ट्रंप का दर्द: जब अमेरिका भी मानने लगा 'भारत को खो दिया

ट्रंप का दर्द: भारत ने अमेरिका को पीछे छोड़ दिया!

इसको और बेहतर ढंग से समझने के लिए, नीचे दिए गए वीडियो को देखना न भूलें।


जो लोग इस शंका में थे कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका से भिड़कर भारत का क्या ही होगा, भारत कैसे अमेरिका से लड़ पाएगा, ट्रंप तो इतने सनकी हैं उनसे किस तरीके से भारत निपट पाएगा? आज सारी शंकाएं खुद डोनाल्ड ट्रंप ने दूर कर दी। डोनाल्ड ट्रंप ने आज जो नया बयान दिया है उसमें हताशा, निराशा, बेबसी, लाचारी दुनिया देख रही है। इस हालत में अमेरिका के राष्ट्रपति की ऐसी हालत हो जाएगी, यह दुनिया के लिए बहुत ही अप्रत्याशित है। यह नरेंद्र मोदी की और उनके राज में नए भारत की ताकत है कि भारत को डेली धमकाने वाले ट्रंप अब इस तरह की बातें करने लगे हैं कि दुनिया हैरान है।

ट्रंप ने सुबह-सुबह 6:30 बजे उठकर अचानक एक फोटो डाली जिसमें नरेंद्र मोदी, पुतिन और जिनपिंग दिख रहे हैं। और यह फोटो डालकर भाई ने क्या लिखा? सुबह 6:30 बजे। ट्रंप ने लिखा कि "ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को खो दिया।" ट्रंप ने चीन का जिक्र करते हुए कहा कि हमने भारत और रूस को चीन के सबसे गहरे अंधेरे रास्ते पर खो दिया है। ट्रंप ने कहा कि उम्मीद है इन सबका भविष्य लंबा और समृद्ध हो। यानी किसी दिलजले आशिक का नहीं होता है कि रात भर नींद नहीं आए, छटपट छटपट थोड़ी देर सोए, उसमें कुछ सपना देख के और उठ के बोले भाई मामला तो गड़बड़ा गया लग रहा है। ट्रंप के यह शब्द वैसे ही लग रहे हैं और पछतावे से भरे दिख रहे हैं। इन शब्दों में ट्रंप की गहरी हताशा है, निराशा है। दुनिया में इन शब्दों की चर्चा हो रही है कि क्या हालत हो गई अमेरिका की और ट्रंप की।

साफ दिख रहा है कि मोदी, पुतिन और शि जिनपिंग के साथ आने से डॉनल्ड ट्रंप को बड़ा धक्का लग गया है और इस झटके को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा अमेरिका। इसलिए ट्रंप साफ-साफ कह रहे हैं कि उन्होंने भारत और रूस को खो दिया। ट्रंप ने ऐसा कहकर इस बात पर भी मुहर लगा दी है कि वर्ल्ड ऑर्डर बदल चुका है और इस बदले वर्ल्ड ऑर्डर की अगुवाई भारत कर रहा है।

ट्रंप के इस बयान के भारत के लिए क्या मायने हैं? क्या ट्रंप भारत से सुलह करना चाहते हैं? क्या ट्रंप को अपनी गलती का पूरी तरह से एहसास हो रहा है? ट्रंप के नए बयान के बारे में विस्तार से आपको बताऊंगा। आपको यह भी बताऊंगा कि कैसे पीएम मोदी ने ट्रंप को लाइन पर आने के लिए मजबूर कर दिया। ट्रंप कैसे मोदी की इस कूटनीति के चक्रव्यूह में फंसते चले गए और अकेले पड़ गए।

क्या ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सीज फायर नहीं कराया? क्या ट्रंप ने अब ये खुला मान लिया है? क्या ट्रंप जो है वो भारत से दोस्ती के लिए अपनी लाइन बदल रहे हैं? और क्या नोबेल पीस प्राइज ट्रंप की जगह कहीं मोदी को ना मिल जाए? यह सारी बातें होंगी। लेकिन जो इतना बड़ा धमाका दुनिया में हुआ है उसकी एक झलक देखें।



ट्रंप के बदलते तेवर: झुका अमेरिका, दिखा नया भारत

"नाउ वी गेट अलोंग विद इंडिया वेरी वेल। मैं जानता हूं, व्यक्तिगत रूप से मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।"

नरेंद्र मोदी ने तो सालों पहले कह दिया था कि भारत यह नया भारत, नरेंद्र मोदी का भारत, यहां किसी का दबाव नहीं चलता। लेकिन कुछ लोगों को यह बात समझने में समय लगा। डॉनल्ड ट्रंप अब सीधे संकेत दे रहे हैं कि भाई भारत मेरे लिए बहुत इंपॉर्टेंट है। भारत से लड़-झगड़ कर अमेरिका रह नहीं सकता। डॉनल्ड ट्रंप भारत के सामने कैसे पस्त होते दिख रहे हैं, इसे आप इस बात से समझिए कि डॉनल्ड ट्रंप अब इस बात का जिक्र ही नहीं कर रहे कि भारत-पाकिस्तान के बीच उन्होंने युद्ध रुकवाया।

ट्रंप अब इस बात से पीछे हट रहे हैं कि भारत-पाकिस्तान में सीज फायर उन्होंने करवाया है। डॉनल्ड ट्रंप पहले कह रहे थे कि उन्होंने सात युद्ध रुकवाए। लेकिन अब कहने लगे हैं कि उन्होंने तो तीन युद्ध रुकवाए और इन तीन युद्ध में एक युद्ध के बारे में ट्रंप ने कहा कि यह तो 31 साल से चल रहा था, दूसरा 34 साल से चल रहा था और तीसरा 37 साल से चल रहा था। इन तीनों युद्ध में ट्रंप ने किसी देश का नाम नहीं लिया। जबकि पहले ट्रंप खुलकर कह रहे थे कि भारत-पाकिस्तान के बीच उन्होंने युद्ध रुकवा दिया। और तीन युद्ध की बात कर रहे हैं। तीनों कह रहे हैं कि कोई 31, कोई 34, कोई 37 साल से चल रहा है। यानी ऑपरेशन सिंदूर के वक्त जो सीज फायर हुआ, जो युद्ध रुका, वो डॉनल्ड ट्रंप ने रुकवाया, डॉनल्ड ट्रंप उससे कन्नी काट गए। मैंने आपसे कहा था बॉस कि ये आदमी लाइन पर आएगा धीरे-धीरे-धीरे-धीरे। और यह भारत को फीलर दे रहा है, मैसेज दे रहा है कि देखो भाई उनको पता है, नरेंद्र मोदी इस बात से भड़के हुए हैं कि जब तुमने सीज फायर कराया नहीं, तुम दुनिया में काहे बोल रहे हो भाई? और नरेंद्र मोदी ने मुंह पर बोल दिया था। वो तो न्यूयॉर्क टाइम्स वगैरह सब ने छाप दिया भाई कि ट्रंप चाहते थे कि भाई नोबेल पीस प्राइज मिले। मोदी ने कहा कि तुमने युद्ध रुकवाया ही नहीं। अब यह क्लियर हो गया कि ट्रंप भी देखिए धीरे से वो सात युद्ध को तीन युद्ध में बदल दिया।



रूस से तेल और यूरोप को घेरना

ट्रंप के साथ नरेंद्र मोदी के रिश्ते इसी बात पर बिगड़े थे कि ट्रंप दावा कर रहे थे कि भारत-पाकिस्तान का सीज फायर उन्होंने करवाया। लेकिन मोदी ने ट्रंप के मुंह पर कह दिया था कि भाई यह सब बेकार की बात ना करो। पाकिस्तान भारत के सामने आकर गिड़गिड़ाया था। इस सीज फायर में अमेरिका या किसी तीसरे देश का कोई रोल ही नहीं था। और अब देखिए ट्रंप भी धीरे से डिलीट मार दिया वो वाला पार्ट।

ट्रंप अब किस तरह से भारत से दोस्ती करने के लिए बेचैन है इसका संकेत एक दूसरी बात से भी मिल रहा है। ट्रंप भारत से इस बात पर भी भिड़े थे कि भारत रूस से तेल क्यों खरीद रहा है। भारत ने कहा था कि रूस से तेल सिर्फ हम ही नहीं खरीद रहे, चीन भी खरीद रहा है, यूरोप भी खरीद रहा है। लेकिन ट्रंप के लोग ऐसी बात कर रहे थे कि जैसे रूस से तेल सिर्फ भारत खरीद रहा हो। अब जाकर ट्रंप को यह बात समझ में आ गई है कि रूस से तेल तो दूसरे देश भी खरीद रहे हैं। इसलिए आप देखिए कि ट्रंप ने रूस से कच्चा तेल खरीदने पर यूरोप को भी घेर दिया। ट्रंप ने यूरोपीय देशों से कहा है कि उन्हें रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद करना होगा। ट्रंप ने कहा कि यूरोप की तेल खरीदारी से रूस को हर साल 1.1 बिलियन यूरो मिल रहा है। ट्रंप ने यूरोपीय देशों के नेताओं से चीन पर भी आर्थिक दबाव बनाने के लिए कहा है। यानी ट्रंप अब हर वो काम कर रहे हैं जिससे नरेंद्र मोदी और भारत का पारा नीचे किया जा सके।

सीज फायर वाली बात से मुकर गए। और अब आप देखिए, अब यूरोपीय देश से कह रहे हैं कि तुम भी तो तेल खरीद रहे हो, जी बंद करो रूस से तेल खरीदना। रूस के कच्चे तेल पर यूरोप को जिस तरह से ट्रंप ने घेरना शुरू किया उसे ट्रंप का भारत के लिए संकेत माना जा रहा है कि वो अब रूस के तेल पर सिर्फ भारत को घेर नहीं रहे हैं।

ट्रंप का कोई भी दांव काम नहीं आ रहा, इसलिए वो झल्ला रहे हैं। हाल ही में ट्रंप से भारत को लेकर सवाल किया गया तो वह रिपोर्टर तक पर भड़क गए थे। ट्रंप की झल्लाहट हैरान करने वाली इसलिए थी क्योंकि इससे पहले जब ट्रंप से भारत को लेकर सवाल किए जाते थे तो बहुत गर्व से वह बताते थे कि उन्होंने भारत पर टैरिफ ठोक दिया। लेकिन अब ट्रंप भारत के सवाल पर भड़क जा रहे हैं। एक बार सुनिए फिर आपको बताता हूं कि ट्रंप ने जो ये नया नई बात कह दी है कि भाई भारत को हमने खो दिया उसकी असल कहानी क्या है?

यू एक्सप्रेस मेनी टाइम्स योर फ्रस्ट्रेशन एंड डिसपॉइंटमेंट विथ पुतिन बट देयर इज नो एक्शन यू टू योर ऑफिस। एक्शन वुड यू सेकेंडरी ऑन इंडिया लार्जेस्ट चाइनास्ट से नो एक्शन। बिलियंस रश नो एक्शन। टूट थ्री व्हेन यू से देयर इज नो एक्शन आई थिंक यू टू गेट योरसेल्फ न्यू जॉब।

यानी ट्रंप भन्नाए हुए हैं। अब तो हताश दिख रहे हैं, निराश दिख रहे हैं और भारत को खुश करने के लिए तमाम प्रयास कर रहे हैं। और इसलिए मैंने आपको कहा कि आज जो डॉनल्ड ट्रंप ने मैसेज किया है, ट्वीट किया है, जो उन्होंने लिखा है सोशल मीडिया पर उसकी दुनिया में चर्चा है बॉस।



नोबेल पुरस्कार की रेस में मोदी बनाम ट्रंप

ट्रंप को एक झटका नोबेल पुरस्कार पर भी लग रहा है। ट्रंप चाहते थे कि वो यूक्रेन युद्ध रुकवाकर नोबेल शांति पुरस्कार ले लें। लेकिन ट्रंप जो सोच रहे थे उसका उल्टा होता दिख रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध रुकवाने की जो कोशिशें हो रही हैं उनमें कोई ट्रंप को क्रेडिट दे ही नहीं रहा। उल्टे चाहे यूक्रेन हो, चाहे रूस हो, चाहे यूरोप हो, सब कह रहे हैं कि यूक्रेन युद्ध रोकने में भारत और नरेंद्र मोदी का रोल ज्यादा अहम दिख रहा है।

पीएम मोदी से फोन पर बातचीत के बाद यूरोपियन काउंसिल के प्रेसिडेंट ने कह दिया कि रूस को युद्ध खत्म करने और शांति की राह पर लाने के लिए भारत की भूमिका महत्वपूर्ण है। वो यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ भारत के निरंतर सहयोग का स्वागत करते हैं। क्योंकि यह युद्ध ग्लोबल सिक्योरिटी और आर्थिक स्थिरता के लिए बड़ी चुनौती है और पूरी दुनिया के लिए बड़ा खतरा है।

आप सोचिए बॉस, वो ट्रंप का नाम नहीं ले रहे हैं। कह रहे हैं कि भारत यह सब करके दिखा रहा है। यूक्रेन युद्ध को रुकवाने में भारत को अहम किरदार माना जा रहा है। और यह ट्रंप के लिए सबसे बड़ा झटका नहीं है। तो क्या है जो भाई एकदम इधर से उधर बबुआ रहा था कि भाई कोई दे दो, कोई दे दो नोबेल पुरस्कार दे दो। ले युद्ध तो रुका नहीं। पुतिन मोदी के साथ कार में जा रहे हैं। कह रहे हैं ब्रीफ किया है कि भाई क्या हुआ था ट्रंप से बातचीत। बार-बार वो फोन कर रहे हैं। बार-बार ज़ेलेंस्की फोन कर रहा है। उधर से यूरोपीय यूनियन कह रहा है कि भाई मोदी और इंडिया ही अहम दिख रहे हैं जो युद्ध में कुछ करवा सकते हैं, रुकवा सकते हैं।

सिर्फ यूरोपियन यूनियन के देश ही नहीं बल्कि खुद यूक्रेन और रूस ये मान चुके हैं कि मोदी ही वो नेता हैं जो इस युद्ध को रोकने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। अमेरिका यह नैरेटिव बना रहा था कि यूक्रेन युद्ध असल में पुतिन का नहीं, मोदी का युद्ध है, भारत का युद्ध है। लेकिन पुतिन ने कह दिया था कि भारत तो युद्ध रोकने का काम कर रहा है। हाल ही में पुतिन ने यह कहा कि वह यूक्रेन युद्ध का समाधान निकालने में भारत और चीन की भूमिका और उनके प्रयासों की प्रशंसा करते हैं।


ट्रंप के फैसलों का आत्मघाती गोल (Self-goal)

जब से ट्रंप ने भारत पर टैरिफ लगाया है, तब से ही अमेरिका में कई एक्सपर्ट ट्रंप को चेता भी रहे हैं कि भाई तुम बहुत बड़ी गलती कर रहे हो भारत से। तब ट्रंप ने किसी की तो सुनी नहीं। उनको तो सनक थी कि भाई मैंने बोल दिया ऐसा होगा कैसे? आदत नहीं है ना। ज्यादातर देश ऐसे ही लाइन पर थे। वो तो भारत खड़ा हो गया कि अच्छा ऐसा होगा नहीं चलेगा। तब भाई को धीरे-धीरे समझ में आया कि अरे यार ये तो पूरा गेम पलट दिया नरेंद्र मोदी और भारत ने।

आज ही अमेरिका के एक बड़े अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने ट्रंप की नीतियों पर खूब सुनाया उनको। उसने लिखा कि टैरिफ, कड़वी बयानबाजी की वजह से जो बड़े और अहम देश हैं वो अमेरिका से दूर जा रहे हैं। यह आधुनिक विदेश नीति का सबसे बड़ा आत्मघाती गोल हो सकता है। सेल्फ गोल।

वाशिंगटन पोस्ट ने कहा कि इस हफ्ते दुनिया में जो हुआ वो ट्रंप की विदेश नीति का फेलियर है। भारत कभी अमेरिका के साथ हुआ करता था। अब वो अमेरिका से दूर जा रहा है। अखबार ने कहा कि ट्रंप को छोटे देशों को डराकर अपनी बात मनवाने में मजा आता है। लेकिन जो बड़े और लोकतांत्रिक देश हैं जिनका अपना राष्ट्रवाद है, अपना प्राइड है उससे डील करना ट्रंप को पसंद नहीं है। और भारत इस दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है बॉस।

हमने आपको दो दिन पहले ही बताया था कि भारत पर ट्रंप को यूटर्न लेना ही पड़ेगा। आज ले, 2 महीने बाद ले, 6 महीने बाद ले। यह भाई रास्ता बदलेगा। क्योंकि जिस मकसद से ट्रंप भारत से भिड़ रहे थे वो पूरा हुआ ही नहीं। पीएम मोदी ने ट्रंप की हर चाल फेल कर दी। दूसरी तरफ पीएम मोदी ने ट्रंप को ऐसा ट्रेलर दिखाया कि ट्रंप अब सरेंडर मोड में हैं।


बदलती हुई दुनिया में भारत की भूमिका

नरेंद्र मोदी तो बाकी देशों से दोस्ती मजबूत करने में लगे हैं। उधर ट्रंप कैसे अपने पुराने और भरोसेमंद दोस्तों से अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं, उसकी झलक वाइट हाउस में हुए डिनर में भी दिखी। ट्रंप ने वाइट हाउस में टॉप टेक्नोलॉजी कंपनीज के सीईओ को डिनर पर बुलाया। लेकिन इनमें एक बड़ा नाम गायब था। कभी ट्रंप के बेहद करीबी माने जाने वाले और राष्ट्रपति पद के चुनाव में ट्रंप के लिए खुलकर कैंपेन करने वाले, पानी की तरह पैसा बहाने वाले एलन मस्क इस डिनर से नदारद रहे।

ट्रंप के डिनर में मेटा के मार्क ज़करबर्ग, माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स और सीईओ सत्य नडेला, एपल के टिम कुक और ओपन एआई के सैम ऑल्टमैन जैसे दिग्गज सीईओ शामिल हुए। लेकिन मस्क भाई साहब वहां नहीं गए। मस्क नहीं पहुंचे तो इस पर चर्चा ने जोर पकड़ लिया कि उन्हें ट्रंप ने न्योता ही नहीं दिया क्या? जिसके बाद खुद एलन मस्क ने पहले ही कह दिया था कि उन्हें न्योता मिला है लेकिन वो नहीं जाएंगे। क्योंकि मस्क भी अब शायद समझ चुके हैं कि ट्रंप को दोस्ती नहीं बल्कि अपनी शर्तों पर होने वाली बिजनेस डील के रिलेशन को लेकर ही उनका ध्यान रहता है।

तो भैया ग्लोबल ऑर्डर तो बदल रहा है लेकिन भारत इस ग्लोबल ऑर्डर में भी मजबूती से ऊपर जाता दिख रहा है। अपनी शर्तों पर चलता दिख रहा है, प्रगति करता दिख रहा है। लेकिन नरेंद्र मोदी तो रिफॉर्म कर रहे हैं।


Source: news channels and youtube