चीन का अमेरिका पर 'जवाबी हमला': हमारी फ्लाइट्स रोकी तो 'लोगों का आना-जाना' होगा खत्म!

चीन का अमेरिका पर 'जवाबी हमला': हमारी फ्लाइट्स रोकी तो 'लोगों का आना-जाना' होगा खत्म!

China's 'retaliatory attack' on America: If our flights are stopped, 'people's movement' will end!


नमस्कार, बॉस! जियोपॉलिटिक्स का यह क्रैश कोर्स अब आसमान में लड़ा जा रहा है! अमेरिका ने जब से चीन के आयात पर 100% टैरिफ़ का डबल धमाका किया है, तब से बीजिंग भी शांत बैठने वालों में से नहीं है! अब जो खबर आ रही है, वो यह है कि चीन ने वॉशिंगटन के उस प्रस्ताव की जमकर आलोचना की है, जिसमें अमेरिकी रूटों पर उड़ने वाली चीनी एयरलाइंस को रूसी एयरस्पेस इस्तेमाल करने से रोकने की बात कही गई थी!

चीन का 'कड़क' जवाब: अपनी नीति देखो, दूसरों को मत सज़ा दो!

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने सीधा बयान दिया, जो किसी चेतावनी से कम नहीं है। उन्होंने कहा:

"अमेरिकी उड़ानों के लिए रूसी एयरस्पेस का उपयोग करने से चीनी एयरलाइंस को रोकना, अंतर्राष्ट्रीय यात्रा और लोगों के बीच आदान-प्रदान (people-to-people exchanges) को नुकसान पहुँचाएगा।"

मंत्रालय ने ट्रंप प्रशासन को सीधा आईना दिखाया और 'बड़बोले एडवाइजर्स' को हिंट दे दिया कि भाई, पहले अपनी नीति पर एक नज़र डालो!

"दुनिया भर के देशों और यात्रियों को सज़ा देने के बजाय, शायद यह वक्त है कि अमेरिका अपनी नीति और अमेरिकी व्यवसायों पर इसके इफ़ेक्ट पर गहन विचार करे।"

यानी चीन ने साफ़ कह दिया है कि टैरिफ़ अटैक की वजह से जो लुटिया डूबी है, उसके लिए दूसरे देशों पर कीचड़ मत उछालो!


रूसी रूट का 'साइड-इफ़ेक्ट': अमेरिकी एयरलाइंस की शिकायत

फ़ॉक्स न्यूज़ बिज़नेस के हवाले से खबर है कि ट्रंप प्रशासन ने यह प्रस्ताव इसलिए रखा, क्योंकि अमेरिकी एयरलाइंस ने यह मुद्दा उठाया था। उनका कहना था कि रूसी एयरस्पेस का शॉर्टकट मिलने से चीनी विमानन कंपनियों को 'अनैतिक फ़ायदा' (unfair advantage) मिल रहा है!

यूएस ट्रांसपोर्टेशन डिपार्टमेंट के मुताबिक, यूक्रेन युद्ध के बाद रूस ने पश्चिमी देशों (अमेरिका और कई यूरोपीय देशों) के लिए अपना आसमान बंद कर दिया। नतीजतन, अमेरिकी विमानों को रूस के चारों ओर घूमकर लंबा और महंगा रास्ता लेना पड़ रहा है। जबकि चीनी कैरियर छोटा, सस्ता और तेज़ रास्ता इस्तेमाल करके बाज़ार में अमेरिकी कंपनियों से आगे निकल रहे हैं! इसे ही कहते हैं ट्रेड वॉर का जियोपॉलिटिकल साइड-इफ़ेक्ट!

'यू-टर्न' का वक़्त खत्म: ट्रंप की ज़िद

यह कड़क कदम ऐसे समय में आया है जब वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच आर्थिक मोर्चे पर तनाव चरम पर है।

  1. दुर्लभ पृथ्वी पर शिकंजा: गुरुवार को ही बीजिंग ने दुर्लभ पृथ्वी खनिजों (रेअर अर्थ मिनरल्स) पर सख्त निर्यात नियंत्रण का ऐलान किया था, जिसे अमेरिका के ट्रेड प्रतिबंधों का सीधा काउंटर प्लान माना गया।

  2. ट्रंप का 100% टैरिफ़: और फिर शुक्रवार को, प्रेसिडेंट ट्रंप ने अतिरिक्त 100% टैरिफ़ और क्रिटिकल सॉफ्टवेयर पर एक्सपोर्ट कंट्रोल का ऐलान कर दिया, जो 1 नवंबर से लागू होगा!

ट्रंप ने अपने ट्रुथ सोशल पोस्ट में बीजिंग से एक 'अत्यंत शत्रुतापूर्ण पत्र' मिलने का दावा किया, जिसमें चीन ने सभी उत्पादों पर बड़े पैमाने पर निर्यात नियंत्रण लगाने की योजना बताई थी। इसे ट्रंप ने 'नैतिक शर्म (moral disgrace)' करार दिया।

निष्कर्ष यही है, बॉस! अमेरिका और चीन दोनों ने 'ना झुकेंगे, ना रुकेंगे' वाली नीति अपना ली है। अब यह ट्रेड वॉर ज़मीन, उद्योग, और आसमान—हर जगह लड़ा जा रहा है! दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि ट्रंप की ज़िद और चीन की जवाबी चाल का ग्लोबल इकोनॉमी पर क्या इफ़ेक्ट पड़ता है!


Source: msn