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मस्से का होम्योपैथिक घरेलु इलाज - Home remedy for Massa

मस्से का होम्योपैथिक इलाज

लहसुन

आयुर्वेद में लहसुन के अनेक फायदे बताए गए हैं। लहसुन का इस्तेमाल मस्से हटाने के लिए भी किया जाता है। इसमें मौजूद एंटीफंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा से मस्से हटाने में मदद क hvर ते हैं। ये मस्से को पहले मुलायम करके हटा देता है। इसके अलावा आयुर्वेद में लहसुन से कई चर्म रोगों का इलाज किया जाता रहा है।
मस्से को हटाने के लिए दो लहसुन कलियों का पेस्ट बनाकर मस्से पर एक घंटे के लिए रख दें। थोड़ी देर बाद त्वचा को पानी से धो लें। लहसुन का यह उपाय दिन में दो बार करें। ऐसा करने से जल्द ही आपको मस्से से छुटकारा मिलेगा। 

केले का छिलका
स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए कई बार आपने कई बार केले का इस्तेमाल किया होगा। इसके अलावा केले का छिलका आपको मस्से से निजात दिला सकता है। दरअसल,  केले के छिलके में मस्से को सुखाने की क्षमता होती है। इसके लिए आप केले के छिलके को रातभर मस्से वाली जगह पर रखकर उस पर एक कपड़ा बांध लें। ऐसा तब तक करें जब तक मस्सा साफ न हो जाए।

प्याज का रस
प्याज का रस भी मस्से से छुटकारा दिलाने का काम करता है। इसके लिए आप घर पर ही प्याज का रस निकालकर एक शीशी में भर लें। नियमित रूप से इस रस को अपने मस्से पर लगाएं। ऐसा कुछ दिनों तक करने से आप मस्से से निजात पा सकेंगे।  









क्यों होता है घुटनों का दर्द - Knee Pain - Did you know

आपको पता है - क्यों होता है घुटनों का दर्द ??
*

जो व्यक्ति एक घुटना मोड़ता है उसका वही घुटना दर्द करता है और दूसरा ठीक रहता है. इसके अलावा दैनिक जीवन में चलने-फिरने, चढ़ाव चढ़ने, सैर करने, व्यायाम करने, व्यायाम करने से घुटनों के जोड़ों में स्थित कारटीलेज का क्षय होता है इसकी क्षतिपूर्ति रात्रि को घुटनों के सीधे रखने एवं रक्तसंचार सुचारू रूप से संभव है कारटीलेज में द्रव या कोलोजन रक्त प्रवाह के अभाव में आपस में जुड़ने लगती है. रोगी को खडे होने पर अपना वजन ढोना और चलते समय संतुलन बनाना मुश्किल लगता है. हड्डियां आपस में टकराकर टेढ़ी होने लगती हैं. रोगियों को घुटनों पर नीकैप या क्रेप बैंडेज बांधकर रात्रि सोने की सलाह दी जाती है. घुटनों के अधिक दर्द में वज्रासन या पद्मासन वर्जित माना जाता है |

कारण
-------

* घुटने के दर्द की मुख्य वजह, खून में युरिक एसिड के लेविल का बढना है| इसे शरीर से बाहर निकालने के लिये रोगी को दो बातों का अनुसरण करना हितकर होता है -

1- मौसम के मुताबिक तीन से छ: लिटर पानी पीने की आदत बनानी चाहिये |

2- हरी सब्जी और फल या इनका जूस का सेवन |

दर्द के अन्य कारण
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* घुटने पर बार-बार दबाव से सूजन (जैसे लंबे समय के लिए घुटने के बल बैठना, घुटने का अधिक उपयोग करना अथवा घुटने में चोट) बरसाइटिस कहते हैं |

* आपके घुटने में सामने की ओर दर्द जो सीढ़ियों अथवा चढ़ाव पर चढ़ते और उतरते समय बढ़ जाता है. यह धावकों, और साइकिल चलाने वालों को होता है | टेन्टीनाइटिस घुटने के पीछे पानी के भरने से सूजन, साथ आथर्राइटिस जैसे अन्य कारणों से सूजन भी हो सकती है | यदि सिस्ट फट जाती है तो आपके घुटने के पीछे का दर्द नीचे आपकी पिंडली तक पहुंच सकता है |

* घिसा हुआ काटिर्लेज घुटने के जोड़ के अंदर की ओर अथवा बाहर की ओर दर्द पैदा कर सकता है |

* झटका लगना अथवा मोच- अचानक अथवा अप्राकृतिक ढंग से मुड़ जाने के कारण लिगमेंट में मामूली चोट |

* जोड़ में संक्रमण (इंनफेक्शन)

* घुटने की चोट- आपके घुटने में रक्त स्राव हो सकता है जिससे दर्द अधिक होता है |

घरेलू देखभाल
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1- आराम करें और ऐसे कार्यों से बचे जो दर्द बढ़ा देते हैं, विशेष रूप से वजन उठाने वाले कर्यों से बचें |

2- किसी भी प्रकार की सूजन को कम करने के लिए अपने घुटने को जहां तक संभव हो ऊपर उठा कर रखें |

3- कोई ऐसा बैंडेज अथवा एलास्टिक स्लीव पहनकर घुटने को धीरे धीरे दबाएं | (ये दोनों वस्तुएं लगभग सभी दवाइयों की दुकानों पर मिलती है) यह सूजन को कम कर सकता है और सहारा भी देता है (नी कैप की तरह)

4- अपने घुटनों के नीचे अथवा बीच में एक तकिया रखकर सोयें |

घुटनों के व्यायाम
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1- घुटनों का संचालन जंघा से पैर को दोनों हाथों से ऊपर उठाकर घुटने से पैर को आगे-पीछे दस पंद्रह बार चलाना |

2- वहीं पकडे़ हुए घुटने के निचले हिस्से से गोल घुमाना 10-10 बार सीधे-उलटे |

3- पैर लंबे करके बैठें और टखनों को आगे-पीछे दस बार चलाना और सीधे-उलटे घुमाना |

4- घुटनों की कटोरियां की मांसपेशियों को खींचना और ढीला छोड़ना - 100 बार |

5- अधिक दर्द न हो तो गद्दे पर 5 मिनट पद्मासन या वज्रासन करें |

6- पेट के बल लेटकर मकरासन की स्थिति बनाकर एक पैर का घुटना मोड़कर ऊपर हिस्से को गोल 10-10 बार सीधे-उलटे घुमाएं |

7- पीठ के बल लेटकर एक-एक पैर बिना घुटने से मोड़े 90 डिग्री पर उठाने का प्रयत्न करें पांच-पांच बार एक-एक पैर उठाएं |

यौगिक साइकिलिंग-
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1- पीठ के बल लेटकर एक-एक पैर को साइकिल जैसे चलाएं. अभ्यस्त हो जाने पर दोनों पैरों से लेटे-लेटे साइकिलिंग सीधे-उलटे 25 से 50 बार करें, उपरांत शवासन करें |

2- सवेरे भूखे पेट तीन चार अखरोट की गिरियां निकालकर कुछ दिन खाने मात्र से घुटन का दर्द समाप्त हो जाता है |

घरेलू नुस्खों से पिम्पल हटाएं, चेहरा चमकाएं Home remedy for Pimples

घरेलू नुस्खों से पिम्पल हटाएं, चेहरा चमकाएं

चेहरे पर पिम्पल्स हों तो कुछ भी करने को जी नहीं चाहता है।मेकअप तो बिलकुल नहीं। कहीं रिएक्शन हो गया तो! यही ख्याल दिन भर दिमाग में घूमता रहता है। मुंहासों के बीच ना तो ग्लॉस ही नजर आता और न ही रूज व फाउंडेशन का मजा रह जाता है। यह सभी चीजें चेहरे को रूखा और बेजान कर देती हैं। यकीन मानिए पिम्पल्स का उपाय केवल एक ही है, और वो है घरेलू इलाज। बाहर आप इसके ट्रीटमेंट के लिए जाएंगे तो हजारों पैसे खर्च होंगे। बावजूद इसके पिम्पल्स ठीक होने की गारंटी भी नही है। बेहतर होगा कि घर पर ही रहकर और घर की चीजों से ही पिम्पल्स का उपाय किया जाए

पिम्पल्स क्या हैं? 👇

साधारण भाषा में समझाएं तो यह कहा जा सकता है कि त्वचा में इंफेक्शन के कारण तेल की ग्रंथियां भर जाती हैं, उससे चेहरे पर दाने निकल आते हैं। आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि यह इंफेक्शन कैसे होता है? दरसअल त्वचा से निकलने वाला अत्याधिक तेल (सीबम), मृत त्वचा (डेड स्किन) के साथ मिलकर रोमछिद्रों को बंद कर देता है [1], जिससे वहां बैक्टीरिया पनपनेलगते हैं, जो मुंहासों का कारण बनते हैं।

𝙉𝙚𝙭𝙩 𝙥𝙖𝙧𝙩

part 2

पिम्पल्स कितने प्रकार के होते हैं - (Types Of Pimples In Hindi )
पिम्पल्स छोटे और बड़े दोनों आकार में हो सकते हैं। इसमें पानी और पस दोनों ही तरह की फुंसियां होती हैं। इनमें तेज दर्द के साथ कई बार खून भी निकलता है। त्वचा पर होने वाले ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स को भी मुंहासे ही कहा जाता है। यूं तो इसमें दर्द नही होता है, लेकिन कील लंबी जो तो निकालते समय ये भी कई बार दर्द करते हैं। इस तरह के मुंहासे [2] चेहरे पर ही नही, बल्कि पीठ और बगल {आर्मपिट्स} पर भी होते हैं। बहरहाल पिम्पल्स का उपाय भी आप तभी कर पाएंगे कि जबकि उसके सभी प्रकारों से अवगत होंगे-
1. दाना या फुंसी मुंहासे (Pustule)
आमतौर पर फुंसी का ताल्लुक उम्र से कम और खानपान से ज्यादा रहता है। छोटे बच्चों से लेकर जवान और बूढ़ों तक को फुंसी हो जाती है, लेकिन हां चेहरे पर फुंसी ज्यादातर किशोरावस्था में ही निकलती है। 15 से 30 साल की आयु तक फुंसी वाले दाने निकलते रहते हैं, लेकिन बाद में यह धीरे-धीरे ठीक भी होने लगते हैं। यह पहले लाल और गुलाबी रंग की होती हैं और पकने के बाद इसमें से पीले रंग का मवाद निकलता है। मवाद भरने के बाद इनमें दर्द भी बहुत होता है। फुंसी गहरी और थोड़े बड़े आकार की हो तो फूटने के बाद उस जगह पर गढ्डे पड़ जाते हैं।
2. ब्लैकहेड्स (Blackheads)
ब्लैकहेड्स एक प्रकार की कील होती है। यह धागे के रेशे जैसा दिखता है, लेकिन छूने में थोड़ा सख्त होता है। अक्सर यह नाक और अपरलिप्स पर ज्यादा होते हैं। किसी-किसी के पूरे चेहरे पर ब्लैकहेड्स हो जाते हैं। यह किसीभी उम्र में हो जाते हैं। इनका मुख्य कारण रोमछिद्रों में धूल-मिट्टी का भरण होता है। हालांकि, इन्हें स्क्रब द्वारा आसानी से निकला जा सकता है, लेकिन अगर यह बड़े हों तो इसे ब्लैकहैड रिमूवर टूल से ही निकलना चाहिए।
3. व्हाइटहेड्स (Whiteheads)
ब्लैकहेड्स की तरह यह भी एक तरह की कील ही होती है, लेकिन यह सफेद रंग की होती है। यह नाक के आसपास वाली जगह, माथा और होंठ पर ज्यादा होते है। ब्लैकहेड्स की तुलना में यह छोटी और मुलायम होती है।
4. पेपुल्स (Papules)
पेपुल्स का हमारी त्वचा संबंधी किसी समस्या से लेन-देना नही है, बल्कि किसी कीड़े के काटने से हो जाता है। कई बार किसी खाद्य पदार्थ की एलर्जी से पेपुल्स हो जाता है। यह हल्का गुलाबी रंग का होता है।
5. नोड्यूल्स (Nodules)
नोड्यूल्स आकार में दूसरे पिम्पल्स के बड़े और चपटे होते हैं। यह बाहर की तुलना में भीतर की ओर बढ़ते जाते हैं। इन्हें छूने भर से ही काफी दर्द होता है। यह पिम्पल्स अक्सर स्टेरॉयड लेने से हो जाते हैं।
6. गांठ (Cystic Pimples)
इन्हें आप सिस्ट भी कह सकते हैं। यह एक ही जगह पर कई सारे भी हो सके हैं या एक बड़े आकार में भी यह हो सकता है। इसमें दर्द के साथ सूजन भी होती है।
पिम्पल्स (मुंहासे) होने के कारण - ( What Causes Pimple In Hindi )
पिम्पल्स होने के चार मुख्य कारण है-
अत्याधिक सीबम का उत्पादन
हेयर [3] फॉलिकल्स में मृत त्वचा और सीबम का जमा होना,
बैक्टीरिया
चोट के कारण होने वाली सूजन।
इसके अतिरिक्त हार्मोंस में होने वाले बदलाव, स्टेरॉयड और खराब खानपान के कारण भी पिम्पल्स हो जाते हैं। यहाँ आपको विस्तार से बताया गया है-
1. हार्मोनल बदलाव
किशोरावस्था में आते ही वसामय ग्रंथियां फैल जाती हैं, जिसकी वजह से यह अधिक तेल का उत्पादन करने लगता है। सेक्स हार्मोन्स के कारण वसामय ग्रंथियां अतिसक्रिय हो जाती हैं। तनाव के कारण भी हार्मोन्स में बदलाव होते हैं, जो पिम्पल्स का कारण बनते हैं।
2. स्टेरॉयड्स
फर्टिलिटी बढ़ाने वाली दवाओं से भी पिम्पल्स हो जाते हैं। बॉडी बिल्डिंग के उद्देश्य से लिए जाने वाले स्टेरॉयड्स से भी मुंहासे होते हैं। खराब खानपान की खराब आदतों की वजह से पेट में कब्ज हो जाती है, जिससे पिम्पल्स हो जाते हैं।
3. खराब खानपान
मुंहासे होने का एक मुख्य कारण खराब खानपान भी है। कई बार त्वचा रोगों में असंतुलित भोजन और जंक फूड लेना इसकी सबसे बड़ी वजह बन जाती है।
4. तनाव
तनाव के कारण कई तरह के हार्मोन्स रिसने लगते हैं, जिससे वसामय ग्रंथियां से अतिरिक्त तेल निकलने लगती हैं।

Next part
पिम्पल्स हटाने के घरेलू उपाय -
बिना किसी झंझट और फालतू खर्च के आप पिम्पल्स से छुटकारा पा सकते हैं। कई ऐसे आसान तरीके हैं, जिन्हें आजमाकर आप बिना किसी साइडइफेक्ट के पिम्पल्स को हमेशा के लिए ठीक कर सकते हैं-
1. मुल्तानी मिट्टी
पिम्पल्स के लिए मुल्तानी मिट्टी वरदान है। त्वचा से अत्याधिक तेल और गंदगी हटाने में मुल्तानी मिट्टी बेहद कारगर है। इसे रोज नहाते समय गुलाबजल में मिलाकर चेहरे पर लगाएं। पिम्पल्स चेहरे से यूं गायब होंगे जैसे कभी थे ही नही। यदि आप खड़ी मुल्तानी मिट्टी ले रहे हैं तो उसे रातभर गुलाबजल में भीगकर रखें। लगते समय उसमें थोड़ा नींबू मिला लीजिए। इस मिश्रण से आपके पिम्पल्स बहुत जल्दी सूख जाएंगे।

2. टूथपेस्ट
पिम्पल्स को हटाने के लिए वाइट टूथपेस्ट काफी असरदार है। यह बर्फ की तरह काम करता है। त्वचा जलने पर भी इसे लगाया जाता है। मगर ध्यान रहे कि टूथपेस्ट जेल वाला न हो अन्यथा आपको जलन हो सकती है। इसमें बेकिंग सोडा, हाइड्रोजन पेरोक्साइड और ट्राइक्लोसैन जैसे पदार्थ मौजूद होते हैं, जिसकी वजह से मुंहासें जल्दी सूख जाते हैं। इसे प्रतिदिन दो बार लगाएं। उसके बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें।

3. ओटमील
ओटमील स्वास्थ्यवर्धक है। यह पेट को ठंडा रखने के साथ आपको देता है भरपूर फाइबर। ओटमील फेसपैक से पिम्पल्स बहुत जल्दी ठीक होते हैं। शायद आप नही जानते होंगे कि यह हमारी त्वचा के रोमछिद्रों को शुद्ध करने साथ उससे अतिरिक्त तेल को अवशोषित करने में भी मददगार है। इसे शहद और नींबू के रस के साथ मिलाकर लगाएं, निश्चित रूप से पिम्पल्स जल्दी खत्म हो जाएंगे।

4. एलोवेरा जेल
एलोवेरा के एक नहीं, कई आयुर्वेदिक गुण हैं। इसे खाया भी जा सकता है और लगाया भी जा सकता है। त्वचा संबंधी रोगों के लिए यह अतिउत्तम है। इसका नियमित रूप से इस्तेमाल करने से पिम्पल्स को जड़ से खत्म किया सकता है। यह एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण पिम्पल्स को बहुत जल्दी ठीक करने में सहायता करते हैं। एलोवेरा को रात में सोते वक्त लगाएं। यदि आपके पास विटामिन ई के कैप्सूल उपलब्ध हैं तो उसे इसमें मिलाकर लगाएं।

5. नीम
पिम्पल्स ठीक करने के लिए यह एक बेहद प्रभावी औषधि है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीइंफ्लेमेटरी तीनों ही गुण पाए जाते हैं। नीम को पीसकर उनका पेस्ट तैयार कर लें और एप्पल साइडर विनेगर व शहद के साथ मिलाकर लगाएं। विनेगर की जगह नींबू भी इस्तेमाल कर सकते हैं। घर पर जो आसानी से मिल जाए उसे ही इस्तेमाल करें। इसे रोजाना चेहरे पर लगाएं,पिम्पल्स बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगे। इसके अलावा आप नीम का पानी भी तैयार कर सकते हैं। इसे आइसट्रे में डाल दें और उन क्यूब्स को चेहरे पर हल्के हाथ से रगड़ें।
पिम्पल्स से बचाव - ( Pimples Prevention Tips In Hindi)
पिम्पल्स का उपाय का सबसे बेहतर तरीका है उससे बचाव। बचाव के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
रोजाना चेहरे को कम से कम तीन बार 5 मिनट तक ठंडे पानी से धोएं।
दिनभर में लगभग 10 से 12 गिलास पानी पीएं।

संतुलित आहार लें। वसायुक्त भोजन और जंकफूड से परहेज करें।
चेहरे के लिए योग और कसरत करें।
ग्रीजी और ऑयली मेकअप से बचें।
15 दिन में एक बार फ्रूट क्रीम से मसाज करें और हर हफ्ते स्क्रब करें।
मसाज से ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स मुलायम हो जाएं और मुलायम पड़ने पर यह आसानी से निकल जाते हैं।
फ्रूट क्रीम के लिए मलाई को पपीते और शहद के साथ मिलाकर पेस्ट तैयार करें। वहीं स्क्रब के लिए चीनी और कॉफी का इस्तेमाल करें।
ध्यान रहे कि मवाद और पानी वाले मुंहासों पर मसाज न करें। उनके लिए होममेड पेस्ट ही उपयोग में लाएं।
धूप में ज्यादा देर तक न रहें।
टी ट्री ऑयल लगा सकते हैं।
तनाव से दूर रहें।
पिम्पल्स से बचाव के लिए क्या खाएं और क्या न खाएं - ( Diet For Pimples In Hindi)
पिम्पल्स के लिए पीले और नारंगी रंग के फल व सब्जियां ही खाएं। अत्याधिक कैलोरी वाले फलों से परहेज करें। हालांकि आम पीला फल है, लेकिन उसमें कैलोरी बहुत ज्यादा होती है। टमाटर को त्वचा पर लगाकर जितना फायदा है उतना खाने में भी है। पालक और दाल जरूर खाएं। इनमें फाइबर होता है। कद्दू और लौकी खाएं। फलों में चीकू, आम और केला नही खाने हैं आपको, बाकी सब खा सकते हैं। कद्दू के बीज भी इसमें फायदा पहुंचता है। तरल पदार्थ ज्यादा से ज्यादा लें। ऑ यली फूड, चॉकलेट और जंक फूड न खाएं। हाई फैट फूड और ज्यादा मीठी चीज़ों से परहेज करें।

तोरई - हितकारी सब्जी( गिल्की ) - Torai Health and Care

हितकारी सब्जी – तोरई ( गिल्की )

*तोरई (गिल्की) स्वादिष्ट, पथ्यकर व औषधीय गुणों से युक्त सब्जी है । आयुर्वेद के अनुसार यह स्वाद में मीठी, स्निग्ध, ठंडी (शीत), पचने में थोड़ी भारी होती है । यह पित्त – विकृति को दूर करती है । उष्ण प्रकुतिवालों के लिए एवं पित्तजन्य व्याधियों तथा सूजाक (गनोरिया), बवासीर, रक्तमूत्र, रक्तपित्त, खाँसी, बुखार, कृमि आदि में विशेष पथ्यकर है ।*

*तोरई में जस्ता (जिंक), लौह तत्त्व, मैग्नेशियम, थायमीन और रेशे (फाइबर) प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं । तोरई के बीजों का तेल कुष्ठ और त्वचा के विविध रोगों में लाभदायी है ।*

*तोरई की सब्जी*  
      
*तोरई की सब्जी भोजन में रूचि उत्पन्न करती है । स्निग्ध व ठंडी होने के कारण तोरई शरीर में तरावट लाती है । इसकी सब्जी को सुपाच्य व अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए नींबू का रस और काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर खाना चाहिए ।*

*तोरई के लाभ*

* १] बालक व श्रमजीवियों को शक्ति देती है ।*

* २] शुक्र धातु की क्षीणता से आनेवाली शारीरिक व मानसिक दुर्बलता व चिड़चिड़ापन दूर करने के लिए तोरई की सब्जी, सूप अथवा तोरई डालकर बनायी गयी दाल का एक हफ्ते तक सेवन करने से लाभ होता है ।*

* ३] सुखी खाँसी में जब कफ न छूट रहा हो तब इसका सेवन करने से कफ निष्कासित होकर खाँसी में राहत मिलती है ।*

* ४] मूत्र-विकार व पेशाब की जलन दूर होती है | मूत्र खुलकर आता है ।*

* ५] बवासीर की तकलीफ में तोरई की सब्जी खाने तथा तोरई के ताजे पत्ते पीसकर मस्सों पर लगाने से लाभ होता है ।*

* ६] वजन कम करने व मधुमेह में काफी फायदेमंद होती है । तोरई का रस पीलिया में हितकारी है ।*

*७] रक्त को शुद्ध करती है । मुँहासे, एक्जिमा, सोरायसिस और अन्य त्वचासंबंधी रोगों में पथ्य के रूप में फायदेमंद है ।*

* ८] नेत्रज्योति बढ़ाती है । अम्लपित्त में खूब लाभदायी है ।*

* ९] कब्ज की शिकायत में शाम के भोजन में इसका उपयोग करना हितकर है । इसके लिए  सब्जी रसदार बनानी चाहिए ।*

* १०] बुखार में तोरई का सूप शक्ति व तरावट देता है ।*

* ११] जिन्हें बार – बार कृमि हो जाते हों, वे हफ्ते में २ – ३ बार तोरई की सूखी सब्जी खायें ।*

विटामिन -Vitamin and Source - Health and Care

विटामिन तत्व की खोज1912 ई में फ़्रेडरिक्क होपकिंस ने की थी |

➤विटामिन एक कार्बनिक यौगिक है, जो शरीर की रोगों से रक्षा तथा सामान्य वृद्धि के लिए अत्यावश्यक हैं |

विटामिन 'बी' एवं 'सी' जल में तथा 'ए', 'डी', और 'के', वसा में घुलनशील है ।

शरीर की समुचित वृद्धि, ऊर्जा और ऊष्मा के लिए सभी पोषक तत्वों-कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज लवण, जल की अपेक्षित मात्रा तथा रोगों से रक्षा करने के लिए जिन खाद्य पदार्थों की आवश्यकता पड़ती है, उसे संतुलित आहार कहा जाता है ।

विटामिन A
रासायनिक नाम :रेटिनाल (Retinol)
अभाव के कारण रोग :रतौंधी, संक्रमण काखतरा,जीरोप्थैलेमिया (Xeropthalamia)
स्त्रोत :दूध, अण्डा, पनीर,हरी,सब्जी,मछली यकृत

विटामिन B1
रासायनिक नाम : थायमीन (Thiamine)
अभाव के कारण रोग :बेरीबेरी
स्त्रोत : तिली, सूखा मिर्च, दाल,यकृत, यकृत तेल, अण्डाएवं सब्जियां

विटामिन B2
▪रासायनिक नाम : राइबोफ्लेमिन (Riboflovin)
▪अभाव के कारण रोग : त्वचा तथा, जीभ काफटना (Sclerosis)
▪स्त्रोत : हरी सब्जियां,दूध, मांस

विटामिन B3
▪रासायनिक नाम : निकोटिनामाइड (Niacin)
▪अभाव के कारण रोग : पेलाग्रा
▪स्त्रोत : मूंगफली, हरी ,सब्जियां,टमाटर

विटामिन B5
▪रासायनिक नाम : पैंटोथेनिक अम्ल (Pantothenicacid)
▪अभाव के कारण रोग : बाल सफेद होना, मन्दबुद्धि होना
▪स्त्रोत : मांस, मूंगफली, टमाटर

विटामिन B6
▪रासायनिक नाम : पाइरीडॉक्सिन
▪अभाव के कारण रोग : एनीमिया
▪स्त्रोत : यकृत, यकृत तेल, मांस,अनाज

विटामिन B7
▪रासायनिक नाम : बायोटिन (Biotin)
▪अभाव के कारण रोग : लकवा, बालों कागिरना
▪स्त्रोत : दूध, यकृत, यकृत तेल,मांस, अनाज

विटामिन B12
▪रासायनिक नाम : सायनोकोबालामिन
▪अभाव के कारण रोग : एनीमिया
▪स्त्रोत :दाल, सब्जियों, दूध, मांस

विटामिन B9
▪रासायनिक नाम : फोलिक अम्ल
▪अभाव के कारण रोग : एनीमिया
▪स्त्रोत : दाल, सब्जियां और अण्डा

विटामिन C
▪रासायनिक नाम : एस्कार्बिक अम्ल (Ascorbic acid)
▪अभाव के कारण रोग : स्कर्वी, मसूढ़ों काफूलना
▪स्त्रोत : नींबू, संतरा, टमाटर, सभीखटटे पदार्थ

विटामिन D
▪रासायनिक नाम : कैल्सिफेरॉल (Calciferol)
▪अभाव के कारण रोग : रिकेट्स (बच्चों में)मलेरिया (वयस्क में)
▪स्त्रोत : मछली, यकृत तेल, दूध,अण्डे

विटामिन E
▪रासायनिक नाम : Tocoferol / Erogocalciferol
▪अभाव के कारण रोग : जनन शक्ति का कमहोना
▪स्त्रोत :हरी पत्तियां वाली सब्जियां,दूध ,अनाज

विटामिन K
▪रासायनिक नाम : Phylloquinone
▪अभाव के कारण रोग : रक्‍त का थक्‍का नबनना
▪स्त्रोत :टमाटर, हरी सब्जिया

विटामिन शरीर की रोगों से रक्षा तथा सामान्य वृद्धि के लिए अत्यावश्यक - Vitamins ki Jankari

विटामिन तत्व की खोज1912 ई में फ़्रेडरिक्क होपकिंस ने की थी |

विटामिन एक कार्बनिक यौगिक है, जो शरीर की रोगों से रक्षा तथा सामान्य वृद्धि के लिए अत्यावश्यक हैं |

विटामिन 'बी' एवं 'सी' जल में तथा 'ए', 'डी', और 'के', वसा में घुलनशील है ।

शरीर की समुचित वृद्धि, ऊर्जा और ऊष्मा के लिए सभी पोषक तत्वों-कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन, खनिज लवण, जल की अपेक्षित मात्रा तथा रोगों से रक्षा करने के लिए जिन खाद्य पदार्थों की आवश्यकता पड़ती है, उसे संतुलित आहार कहा जाता है ।

विटामिन A
रासायनिक नाम :रेटिनाल (Retinol)
अभाव के कारण रोग :रतौंधी, संक्रमण काखतरा,जीरोप्थैलेमिया (Xeropthalamia)
स्त्रोत :दूध, अण्डा, पनीर,हरी,सब्जी,मछली यकृत

विटामिन B1
रासायनिक नाम : थायमीन (Thiamine)
अभाव के कारण रोग :बेरीबेरी
स्त्रोत : तिली, सूखा मिर्च, दाल,यकृत, यकृत तेल, अण्डाएवं सब्जियां

विटामिन B2
▪रासायनिक नाम : राइबोफ्लेमिन (Riboflovin)
▪अभाव के कारण रोग : त्वचा तथा, जीभ काफटना (Sclerosis)
▪स्त्रोत : हरी सब्जियां,दूध, मांस

विटामिन B3
▪रासायनिक नाम : निकोटिनामाइड (Niacin)
▪अभाव के कारण रोग : पेलाग्रा
▪स्त्रोत : मूंगफली, हरी ,सब्जियां,टमाटर

विटामिन B5
▪रासायनिक नाम : पैंटोथेनिक अम्ल (Pantothenicacid)
▪अभाव के कारण रोग : बाल सफेद होना, मन्दबुद्धि होना
▪स्त्रोत : मांस, मूंगफली, टमाटर

विटामिन B6
▪रासायनिक नाम : पाइरीडॉक्सिन
▪अभाव के कारण रोग : एनीमिया
▪स्त्रोत : यकृत, यकृत तेल, मांस,अनाज

विटामिन B7
▪रासायनिक नाम : बायोटिन (Biotin)
▪अभाव के कारण रोग : लकवा, बालों कागिरना
▪स्त्रोत : दूध, यकृत, यकृत तेल,मांस, अनाज

विटामिन B12
▪रासायनिक नाम : सायनोकोबालामिन
▪अभाव के कारण रोग : एनीमिया
▪स्त्रोत :दाल, सब्जियों, दूध, मांस

विटामिन B9
▪रासायनिक नाम : फोलिक अम्ल
▪अभाव के कारण रोग : एनीमिया
▪स्त्रोत : दाल, सब्जियां और अण्डा

विटामिन C
▪रासायनिक नाम : एस्कार्बिक अम्ल (Ascorbic acid)
▪अभाव के कारण रोग : स्कर्वी, मसूढ़ों काफूलना
▪स्त्रोत : नींबू, संतरा, टमाटर, सभीखटटे पदार्थ

विटामिन D
▪रासायनिक नाम : कैल्सिफेरॉल (Calciferol)
▪अभाव के कारण रोग : रिकेट्स (बच्चों में)मलेरिया (वयस्क में)
▪स्त्रोत : मछली, यकृत तेल, दूध,अण्डे

विटामिन E
▪रासायनिक नाम : Tocoferol / Erogocalciferol
▪अभाव के कारण रोग : जनन शक्ति का कमहोना
▪स्त्रोत :हरी पत्तियां वाली सब्जियां,दूध ,अनाज

विटामिन K
▪रासायनिक नाम : Phylloquinone
▪अभाव के कारण रोग : रक्‍त का थक्‍का नबनना
▪स्त्रोत :टमाटर, हरी सब्जिया

Hari mirch aur Iron

खूबसूरत त्वचा के लिए जरूरी है - Garmiyon me kare chehre ki dekhbhal : Beauty & Care

खूबसूरत त्वचा के लिए जरूरी है - Garmiyon me kare  chehre ki dekhbhal : Beauty & Care

खूबसूरत त्वचा के लिए जरूरी है कि आप दिन में कम से कम 6 से 7 ग्लास पानी पिएं। इससे आपका पेट साफ रहेगा और त्वचा टोन्ड रहेगी। इसके अलावा ऐसे
फलों को खाएं, जिनमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जैसे -खीरा, ककड़ी, कच्चा टमाटर, संतरा. इससे
आपकी बॉडी में पानी की कमी नहीं होगी।

स्किन को टैनिंग और सनबर्न से बचाने के लिए ठंडी तासीर की चीजें खाने के साथ ही त्वचा पर उन चीजों को लगाना
भी होता है, जो त्वचा को ठंडक दें। ऐलोवेरा जेल, चंदन पाउडर, नींबू और दही, कच्चा आलू के अलावा केला और गुलाब-जल को चेहरे पर लगाकर चेहरे को ठंडा बनाकर रख सकते हैं। इससे चेहरे की स्किन सॉफ्ट बनी रहेगी।
और सूरज की गर्मी से जलेगी नहीं।

गेहूं को धुलने के बाद रात को पानी में भिगोकर रख दें। भीगे हुए गेहूं को पानी से निकालकर गुलाबजल के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट में 2 चुटकी हल्दी मिलाएं और सूखने तक इसे चेहरे पर लगा लें। उसके बाद ताजे पानी से धोकर मॉइश्चराइजर लगाएं।

धूप में निकलने से पहले  सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। लेकिन ध्यान रहे कि इसे घर से निकलने के 15 मिनट पहले लगाना होता है। सनस्क्रीन लगाने के तुरंत बाद धूप में ना निकलें।

अलसी चमत्कारी औषधी : Health & Care

अलसी एक अमृतमयी चमत्कारी औषधी : Health & BeautyCare

*विविध नाम :*
अलसी, फ्लेक्स सीड्स, लिन सिड्स वगैरा ईसके नाम हैं।  दोस्तों, अलसी से सभी परिचित होंगे लेकिन ईसके चमत्कारी फायदे से बहुत ही कम लोग जानते हैं।  हम आज अलसी के फायदे के बारे में जो बता रहें हैं उनके बारे में जानकर और अपनाकर आप जरुर रोग मुक्त हो जायेगें।

अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है। अलसी में 23℅ ओमेगा-3 फेटी एसिड, 20℅ प्रोटीन, 27℅ फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं। 

अलसी में रेशे भरपूर 27% पर शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह रोगियों के लिए आदर्श आहार है। 

*ब्लड शुगर :*
अगर किसीको ब्लड शुगर, (डायाबिटिज) की तकलीफ है तो आपके लिये अलसी किसी वरदान से कम नहीं है। 
सुबह खाली पेट २ चमच अलसी लेकर, २ ग्लास पानी में उबालें जब आधा पानी बचे तब छानकर पियें। 

*थाईराईड :*
सुबह खाली पेट २ चमच अलसी लेकर २ ग्लास पानी में उबालें, जब आधा पानी बचे तब छानकर पियें। 
यह दोनों प्रकार के थाईराईड में बढ़िया काम करती है।

*हार्ट ब्लोकेज :*
३ महिना अलसी का काढ़ा उपर बताई गई विधि के अनुसार करने से आपको ऐन्जियोप्लास्टि कराने की जरुरत नहीं पड़ती।

*लकवा, पैरालिसीस :*
पैरालिसीस होने पर ऊपर बताई गई विधि से काढ़ा पीने से लकवा ठीक हो जाता है। 

*बालों का गिरना :*
अलसी को आधा चम्मच रोज सुबह खाली पेट सेवन करने से बाल गिरने बंद हो जाते हैं।  

  *जोडों का दर्द :*
अलसी का काढ़ा पीने से जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है। साईटिका, नस का दबना वगैरा में लाभकारी।

  *अतिरिक्त वजन :*
अलसी का काढ़ा पीने से शरीर का अतिरिक्त वजन दूर होता है।  नित़्य इसका सेवन करें, निरोगी रहें। 

*केन्सर :*
किसी भी प्रकार के केन्सर में अलसी का काढ़ा सुबह-शाम दो बार पिऐं जिससे असाधारण लाभ निश्चीत है।

  *पेट की समस्या :*
जिन लोगों को बार-बार पेट के जुड़े रोग होते हैं उनके लिये अलसी रामबाण ईलाज है।
अलसी कब्ज, पेट का दर्द आदि में फायदाकारक है।

  *सुस्ति, आलस, कमजोरी*
अलसी का काढा पीने से सुस्ती, थकान, कमजोरी दूर होती है।

*किसी भी प्रकार की गांठ :*
सुबह शाम दो समय अलसी का काढ़ा बनाकर पीने से शरीर में होने वाली किसी भी प्रकार की गांठ ठीक हो जाती है। 

*श्वास-दमा कफ, ऐलर्जीँ :*

अलसी का काढ़ा रोज सुबह शाम २ बार लेने से श्वास, दमा, कफ, ऐलर्जीँ के रोग ठीक हो जाते हैं।

*ह्दय की कमजोरी :*

ह्दय से जुड़ी किसी भी समस़्या में अलसी का काढ़ा रामबाण ईलाज है। 
जिन लोगों को ऊपर बताई गई समस़्या में से १ भी तकलीफ है तो आपके पास ईसका रामबाण ईलाज के रुप में अलसी का काढा है।
कृप्या आप इसका सेवन करें आैर स्वस्थ रहें।

*कैसे बनायें अलसी का काढ़ा  :*

2 चमच अलसी + 3 ग्लास पानी मिक्स करके उबालें। जब अाधा पानी बचे तब छानकर पियें।  इस प्रयोग से असंख्य लोगों को बहुत ही लाभ मिला है।

दाद, खाज, खुजली की समस्या के लिये घरेलु नुस्खे (Home Remedy for Itching and irritation ): Health & Beauty Care


"दाद, खाज, खुजली की समस्या को करें बाय-बाय इन घरेलू नुस्खों को आजमाकर"
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हल्दी

एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होती है हल्दी। जो इस संक्रमण को बढ़ने से रोकती है। तो हल्दी में पानी मिलाकर गाढ़ा सा पेस्ट तैयार कर दाद वाली जगह पर लगाकर छोड़ दें, सूखने पर धो लें। बहुत जल्द इसका असर नजर आता है…

टमाटर और नींबू

खूबसूरती बढ़ाने के अलावा दाद से छुटकारा दिलाने में भी टमाटर और नींबू का रस है बेहद कारगर, क्योंकि इसमें विटामिन सी पाया जाता है। जो स्किन से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है और बचाता भी है। तो टमाटर के जूस का सेवन करें। और नींबू के रस के साथ इमली के बीज को पीस कर दाद पर लगाएं…

नारियल तेल

नारियल के तेल में माइक्रोबियल और एंटीफंगल तत्व होते है। बरसों से नारियल तेल का इस्तेमाल स्किन से जुड़ी समस्याओं में ही नहीं बल्कि दाद के इलाज में भी किया जाता रहा है। तो इस्तेमाल से पहले इसे हल्का गर्म कर लें और फिर प्रभावित जगह पर लगाएं। दिन में दो से तीन बार यूज करें…

नीम

नीम का तेल हो या इसकी पत्तियां का पेस्ट, दोनों ही दाद खत्म करने का सटीक इलाज हैं। आधे चम्मच नीम के पत्ते के पाउडर में एक चम्मच गर्म पानी मिलाकर पेस्ट बना लीजिए और इसे दाद पर लगाएं….

लहसुन

लहसुन में एंटीफंगल गुण मौजूद होता है जो फंगल इंफेक्शन दूर करने में मदद करता है। लहसुन की दो से तीन कलियों का पेस्ट बनाएं। इसमें थोड़ा शहद और ऑलिव ऑयल भी मिला लें और दाद पर लगाएं। बेहद असरदार है ये नुस्खा...
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क्यों होता है घुटनों का दर्द (Knee Joint Pain )?? Health and Care

आपको पता है - क्यों होता है घुटनों का दर्द ??

जो व्यक्ति एक घुटना मोड़ता है उसका वही घुटना दर्द करता है और दूसरा ठीक रहता है. इसके अलावा दैनिक जीवन में चलने-फिरने, चढ़ाव चढ़ने, सैर करने, व्यायाम करने, व्यायाम करने से घुटनों के जोड़ों में स्थित कारटीलेज का क्षय होता है इसकी क्षतिपूर्ति रात्रि को घुटनों के सीधे रखने एवं रक्तसंचार सुचारू रूप से संभव है कारटीलेज में द्रव या कोलोजन रक्त प्रवाह के अभाव में आपस में जुड़ने लगती है. रोगी को खडे होने पर अपना वजन ढोना और चलते समय संतुलन बनाना मुश्किल लगता है. हड्डियां आपस में टकराकर टेढ़ी होने लगती हैं. रोगियों को घुटनों पर नीकैप या क्रेप बैंडेज बांधकर रात्रि सोने की सलाह दी जाती है. घुटनों के अधिक दर्द में वज्रासन या पद्मासन वर्जित माना जाता है |

कारण
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* घुटने के दर्द की मुख्य वजह, खून में युरिक एसिड के लेविल का बढना है| इसे शरीर से बाहर निकालने के लिये रोगी को दो बातों का अनुसरण करना हितकर होता है -

1- मौसम के मुताबिक तीन से छ: लिटर पानी पीने की आदत बनानी चाहिये |

2- हरी सब्जी और फल या इनका जूस का सेवन |

दर्द के अन्य कारण
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* घुटने पर बार-बार दबाव से सूजन (जैसे लंबे समय के लिए घुटने के बल बैठना, घुटने का अधिक उपयोग करना अथवा घुटने में चोट) बरसाइटिस कहते हैं |

* आपके घुटने में सामने की ओर दर्द जो सीढ़ियों अथवा चढ़ाव पर चढ़ते और उतरते समय बढ़ जाता है. यह धावकों, और साइकिल चलाने वालों को होता है | टेन्टीनाइटिस घुटने के पीछे पानी के भरने से सूजन, साथ आथर्राइटिस जैसे अन्य कारणों से सूजन भी हो सकती है | यदि सिस्ट फट जाती है तो आपके घुटने के पीछे का दर्द नीचे आपकी पिंडली तक पहुंच सकता है |

* घिसा हुआ काटिर्लेज घुटने के जोड़ के अंदर की ओर अथवा बाहर की ओर दर्द पैदा कर सकता है |

* झटका लगना अथवा मोच- अचानक अथवा अप्राकृतिक ढंग से मुड़ जाने के कारण लिगमेंट में मामूली चोट |

* जोड़ में संक्रमण (इंनफेक्शन)

* घुटने की चोट- आपके घुटने में रक्त स्राव हो सकता है जिससे दर्द अधिक होता है |

घरेलू देखभाल
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1- आराम करें और ऐसे कार्यों से बचे जो दर्द बढ़ा देते हैं, विशेष रूप से वजन उठाने वाले कर्यों से बचें |

2- किसी भी प्रकार की सूजन को कम करने के लिए अपने घुटने को जहां तक संभव हो ऊपर उठा कर रखें |

3- कोई ऐसा बैंडेज अथवा एलास्टिक स्लीव पहनकर घुटने को धीरे धीरे दबाएं | (ये दोनों वस्तुएं लगभग सभी दवाइयों की दुकानों पर मिलती है) यह सूजन को कम कर सकता है और सहारा भी देता है (नी कैप की तरह)

4- अपने घुटनों के नीचे अथवा बीच में एक तकिया रखकर सोयें |

घुटनों के व्यायाम
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1- घुटनों का संचालन जंघा से पैर को दोनों हाथों से ऊपर उठाकर घुटने से पैर को आगे-पीछे दस पंद्रह बार चलाना |

2- वहीं पकडे़ हुए घुटने के निचले हिस्से से गोल घुमाना 10-10 बार सीधे-उलटे |

3- पैर लंबे करके बैठें और टखनों को आगे-पीछे दस बार चलाना और सीधे-उलटे घुमाना |

4- घुटनों की कटोरियां की मांसपेशियों को खींचना और ढीला छोड़ना - 100 बार |

5- अधिक दर्द न हो तो गद्दे पर 5 मिनट पद्मासन या वज्रासन करें |

6- पेट के बल लेटकर मकरासन की स्थिति बनाकर एक पैर का घुटना मोड़कर ऊपर हिस्से को गोल 10-10 बार सीधे-उलटे घुमाएं |

7- पीठ के बल लेटकर एक-एक पैर बिना घुटने से मोड़े 90 डिग्री पर उठाने का प्रयत्न करें पांच-पांच बार एक-एक पैर उठाएं |

यौगिक साइकिलिंग-
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1- पीठ के बल लेटकर एक-एक पैर को साइकिल जैसे चलाएं. अभ्यस्त हो जाने पर दोनों पैरों से लेटे-लेटे साइकिलिंग सीधे-उलटे 25 से 50 बार करें, उपरांत शवासन करें |

2- सवेरे भूखे पेट तीन चार अखरोट की गिरियां निकालकर कुछ दिन खाने मात्र से घुटन का दर्द समाप्त हो जाता है |

झड़ते बालों का आयुर्वेदिक उपाय (Remedy for hair fall) : Health & Beauty Care

झड़ते बालों का आयुर्वेदिक उपाय, दवा और इलाज  (Remedy for hair fall) : Health & Beauty Care

हर किसी की चाहत होती है कि उसके बाल सुंदर और घने हों, लेकिन बढ़ते प्रदूषण, स्ट्रेस और अन्य शारीरिक स्थितियों के कारण बाल जल्दी झड़ना शुरू हो जाते हैं. कुछ लोगों के बाल तो इतने झड़ते हैं कि सिर पर गंजेपन के धब्बे दिखने लगते हैं. बालों को दोबारा लंबे और हेल्दी बनाने के लिए आयुर्वेदिक उपचार का प्रयोग करना अच्छा विकल्प है.
आयुर्वेद के अनुसार मनुष्य शरीर में वात, पित्त और कफ जैसे दोष होते हैं. जब इन दोषों में असंतुलन होता है, तब ही बीमारियां उत्पन्न होती हैं, जिसमें से एक है बाल झड़ना. ग्रीन टी, गुलाब की पत्तियां या नीम का प्रयोग झड़ते बालों का एक कारगर आयुर्वेदिक इलाज है.
आज के लेख में जानिए झड़ते बालों का कारगर आयुर्वेदिक इलाज -  
बाल झड़ने से बचाते हैं ये आयुर्वेदिक उपचार-

A. शिकाकाई
B. रीठा
C. आंवला
D. गुलाब का तेल
E. नीम
F. ग्रीन टी
E. तुलसी

शिकाकाई

शिकाकाई से बालों की अधिकतर समस्याओं को सुलझाया जा सकता है. बाल झड़ने में शिकाकाई को हल्के गर्म पानी में मिला कर एक शैंपू की तरह प्रयोग किया जाता है. शिकाकाई का करने से बालों की ग्रोथ होती है और किसी भी तरह का इंफेक्शन है, तो वह भी खत्म होता है. शिकाकाई से बालों में नमी बनी रहती है और बाल ड्राई होने से भी बचते हैं

रीठा

रीठा में एंटी-फंगल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जिनसे बालों में होने वाले इंफेक्शन से बचा जा सकता है. इंफेक्शन के कारण झड़ने वाले बालों से रीठा निजात दिला सकता है. रीठा बालों में चमक लाता है. रीठा का प्रयोग भी गर्म पानी में मिला कर एक शैंपू की तरह ही किया जाता है. इससे डैंड्रफ की समस्या भी कम होती है.

आंवला

आंवला बालों के लिए काफी अच्छा होता है. आंवले के तेल का प्रयोग बाल झड़ने की समस्या को रोकने के लिए किया जाता है. अगर बाल कमजोर हो रहे हैं या पतले होते जा रहे हैं, तो भी आंवला उन्हें मजबूत करने में सहायक है. आंवला में विटामिन-सी और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो बालों को मजबूती और चमक वापस पाने में मदद करते हैं. आंवला से बनने वाले हेयर-केयर प्रोडक्ट्स बालों में प्रयोग करने से बाल जल्दी सफेद भी नहीं होते.

गुलाब का तेल

आयुर्वेद के मुताबिक गुलाब के तेल का बालों में प्रयोग करने से सारे दोष संतुलित हो सकते हैं. नहाते समय गुलाब का एसेंशियल ऑयल गर्म पानी में मिलाकर प्रयोग किया जा सकता है. अगर गुलाब का तेल नहीं है, तो गुलाब की पत्तियों के पानी से बाल धोये जा सकते हैं. इससे बाल झड़ने की समस्या कम हो सकती है.

नीम

नीम में एंटी-माइक्रोबियल व एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं. यही नहीं इसमें कूलिंग प्रॉपर्टी भी होती हैं, जो बालों को झड़ने से रोक सकती हैं. नीम की पत्तियों से न केवल हेयर रिंस बनाया जा सकता है, बल्कि नीम के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट भी बनाया जा सकता है. इस पेस्ट को बालों में लगाने से स्कैल्प इंफेक्शन से भी राहत मिलती है. नीम के प्रयोग से बाल हेल्दी और मजबूत बनते हैं

ग्रीन टी

ग्रीन टी के माध्यम से कफ दोष को कम किया जाता है. यही नहीं चमकदार बाल पाने के लिए भी ग्रीन टी हेयर रिंस का प्रयोग किया जा सकता है. जब ग्रीन टी पाउडर को गुलाब जल में मिलाकर सिर पर मास्क की तरह लगाया जाता है, तो इससे बालों की जड़ें काफी मजबूत बनती हैं और बालों का घनत्व भी बेहतर होता है. कुछ रिसर्च के मुताबिक ग्रीन टी का प्रयोग करने से नए बाल भी जल्दी बढ़ते हैं. 

तुलसी

तुलसी के पत्तों को ग्रीन टी के साथ पानी में मिलाने से बालों के लिए काफी प्रभावी रिंस बनाया जा सकता है. इस रिंस से ड्राई बाल और कमजोर बालों की समस्या हल होती है. अगर गर्मियों का मौसम है, तो इस  में एलोवेरा जेल का भी प्रयोग किया जा सकता है. इससे बालों में एक कूलिंग इफेक्ट मिलता है.

सारांश

झड़ते बालों के लिए आयुर्वेद बेहतरीन उपचार है. इसके साथ ही बालों के लिए अरोमा थेरेपी और कुछ खास हेयर मास्क का प्रयोग करना भी झड़ते बालों की समस्या को कम कर सकता है. आयुर्वेद के मुताबिक बालों को नियमित रूप से शैंपू करना और उनमें तेल लगाना भी काफी जरूरी है. दरअसल, बालों को भी हमारे शरीर की तरह ही पोषण की आवश्यकता होती है. अगर घरेलू उपचार ट्राई करने के बाद भी बाल झड़ने की समस्या ठीक नहीं होती है, तो डॉक्टर से संपर्क करें.

source : @health_beautys_tipS

महिलाओं को खानी चाहिए ग्वार की फली - Beauty and Care

महिलाओं को खानी चाहिए ग्वार की  फली - Care
काली गर्दन के लिए करें ये उपाय - Beauty Tips

Source - @health_Beauty_Tipss

कब्ज और परेशानियाँ - Health and Care

कब्ज और परेशानियाँ - Health and Care

कब्ज एक छोटा-सा शब्द है लेकिन जिन लोगों को अक्सर कब्ज की समस्या रहती है, वो बेहतर तरीके से जानते हैं कि यह किस तरह आपकी लाइफ डिस्टर्ब करती है। पेट साफ न होने से शारीरिक परेशानियों के साथ कई स्किन प्रॉब्लम्स भी हो जाती हैं। ऐसे में आपको अपना ख्याल रखने के लिए अपनी कुछ आदतों में सुधार करना चाहिए। कुछ ऐसी आदतें होती हैं, जिसकी वजह से आपको कब्ज की परेशानी होती रहती है। कब्ज की बात करें, तो आम कब्ज से लेकर गंभीर तरह की कब्ज की बीमारी इसमें शामिल है. जैसे कभी-कभार होने वाला कब्ज, क्रॉनिक कॉन्स्टिपेशन (कब्ज बहुत ज्यादा बढ़ जाने पर), यात्रा या उम्र से संबंधित कब्ज। कब्ज में हमारी आंतें मल को छोड़ नहीं पातीं। 

नींबू पानी

नींबू हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। अगर कभी कब्ज हो जाए तो एक गिलास गर्म पानी में एक नींबू का रस और शहद मिलाएं और पी लें।

दूध और दही

कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए पेट में अच्छे बैक्टीरिया का भी होना जरूरी है। सादे दही से आपको प्रोबायोटिक मिलेगा, इसलिए आप दिन में एक से दो कप दही जरूर खाएं। इसके अलावा यदि बहुत परेशान हैं तो एक गिलास दूध में एक से दो चम्मच घी मिलाकर रात को सोते समय पिएं, लाभ होगा।

आयुर्वेदिक दवा

सोने से पहले दो या तीन त्रिफला टैबलेट गर्म पानी के साथ लें। त्रिफला हरड़, बहेड़ा और आंवले से बना होता है। ये तीनों पेट के लिए लाभकारी हैं। त्रिफला रात में अपना काम शुरू कर देता है।

खाने में फाइबर

एक दिन में एक महिला को औसतन 25 ग्राम फाइबर की जरूरत होती है, वहीं एक पुरुष को 30 से 35 ग्राम फाइबर की आवश्यकता होती है। अपने पाचन तंत्र को दोबारा ट्रैक पर लाने के लिए आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आप हर दिन अपनी जरूरत के अनुसार फाइबर की खुराक ले रहे हैं।

 

कैसे पहचानें कि घर में रोजाना लिया जाने वाला दूध असली है या नकली? : Health and Beauty Care

@.शरीर और साँसों की बदबू भगाइए
@.कैसे पहचानें कि घर में रोजाना लिया जाने वाला दूध असली है या नकली?


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कैसे पहचानें कि घर में रोजाना लिया जाने वाला दूध असली है या नकली?


1 सबसे पहले दूध में पानी की मिलावट को परखने के लिए किसी लकड़ी या पत्थर पर दूध की एक या दो बूंद गिराइए। अगर दूध बहकर नीचे की तरफ गिरे और सफेद निशान बन जाए तो दूध पूरी तरह से शुद्ध है।

2 दूध में डिटर्जेंट की मिलावट को पहचानने के लिए, दूध की कुछ मात्रा को एक कांच की शीशी में लेकर जोर से हिलाइए। अगर दूध में झाग निकलने लगे तो इस दूध में डिटरर्जेंट मिला हुआ है। अगर यह झाग देर तक बना रहे, तो दूध के नकली होने में कोई संशय नही है।

3 दूध को सूंघकर देखें। अगर दूध नकली है, तो उसमें साबुन की तरह गंध आएगी, और अगर दूध असली है, तो उसमें इस तरह की गंध नहीं आती।

4 दूध को दोनों हाथों में लेकर रगड़कर देखें। अगर दूध असली है, तो सामान्य तौर पर चिकनाहट महसूस नहीं होगी। लेकिन अगर दूध नकली है, तो इसे रगड़ने पर बिल्कुल वैसी ही चिकनाहट महसूस होगी, जैसी कि डिटर्जेंट को रगड़ने पर होती है।

5 दूध को देर तक रखने पर, असली दूध अपना रंग नहीं बदलता है। जबकि दूध अगर नकली है, तो वह कुछ समय बाद पीला पड़ने लगेगा।

6 असली दूध को उबालने पर उसका रंग बिल्कुल नहीं बदलेगा, लेकिन नकली दूध का रंग उबलने पर पीला हो जाएगा।

7 सिंथेटिक दूध में अगर यूरिया मिला हुआ है, तो वह गाढ़े पीले रंग का हो जाता है।

8 स्वाद के मामले में असली दूध हल्का-सा मीठा स्वाद लिए हुए होता है, जबकि नकली दूध का स्वाद डिटर्जेंट और सोडा मिला होने की वजह से कड़वा हो जाता है।

सौन्दर्य चाहिए तो स्वास्थ्य बचाइए

शरीर और साँसों की बदबू भगाइए

शरीर और साँसों में बदबू आने के आंतरिक और बाह्य दोनों तरह के कारण हो सकते हैं। एक तो खान-पान की गड़बड़ी या किसी रोग की वजह से बदबू आ सकती है, दूसरे शरीर और दाँतों व मुँह की साफ़-सफ़ाई में की जा रही लापरवाही से भी बदबू की समस्या पैदा हो सकती है। बदबू की समस्या के यदि शारीरिक विकार, जैसे कि -दाँतों, मसूड़ों की ख़्ाराबी, पेट की गड़बड़ी, टॉन्सिल की सूजन-पस, नाक व साइनस विकार, श्वासनली व फेफड़ों के विकार, मुँह के छाले, रक्त की कमी, मधुमेह, यकृत-गुर्दों की बीमारी, पीनस आदि कारण हों तो आहार-विहार ठीक रखते हुए आवश्यक उपचार करना चाहिए और यदि बाह्य कारण हों, तो साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखते हुए निम्न उपाय अपनाए जा सकते हैं-
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बेलपत्र, आँवला, हरड़ चूर्ण मिलाकर शरीर में लेप करके कुछ देर बाद धो दें। इससे शरीर और पसीने की दुर्गंध से छुटकारा मिलता है।
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सुपारी, जायफल, शीतलचीनी, कपूर, लौंग तथा लता कस्तूरी को पान में रखकर ज़रा सा चूना लगाकर चबाने से मुख शुद्धि होती है तथा दुर्गंध ख़त्म होती है। यह पान मसूड़े, दाँत तथा जीभ के लिए भी हितकारी है। ध्यान रखने योग्य इतना सा है कि रक्त-पित्त के रोगियों, बहुत दुर्बल, भूखे, प्यासे तथा मूच्र्छा से पीड़ित लोगों के लिये पान सेवन वर्जित है।
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साँस में बदबू आती हो तो ऐसे लोगों को नीम की दातून नियमित करनी चाहिए। इसके अलावा खाने के बाद मुँह अच्छी तरह साफ़ रखें।
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दो चम्मच शहद को 1 गिलास पानी में घोलकर गरारा करने से हफ्ते भर में मुँह की दुर्गन्ध से आसानी से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ दाँत की सफ़ाई और खान-पान पर भी ध्यान दें तो उत्तम है।
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मुँह की दुर्गंध दूर करने के लिए दोनों समय भोजन के बाद अथवा यदा-कदा सौंफ़ चबाना चाहिए। इससे हाज़मा भी दुरुस्त होता है।
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चंदन, मुक्ता, हरड़, नागरमोथा, उशीर व लोध्र का लेप बनाकर शरीर में लगाने से दुर्गंध की समस्या से निजात मिलती है।
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कूठ, हरड़ और नागरपान समान मात्रा में पीसकर पानी के साथ लेप बनाकर शरीर में लगाने से दुर्गंध आनी बंद होती है।
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वच, कूठ, तज, छोटी इलायची, कमल की जड़, नागकेसर सभी सममात्रा में लेकर कपड़छन चूर्ण बनाएं और शहद में मिलाकर 250 मि. ग्रा. की गोलियाँ बना लें।
इन गोलियों को चूसने से मुँह की दुर्गंध दूर होकर सुगंध आने लगती है।
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लोध्र, अनार का छिलका, रीठे के पत्ते, धाय के फूल एक में मिलाकर पीसकर लेप करने से शरीर की दुर्गंध मिटती है
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पिम्पल्स हटाने के घरेलू उपाय - (Home Remedies For Pimples) : Health and Beauty Care

पिम्पल्स हटाने के घरेलू उपाय - (Home Remedies For Pimples In Hindi):

पिम्पल्स हटाने के घरेलू उपाय हैं जो पुरानी ज़माने में प्रयोग करते थे। बिना किसी झंझट और फालतू खर्च के आप पिम्पल्स से छुटकारा पा सकते हैं। कई ऐसे आसान तरीके हैं, जिन्हें आजमाकर आप बिना किसी साइडइफेक्ट के पिम्पल्स को हमेशा के लिए ठीक कर सकते हैं-
1. मुल्तानी मिट्टी

पिम्पल्स के लिए मुल्तानी मिट्टी वरदान है। त्वचा से अत्याधिक तेल और गंदगी हटाने में मुल्तानी मिट्टी बेहद कारगर है। इसे रोज नहाते समय गुलाबजल में मिलाकर चेहरे पर लगाएं। पिम्पल्स चेहरे से यूं गायब होंगे जैसे कभी थे ही नही। यदि आप खड़ी मुल्तानी मिट्टी ले रहे हैं तो उसे रातभर गुलाबजल में भीगकर रखें। लगते समय उसमें थोड़ा नींबू मिला लीजिए। इस मिश्रण से आपके पिम्पल्स बहुत जल्दी सूख जाएंगे।

2. टूथपेस्ट

पिम्पल्स को हटाने के लिए वाइट टूथपेस्ट काफी असरदार है। यह बर्फ की तरह काम करता है। त्वचा जलने पर भी इसे लगाया जाता है। मगर ध्यान रहे कि टूथपेस्ट जेल वाला न हो अन्यथा आपको जलन हो सकती है। इसमें बेकिंग सोडा, हाइड्रोजन पेरोक्साइड और ट्राइक्लोसैन जैसे पदार्थ मौजूद होते हैं, जिसकी वजह से मुंहासें जल्दी सूख जाते हैं। इसे प्रतिदिन दो बार लगाएं। उसके बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें।

3. ओटमील

ओटमील स्वास्थ्यवर्धक है। यह पेट को ठंडा रखने के साथ आपको देता है भरपूर फाइबर। ओटमील फेसपैक से पिम्पल्स बहुत जल्दी ठीक होते हैं। शायद आप नही जानते होंगे कि यह हमारी त्वचा के रोमछिद्रों को शुद्ध करने साथ उससे अतिरिक्त तेल को अवशोषित करने में भी मददगार है। इसे शहद और नींबू के रस के साथ मिलाकर लगाएं, निश्चित रूप से पिम्पल्स जल्दी खत्म हो जाएंगे।

4. एलोवेरा जेल

एलोवेरा के एक नहीं, कई आयुर्वेदिक गुण हैं। इसे खाया भी जा सकता है और लगाया भी जा सकता है। त्वचा संबंधी रोगों के लिए यह अतिउत्तम है। इसका नियमित रूप से इस्तेमाल करने से पिम्पल्स को जड़ से खत्म किया सकता है। यह एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है। इसमें मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण पिम्पल्स को बहुत जल्दी ठीक करने में सहायता करते हैं। एलोवेरा को रात में सोते वक्त लगाएं। यदि आपके पास विटामिन ई के कैप्सूल उपलब्ध हैं तो उसे इसमें मिलाकर लगाएं।

5. नीम

पिम्पल्स ठीक करने के लिए यह एक बेहद प्रभावी औषधि है। इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीइंफ्लेमेटरी तीनों ही गुण पाए जाते हैं। नीम को पीसकर उनका पेस्ट तैयार कर लें और एप्पल साइडर विनेगर व शहद के साथ मिलाकर लगाएं। विनेगर की जगह नींबू भी इस्तेमाल कर सकते हैं। घर पर जो आसानी से मिल जाए उसे ही इस्तेमाल करें। इसे रोजाना चेहरे पर लगाएं,पिम्पल्स बहुत जल्दी ठीक हो जाएंगे। इसके अलावा आप नीम का पानी भी तैयार कर सकते हैं। इसे आइसट्रे में डाल दें और उन क्यूब्स को चेहरे पर हल्के हाथ से रगड़ें।

पिम्पल्स से बचाव - ( Pimples Prevention Tips In Hindi)

पिम्पल्स का उपाय का सबसे बेहतर तरीका है उससे बचाव। बचाव के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
रोजाना चेहरे को कम से कम तीन बार 5 मिनट तक ठंडे पानी से धोएं।
दिनभर में लगभग 10 से 12 गिलास पानी पीएं।
संतुलित आहार लें। वसायुक्त भोजन और जंकफूड से परहेज करें।
चेहरे के लिए योग और कसरत करें।
ग्रीजी और ऑयली मेकअप से बचें।
15 दिन में एक बार फ्रूट क्रीम से मसाज करें और हर हफ्ते स्क्रब करें।
मसाज से ब्लैकहेड्स और व्हाइटहेड्स मुलायम हो जाएं और मुलायम पड़ने पर यह आसानी से निकल जाते हैं।
फ्रूट क्रीम के लिए मलाई को पपीते और शहद के साथ मिलाकर पेस्ट तैयार करें। वहीं स्क्रब के लिए चीनी और कॉफी का इस्तेमाल करें।
ध्यान रहे कि मवाद और पानी वाले मुंहासों पर मसाज न करें। उनके लिए होममेड पेस्ट ही उपयोग में लाएं।
धूप में ज्यादा देर तक न रहें।
टी ट्री ऑयल लगा सकते हैं।
तनाव से दूर रहें।

पिम्पल्स से बचाव के लिए क्या खाएं और क्या न खाएं - ( Diet For Pimples In Hindi)

पिम्पल्स के लिए पीले और नारंगी रंग के फल व सब्जियां ही खाएं। अत्याधिक कैलोरी वाले फलों से परहेज करें। हालांकि आम पीला फल है, लेकिन उसमें कैलोरी बहुत ज्यादा होती है। टमाटर को त्वचा पर लगाकर जितना फायदा है उतना खाने में भी है। पालक और दाल जरूर खाएं। इनमें फाइबर होता है। कद्दू और लौकी खाएं। फलों में चीकू, आम और केला नही खाने हैं आपको, बाकी सब खा सकते हैं। कद्दू के बीज भी इसमें फायदा पहुंचता है। तरल पदार्थ ज्यादा से ज्यादा लें। ऑयली फूड, चॉकलेट और जंक फूड न खाएं। हाई फैट फूड और ज्यादा मीठी चीज़ों से परहेज करें।

करी पत्ता - Health & Beauty Care

करी पत्ता ( Curry Patta ) - स्वास्थ्य और ‌सुन्दरता 


करी पत्ता (Curry Patta) के औषधीय गुण

करी पत्ते में वो सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो बालों को स्वस्थ रखते हैं। इन पत्तों को पीस कर लेप बना लें। फिर इसे सीधे बालों की जड़ों में लगाएं। आप करी पत्तों को खा भी सकते हैं, इससे आपके बाल काले, लंबे और घने हो जाएंगें। साथ ही,बालों की जड़ें भी मज़बूत होंगी। करी पत्ता में विटामिन बी1, बी3, बी9, और सी होता है। इसके अलावा इसमें आयरन, कैल्शियम और फॉस्फोरस पाया जाता है। इसके रोज़ाना सेवन से आपके बाल काले लंबे और घने होने लगेंगे। यही नहीं डैंड्रफ की समस्या भी नहीं होगी।


करी पत्ता (Curry Patta) का इस्तेमाल

करी पत्तों को सूखा लें। सूखने के बाद पत्तों का पाउडर बना लें। अब 200 एम एल नारियल के तेल में या फिर जैतून के तेल में लगभग 4 से 5 चम्मच करी पत्तों का पाउडर मिक्स कर के उबाल लें। अच्छे से उबलने के बाद तेल को ठंडा होने के लिए रख दें। फिर तेल को छानकर किसी एयर टाइट बोतल में भर कर रख लें। सोने से पहले रोज रात को यह तेल लगाएं। यदि इस तेल को गुनगुना कर लगाया जाए तो जल्दी असर दिखेगा। अगली सुबह बालों को नेचुरल शैंपू से धो लें।बहुत लाभ मिलेगा।

बालों के लिए बनाएं मास्क

करी पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें।इसमें थोड़ा दही मिलाएं और अपने बालों पर लगाएं। अब मिश्रण को बालों में 20-25मिनट के लिए छोड़ दें, फिर शैंपू से बालों को धो दें। ऐसा नियमित रूप से करने पर बाल काले और घने हो होने लगेंगे।

करी पत्ते (Curry Patta) की चाय बनाएं

करी पत्ते को पानी में उबाल लें। अब इसमें एक नींबू निचोड़ लें और चीनी मिलाएं। इस तरह चाय बनाकर एक हफ्ते तक पिएं। यह चाय आपके बालों लंबा, घना, बनाएगी। साथ ही, बालों को सफ़ेद होने से बचाएगी। साथ ही, डायजेस्टिव सिस्टम को भी स्वस्थ रखेगी।
करी पत्तों का तेल बनाने का तरीका
करी पत्तों को पहले सूखा लें। अब नारियल का तेल लें उसे गरम करें। फिर सुखे हुए करी पत्तों को गरम नारियल तेल में डालें और इसे तब तक गरम होने दें जब तक नारियल तेल का रंग न बदलने लगे। अब इसे ठंडा कर लें। और करी पत्तों को इस तेल में हाथों से मैश करें। इस तेल को छानकर आप इसे किसी बोतल में रख लें। और इसका इस्तेमाल करें।


करी पत्ता (Curry Patta) से चेहरे की चमक बढ़ाना

पुराने समय से ही चेहरे पर प्राकृतिक ग्लो लाने के लिए करी पत्तों का इस्तेमाल किया जाता रहा है। करी पत्ते चेहरे की रौनक और रंगत को बढ़ाते हैं। इसका इस्तेमाल आप फेस पैक के रूप में भी कर सकते हो। यह चेहरे की समस्याएं जैसे चेहरे का रूखापन और फाइन लाइन को दूर करता है।
करी पत्तों का फेस पैक बनाने का तरीका
धूप में करी पत्तों को सुखा लें और उन्हें महीन पीसकर इसका पाउडर बना लें। अब इसमें गुलाबजल और थोड़ी सी मुलतानी मिट्टी को मिला लें और नारियल तेल या कोई भी तेल इसमें मिला लें। अब आप इसे चेहरे पर लगाकर 20 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर ठंडे पानी से चेहरा साफ कर लें।

करी पत्ता (Curry Patta) पिंपल और एक्ने से दिलाए निजात

ज्यादातर महिलाएं पिंपल्स से परेशान रहती हैं और इस वजह से वे कहीं नहीं जा पाती हैं। लेकिन अब करी पत्ते आपको इस समस्या से ज्लद ही छुटकारा दिलवाएगें और चेहरा साफ और सुंदर भी बनेगा।


करी पत्ता (Curry Patta) कैसे करें प्रयोग

हरी करी पत्तों को पानी से अच्छे से साफ करें और इसे मिक्सर ग्राइंडर में डालकर पीस लें। अब इस पेस्ट में थोड़ा सा नींबू का रस मिलाएं। और चेहरे पर पिंपल व एक्ने वाली जगह पर लगाएं। 15 मिनट तक लगाकर इसे पानी से धो लें। कुछ दिनों तक एैसा करने से एक्ने और पिंपल की समस्या जड़ से खत्म हो जाएगी।

रूसी और झड़ते बालों के लिए

थोड़े से करी पत्ते लें और दूध के साथ घोटकर उसका लेप तैयार कर लें फिर इस लेप को सिर के बीचों बीच यनि स्कैल्प पर से लगाना शूरू कर दें। अब इसे 20 मिनट तक सूखने दें। फिर साधे पानी से सिर धो लें। एैसा कुछ हप्तों तक करने से बाल वापस उगने लगेगें और रूसी भी खत्म हो जाएगी।

करी पत्ता (Curry Patta) (का भोजन में प्रयोग) के फायदे

1. पेट संबंधी रोगों में करी पत्तों का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। इसके लिए इसे दाल मे तड़का लगाते समय या साउथ इंडियन फूड बनाते समय भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

2. भोजन में करी पत्ते के प्रयोग से पाचन क्रिया भी दुरूस्त रहती है।

3. करी पत्ता मोटापे की समस्या को दूर करता है। रोजाना इन पत्तों को चबाने से वजन कम होता है।

4. मुंह में छाले और सिरदर्द की समस्या में ताजा करी पत्तों को चबाने से लाभ होता है।

5. करी पत्ते में आयरन, कैल्शियम और फॉस्फोरस भरपूर मात्रा में होता है जिससे इन्हें प्रयोग करने से बाल सफेद नहीं होते।

6. यह सीने से कफ को बाहर निकालता है। लाभ के लिए एक चम्मच शहद को एक चम्मच करी पत्ते के रस में मिलाकर प्रयोग करें।