शटडाउन ने अमेरिका को हिलाया, मोदी ने 10 लाख नौकरियों की डील लॉक की
नमस्कार, आप सभी का बहुत स्वागत। सबसे पहले रोज़ की तरह आपको बता दूं कि आज कौन-कौन सा चैप्टर खोलने वाला हूं।
अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों की स्थिति डामाडोल है। वहां शटडाउन हो चुका है अमेरिका में। दो-तीन दिन से अमेरिका जो है, वो ठप पड़ा हुआ है।
शटडाउन! लोगों को,सरकारी कर्मचारियों को कह रहे हैं, घर बैठो, आना मत ऑफिस। शटडाउन का मतलब है कि वहां पर बजट ही पास नहीं हो पा रहा। बजट पास नहीं हो रहा है, तो सरकार चलाने के लिए पैसा ही नहीं है। पैसे नहीं हैं तो सैलरी नहीं दी जा सकती। आप देखिए क्या चल रहा है दुनिया में। यह ट्रंप भाई साहब, दुनिया को 'यह टैरिफ़, वो टैरिफ़', 'ऐसा पैसा कमा लिया, वैसा पैसा कमा लिया' करते रहे, लेकिन सरकारी कर्मचारी को देने के लिए पैसा नहीं है इसके पास।
भाई, अमेरिका में पूरा सरकारी सिस्टम ठप हो गया, हजारों सरकारी कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज दिया गया है। हजारों कर्मचारी ऐसे हैं जो बिना वेतन के काम करने को मजबूर हैं। और दूसरी तरफ, भारत में सरकारी कर्मचारियों को मोदी सरकार दिवाली का डबल तोहफा दे रही है। कह रही है कि बोनस भी ले जाओ और महंगाई भत्ता भी ले जाओ। वहां सैलरी आना मुश्किल है अमेरिका में, यहां डबल-डबल तोहफा मिल रहा है दिवाली पर।
अमेरिका की तरह ही फ्रांस में भी शटडाउन जैसे हालात बन गए हैं। लोग वहां सरकार से और ज्यादा आर्थिक मदद मांग रहे हैं कि पैसा दीजिए, हमारे पास पैसा नहीं है। प्रदर्शन की वजह से वहां एफिल टावर बंद करना पड़ गया है।यानी, जिस वक्त अमेरिका और फ्रांस जैसे ताकतवर देशों की ज़मीन हिल रही है, पैर उखड़ रहे हैं, उस वक्त भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किस तरह भारत की इकॉनमी को, भारत के लोगों की चिंताओं को समझते हुए फैसले ले रहे हैं— वो अभूतपूर्व है, बॉस। पूरी दुनिया देख के हैरान है।
अमेरिका में शटडाउन: क्या-क्या बंद?
पहले दुनिया में जो हो रहा है, उसे देखना ज़रूरी है, क्योंकि जिस वक्त भारत में नरेंद्र मोदी इकॉनमी के लिए बड़े-बड़े फैसले ले रहे हैं और लोगों को लगता है कि इसमें क्या है, इकॉनमी रॉकेट बनी है तो बनी है, जीएसटी में रिफॉर्म कर दिए तो कर दिए, महंगाई डबल डिजिट में नहीं जा रही है तो क्या ही हो गया, हमारे डीए बढ़ा दिए तो बढ़ा दिए, क्या ही हो गया... बॉस, ये जो बातें आपको छोटी-छोटी लग रही हैं, वो दुनिया के सिनेरियो में देखिएगा, तब आपको पता चलेगा कि बॉस, भारत आज की डेट में कहां खड़ा है। अमेरिका जैसा ताकतवर देश बाप-बाप कर रहा है, फैसले नहीं ले पा रहा। तीन दिन हो गए, अमेरिका का पूरा सिस्टम ठप पड़ गया है। तीन दिन से शटडाउन चल रहा है।
अमेरिका में इस वक्त क्या-क्या बंद हो चुका है, आप देखिए, सुनिए:
- अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा बंद हो गई। भाई, सिर्फ कुछ सर्विस चल रही है। 83% स्टाफ नासा का छुट्टी पे चला गया है। बताइए, जिसको जाना था चांद पे, वो चल गए छुट्टी पे।
- शटडाउन की वजह से अमेरिका का एजुकेशन डिपार्टमेंट बंद हो गया। करीब 87% स्टाफ छुट्टी पर चला गया एजुकेशन डिपार्टमेंट का। ट्रंप जो पढ़ा रहे थे कि मैं अमेरिका को 'ग्रेट अगेन' बना दूंगा, मागा ('Make America Great Again'), लोग कह रहे हैं मागा मतलब 'Make America Garib Again' है क्या, जी?
- शटडाउन की वजह से अमेरिका में म्यूज़ियम और नेशनल पार्क बंद हो रहे हैं। म्यूज़ियम का टिकट खरीदेगा कैसे आदमी? पैसा ही नहीं है।
- अमेरिका में डिपार्टमेंट ऑफ लेबर ने काम करना बंद कर दिया है। पैसा नहीं दीजिएगा, काम कौन करेगा?
- अमेरिका का कॉमर्स विभाग करीब-करीब ठप पड़ गया। वहां 81% स्टाफ छुट्टी पर चला गया।
- अमेरिका का एनर्जी, एग्रीकल्चर, हाउसिंग और अर्बन डेवलपमेंट का भी आधे से ज्यादा स्टाफ छुट्टी पर है।
- सबसे ज्यादा असर डिफेंस पर पड़ा है। रक्षा विभाग में करीब 3,34,000 लोग छुट्टी पर चले गए। 3,34,000 लोग, बॉस!
यह अमेरिका का हाल है। काम करने के लिए लोग नहीं हैं। ताला लटका हुआ है। वर्क फ्रॉम होम भी नहीं है। यह मत सोचिएगा कि भारत की तरह वर्क फ्रॉम होम चल रहा होगा। ना, वर्क फ्रॉम होम नहीं चल रहा है, वर्क इन होम चल रहा है। लोग अपना झाड़ू-पोंछा करके टाइम पास कर रहे हैं। क्या करें? पैसा नहीं दे रहा है।
सोचिए, तीन दिन में अमेरिका का यह हाल हो गया। शटडाउन का क्या असर पड़ता है, उसे आप अमेरिका में फ्लाइट सर्विस के उदाहरण से समझिए। अमेरिका में एयरलाइंस ने अपने यात्रियों को पहले ही आगाह कर दिया कि शटडाउन की वजह से फ्लाइट सर्विस में देरी हो सकती है, क्योंकि अभी ट्रांसपोर्टेशन सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन के ऑफिसर और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर से जुड़े लोग बिना सैलरी के काम कर रहे हैं। अमेरिका में 60 हजार ट्रांसपोर्टेशन सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन के ऑफिसर हैं और 13,000 एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स हैं। ये वो लोग हैं जो शटडाउन में भी काम करते हैं क्योंकि इनकी सर्विस को ज़रूरी माना गया है। लेकिन भाई, वो कह रहे हैं कि हो सकता है धीरे-धीरे काम करेगा। क्या प्रेशर बनाएंगे कि जल्दी-जल्दी करो, नहीं तो पैसा नहीं देंगे? वो कह रहा, "पैसा आ ही नहीं रहा है, कौनची जल्दी काम करूंगा? नहीं करूंगा। जाओ, क्या करिए?" पहले ही वो कह दिए कि लेट हो सकता है, भाई, आइएगा टाइम पे आप एयरपोर्ट पे।
अब अमेरिका में फ्लाइट सर्विस जारी रहेगी या ठप हो जाएगी, यह उन कर्मचारियों पर निर्भर करता है जो बिना वेतन के काम कर रहे हैं।
शटडाउन की वजह और नुकसान
अमेरिका की ऐसी हालत क्यों हो गई, इसे भी आपको समझना चाहिए, फिर बताऊंगा भारत में क्या चल रहा है।
दरअसल, अमेरिकी सरकार को चलाने के लिए हर साल बजट पास करना ज़रूरी होता है। लेकिन ट्रंप सरकार और विपक्ष के बीच अभी तक फंडिंग वाले बिल को पास करने पर सहमति नहीं बन पाई है। शटडाउन की वजह से सरकारी एजेंसियों को वेतन ही नहीं मिल पा रहा है, और उसका असर यह हो रहा है कि गैर-ज़रूरी सेवाएं और दफ्तर बंद हो गए हैं। क्योंकि जब वेतन ही नहीं है तो दफ्तर खोल के कीजिएगा क्या? अमेरिका में इसे शटडाउन कहा जाता है।
अब इस शटडाउन को लेकर अमेरिका में सियासी युद्ध छिड़ गया है। ट्रंप की पार्टी इसके लिए डेमोक्रेट्स को जिम्मेदार बता रही है। दूसरी तरफ, डेमोक्रेट्स इसके लिए रिपब्लिकन को दोष दे रहे हैं। डेमोक्रेट्स कह रहे हैं कि "वो ट्रंप और रबर स्टैंप नहीं ना हैं, जी, कि जो आदमी जो कर देगा, उस पे हम ठप्पा लगा देंगे।"
आप सोचिए, दुनिया की सबसे ताकतवर माने जाने वाली अर्थव्यवस्था का यह हाल कर दिया ट्रंप ने कि वहां कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़ गए। 7 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को बिना वेतन के छुट्टी पर भेज दिया गया, जिससे ₹500 करोड़ बचेंगे।
आखिरी बार साल 2018 में शटडाउन हुआ था, तब भी ट्रंप ही राष्ट्रपति थे। तब शटडाउन 35 दिन चल गया था। इस बार अगर 35 दिन शटडाउन चल गया, ना बॉस, तो ट्रंप फंस जाएंगे। यह वही ट्रंप हैं जो टैरिफ़ लगाकर भारत को नुकसान पहुंचाने निकले थे, लेकिन आज खुद उनके यहां जबरदस्त नुकसान हो रहा है। जो ट्रंप भारत की इकॉनमी को 'डेड' बता रहे थे, आज उनके यहां अमेरिका की जीडीपी गिरने के नए-नए अनुमान लग रहे हैं। टैरिफ़ वॉर से ट्रंप भारत को हिला न पाए, उल्टे शटडाउन से अमेरिका ज़रूर हिल गया।
शटडाउन से अमेरिका को कितना नुकसान होगा, आप खुद सुनिए:
- स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ग्लोबल रेटिंग के मुताबिक, एक हफ्ते के शटडाउन से अमेरिका की जीडीपी 0.1 से 0.2% तक गिर सकती है। एक हफ्ते के शटडाउन है, बॉस। एक हफ्ते के हिसाब से जीडीपी में यह बड़ी गिरावट है।
- शटडाउन से अमेरिका को करीब एक हफ्ते में ₹1,33,000 करोड़ का नुकसान होगा।
- अगर यह एक महीने खींच गया, बॉस, तो अमेरिकी मार्केट को करीब ₹2,66,000 करोड़ का झटका लग सकता है।
- शटडाउन से करीब 43,000 नौकरियां खतरे में पड़ गई।
- इससे पहले जब साल 2018 में शटडाउन हुआ था, उससे अमेरिका को करीब ₹1 लाख करोड़ का नुकसान हुआ था।
फ्रांस में भी शटडाउन के हालात
अमेरिका की ही तरह फ्रांस में भी शटडाउन की नौबत आ गई है। वहां सरकार के खिलाफ बड़े-बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं, कामकाज ठप पड़ गया है, ट्रेड यूनियन हड़ताल पर चली गई है।
यह देखिए एफिल टावर। हालत यह हो गई है कि पेरिस में एफिल टावर को बंद करना पड़ गया है। एफिल टावर पर बोर्ड लगा दिया गया है कि 'हड़ताल की वजह से एफिल टावर बंद है।' बताइए, ये दुनिया की बड़ी-बड़ी इकॉनमी का हाल है, बॉस। पैसा नहीं है उनके पास। और यहां भारत में जीएसटी में थोड़ा सा रिफॉर्म हुआ, भाई साहब, लाइन लग गई कि यह खरीद लें, वो खरीद लें। जाड़ा आने वाला, ठंडा आने वाला, कह रहे हैं एसी खरीद लेते हैं, सस्ता मिल रहा है। ऐसा पॉकेट में पैसा है!
एफिल टावर पेरिस की पहचान मानी जाती है। एक अनुमान है कि सामान्य दिनों में एफिल टावर को देखने के लिए 15 से 20,000 लोग आते हैं।
रोज़ फ्रांस के करीब 200 शहरों में भयंकर प्रदर्शन चल रहे हैं। लोग सड़कों पर उतर कर 'ब्लॉक एवरीथिंग' यानी सब कुछ ठप करने की मुहिम चला रहे हैं। देखिए, पब्लिक सड़क पर आ गई है। फ्रांस की सरकार बजट में कटौती कर रही है, जिस वजह से कुछ सोशल वेलफेयर स्कीम के बजट पर कैंची चलेगी। लोग इसका विरोध कर रहे हैं। गुरुवार को करीब 85,000 लोग पेरिस की सड़क पर उतर कर मार्च करने लगे। हेल्थ केयर वर्कर थे, टीचर थे, स्टूडेंट थे— सब उतर गए सड़क पे, बॉस, कि "पैसा काट लोगे, हमारा क्या होगा?" लेकिन वहां सरकार से संभल ही नहीं रहा है। कह रही है कि "पैसा नहीं काटेंगे तो देश खत्म हो जाएगा।" अमीरों पे ज्यादा टैक्स लगाने की ये लोग मांग कर रहे हैं कि उनसे लो न, जी, हमसे क्यों ले रहे हो? साथ-साथ पढ़ाई-स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार से खर्च बढ़ाने के लिए भी कह रहे हैं, लेकिन पैसा होगा तब तो सरकार करेगी। सरकार कर ही नहीं पा रही है।
भारत में मोदी का डबल-डबल तोहफ़ा और कूटनीति
लेकिन यही चीज़ अपने यहां देखिए, बॉस, जो लोग सपना पाल रहे हैं कि येलोजैकट जैसा आंदोलन भारत में हो जाए, उनको देखना चाहिए कि भारत कहां आज चमकता सितारा बना हुआ है। फ्रांस-अमेरिका जैसे देशों का बुरा हाल है।
लेकिन आप भारत को देखिए, नरेंद्र मोदी धड़ाधड़ फैसले ले रहे हैं, धड़ाधड़ डील पर डील कर रहे हैं, बड़ी-बड़ी डील लॉक कर रहे हैं, जिससे भारत की इकॉनमी बूम हो जाएगी। यूएई, यूके, ऑस्ट्रेलिया के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करने के बाद भारत ने यूरोप के चार देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट लागू कर दिया है। इन चार देशों में स्विट्जरलैंड है, नॉर्वे है, आइसलैंड है और लिकटस्टीन है।
भारत ने इन चार देशों के समूह यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन के साथ हुए एग्रीमेंट को लागू कर दिया है। इस समझौते की खास बात यह है कि इसमें पहली बार निवेश और रोजगार को शर्तों के साथ जोड़ दिया गया है।
अब होगा क्या? असर यह होगा कि यूरोप के जो ये चार देश हैं, अगले 15 साल में भारत में 100 बिलियन डॉलर यानी करीब ₹8,86,000 करोड़ निवेश करेंगे। इससे करीब 10 लाख नौकरियां भारत में जनरेट होंगी। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक, स्विस स्टेट सेक्रेटरी फॉर इकोनॉमिक अफेयर्स ने भारत में 150 बिलियन डॉलर अतिरिक्त निवेश का भी वादा किया है। यानी, अगर सब कुछ ठीक चला तो भारत में 100 बिलियन नहीं, बल्कि कुल 250 बिलियन यानी करीब ₹22 लाख करोड़ का निवेश आएगा। यह कर रहे हैं नरेंद्र मोदी।
पीएम मोदी कल देश के युवाओं को ₹62,000 करोड़ की बड़ी सौगात भी देने वाले हैं। कल युवाओं के स्किल डेवलपमेंट से जुड़ी योजना की शुरुआत करेंगे। इस योजना के तहत देश भर के 1000 सरकारी आईटीआई को अपग्रेड किया जाना है।
नरेंद्र मोदी जिस तरह से बोल्ड फैसले कर रहे हैं, उसकी वजह से ही पूरी दुनिया उनकी कायल हुई बैठी। आप रूस और पुतिन को देख न लीजिए। अमेरिका ने इतना प्रेशर बनाया, लेकिन भारत ने साफ कह दिया कि रूस से दोस्ती न टूटेगी, रूस से तेल खरीदना बंद नहीं करेंगे।
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