बिरसा मुंडा (BIRSA MUNDA) : Short-Intoduction
▪️ 'धरती आबा' या 'जगत पिता' के नाम से प्रसिद्ध बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को राँची जिले के उलिहतु गाँव में हुआ था। वे छोटा नागपुर पठार क्षेत्र की मुंडा जनजाति के थे।
▪️ मुंडा रीति-रिवाज के अनुसार उनका नाम बृहस्पतिवार के हिसाब से बिरसा रखा गया था।
▪️ उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सलगा में अपने शिक्षक जयपाल नागो के मार्गदर्शन में प्राप्त की।
▪️ वर्ष 1899-1900 में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुआ मुंडा विद्रोह छोटा नागपुर (झारखंड) के क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चित विद्रोह था। इसे 'मुंडा उलगुलान' (विद्रोह) भी कहा जाता है।
▪️ इस विरोध में महिलाओं की उल्लेखनीय भूमिका रही और इसकी शुरुआत मुंडा जनजाति की पारंपरिक व्यवस्था खूँटकटी की ज़मींदारी व्यवस्था में परिवर्तन के कारण हुई थी।
▪️ उन्होंने धर्म को राजनीति से जोड़ दिया और एक राजनीतिक-सैन्य संगठन बनाने के उद्देश्य से प्रचार करते हुए गाँवों की यात्रा की।
▪️ बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदाय को लामबंद किया और औपनिवेशिक अधिकारियों को आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा हेतु कानून बनाने के लिए मज़बूर किया।
▪️ उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप 'छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम' पारित किया गया, जिसने आदिवासी से गैर-आदिवासियों में भूमि के हस्तांतरण को प्रतिबंधित कर दिया।
▪️ 3 मार्च, 1900 को बिरसा मुंडा को ब्रिटिश पुलिस ने चक्रधरपुर के जामकोपई जंगल में उनकी आदिवासी छापामार सेना के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।
▪️ 9 जून, 1900 को राँची जेल में उनका निधन हो गया।
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