तालिबान का पाकिस्तान को 'कड़क' संदेश: हमारी हिम्मत को मत परखो, वरना पूछ लो सोवियत, अमेरिका और नाटो से!

तालिबान का पाकिस्तान को 'कड़क' संदेश: हमारी हिम्मत को मत परखो, वरना पूछ लो सोवियत, अमेरिका और नाटो से!

Taliban's 'stern' message to Pakistan: Don't test our courage, or ask the Soviet Union, America, and NATO!

नमस्कार! जियोपॉलिटिक्स की दुनिया में एक नया बवंडर खड़ा हो गया है! तालिबान के विदेश मंत्री मौलवी अमीर खान मुत्तकी ने पाकिस्तान को सीधी चुनौती दे दी है। शुक्रवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और अन्य अधिकारियों से मुलाकात के बाद मुत्तकी ने साफ़ लफ़्ज़ों में पाकिस्तान को चेतावनी दी कि अफगानिस्तान की ज़मीन पर बार-बार हमले की योजना बनाकर हमारे धैर्य की परीक्षा मत लो!

मुत्तकी ने काबुल में हुए हमले की निंदा करते हुए कहा कि इस्लामाबाद को अफगानिस्तान के साथ 'खेल' नहीं खेलना चाहिए!

'खेल' खत्म करो, या इतिहास पढ़ो!

तालिबान विदेश मंत्री का लहजा टफ़ और डिटरमिन था। उन्होंने पाकिस्तान को सीधे-सीधे कहा कि अगर कोई अफगानों की हिम्मत को आज़माना चाहता है, तो वो जाकर 'सोवियत संघ, अमेरिका और नाटो' से पूछ ले!

मुत्तकी ने आक्रामक तेवर दिखाते हुए कहा:

"सीमा के पास दूर-दराज के इलाकों में हमला हुआ है। हम पाकिस्तान के इस एक्ट को गलत मानते हैं। समस्याएँ ऐसे हल नहीं होतीं... हमने बातचीत का दरवाजा खुला रखा है। उन्हें अपनी समस्या खुद सुलझानी चाहिए। 40 साल बाद अफगानिस्तान में शांति और प्रगति आई है।"

उन्होंने आगे जोड़ा कि किसी को भी अफगानिस्तान की मौजूदा गवर्नेंस से परेशान नहीं होना चाहिए।

"हम एक आज़ाद राष्ट्र हैं। अगर हमें शांति मिली है तो लोग परेशान क्यों हैं?... हम भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ बेहतर संबंध चाहते हैं, लेकिन यह एकतरफा नहीं हो सकता!"

काबुल में क्या हुआ?

दरअसल, गुरुवार को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के अब्दुल हक स्क्वायर इलाके में कथित तौर पर स्ट्राइक की थी। हालाँकि, अफ़गान सरकार के मुख्य प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने शुरू में इसे दुर्घटना बताकर मामले को ठंडा करने की कोशिश की थी, पर असल ड्रामा तो शुक्रवार को शुरू हुआ।

अफगानिस्तान के रक्षा मंत्रालय ने कड़क स्टैंड लेते हुए कहा कि काबुल और पूर्वी प्रांत पकतिका में हुए हमले के लिए पाकिस्तान ज़िम्मेदार है! मंत्रालय ने साफ़ आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने एयरस्पेस का उल्लंघन किया है, और इसके ख़िलाफ़ जल्द ही एक्शन लिया जाएगा!

भारत के साथ डिप्लोमेसी का 'बैलेंस्ड अप्रोच'

एक तरफ तालिबान पाकिस्तान को आँखें दिखा रहा है, वहीं दूसरी तरफ भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है।

अमीर खान मुत्तकी ने ऐलान किया कि काबुल भारत में राजनयिकों को भेजेगा क्योंकि दोनों पक्ष द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए कदम उठा रहे हैं। और सबसे अहम बात, मुत्तकी ने नई दिल्ली को पक्की गारंटी दी है कि:

"अफगानिस्तान की ज़मीन को किसी भी ऐसी गतिविधि के लिए इस्तेमाल नहीं होने दिया जाएगा जो भारत के हितों के लिए नुकसानदेह हो!"

इधर, एस. जयशंकर ने भी 'डबल धमाका' करते हुए घोषणा की कि भारत जल्द ही काबुल में अपना दूतावास खोलेगा!

यानी, बॉस! मुत्तकी की कूटनीति एकदम बैलेंस्ड अप्रोच पर चल रही है: एक तरफ पड़ोसी को कड़ी चेतावनी और दूसरी तरफ भारत के साथ विश्वास और विकास का रास्ता! देखते रहिए, यह जियोपॉलिटिकल क्रैश कोर्स कहाँ जाकर रुकता है!


Source: Translation of news from msn.com