से पूर्व देशी गाय के गोबर में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर पेट पर गोलाई से लेप करें । देशी गाय का गोबर उपलब्ध न हो तो गेरु मिट्टी अथवा शुद्ध मिट्टी का ही लेप कर लें, इससे ग्रहण के दुष्प्रभाव से गर्भ की रक्षा होती है ।*

*👉 कश्यप ऋषि कहते हैं – चन्द्रग्रहण तथा सूर्यग्रहण का ज्ञान होने पर गर्भिणी को गर्भवेश्म अर्थात घर के भीतरी भाग (अंत: पुर) में जाकर शान्ति होम आदि कार्यों में लगकर चन्द्र तथा सूर्य की ग्रह द्वारा मुक्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए ।*

*👉 गर्भिणी सम्पूर्ण ग्रहण काल में कमरे में बैठकर यज्ञों में सर्वश्रेष्ठ भगवन्नाम जप रूपी यज्ञ करें । ॐ कार का दीर्घ उच्चारण करें । अगर लम्बे समय तक नहीं बैठ पाये तो लेटकर भी जप कर सकती है । जप करते समय गंगाजल पास में रखें । ग्रहण पूर्ण होने पर माला को गंगाजल से पवित्र करे व स्वयं वस्त्रों सहित सिर से स्नान कर लें ।*

जन्माष्टमी -Krishna Janmashtami

* जन्माष्टमी - 06/07 सितम्बर 2023*

*इस साल जन्माष्टमी दो दिन मनाई जाएगी । दरअसल 6 सितम्बर को जन्माष्टमी दोपहर को शुरू हो रही है । इसलिए 6 सितम्बर को और 7 सितंबर को भी जन्माष्टमी मनाई जाएगी । इस साल जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि रात में पड़ रही है । अष्टमी तिथि 06 सितम्बर 2023 को शाम 15:37 बजे शुरू होगी और 07 सितम्बर को शाम 4:14 बजे समाप्त होगी, इसलिए भक्त दोनों दिन जन्माष्टमी मना सकते हैं । कहते हैं कि भगवान कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इस बार भी रोहिणी नक्षत्र पड़ रहा है । रोहिणी नक्षत्र 6 सितम्बर को जन्माष्टमी के दिन सुबह 09:20 बजे प्रारम्भ होगा और अगले दिन 7 सितम्बर को सुबह 10:25 पर समाप्त होगा ।*

*जन्माष्टमी व्रत-उपवास की महिमा*

*जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए, बड़ा लाभ होता है ।इससे सात जन्मों के पाप-ताप मिटते हैं ।*

*जन्माष्टमी एक तो उत्सव है, दूसरा महान पर्व है, तीसरा महान व्रत-उपवास और पावन दिन भी है ।*

*'वायु पुराण' में और कई ग्रंथों में जन्माष्टमी के दिन की महिमा लिखी है । 'जो जन्माष्टमी की रात्रि को उत्सव के पहले अन्न खाता है, भोजन कर लेता है वह नराधम है' - ऐसा भी लिखा है, और जो उपवास करता है, जप-ध्यान करके उत्सव मना के फिर खाता है, वह अपने कुल की 21 पीढ़ियाँ तार लेता है और वह मनुष्य परमात्मा को साकार रूप में अथवा निराकार तत्त्व में पाने में सक्षमता की तरफ बहुत आगे बढ़ जाता है । इसका मतलब यह नहीं कि व्रत की महिमा सुनकर मधुमेह वाले या कमजोर लोग भी पूरा व्रत रखें ।*

*बालक, अति कमजोर तथा बूढ़े लोग अनुकूलता के अनुसार थोड़ा फल आदि खायें ।*

*जन्माष्टमी के दिन किया हुआ जप अनंत गुना फल देता है ।*

*उसमें भी जन्माष्टमी की पूरी रात जागरण करके जप-ध्यान का विशेष महत्त्व है । जिसको क्लीं कृष्णाय नमः मंत्र का और अपने गुरु मंत्र का थोड़ा जप करने को भी मिल जाय, उसके त्रिताप नष्ट होने में देर नहीं लगती ।*

*'भविष्य पुराण' के अनुसार जन्माष्टमी का व्रत संसार में सुख-शांति और प्राणीवर्ग को रोगरहित जीवन देनेवाला, अकाल मृत्यु को टालनेवाला, गर्भपात के कष्टों से बचानेवाला तथा दुर्भाग्य और कलह को दूर भगानेवाला होता है ।*

दादरा एवं नगर हवेली मुक्ति दिवस - 2 August - Dadra and Nagar Haveli

दादरा एवं नगर हवेली मुक्ति दिवस

● हर वर्ष 2 अगस्त को दादरा एवं नगर हवेली मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है।

● दादरा एवं नगर हवेली को पुर्तगलियों से आजाद कराने और भारत में शामिल करने हेतु,भारतीय सशस्त्र सेनाओं द्वारा 'ऑपरेशन विजय' चलाया गया था। यह भारत कर तीनों सशस्त्र बलों का पहला संयुक्त कमांडों ऑपरेशन था। जिसमें दादरा एवं नगर हवेली के साथ-साथ गोवा, दमन, दीव को भी भारत में शामिल किया गया।

● पुर्तगालियों ने सन् 1783 से 1785 के बीच दादरा एवं नगर हवेली पर कब्जा कर लिया था और वर्ष 1954 में इसकी मुक्ति तक इस पर शासन किया।

● उनके शासनकाल में सरकार और उसके अधिकारियों की लोलुपता एवं भ्रष्टाचार तथा मुट्ठी भर साहूकारों द्वारा स्थानीय आदिवासी समुदाय का शोषण और लोगों के कल्याण के प्रति उदासीनता दृष्टिगोचर होती थी।

● 2 अगस्त, 1954 को गोवा के स्वयंसेवकों द्वारा स्थानीय निवासियों के घनिष्ठ सहयोग से लगभग 170 वर्षों के पुर्तगाली शासन का अंत किया गया था।

● 12 जून, 1961 को वरिष्ठ पंचायत ने सर्वसम्मति से भारतीय संघ के साथ एकीकरण का संकल्प पारित किया।

● 11अगस्त, 1961 को संसद द्वारा पारित दादरा एवं नगर हवेली अधिनियम, 1961 (1961 की सं. 35) द्वारा यह प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर एक हो गया। इसके परिणामस्वरूप, मुक्त दादरा एवं नगर हवेली प्रशासन का स्थान प्रशासक दादरा एवं नगर हवेली की अगुवाई वाले एक औपचारिक वैधानिक प्रशासन द्वारा ले लिया गया, जिसमें एक ही जिले से 72 गाँव और एक वैधानिक कस्बा और 5 जनगणना शहर और एक तालुका केंद्र शासित प्रदेश के रूप में शामिल थे।

● 26 जनवरी, 2020 को दादरा एवं नगर हवेली तथा दमन एवं दीव के नए केंद्र शासित प्रदेश के गठन के लिए इस केंद्र शासित प्रदेश को अपने पड़ोसी संघ प्रदेश दमन एवं दीव के साथ मिला दिया गया। दादरा एवं नगर हवेली का क्षेत्र तब दादरा एवं नगर हवेली जिले के रूप में नए केंद्र शासित प्रदेश के तीन जिलों में से एक बन गया।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस - 26 June

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस

प्रतिवर्ष 26 जून को संयुक्त राष्ट्र द्वारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस  मनाया जाता है।

इसका मुख्य उद्देश्य समाज पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरनाक प्रभावों के बारे में जागरूकता का प्रसार करना तथा दुनिया को नशे से मुक्त करना है।

वर्ष 2023 के लिए इस दिवस की थीम "लोग पहले : कलंक और भेदभाव को रोकें, रोकथाम को मजबूत करें" (People first: stop stigma and discrimination, strengthen prevention) है।

7 दिसंबर, 1987 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।

इस दिवस की शुरुआत वर्ष 1989 में की गई थी।

26 जून की तारीख को ग्वांगडोंग में लिन ज़ेक्सू द्वारा अफीम व्यापार को समाप्त करने के उपलक्ष्य में चुनी गई है।
संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अवैध ड्रग का मूल्य प्रतिवर्ष 322 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि वर्ष 2018 में लगभग 269 मिलियन लोगों ने ड्रग्स का इस्तेमाल किया जो वर्ष 2009 की तुलना में 30% अधिक है।

UNODC संयुक्त राष्ट्र का एक अंग है जो विश्व को ड्रग्स, भ्रष्टाचार, अपराध और आतंकवाद से सुरक्षित रखने में मदद करता है।

संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस - 23 June - Sanyukt-rashtra-lok-seva-day

संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस - 23 जून

संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस

प्रतिवर्ष 23 जून को सम्पूर्ण विश्व में संयुक्त राष्ट्र द्वारा लोक सेवाओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में 'संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस' का आयोजन किया जाता है।

यह दिवस लोक सेवकों के कार्य को मान्यता देते हुए समाज के विकास में उनके योगदान पर ज़ोर देता है और युवाओं को सार्वजनिक क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए प्रेरित करता है।

20 दिसंबर, 2002 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 जून को संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस के रूप में घोषित किया था।

इस दिवस के संबंध में जागरूकता और लोक सेवा के महत्त्व को बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2003 में 'संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार' (UNPSA) कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसे वर्ष 2016 में सतत् विकास के लिए वर्ष 2030 एजेंडा के अनुसार अपडेट किया गया था।

'संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार' कार्यक्रम सार्वजनिक संस्थाओं की नवीन उपलब्धियों और सेवाओं को मान्यता देकर लोक सेवाओं में नवाचार एवं गुणवत्ता को बढ़ावा देता है तथा उन्हें पुरस्कृत करता है, जो सतत् विकास के पक्ष में दुनिया भर के देशों में अधिक कुशल एवं अनुकूल लोक प्रशासन में योगदान दे रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस - 23 June - Antarrashtiya-Olympic-Divas

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस - 23 June

प्रतिवर्ष 23 जून को सैनिक गतिविधियों में खेल एवं स्वास्थ्य के महत्त्व को बढ़ावा देने के लिए 'अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस' का आयोजन किया जाता है।

यह दिवस 1894 ई. में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना को चिह्नित करता है।

इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम लोगों के बीच खेलों को प्रोत्साहित करना और खेल को जीवन का अभिन्न अंग बनाने का संदेश प्रसारित करना है।

आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत ओलंपिया (ग्रीस) में आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईस्वी तक आयोजित प्राचीन ओलंपिक खेलों से प्रेरित है।

यह ग्रीस के ओलंपिया में ज़ीउस (Zeus) (ग्रीक धर्म के सर्वोच्च देवता) के सम्मान में आयोजित किया जाता था।

बेरोन पियरे दी कोबर्टिन ने 1894 ई. में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की स्थापना की और ओलंपिक खेलों की नींव रखी।

यह एक गैर-लाभकारी स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो खेल के माध्यम से एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।

यह ओलंपिक खेलों के नियमित आयोजन को सुनिश्चित करता है, सभी संबद्ध सदस्य संगठनों का समर्थन करता है और उचित तरीकों से ओलंपिक के मूल्यों को बढ़ावा देता है।

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के आयोजन का विचार वर्ष 1947 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की बैठक में प्रस्तुत किया गया और वर्ष 1948 में इस प्रस्ताव को आधिकारिक स्वीकृति दी गई।

विश्व संगीत दिवस - Vishva-Sangeet-divas - 21June

विश्व संगीत दिवस - Vishva-Sangeet-divas

  प्रतिवर्ष 21 जून को 'विश्व संगीत दिवस' का आयोजन किया जाता है।

  इसका मुख्य उद्देश्य संगीत के माध्यम से शांति और सद्भावना को बढ़ावा देना है।

  इस दिवस के आयोजन की कल्पना सर्वप्रथम वर्ष 1981 में फ्रांस के तत्कालीन संस्कृति मंत्री द्वारा की गई थी।

  'विश्व संगीत दिवस' की शुरुआत में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले फ्रांस के तत्कालीन संस्कृति मंत्री मौरिस फ्लेरेट स्वयं एक प्रसिद्ध संगीतकार, पत्रकार और रेडियो निर्माता थे।

  इस दिवस के अवसर पर भारत समेत विश्व के तमाम देशों में जगह-जगह संगीत प्रतियोगिताओं और संगीत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

  वर्तमान समय में संगीत एक ऐसा सशक्त माध्यम बन गया है, जिसका प्रयोग वैज्ञानिकों द्वारा व्यक्ति को मानसिक रोगों व व्याधियों से मुक्ति प्रदान करने के लिए भी किया जा रहा है।

  कई अध्ययनों और विशेषज्ञों के मुताबिक, संगीत तनाव को कम करने और बेहतर नींद प्रदान करने में भी मददगार साबित हो सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस - 21 जून : International-yoga-day

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस - 21 जून

  प्रतिवर्ष 21 जून को 'ग्रीष्मकालीन संक्रांति' (Summer Solstice) के साथ विश्व स्तर पर 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' (International Yoga Day) का आयोजन किया जाता है।

  विश्व स्तर पर सर्वप्रथम वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया था।

11 दिसंबर, 2014 को 'संयुक्त राष्ट्र महासभा' के 69वें सत्र के दौरान एक प्रस्ताव पारित करके 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस/विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने के लिए मान्यता दी गई थी।

  संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विश्व में योग को पहचान दिलाने एवं योग की महत्ता से विश्व को अवगत कराते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस सत्र में विश्व योग दिवस घोषित किए जाने से संबंधित प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।

  प्रधानमंत्री की इस अपील के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा के 123 सदस्यों की इस बैठक में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को रखा गया जिसमें 177 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।

  इस दिवस के लिए वर्ष 2023 की थीम 'वसुधैव कुटुम्बकम् के लिए योग' है जो एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का वर्णन करती है।

  वसुधैव कुटुम्बकम् प्राचीन काल से ही भारतीय विरासत के लिए मार्गदर्शन कराने वाला प्रकाश रहा है और भारतीय लोकाचार व सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने इसके चारों ओर बुने गए हैं।

  भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के अनुसार, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है, जिसके बाद 21 जून वर्ष का सबसे बड़ा दिन माना जाता है।

  21 जून को सूर्य कुछ शीघ्र उगता है तथा देर से डूबता है।

  भारतीय परंपरा में दक्षिणायन के समय को आध्यात्मिक विद्या प्राप्त करने के लिए बेहद अनुकूल समय माना जाता है।

  वर्ष 2019 में 'आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी' (आयुष) (Ministry of Ayurveda, Yoga & Naturopathy, Unani, Siddha and Homoeopathy- AYUSH) मंत्रालय द्वारा अपने 'कॉमन योग प्रोटोकॉल' में, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि, बन्ध और मुद्रा, सत्कर्म, युक्ताहार, मंत्र-जाप, युक्ता-कर्म जैसे लोकप्रिय योग 'साधना' को सूचीबद्ध किया गया है।

  योग को प्राचीन भारतीय कला के एक प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

  जीवन को सकारात्मक और ऊर्जावान बनाए रखने में योग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस - 12 जून (June)- Vishva-balshram-nishedh-divas

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस - 12 जून

सम्पूर्ण विश्व में बाल श्रम की क्रूरता को समाप्त करने के लिए प्रतिवर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है।

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय संगठन द्वारा वर्ष 2002 में की गई थी।

इसका मुख्य उद्देश्य बाल श्रम की वैश्विक सीमा पर ध्यान केंद्रित करना और बाल श्रम को पूरी तरह से खत्म करने के लिए आवश्यक प्रयास करना है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार सम्पूर्ण विश्व में बाल श्रम में शामिल 152 मिलियन बच्चों में से 73 मिलियन बच्चे खतरनाक काम करते हैं।

खतरनाक श्रम में मैनुअल सफाई, निर्माण, कृषि, खदानों, कारखानों तथा फेरी वाला एवं घरेलू सहायक इत्यादि के रूप में काम करना शामिल है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, 541 मिलियन युवा श्रमिकों (15 से 24 वर्ष) में 37 मिलियन बच्चे हैं जो खतरनाक बाल श्रम का काम करते हैं।

बाल श्रम आमतौर पर मज़दूरी के भुगतान के बिना या भुगतान के साथ बच्चों से शारीरिक कार्य कराना है। बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, यह एक वैश्विक घटना है।

बच्चे अपनी उम्र के अनुरूप कठिन काम जिन कारणों से करते हैं, उनमें आमतौर पर गरीबी पहला कारण है।

इसके अलावा, जनसंख्या विस्फोट, सस्ता श्रम, उपलब्ध कानूनों का लागू नहीं होना, बच्चों को स्कूल भेजने के प्रति अनिच्छुक माता-पिता (वे अपने बच्चों को स्कूल की बजाय काम पर भेजने के इच्छुक होते हैं, ताकि परिवार की आय बढ़ सके) जैसे अन्य कारण भी हैं।

भारत में आदिकाल से ही बच्चों को ईश्वर का रूप माना जाता रहा है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य इस सोच से काफी भिन्न है। बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। गरीब बच्चे स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने की उम्र में मज़दूरी कर रहे हैं।

पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार एवं राज्य सरकारों की पहल इस दिशा में सराहनीय है। उनके द्वारा बच्चों के उत्थान के लिए अनेक योजनाओं को प्रारंभ किया गया है, जिससे बच्चों के जीवन व उनकी शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव दिखे।

संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप भारत का संविधान मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धातों की विभिन्न धाराओं के माध्यम से बल श्रम को निषेध करता है। 

भारत में बाल श्रम एक ऐसा विषय है, जिस पर संघीय व राज्य सरकारें, दोनों कानून बना सकती हैं।

बाल श्रम (निषेध व नियमन) कानून 1986- यह कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी अवैध पेशे और 57 प्रक्रियाओं में, जिन्हें बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर माना गया है, नियोजन को निषिद्ध बनाता है। इन पेशों और प्रक्रियाओं का उल्लेख कानून की अनुसूची में है।

भारत में बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई में महत्त्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप वर्ष 1996 में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से आया, जिसमें संघीय और राज्य सरकारों को खतरनाक प्रक्रियाओं और पेशों में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने और गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था।

न्यायालय ने यह आदेश भी दिया था कि एक बाल श्रम पुनर्वास सह-कल्याण कोष की स्थापना की जाए, जिसमें बाल श्रम कानून का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं के अंशदान का उपयोग हो।

अंतर्राष्ट्रीय अभिलेख दिवस - 9 जून : Antarrashtriya-abhilekh-divas-9June

अंतर्राष्ट्रीय अभिलेख दिवस - 9 जून

▪️ प्रतिवर्ष 9 जून को अभिलेखों और अभिलेखागार के महत्त्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने, सुशासन और विकास के लिए रिकॉर्ड प्रबंधन के लाभों के बारे में वरिष्ठ निर्णयकर्ताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने, दीर्घकालिक अभिलेखीय संरक्षण और पहुँच की आवश्यकता के बारे में सार्वजनिक, निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों की समझ में सुधार एवं अभिलेखीय संस्थानों में संरक्षित अद्वितीय, असाधारण और दुर्लभ दस्तावेजों का प्रदर्शन और विश्व स्तर पर उनकी दृश्यता बढ़ाने के लिए अभिलेखों और अभिलेखागार की छवि को आगे बढ़ाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय अभिलेख दिवस का आयोजन किया जाता है।

▪️ वर्ष 2005 में, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने  पेरिस, फ्रांस में आयोजित यूनेस्को सामान्य सम्मेलन के 33वें सत्र के दौरान 27 अक्टूबर को ऑडियो-विज़ुअल हेरिटेज (WDAH) के लिए विश्व दिवस के रूप में घोषित किया।

▪️ WDAH हमारी साझा विरासत और स्मृति के प्रतिनिधित्व के रूप में तत्काल उपाय करने और ऑडियो-विजुअल दस्तावेजों के महत्त्व को स्वीकार करने की आवश्यकता के बारे में व्यापक जागरूकता बढ़ाने का एक अवसर बनाता है।

▪️ ऑडियो-विजुअल दस्तावेज हमारी दस्तावेजी विरासत का केवल एक हिस्सा है जो अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करते हैं।

▪️ कालांतर में वर्ष 2007 की आईसीए वार्षिक आम बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 9 जून को अंतर्राष्ट्रीय अभिलेखागार दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

▪️ भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत एक संबद्ध कार्यालय है।

▪️ इसकी स्‍थापना 11 मार्च, 1891 को कोलकाता (कलकत्ता) में इंपीरियल रिकॉर्ड विभाग के रूप में की गई थी।

▪️ वर्ष 1911 में राजधानी के कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरण के बाद भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के इस वर्तमान भवन का निर्माण वर्ष 1926 में किया गया था।

▪️ इसे सर एडविन लुटियन द्वारा डिज़ाइन किया गया था। कलकत्ता से नई दिल्ली में सभी अभिलेखों के हस्तांतरण का कार्य वर्ष 1937 में पूरा हुआ।

▪️ यह सार्वजनिक रिकॉर्ड अधिनियम, 1993 (Public Records Act, 1993) और सार्वजनिक रिकॉर्ड नियमावली, 1997 (Public Record Rules, 1997) के कार्यांवयन के लिए एक नोडल एजेंसी है।

विश्व महासागर दिवस (World Ocean day) - 8 June

विश्व महासागर दिवस (World Ocean day) - 8 June

प्रतिवर्ष 8 जून को सम्पूर्ण विश्व में महासागरों के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day) का आयोजन किया जाता है।

विश्व महासागर दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव वर्ष 1992 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित 'पृथ्वी ग्रह' नामक फोरम में लाया गया था।

इसी दिन विश्व महासागर दिवस को हमेशा मनाए जाने की घोषणा भी की गई थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ ने इससे संबंधित प्रस्ताव को वर्ष 2008 में पारित किया था और इस दिन को आधिकारिक मान्यता प्रदान की थी।

पहली बार विश्व महासागर दिवस 8 जून, 2009 को मनाया गया था।

वर्ष 2023 के लिए इस दिवस की थीम : 'ग्रह महासागर: ज्वार बदल रहे हैं' (Planet Ocean: tides are changing) है।

इसका उद्देश्य केवल महासागरों के प्रति जागरूकता फैलाना ही नहीं, बल्कि दुनिया को महासागरों के महत्त्व और भविष्य में इनके सामने खड़ी चुनौतियों से भी अवगत करवाना है।

इस दिन कई महासागरीय पहलुओं; जैसे- सामुद्रिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग, पारिस्थितिक संतुलन, खाद्य सुरक्षा, जैव-विविधता तथा जलवायु परिवर्तन आदि पर भी प्रकाश डाला जाता है।

विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस (world brain-tumor day) - 8 June

विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस (world brain tumor day) - 8 June : Important Days

प्रतिवर्ष 8 जून को ब्रेन ट्यूमर के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों को शिक्षित करने के लिए सम्पूर्ण विश्व में विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है।

इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम जनमानस को ब्रेन ट्यूमर के बारे में जागरूक बनाना और उन्हें इस संबंध में शिक्षित करना है।

विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस के लिए वर्ष 2023 की थीम 'Uniting for Hope: Empowering Brain Tumor Patients' है।

विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस का आयोजन पहली बार वर्ष 2000 में लीपज़िग (जर्मनी) स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन 'जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन' द्वारा किया गया था।

इस दिवस को दुनिया भर में ब्रेन ट्यूमर के रोगियों और उनके प्रियजनों के प्रति सम्मान प्रकट करने हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में घोषित किया गया था।

ब्रेन ट्यूमर का आशय मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि से है।

ब्रेन ट्यूमर के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं- कैंसरयुक्त ट्यूमर और गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर। इसमें कैंसरयुक्त ट्यूमर अधिक घातक होता है।

ब्रेन ट्यूमर एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन यह पूरी तरह से इलाज योग्य है। ब्रेन ट्यूमर के कुछ सामान्य उपचारों में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, एंटी-सीज़र दवा, स्टेरॉयड उपचार आदि शामिल हैं।

20 से 40 उम्र के लोगों को ज़्यादातर नॉन कैंसर और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को कैंसर वाले ट्यूमर होने की संभावना बनी रहती है। नॉन कैंसर ट्यूमर के बढ़ने की स्पीड, कैंसर वाले ट्यूमर की तुलना में धीमी होती है।

विश्व पर्यावरण दिवस (world environment day) - 5 जून

विश्व पर्यावरण दिवस ( ) - 5 जून

  प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण की रक्षा हेतु सम्पूर्ण विश्व में जागरूकता और कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है।

  इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1972 में खराब पर्यावरणीय परिस्थितियों और उसके बढ़ते दुष्प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए की गई थी।

  वर्तमान में यह प्रदूषण की समस्या पर चर्चा करने के लिए एक वैश्विक मंच बन गया है तथा 100 से अधिक देशों में इसका आयोजन किया जाता है।

  वर्ष 2023 के लिए पर्यावरण दिवस की थीम " Solutions to Plastic Pollution" है तथा इसका वैश्विक मेज़बान कोत दिव्वार (आईवरी कोस्ट) है।

  वर्ष 2018 में भारत ने 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' (Beat Plastic Pollution) थीम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस के अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम की मेज़बानी की थी।

  वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 [Air (Prevention and Control of Pollution) Act, 1981] 'वायु प्रदूषक' को वातावरण में मौजूद किसी भी ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ के रूप में परिभाषित करता है, जो मनुष्य या अन्य जीवित प्राणियों या पौधों या संपत्ति या वातावरण के लिए हानिकारक हो सकता है।

  वायु प्रदूषण हार्ट अटैक अथवा हृदयघात के कारण होनी वाली मौतों में से एक चौथाई मौतों तथा स्ट्रोक, श्वसन संबंधी बीमारियों, फेफड़ों के कैंसर के कारण होने वाली कुल मौतों में से एक तिहाई के लिए ज़िम्मेदार है।

  दुनिया भर में लगभग 92 प्रतिशत लोग दूषित हवा में सांस लेने को विवश है। वायु प्रदूषण के कारण हर साल स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर 5 ट्रिलियन डॉलर का बोझ पड़ता है।

  सतही ओज़ोन प्रदूषण (Ground-level ozone pollution) के कारण वर्ष 2030 तक फसलों की पैदावार लगभग 26 प्रतिशत तक कम होने की आशंका है।

  भारत ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme-NCAP) का प्रारूप तैयार कर इसे लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क को बढ़ाने के अलावा वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन करना है।

  वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 में शीर्ष स्तर पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) की स्थापना और राज्य स्तर पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Boards-SPCB) को वायु गुणवत्ता में सुधार नियंत्रण एवं वायु प्रदूषण के उन्मूलन से संबंधित किसी भी मामले पर सरकार को सलाह देने का प्रावधान किया गया है।

  CPCB वायु की गुणवत्ता के लिए मानक भी तय करता है तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करता है।

अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस - 1 जून (June)

अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस - 1 जून

  प्रतिवर्ष 1 जून को अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस का आयोजन किया जाता है।

  इसका उद्देश्य बच्चों के अधिकारों की रक्षा करने की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित करना है।

  सर्वप्रथम वर्ष 1949 में रूस में अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस का आयोजन किया गया था, जिसका निर्णय मॉस्को में अंतर्राष्ट्रीय महिला लोकतांत्रिक संघ की एक विशेष बैठक में लिया गया था।

  1 जून, 1950 को विश्व के 51 देशों में अंतर्राष्ट्रीय बाल रक्षा दिवस पहली बार मनाया गया था।

  इस दिन बच्चों को उपहार प्रदान किए जाते हैं तथा उनके लिए विशेष समारोहों का आयोजन किया जाता है।

  वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में करीब 43 लाख से ज्यादा बच्चे बाल मजदूरी करते हैं।

यूनिसेफ के अनुसार विश्व के कुल बाल मजदूरों में 12 फीसदी की हिस्सेदारी अकेले भारत की है।

  सम्पूर्ण विश्व में बाल श्रम की क्रूरता को समाप्त करने के लिए प्रतिवर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है।

विश्व तंबाकू निषेध दिवस - 31 मई ( Mayor)

विश्व तंबाकू निषेध दिवस - 31 मई

▪️प्रतिवर्ष 31 मई को सम्पूर्ण विश्व में तंबाकू सेवन के घातक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये 'विश्व तंबाकू निषेध दिवस' का आयोजन किया जाता है।

▪️इस दिवस की घोषणा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य राष्ट्रों द्वारा वर्ष 1987 में की गई तथा वर्ष 1988 में संकल्प WHA 42.19 पारित कर प्रत्येक वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का आह्वान किया गया था।

▪️विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2023 की थीम "खाना उगाओ, तंबाकू नहीं"( grow food, not tobacco) है।

▪️WHO प्रत्येक वर्ष तंबाकू के उपयोग को रोकने के लिये सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों द्वारा किये गए प्रयासों और योगदान के लिये उन्हें सम्मानित करता है।

▪️तंबाकू की लत को दुनिया भर में रोके जा सकने वाली मौतों और विकलांगता का सबसे बड़ा कारण माना गया है।

▪️भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 35 मिलियन मौतें तंबाकू के सेवन की वजह से होती हैं और यह तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता एवं उत्पादक देश भी है।

▪️धूम्रपान कैंसर, दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (COPD) और पेरिफेरल वैस्कुलरडिज़ीज़ (PVD) से मौत का कारण बनता है।

▪️विश्व में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। महिलाओं को अतिरिक्त खतरों का सामना करना पड़ता है जैसे- प्रतिकूल गर्भावस्था के परिणाम, महिला विशिष्ट कैंसर जैसे- स्तन, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर और हृदय संबंधी जोखिम में वृद्धि आदि।

▪️तंबाकू से एक वर्ष में 84 मेगा टन से अधिक ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन होता है।