कैसे बनता है सैनिटाइज़र का अल्कोहल? चीनी से एथिल अल्कोहल बनाने की पूरी गाइड
आज के समय में सैनिटाइज़र हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा बन गया है। COVID-19 महामारी के बाद से इसकी ज़रूरत और भी बढ़ गई है। सैनिटाइज़र में मुख्य घटक एथिल अल्कोहल (Ethanol) होता है, जिसे अक्सर चीनी जैसे प्राकृतिक स्रोतों से बनाया जाता है। अगर आप जानना चाहते हैं कि चीनी से एथिल अल्कोहल कैसे बनता है और इस प्रक्रिया के पीछे का विज्ञान क्या है, तो यह आर्टिकल आपके लिए है।
इस लेख में हम चीनी से एथिल अल्कोहल बनाने की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे। यह जानकारी न सिर्फ आपके ज्ञान को बढ़ाएगी, बल्कि यह भी बताएगी कि कैसे एक साधारण सी चीज़, जैसे चीनी, एक महत्वपूर्ण उत्पाद में बदल जाती है।
एथिल अल्कोहल क्या है?
एथिल अल्कोहल, जिसे इथेनॉल (Ethanol) भी कहते हैं, एक रंगहीन, ज्वलनशील और वाष्पशील (volatile) तरल है। इसका रासायनिक सूत्र C2H5OH है। यह शराब का मुख्य घटक होता है और इसका उपयोग कई उद्योगों में होता है, जैसे- ईंधन, सॉल्वेंट (घोलक) और सबसे महत्वपूर्ण, सैनिटाइज़र बनाने में।
सैनिटाइज़र में एथिल अल्कोहल का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि यह कीटाणुओं और रोगाणुओं (germs and microbes) की बाहरी परत को नष्ट करके उन्हें मार देता है। डब्ल्यूएचओ (WHO) के दिशानिर्देशों के अनुसार, सैनिटाइज़र में कम से कम 60% एथिल अल्कोहल होना चाहिए ताकि वह प्रभावी ढंग से काम कर सके।
चीनी से एथिल अल्कोहल कैसे बनता है?
चीनी से एथिल अल्कोहल बनाने की प्रक्रिया को किण्वन (Fermentation) कहते हैं। यह एक जैविक प्रक्रिया है जिसमें सूक्ष्मजीव, जैसे कि यीस्ट (Yeast), चीनी को एथिल अल्कोहल और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल देते हैं। यह पूरी प्रक्रिया कई चरणों में होती है।
1. कच्चे माल का चयन (Selecting the Raw Material)
एथिल अल्कोहल बनाने के लिए सबसे सामान्य कच्चा माल गन्ने का शीरा (Molasses) होता है। शीरा, चीनी मिलों में चीनी बनाने की प्रक्रिया का एक उप-उत्पाद (by-product) है। यह एक गाढ़ा, भूरे रंग का तरल है जिसमें काफी मात्रा में सुक्रोज (चीनी) और अन्य शर्कराएँ होती हैं। इसके अलावा, मक्का, चावल, आलू और चुकंदर जैसी चीज़ों से भी एथिल अल्कोहल बनाया जा सकता है।
2. घोल तैयार करना (Preparing the Solution)
सबसे पहले, शीरे को पानी में मिलाया जाता है ताकि उसकी सांद्रता (concentration) कम हो जाए। ऐसा करने से यीस्ट के लिए काम करना आसान हो जाता है। इस घोल का pH और तापमान भी नियंत्रित किया जाता है ताकि किण्वन प्रक्रिया सही से हो सके।
3. यीस्ट मिलाना (Adding Yeast)
यह सबसे महत्वपूर्ण चरण है। तैयार किए गए घोल में यीस्ट मिलाया जाता है। यीस्ट एक प्रकार का कवक (fungus) है जिसमें दो मुख्य एंजाइम होते हैं:
- इनवर्टेज (Invertase): यह एंजाइम शीरे में मौजूद सुक्रोज को सरल शर्करा, ग्लूकोज और फ्रक्टोज में तोड़ देता है। 
- जाइमेज (Zymase): यह एंजाइम ग्लूकोज और फ्रक्टोज को एथिल अल्कोहल और कार्बन डाइऑक्साइड में बदल देता है। 
यह प्रक्रिया बंद टैंकों में होती है ताकि हवा के संपर्क से बचा जा सके।
4. किण्वन प्रक्रिया (The Fermentation Process)
यीस्ट मिलाने के बाद, घोल को एक नियंत्रित तापमान (लगभग 30-35 डिग्री सेल्सियस) पर कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है। इस दौरान, यीस्ट घोल में मौजूद चीनी को खाना शुरू कर देता है और उसे एथिल अल्कोहल तथा कार्बन डाइऑक्साइड में बदलना शुरू कर देता है। इस प्रक्रिया को पूरा होने में आमतौर पर 3 से 5 दिन लगते हैं।
किण्वन के बाद, घोल को "वाश" (Wash) कहा जाता है, जिसमें लगभग 10-12% एथिल अल्कोहल होता है।
5. आसवन (Distillation)
किण्वन के बाद प्राप्त वाश में सिर्फ एथिल अल्कोहल ही नहीं होता, बल्कि पानी और अन्य अशुद्धियाँ भी होती हैं। इन अशुद्धियों को दूर करने और अल्कोहल की सांद्रता बढ़ाने के लिए आसवन (Distillation) की प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।
आसवन में, वाश को गर्म किया जाता है। चूँकि एथिल अल्कोहल का क्वथनांक (boiling point) पानी से कम (78.37°C) होता है, यह पानी से पहले वाष्प बनकर उड़ जाता है। इस वाष्प को ठंडा करके फिर से तरल रूप में लाया जाता है। इस प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाता है, जिससे एथिल अल्कोहल की शुद्धता 95% तक बढ़ जाती है।
6. निर्जलीकरण (Dehydration)
आसवन के बाद भी अल्कोहल में थोड़ी मात्रा में पानी रह जाता है। सैनिटाइज़र बनाने के लिए उच्च शुद्धता वाला एथिल अल्कोहल चाहिए होता है। इसलिए, बचे हुए पानी को हटाने के लिए निर्जलीकरण की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इस चरण में, आणविक छलनी (molecular sieves) जैसी तकनीकों का उपयोग करके अल्कोहल से पानी को पूरी तरह से अलग कर दिया जाता है, जिससे 99.9% शुद्ध एथिल अल्कोहल प्राप्त होता है।
सैनिटाइज़र बनाने के लिए एथिल अल्कोहल का उपयोग
यह उच्च-शुद्धता वाला एथिल अल्कोहल अब सैनिटाइज़र बनाने के लिए तैयार है। इसे ग्लिसरीन और हाइड्रोजन पेरोक्साइड जैसे अन्य अवयवों के साथ मिलाकर सैनिटाइज़र बनाया जाता है। ग्लिसरीन त्वचा को रूखा होने से बचाता है, जबकि हाइड्रोजन पेरोक्साइड किसी भी बैक्टीरिया को खत्म करने में मदद करता है जो किण्वन प्रक्रिया के दौरान बच गए हों।
इस तरह, एक साधारण सी चीनी से कई प्रक्रियाओं के बाद एक उपयोगी और महत्वपूर्ण उत्पाद, एथिल अल्कोहल, तैयार होता है, जिसका उपयोग हम अपने स्वास्थ्य और स्वच्छता को बनाए रखने के लिए करते हैं।
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