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बूढ़े आदमी की खुशी - Hindi Story of the Day

बूढ़े आदमी की खुशी :

एक बार एक गाँव में एक बूढ़ा आदमी रहता था जो हर बात पर शिकायत करता था। वह खुद को दुनिया के सबसे दुर्भाग्यशाली लोगों में से एक मानता था। वह हमेशा उदास और बुरे मूड में रहता था।

पूरा गांव उससे तंग आ चुका था। बीतते वर्षों के साथ वह और अधिक कटु वचन बोलने लगा। लोग उनसे इतने तंग आ चुके थे कि उन्होंने उनसे किनारा कर लिया। यहां तक कि जो लोग खुश हुआ करते थे, उनके लिए भी उनके बगल में खुश रहना अपमानजनक लगता था। उसकी उपस्थिति मात्र से ही दूसरों में अप्रसन्नता का भाव उत्पन्न हो जाता है।

लेकिन एक दिन एक अविश्वसनीय बात हुई। बूढ़े आदमी के बारे में सभी ने एक अफवाह सुनी।

अफवाह थी- बूढ़ा आज खुश है। वह किसी चीज की शिकायत नहीं कर रहा है। वह मुस्कुरा रहा है और वह तनावमुक्त लग रहा है।

उस दिन गाँव के कुछ लोग बूढ़े आदमी के पास गए और पूछा, "तुम्हें क्या हुआ?"

बूढ़े ने उत्तर दिया, "कुछ नहीं। मैं जीवन भर सुख के पीछे भागता रहा पर वह व्यर्थ था। आज मैंने खुशी चाहने के बारे में सोचे बिना जीने का फैसला किया और बस जीवन का आनंद लिया। इसलिए खुश हूं।

Moral: अगर आप इसके बारे में चिंता करना बंद कर देंगे तो खुशी आपके पास आएगी।

@Story_oftheday

अहिल्याबाई होल्कर ( Ahilyabai holkar) - Short Introduction

अहिल्याबाई होल्कर

▪️अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 मई, 1725 में हुआ था।

▪️इनका विवाह इन्दौर राज्य के संस्थापक महाराज मल्हारराव होल्कर के पुत्र खंडेराव से हुआ था।

▪️मल्हारराव के जीवन काल में ही उनके पुत्र खंडेराव का निधन 1754 ई. में हो गया था। अतः मल्हार राव के निधन के बाद रानी अहिल्याबाई ने राज्य का शासन-भार सम्भाला था।

▪️रानी अहिल्याबाई ने 1795 ई. तक बड़ी कुशलता से राज्य का शासन चलाया।

▪️रानी अहिल्याबाई ने भारत के भिन्न-भिन्न भागों में अनेक मन्दिरों, धर्मशालाओं और अन्नसत्रों का निर्माण करवाया।

▪️रानी अहिल्याबाई ने इसके अलावा काशी, गया, सोमनाथ, अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, द्वारिका, बद्रीनारायण, रामेश्वर, जगन्नाथ पुरी इत्यादि प्रसिद्ध तीर्थस्थानों पर मंदिर बनवाए और धर्म शालाएं खुलवायीं।

▪️उन्‍होंने 1777 ई. में विश्व प्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कराया।

▪️उनका सारा जीवन वैराग्य, कर्त्तव्य-पालन और परमार्थ की साधना का बन गया। भगवान शिव की वह बड़ी भक्त थी।

▪️13 अगस्त, 1795 को उनका निधन हो गया।

विश्व तंबाकू निषेध दिवस - 31 मई ( Mayor)

विश्व तंबाकू निषेध दिवस - 31 मई

▪️प्रतिवर्ष 31 मई को सम्पूर्ण विश्व में तंबाकू सेवन के घातक प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये 'विश्व तंबाकू निषेध दिवस' का आयोजन किया जाता है।

▪️इस दिवस की घोषणा विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य राष्ट्रों द्वारा वर्ष 1987 में की गई तथा वर्ष 1988 में संकल्प WHA 42.19 पारित कर प्रत्येक वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाने का आह्वान किया गया था।

▪️विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2023 की थीम "खाना उगाओ, तंबाकू नहीं"( grow food, not tobacco) है।

▪️WHO प्रत्येक वर्ष तंबाकू के उपयोग को रोकने के लिये सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों द्वारा किये गए प्रयासों और योगदान के लिये उन्हें सम्मानित करता है।

▪️तंबाकू की लत को दुनिया भर में रोके जा सकने वाली मौतों और विकलांगता का सबसे बड़ा कारण माना गया है।

▪️भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 35 मिलियन मौतें तंबाकू के सेवन की वजह से होती हैं और यह तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता एवं उत्पादक देश भी है।

▪️धूम्रपान कैंसर, दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज़ (COPD) और पेरिफेरल वैस्कुलरडिज़ीज़ (PVD) से मौत का कारण बनता है।

▪️विश्व में धूम्रपान करने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही है। महिलाओं को अतिरिक्त खतरों का सामना करना पड़ता है जैसे- प्रतिकूल गर्भावस्था के परिणाम, महिला विशिष्ट कैंसर जैसे- स्तन, गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर और हृदय संबंधी जोखिम में वृद्धि आदि।

▪️तंबाकू से एक वर्ष में 84 मेगा टन से अधिक ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन होता है।

Old Man's Happiness - Story of the Day

Old Man's Happiness:

Once in a village lived an Old man who used to complain about everything. He thought of himself as one of the most unfortunate people in the world. He always stayed gloomy and in bad mood.

Whole village was tired of him. With passing years he became more bile and used to utter more bitter words. People were so fed up of him that they avoided him. Even for people who used to be happy found it insulting to be happy next to him. Just his presence created the feeling of unhappiness in others.

But one day, an incredible thing happened. Everyone heard a rumor about old man.

Rumor was – Old man is Happy today. He is not complaining about anything. He is smiling and he seems relaxed.

That day, Some people from village went to old man and asked, "What happened to you?"

Old man replied, "Nothing. For all my life i have been chasing happiness but it was useless. Today i decided to live without thinking about wanting happiness and just enjoy life. That's why am happy."

Moral: Happiness will come to You if you stop Worrying about it.

आज का हिन्दू पंचांग - 31 मई 2023

आज का हिन्दू पंचांग - 31 मई 2023

*दिनांक - 31 मई 2023*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - एकादशी दोपहर 01:45 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*नक्षत्र - हस्त सुबह 06:00 तक तत्पश्चात चित्रा*
*योग - व्यतिपात रात्रि 08:15 तक तत्पश्चात वरियान*
*राहु काल - दोपहर 12:37 से 02:18 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:21*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 से 12:58 तक*
*व्रत पर्व विवरण - निर्जला-भीम एकादशी, गायत्री माता जयंती, रुक्मणी विवाह, विश्व तम्बाकू निषेध दिवस, व्यतिपात योग (रात्रि 08:15 तक)*
*विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*एकादशी तिथि में चावल खाना वर्जित है ।*

* निर्जला एकादशी - 31 मई 2023 *

*निर्जला एकादशी आसानी से कैसे करें ?🔸*

*सूर्योदय से पहले नींबू व मिश्री मिलाकर पानी पी लें तो प्यास कम लगेगी ।*

*अगर घर में देशी गाय का घी है तो सूर्योदय से पहले ही 25 से 50 ग्राम गुनगुने पानी के साथ ले लें । इससे भूख-प्यास की उग्रता कम होगी, व्रत करने में आसानी होगी ।*

*दोपहर या शाम के समय मुल्तानी मिट्टी शरीर पर लगाकर आधा या एक घण्टे रखकर स्नान करें तो प्यास नही सताएगी । मुल्तानी में अगर पलाश के पाउडर अथवा छाछ, नींबू मिला ले अथवा इसमे से कोई भी एक चीज मिला ले तो प्यास नहीं सताएगी ।*

*अनावश्यक घर से बाहर न जाए, भागदौड़ न करें जिससे पसीना न बहे । जितना कम पसीना बहेगा उतनी प्यास कम लगेगी, सम्भव हो तो मौन रखें, जप ध्यान करें, सत्संग सुनें, शास्त्र पढ़ें ।*

*एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?*

*1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*

*हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

* इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*

Hormones : Anatomy & Physiology

Hormones : Anatomy & Physiology

Human body has different glands that secret Hormones (liquid substance), which are essential for the different body functions.

Adrenaline Hormone is secreted from the adrenal glands. It is secreted directly into the blood and then carried to different parts of the body.

On the other hand, plants have hormones that control and regulate their directional growth.

Iodine is essential for the thyroid gland that makes thyroxin hormone.

Further, Iodine is an essential element for the synthesis of thyroxin.

Deficiency of Iodine, that might cause goiter.

The term "goiter" refers to the abnormal expansion of the thyroid gland (resulting into swollen neck).

Thyroxin Hormone regulates carbohydrate, protein, and fat metabolism in the body and provide the best balance for body growth.

Growth hormone, which is secreted by the pituitary gland, regulates growth and development of the body.

The deficiency of growth hormone in childhood causes dwarfism short height.

During the age of 10-12, there are certain physical change in the bodies of children, which is caused by the secretion of testosterone in boys and oestrogen in girls.

It is significant difference between male and female body i.e. males have testis (secretes Testosterone Hormone) and females have ovary (secretes Oestrogen Hormone).

Insulin is a hormone, which is produced by the pancreas and helps in regulating the sugar levels of blood.

If insulin is not secreted in proper amounts or on a proper time, the sugar level in the blood rises, which may cause different harmful effects in the body.

Motivation of the Day : 30 May 2023

"जब भी आप कमजोर महसूस करें, तो उन चीजों को याद करें, जिन्होंने आपको मजबूत बनाया है; जब भी आप खुद पर संदेह करने लगें, तो उन लोगों को याद करें, जो आप पर विश्वास करते हैं।"

Thomas Edison Childhood : Story of the Day

Thomas Edison Childhood:

One day Thomas Edison came home and gave a paper to his mother. He told his mother that his teacher gave this paper to him and said, "Give this to your mother."

His mother open it and read the paper. After reading paper her eyes filled with tears. Thomas asked his mother about what was written in the paper.

She read the whole letter in loud voice to her son, "Your son is a genius. This school it too small for him and we don't have enough resources and good teachers to train him. Please teach him yourself."

After many years, Now Edison's mother died and he has become one of the greatest inventors. One day while Thomas was looking into old family things he saw a folded paper in the corner of his desk drawer. He took it and open it.

He read the paper. "Your son is mentally ill and we won't let him come to school anymore." was written on the paper.

It was the same paper which was given to him by his teacher in school to give to his mother.

After reading that Edison cried for hours and wrote in his dairy, "Thomas Alva Edison was an addled(mentally ill) child that, by a hero mother, became the genius of the century."

Moral: One should Never Give up. We need to be confident in ourselves and move ahead in life with Positive Attitude and Hard work.

@Story_oftheday

अलसी चमत्कारी औषधी : Health & Care

अलसी एक अमृतमयी चमत्कारी औषधी : Health & BeautyCare

*विविध नाम :*
अलसी, फ्लेक्स सीड्स, लिन सिड्स वगैरा ईसके नाम हैं।  दोस्तों, अलसी से सभी परिचित होंगे लेकिन ईसके चमत्कारी फायदे से बहुत ही कम लोग जानते हैं।  हम आज अलसी के फायदे के बारे में जो बता रहें हैं उनके बारे में जानकर और अपनाकर आप जरुर रोग मुक्त हो जायेगें।

अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है। अलसी में 23℅ ओमेगा-3 फेटी एसिड, 20℅ प्रोटीन, 27℅ फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं। 

अलसी में रेशे भरपूर 27% पर शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है। इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह रोगियों के लिए आदर्श आहार है। 

*ब्लड शुगर :*
अगर किसीको ब्लड शुगर, (डायाबिटिज) की तकलीफ है तो आपके लिये अलसी किसी वरदान से कम नहीं है। 
सुबह खाली पेट २ चमच अलसी लेकर, २ ग्लास पानी में उबालें जब आधा पानी बचे तब छानकर पियें। 

*थाईराईड :*
सुबह खाली पेट २ चमच अलसी लेकर २ ग्लास पानी में उबालें, जब आधा पानी बचे तब छानकर पियें। 
यह दोनों प्रकार के थाईराईड में बढ़िया काम करती है।

*हार्ट ब्लोकेज :*
३ महिना अलसी का काढ़ा उपर बताई गई विधि के अनुसार करने से आपको ऐन्जियोप्लास्टि कराने की जरुरत नहीं पड़ती।

*लकवा, पैरालिसीस :*
पैरालिसीस होने पर ऊपर बताई गई विधि से काढ़ा पीने से लकवा ठीक हो जाता है। 

*बालों का गिरना :*
अलसी को आधा चम्मच रोज सुबह खाली पेट सेवन करने से बाल गिरने बंद हो जाते हैं।  

  *जोडों का दर्द :*
अलसी का काढ़ा पीने से जोड़ों का दर्द दूर हो जाता है। साईटिका, नस का दबना वगैरा में लाभकारी।

  *अतिरिक्त वजन :*
अलसी का काढ़ा पीने से शरीर का अतिरिक्त वजन दूर होता है।  नित़्य इसका सेवन करें, निरोगी रहें। 

*केन्सर :*
किसी भी प्रकार के केन्सर में अलसी का काढ़ा सुबह-शाम दो बार पिऐं जिससे असाधारण लाभ निश्चीत है।

  *पेट की समस्या :*
जिन लोगों को बार-बार पेट के जुड़े रोग होते हैं उनके लिये अलसी रामबाण ईलाज है।
अलसी कब्ज, पेट का दर्द आदि में फायदाकारक है।

  *सुस्ति, आलस, कमजोरी*
अलसी का काढा पीने से सुस्ती, थकान, कमजोरी दूर होती है।

*किसी भी प्रकार की गांठ :*
सुबह शाम दो समय अलसी का काढ़ा बनाकर पीने से शरीर में होने वाली किसी भी प्रकार की गांठ ठीक हो जाती है। 

*श्वास-दमा कफ, ऐलर्जीँ :*

अलसी का काढ़ा रोज सुबह शाम २ बार लेने से श्वास, दमा, कफ, ऐलर्जीँ के रोग ठीक हो जाते हैं।

*ह्दय की कमजोरी :*

ह्दय से जुड़ी किसी भी समस़्या में अलसी का काढ़ा रामबाण ईलाज है। 
जिन लोगों को ऊपर बताई गई समस़्या में से १ भी तकलीफ है तो आपके पास ईसका रामबाण ईलाज के रुप में अलसी का काढा है।
कृप्या आप इसका सेवन करें आैर स्वस्थ रहें।

*कैसे बनायें अलसी का काढ़ा  :*

2 चमच अलसी + 3 ग्लास पानी मिक्स करके उबालें। जब अाधा पानी बचे तब छानकर पियें।  इस प्रयोग से असंख्य लोगों को बहुत ही लाभ मिला है।

वीर बहादुर सिंह ( Veer Bahadur Singh) - Short Introduction

वीर बहादुर सिंह ( Veer Bahadur Singh) - Short Introduction & Biography

●  वीर बहादुर सिंह का जन्म 18 जनवरी, 1935 को गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ।

●  उन्होंने गोरखपुर विश्वविद्यालय से एम.ए. तथा डी.लिट्‌ की मानद उपाधि प्राप्त की थी।

●  कृषि, राजनीति एवं समाज सेवा वीर बहादुर सिंह जी के मुख्य कार्यक्षेत्र थे।

●  उन्होंने यूथ डेलीगेशन के सदस्य की हैसियत से सोवियत संघ और कांग्रेस (आई) प्रतिनिधि मंडल के नेता के रूप में इंग्लैण्ड, रूमानिया, सोवियत संघ और फ्रांस की यात्रा की थी।

●  बहादुर सिंह वर्ष 1967 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के पनियारा निर्वाचन क्षेत्र तत्कालीन जिला गोरखपुर से सर्वप्रथम निर्वाचित हुए।

●  कालांतर में वर्ष 1969, 1974, 1980 और 1985 में पुनः उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।

●  बहादुर सिंह वर्ष 1980 से 1985 तक कैबिनेट मंत्री रहे।

●  वीर बहादुर सिंह 24 सितंबर, 1985 से 24 जून, 1988 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

●  30 मई, 1989 को उनका निधन हो गया।

हिंदी पत्रकारिता दिवस - 30 May : Important Day

हिंदी पत्रकारिता दिवस - 30 May

●  प्रतिवर्ष 30 मई को सम्पूर्ण राष्ट्र में हिंदी पत्रकारिता दिवस का आयोजन किया जाता है।

●  यह दिवस भारतीय पत्रकारों खासतौर पर हिंदी भाषी पत्रकारों के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है, साथ ही यह दिवस समाज के विकास में पत्रकारों के योगदान और पारदर्शिता तथा उत्तरदायित्व निर्धारण में उनकी भूमिका को रेखांकित करता है।

●  1826 ई. में पंडित युगल किशोर शुक्ल ने हिंदी के प्रथम समाचार पत्र 'उदंत मार्तण्ड' के प्रकाशन का शुभारंभ किया था।

●  'उदंत मार्तण्ड' का शाब्दिक अर्थ है 'समाचार-सूर्य'।

●  'उदंत मार्तण्ड' का प्रकाशन प्रत्येक सप्ताह मंगलवार को किया जाता था।

●  पुस्तकाकार में छपने वाले 'उदंत मार्तण्ड' के केवल 79 अंक ही प्रकाशित हो सके और दिसंबर, 1827 में वित्तीय संसाधनों के अभाव में इसका प्रकाशन बंद हो गया।

●  इस समाचार पत्र में ब्रज और खड़ी बोली दोनों भाषाओं के मिश्रित रूप का प्रयोग किया जाता था जिसे इस पत्र के संचालक 'मध्यदेशीय भाषा' कहते थे।

●  कानपुर के रहने वाले पंडित युगल किशोर शुक्ल पेशे से एक वकील थे और औपनिवेशिक ब्रिटिश भारत में कलकत्ता में वकील के तौर पर कार्य कर रहे थे।

●  इतिहासकार पंडित युगल किशोर शुक्ल को भारतीय पत्रकारिता का जनक मानते हैं।

●  बंगाल से हिंदी पत्रकारिता की शुरुआत का श्रेय राजा राममोहन राय को दिया जाता है।

●  हिंदी पत्रकारिता ने इतिहास में उन्होंने एक लंबा सफर तय किया है।

आज का हिन्दू पंचांग - 30 मई (May) 2023

आज का हिन्दू पंचांग - 30 मई 2023

*दिनांक - 30 मई 2023*
*दिन - मंगलवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - दशमी दोपहर 01:07 तक तत्पश्चात एकादशी*
*नक्षत्र - हस्त पूर्ण रात्रि तक*
*योग - सिद्धि रात्रि 08:55 तक तत्पश्चात व्यतिपात*

*राहु काल - शाम 03:49 से 05:40 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:20*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्रह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 से 12:58 तक*
*व्रत पर्व विवरण - गंगा दशहरा समाप्त, व्यतिपात योग (रात्रि 08:55 से 31 मई रात्रि 08:15 तक)*

*विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*एकादशी तिथि में चावल खाना वर्जित है ।*

* गंगा दशहरा (समाप्त) - 30 मई 2023 *

* गंगा स्नान का फल *

* "जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है ।" (पद्म पुराण , उत्तर खंड)*

*- लोक कल्याण सेतु - दिसंबर 2012*

*गंगा स्नान का *
*गंगा स्नान के लिए रोज हरिद्वार तो जा नहीं सकते, घर में ही गंगा स्नान का पुण्य पाने के लिए एक छोटा सा मन्त्र है..*

*ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा*

*ये मन्त्र बोलते हुए स्नान करें तो गंगा स्नान का लाभ होता है । गंगा दशहरा के दिन इसका लाभ जरुर लें...*

*व्यतिपात योग*

*समय अवधि : 30 मई रात्रि 08:55 से 31 मई रात्रि 08:15 तक*

*व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । - वराह पुराण*

*निर्जला एकादशी - 31 मई 2023 *

*एकादशी 30 मई दोपहर 01:07 से 31 मई दोपहर 01:45 तक ।*

*व्रत उपवास 31 मई बुधवार को रखा जायेगा ।*

*एकादशी व्रत के लाभ*

* एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*

* जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

* जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

* एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*

*धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*

* कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*

* परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*

आज का हिन्दू पंचांग - 29 मई (May) 2023 & माउंट एवरेस्ट दिवस

आज का हिन्दू पंचांग - 29 मई 2023


*दिनांक - 29 मई 2023*
*दिन - सोमवार *
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल नवमी *
*सुबह 11.49 बजे तक फिर दशमी तिथि*
*उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र
चंद्रमा- सिंह में सुबह 8.55 बजे तक फिर कन्या में,
सूर्य- वृष राशि
अभिजित मुहूर्त- सुबह 11.51 बजे से दोपहर 12.46 बजे तक
राहुकाल- सुबह 07.08 बजे से 08.52 बजे तक, दिशा शूल- पूर्व*

माउंट एवरेस्ट दिवस ( Mount Everest Day) - 29 मई

प्रतिवर्ष 29 मई को 'माउंट एवरेस्ट दिवस' का आयोजन किया जाता है।

29 मई, 1953 को न्यूज़ीलैंड के पर्वतारोही एडमंड हिलेरी (Edmund Hillary) और उनके तिब्बती गाइड तेनज़िंग नोर्गे (Tenzing Norgay) द्वारा पहली बार माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई की गई थी।

इस पर्वत को तिब्बत में 'चोमोलुंग्मा', नेपाल में 'सागरमाथा' तथा चीन में 'माउंट कोमोलंगमा' के नाम से जाना जाता है।

माउंट एवरेस्ट दिवस नेपाल के पर्वतीय पर्यटन को बढ़ावा देने का भी एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

नेपाल और तिब्बत (चीन का एक स्वायत्त क्षेत्र) के बीच स्थित तकरीबन 8,848 मीटर (29,035 फीट) ऊँचा माउंट एवरेस्ट हिमालय पर्वत शृंखला की एक चोटी है, जिसे पृथ्वी का सबसे ऊँचा बिंदु माना जाता है।

इसकी ऊँचाई 8,848 मीटर है, जो कि भारत के 'पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर' (PoK) में स्थित विश्व के दूसरे सबसे ऊँचे पर्वत के-2 (K-2) से 200 मीटर अधिक है।

वर्ष 2020 में नेपाल और चीन ने माउंट एवरेस्ट की संशोधित ऊँचाई 8,848.86 मीटर घोषित की है। नई ऊँचाई पिछली माप से 86 सेमी. अधिक है।

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित K-2 पर्वत की आधिकारिक ऊँचाई 8,611 मीटर है। इस पर्वत का नाम भारत के पूर्व महासर्वेक्षक 'जॉर्ज एवरेस्ट' के नाम पर रखा गया था।

चौधरी चरण सिंह ( Choudhary Charan Singh ) - Short Introduction

चौधरी चरण सिंह - Short Introduction & Biography

श्री चरण सिंह का जन्म 23 दिसंबर, 1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर में एक मध्यम वर्गीय किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने वर्ष 1923 में विज्ञान से स्नातक की एवं वर्ष 1925 में आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। कानून में प्रशिक्षित श्री सिंह ने गाजियाबाद से अपने पेशे की शुरुआत की। वे वर्ष 1929 में मेरठ आ गए और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए।

वे सबसे पहले वर्ष 1937 में छपरौली से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए एवं 1946, 1952, 1962 एवं 1967 में विधानसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।

वे वर्ष 1946 में पंडित गोविंद वल्लभ पंत की सरकार में संसदीय सचिव बने और राजस्व, चिकित्सा एवं लोक स्वास्थ्य, न्याय, सूचना इत्यादि विभिन्न विभागों में कार्य किया। जून, 1951 में उन्हें राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया एवं न्याय तथा सूचना विभागों का प्रभार दिया गया।

बाद में वर्ष 1952 में वे डॉ. सम्पूर्णानन्द के मंत्रिमंडल में राजस्व एवं कृषि मंत्री बने। अप्रैल, 1959 में जब उन्होंने पद से इस्तीफा दिया, उस समय उन्होंने राजस्व एवं परिवहन विभाग का प्रभार संभाला हुआ था।

श्री सी.बी. गुप्ता के मंत्रालय में वे गृह एवं कृषि मंत्री (1960) थे। श्रीमती सुचेता कृपलानी के मंत्रालय में वे कृषि एवं वन मंत्री (1962-63) रहे। उन्होंने वर्ष 1965 में कृषि विभाग छोड़ दिया एवं वर्ष 1966 में स्थानीय स्वशासन विभाग का प्रभार संभाल लिया।

कांग्रेस विभाजन के बाद फरवरी, 1970 में दूसरी बार वे कांग्रेस पार्टी के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालाँकि राज्य में 2 अक्टूबर, 1970 को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।

श्री चरण सिंह ने विभिन्न पदों पर रहते हुए उत्तर प्रदेश की सेवा की एवं उनकी ख्याति एक ऐसे कड़क नेता के रूप में हो गई थी जो प्रशासन में अक्षमता, भाई – भतीजावाद एवं भ्रष्टाचार को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते थे। प्रतिभाशाली सांसद एवं व्यवहारवादी श्री चरण सिंह अपनी वाक्पटुता एवं दृढ़ विश्वास के लिए जाने जाते हैं।

उत्तर प्रदेश में भूमि सुधार का पूरा श्रेय उन्हें जाता है। ग्रामीण देनदारों को राहत प्रदान करने वाला विभागीय ऋणमुक्ति विधेयक, 1939 को तैयार करने एवं इसे अंतिम रूप देने में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।

उनके द्वारा की गई पहल का ही परिणाम था कि उत्तर प्रदेश में मंत्रियों के वेतन एवं उन्हें मिलने वाले अन्य लाभों को काफी कम कर दिया गया था। मुख्यमंत्री के रूप में जोत अधिनियम, 1960 को लाने में भी उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। यह अधिनियम जमीन रखने की अधिकतम सीमा को कम करने के उद्देश्य से लाया गया था ताकि राज्य भर में इसे एक समान बनाया जा सके।

चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक जनता पार्टी की सरकार में भारत के प्रधानमंत्री रहे।

देश में कुछ-ही राजनेता ऐसे हुए हैं जिन्होंने लोगों के बीच रहकर सरलता से कार्य करते हुए इतनी लोकप्रियता हासिल की हो। एक समर्पित लोक कार्यकर्ता एवं सामाजिक न्याय में दृढ़ विश्वास रखने वाले श्री चरण सिंह को लाखों किसानों के बीच रहकर प्राप्त आत्मविश्वास से काफी बल मिला।

श्री चौधरी चरण सिंह ने अत्यंत साधारण जीवन व्यतीत किया और अपने खाली समय में वे पढ़ने और लिखने का काम करते थे।

उन्होंने कई किताबें लिखी जिसमें 'ज़मींदारी उन्मूलन', 'भारत की गरीबी और उसका समाधान', 'किसानों की भूसंपत्ति या किसानों के लिए भूमि, 'प्रिवेंशन ऑफ़ डिविज़न ऑफ़ होल्डिंग्स बिलो ए सर्टेन मिनिमम', 'ज्वॉइन्ट फार्मिंग एक्स-रेय्‌ड' आदि प्रमुख हैं।

29 मई, 1987 को उनका देहांत हो गया।

एमनेस्टी इंटरनेशनल दिवस - 28 May

एमनेस्टी इंटरनेशनल दिवस - 28 मई

•प्रतिवर्ष 28 मई को 'एमनेस्टी इंटरनेशनल दिवस' का आयोजन किया जाता है। 

•'एमनेस्टी इंटरनेशनल' (Amnesty International) लंदन स्थित एक गैर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 28 मई, 1961 को 'पीटर बेन्सन' नामक एक ब्रिटिश वकील द्वारा की गई थी।

•इस संगठन का प्राथमिक लक्ष्य मानवाधिकारों की रक्षा और उनकी वकालत करना है। 

•पीटर बेन्सन ने एक जनांदोलन के रूप में इस संगठन की स्थापना मुख्य तौर पर दुनिया भर में उन कैदियों को रिहा करवाने के उद्देश्य से की थी, जिन्हें अपनी राजनीतिक, धार्मिक या अन्य धर्मनिरपेक्ष मान्यताओं की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए जेल में कैद किया गया हो, भले ही उन्होंने न कभी हिंसा का इस्तेमाल किया और न ही इसकी वकालत की। 

•विश्व भर में इस संस्था के तीस लाख से अधिक सदस्य और समर्थक हैं। 

•संगठन का उद्देश्य मानवाधिकारों के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों पर रोक लगाना और प्रताड़ित लोगों को न्याय दिलाना है। यह संगठन ऐसी दुनिया के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जहाँ प्रत्येक व्यक्ति मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संबंधी दस्तावेज़ों में निर्धारित अधिकारों का उपयोग करने में सक्षम हो। 

•साथ ही यह संगठन मानवाधिकारों के मुद्दे पर शोधकार्य भी करता है। 

•संगठन को वर्ष 1977 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार और वर्ष 1978 में मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए संयुक्त राष्ट्र का पुरस्कार भी प्रदान किया गया है।

वीर सावरकर ( Veer Sanvarkar) - Short introduction

वीर सावरकर - Short introduction & Biography

वीर सावरकर का जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के भागुर ग्राम में हुआ था।

सावरकर यूनाइटेड किंगडम गए और 'इंडिया हाउस' (India House) तथा 'फ्री इंडिया सोसायटी' (Free India Society) जैसे संगठनों से जुड़े।

सावरकर ने 'द हिस्ट्री ऑफ द वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस' नामक एक पुस्तक लिखी जिसमें उन्होंने 1857 के सिपाही विद्रोह में इस्तेमाल किए गए छापामार युद्ध के तरीकों के बारे में लिखा था।

उन्होंने 'हिंदुत्व: हिंदू कौन है?' नामक पुस्तक भी लिखी।

वर्ष 1904 में विनायक दामोदर सावरकर और उनके भाई गणेश दामोदर सावरकर द्वारा 'अभिनव भारत सोसायटी' (यंग इंडिया सोसायटी) नामक एक भूमिगत सोसायटी की स्थापना की गई।

वीर सावरकर को वर्ष 1909 के मार्ले-मिंटो सुधार (भारत परिषद् अधिनियम, 1909) के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

वर्ष 1910 में क्रांतिकारी समूह इंडिया हाउस के साथ संबंधों के लिए गिरफ्तार किया गया।

सावरकर को नासिक के कलेक्टर जैक्सन की हत्या के लिए उकसाने तथा भारतीय दंड संहिता 121-ए के तहत राजा (सम्राट) के खिलाफ साजिश के आरोप में दोषी ठहराया गया और 50 वर्ष के कारावास की सज़ा सुनाई गई, जिसे काला पानी भी कहा जाता है, उन्हें वर्ष 1911 में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में स्थित सेलुलर जेल ले जाया गया।

प्रारंभ में नासिक में मित्र मेला के रूप में स्थापित समाज कई क्रांतिकारियों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के साथ भारत तथा लंदन के विभिन्न हिस्सों में शाखाओं से जुड़ा था।

सावरकर ने इटैलियन राष्ट्रवादी ग्यूसेप मैज़िनी के विचारों के आधार पर 'फ्री इंडिया सोसायटी' की स्थापना की।

अखिल भारत हिंदू महासभा की स्थापना (वर्ष 1907) करने वाले और अखिल भारतीय सत्रों की अध्यक्षता करने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में पंडित मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय, वीर विनायक दामोदर सावरकर आदि शामिल थे।
वे वर्ष 1937 से वर्ष 1943 तक हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे।

26 फरवरी, 1966 को सावरकर का निधन हो गया। 

पंडित जवाहर लाल नेहरू (Pt Jawahar Lal Nehru) : Short Introduction & Biography

पंडित जवाहर लाल नेहरू : Short Introduction

● पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर, 1889 को इलाहाबाद में हुआ था।

● उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की।

● पंद्रह वर्ष की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

● वर्ष 1912 में भारत लौटने के बाद वे सीधे राजनीति से जुड़ गए।

● वर्ष 1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बाँकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने।

● वर्ष 1916 में वे महात्मा गाँधी से पहली बार मिले जिनसे वे काफी प्रेरित हुए। उन्होंने 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया।

● वर्ष 1920-22 के असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।

● पंडित नेहरू सितंबर, 1923 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने।

● वर्ष 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के खिलाफ एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए उन पर लाठी चार्ज किया गया था।

● 29 अगस्त, 1928 को उन्होंने सर्वदलीय सम्मेलन में भाग लिया एवं वे उन लोगों में से एक थे जिन्होंने भारतीय संवैधानिक सुधार की नेहरू रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर किए थे। इस रिपोर्ट का नाम उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया था। उसी वर्ष उन्होंने 'भारतीय स्वतंत्रता लीग' की स्थापना की एवं इसके महासचिव बने। इस लीग का मूल उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्णतः अलग करना था।

● वर्ष 1929 में पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के लाहौर सत्र के अध्यक्ष चुने गए जिसका मुख्य लक्ष्य देश के लिए पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था।

● उन्हें 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कांग्रेस के अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा।

● उन्होंने 14 फ़रवरी, 1935 को अल्मोड़ा जेल में अपनी 'आत्मकथा' का लेखन कार्य पूर्ण किया।

● पंडित नेहरू ने भारत को युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर करने का विरोध करते हुए व्यक्तिगत सत्याग्रह किया, जिसके कारण 31 अक्टूबर, 1940 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

● 8 अगस्त, 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर अहमदनगर किला ले जाया गया। यह अंतिम मौका था जब उन्हें जेल जाना पड़ा एवं इसी बार उन्हें सबसे लंबे समय तक जेल में समय बिताना पड़ा।

● जनवरी, 1945 में अपनी रिहाई के बाद उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेल रहे आईएनए के अधिकारियों एवं व्यक्तियों का कानूनी बचाव किया।

● मार्च, 1946 में पंडित नेहरू ने दक्षिण-पूर्व एशिया का दौरा किया। 6 जुलाई 1946 को वे चौथी बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए एवं फिर 1951 से 1954 तक तीन और बार वे इस पद के लिए चुने गए।

● पंडित जवाहर लाल नेहरू 15 अगस्‍त, 1947 से  27 मई, 1964 तक भारत के प्रधानमंत्री पद पर रहे।

●  27 मई, 1964 को उनका देहावसान हो गया।

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आज का हिन्दू पंचांग : 28 मई (May) 2023

आज का हिन्दू पंचांग : 28 मई 2023

*दिनांक - 28 मई 2023*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - अष्टमी सुबह 09:56 तक तत्पश्चात नवमी*
*नक्षत्र - पूर्वाफाल्गुनी रात्रि 02:20 तक तत्पश्चात उत्तराफाल्गुनी*
*योग - हर्षण रात्रि 08:40 तक तत्पश्चात वज्र*
*राहु काल - शाम 05:39 से 07:19 तक*
*सूर्योदय - 05:55*
*सूर्यास्त - 07:19*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 से 12:58 तक*
*व्रत पर्व विवरण -*
*विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*काम धंधे में सफलता एवं राज योग के लिए🔹*

*28 मई 2023 रविवार को शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि है ।*

*अगर काम धंधा करते समय सफलता नहीं मिलती हो या विघ्न आते हों तो शुक्ल पक्ष की अष्टमी को बेल के कोमल कोमल पत्तों पर लाल चन्दन लगा कर माँ जगदम्बा को निम्न मंत्र बोलते हुए अर्पण करें ।*

*मंत्र :- "ॐ ह्रीं नमः । ॐ श्रीं नमः ।" और थोड़ी देर बैठ कर प्रार्थना और जप करने से राज योग बनता है । गुरु मंत्र का जप करें और कभी कभी ये प्रयोग करें ।*

* सुख समृद्धि और सौभाग्य की बढ़ोत्तरी के लिए*

* जेष्ट मास में सुहागन देवियों के लिए "उमा ब्रह्मणि व्रत" करने का विधान है । भविष्‍योत्‍तर पुराण के अनुसार ज्‍येष्ठ शुक्ल नवमी (29 मई 2023) को हो सके तो आसपास कन्याएं - बेटियां छोटी - छोटी हो तो उनको दूध और चावल की खीर का भोजन करायें । खुद भी खायें और माँ पार्वती के नाम का थोड़ा जप कर दें ये मंत्र बोल कर ।*
* ॐ पार्वत्‍यै नमः*
* ॐ शंकरप्रियायै नमः*
* ॐ गौरियै नमः*
* ॐ उमायै नमः*

*ये बोल कर माँ पार्वती को प्रणाम करें तो उस सुहागन देवी के घर में सुख समृद्धि और सौभाग्य की बढ़ोत्तरी होती है ।*

* रविवार विशेष*

* रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

* रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

* रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

* रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

* रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*

* रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*

कठफोड़वा (woodpecker) - Amazing Facts

कठफोड़वा (Woodpecker) : Amazing Facts

कठफोड़वा की शारीरिक बनावट और विशेषतायें
कठफोड़वा का आकार

1.कठफोड़वा के आकार में भिन्नता होती है. अधिकांश कठफोड़वा लगभग 7 सेमी (2.8 इंच) तक लंबे और 7 ग्राम भारी होते हैं. हालांकि इनकी कुछ प्रजातियाँ 50 सेमी (20 इंच) तक लंबी भी होती हैं.
कठफोड़वा की चोंच

2. कठफोड़वा की चोंच काफ़ी मजबूत होती है, जो पेड़ों पर प्रहार करने और उसकी छालों में छेद कर आहार प्राप्त करने में सहायक है.
कठफोड़वा की जीभ

3. कठफोड़वा की जीभ 10 सेंटीमीटर (4 इंच) लंबी होती है, जो उसकी चोंच से तीन गुनी है.

4. कठफोड़वाओं की जीभ लंबी, संकरी और कांटेदार होती है, उनमें स्पाइन होते हैं, ताकि उन्हें पेड़ों की छाल से कीड़े निकालने में आसानी हो.

5. इसकी चिपचिपी लार भी कीटों को पकड़ने में सहायक होती हैं.
कठफोड़वा के पैर

6. कठफोड़वा के पैरों की दो उँगलियाँ सामने की ओर होती हैं और दो पीछे की ओर. इसे जाइगोडैक्टल पैर (zygodactyl feet) कहते हैं. पैरों की ये संरचना उन्हें पेड़ पर चढ़ते समय और उस पर प्रहार कर छेद बनाते समय पकड़ और संतुलन बनाने में मदद करती है.

7. कई कठफोड़वाओं के नाखून अन्य पक्षियों की तुलना में अधिक लंबे और मोटे होते हैं, तो उन्हें पेड़ों पर बेहतर पकड़ देते हैं.


कठफोड़वा का रंग कैसा होता है?

8. प्रजाति अनुसार कठफोड़वा के रंग में भिन्नता देखने को मिलती है. कई प्रजाति के कठफोड़वा के पंखों का रंग भूरा, जैतून के रंग का और चितकबरा होता है. वहीं कई प्रजातियों में काले, लाल और पीले रंग के पंख होते हैं. कुछ प्रजातियों के पंखों का पैटर्न नारंगी, हरा, भूरा, मैरून और सुनहरे रंग का होता है.

9. मादा और नर कठफोड़वा में बहुत मामूली अंतर होता है (williamson’s sapsucker और orange-backed woodpecker इसका अपवाद हैं, जिनमें काफ़ी अंतर होता है.). मादा और नर को रंग के आधार पर पहचाना जा सकता है. नर कठफोड़वा के माथे और गर्दन का हिस्सा काले रंग का होता है, वहीं मादा की छाती का रंग सफ़ेद होता है.


कठफोड़वा पक्षी की आवाज़ कैसी होती है?

10. कठफोड़वा की आवाज़ तेज और कर्कश होती है.

11. उड़ान भरते समय यह तीखी आवाज़ करता है.

12. वसंत ऋतु में भी कठफोड़वा काफ़ी तेज आवाज़ निकालते हैं, जो खोखले तने या कभी-कभी किसी धातुई सतह पर अपनी चोंच/सिर ठोकने से निकली आवाज़ से मिलकर और तेज सुनाई पड़ती है. ये मुख्यतः नर कठफोड़वा की आवाज़ होती है. इसके द्वारा वह अपने क्षेत्र पर अधिकार प्रदर्शित करता है. अन्य ऋतुओं में वे सामान्यतः शांत रहते हैं.


कठफोड़वा के बारे में जानकारी | Amazing Facts About Woodpecker In Hindi
कठफोड़वा को इंग्लिश में क्या कहते है?

13. कठफोड़वा को इंग्लिश में woodpecker कहते हैं.
कठफोड़वा पक्षी का वैज्ञानिक नाम क्या है?

14. कठफोड़वा का वैज्ञानिक नाम पिकिडे (Picidae) है.
दुनिया में कठफोड़वा की कितनी प्रजातियाँ हैं?

15. दुनिया में कठफोड़वा की लगभग 200 विभिन्न प्रजातियाँ हैं.
कठफोड़वा कहाँ पाए जाते हैं? (Where do woodpeckers live?)

16. ऑस्ट्रेलिया, न्यू गिनी, न्यूजीलैंड, मेडागास्कर और ध्रुवीय क्षेत्रों को छोड़कर कठफोड़वा दुनिया में लगभग हर जगह पाए जाते हैं.
दुनिया में कठफोड़वा की सबसे बड़ी प्रजाति कौन सी है?

17. दुनिया में दो सबसे बड़े कठफोड़वे इम्पीरियल वुडपेकर (Imperial woodpecker) और आइवरी-बिल्ड वुडपेकर (Ivory-billed woodpecker) हैं. वर्तमान में दोनों ही विलुप्तिप्राय हैं.

18. वर्तमान में ज्ञात कठफोड़वा की सबसे बड़ी प्रजाति  ‘ग्रेट स्लैटी कठफोड़वा’ (The great slaty woodpecker) है, जिसका वैज्ञानिक नाम ‘मुलरिपिकस पुल्वरुलेंटस’ (Mulleripicus pulverulentus) है.

19. ‘ग्रेट स्लैटी कठफोड़वा’ की लंबाई 48-58 सेंटीमीटर (19–23 इंच) और वजन 360-563 ग्राम (0.794–1.241 पौंड) होता है.

20. ‘ग्रेट स्लैटी कठफोड़वा’ मुख्यतः भारतीय उप-महाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है.
दुनिया में कठफोड़वा की सबसे छोटी प्रजाति कौन सी है?

21. दुनिया में कठफोड़वे की सबसे छोटी प्रजाति ‘बार-ब्रेस्टेड पिचुलेट’ (Bar-breasted piculet) है, जिसका वैज्ञानिक नाम Picumnus aurifrons है.

22. इसकी लंबाई 7.5 सेमी (3 इंच) और वजन 8 से 10 ग्राम (०.28 से 0.35 oz) होता है.

23. यह बोलिविया, कोलंबिया, इक्वाडोर और पेरू में पाया जाता है.
कठफोड़वा का जीवनकाल कितना होता है?

24. प्रजातियों के आधार पर जंगल में कठफोड़वा का औसत जीवनकाल 4 से 12 साल तक होता है.
कठफोड़वा क्या खाता है?

25. कठफोड़वाओं का आहार मुख्य रूप से सजीव और मृत वृक्षों में पाए जाने वाले कीट और कीटडिंभ हैं. इनके आहार में चींटी, दीमक, झींगुर और उनके लार्वा, मकड़ी, इल्ली, अन्य आर्थ्रोपोड्स, चिड़ियों के अंडे, छोटे रोडेंट, गिरगिट, फल, नट्स, पौधों का रस शामिल हैं.


कठफोड़वा पक्षी के आवास के बारे में जानकारी/ कठफोड़वा कहाँ रहता है? कठफोड़वा का घोंसला

26. कठफोड़वा की अधिकांश प्रजातियाँ जंगलों या जंगली इलाकों में रहती हैं, हालांकि कुछ प्रजातियाँ जंगलों से दूर चट्टानी पहाड़ियों और रेगिस्तान जैसे इलाकों में रहने के लिए भी जानी जाती हैं.

27. कठफोड़वा सूखे पेड़ के तने को खोदकर अपना घोंसला बनाते हैं. इस प्रक्रिया में 10 से 28 दिन का समय लगता है. घोंसला बनाने का कार्य नर और मादा दोनों मिलकर करते हैं.

28. कठफोड़वा अपने द्वारा पिछले वर्ष बनाये घोंसले का दोबारा इस्तेमाल नहीं करते/या बहुत ही कम करते हैं.

29. wrynecks woodpecker कभी अपना घोंसला नहीं बनाते, वे पहले से ही किसी पेड़ में बने कोटर में जाकर रहते हैं.
कठफोड़वा का प्रजनन

30. कठफोड़वा का प्रजनन काल मार्च से मई के दौरान होता है. इस अवधि में वे अपने लिए घोंसला बनाते हैं.

31. मादा कठफोड़वा एक बार में 2 से 5 अंडे देती हैं.

32. अंडों को सेने की अवधि 11 से 14 दिनों तक की होती है.

33. लगभग 18 से 35 दिन में कठफोड़वा के बच्चे घोंसला छोड़ने लायक हो जाते हैं.
पेड़ को लगातार ठोंकने पर भी कठफोड़वा के मष्तिष्क को नुकसान न पहुँचने का कारण

34. कठफोड़वा पेड़ के तने पर लगातार अपनी चोंच ठोंकता और बजाता है, फिर भी इसके मस्तिष्क को कोई नुकसान नहीं पहुँचता, इसका कारण इसकी शारीरिक विशेषतायें हैं.

35. कठफोड़वा का मस्तिष्क छोटा और कोमल होता है, जिसके आसपास संकरा सबडूरल स्पेस (subdural space) होता है, जिसमें Cerebrospinl fluid भरा होता है, जिससे कठफोड़वा के पेड़ पर चोंच ठोकने के दौरान मस्तिष्क खोपड़ी में आगे-पीछे गति नहीं करता, बल्कि अपने स्थान पर रहता है. खोपड़ी में मजबूत और स्पंज जैसी हड्डियाँ होती हैं.

36. कठफोड़वा में काफ़ी लंबी हाईपोइड हड्डी (hyoid bone or tongue bone – गले के बीच में स्थित हड्डी) होती है, जो उपविभाजित होती हैं और रीढ़ की हड्डी के स्तंभ के दोनों ओर से गुजरती है और मस्तिष्क के चारों ओर लिपटी होती है. जो एक सेफ्टी बेल्ट के जैसे होती है.

37. पेड़ को ठोकने के दौरान उत्पन्न 99.7 प्रतिशत ऊर्जा strain energy के रूप में संग्रहित होती है, जो पूरे शरीर में वितरित होती है और बहुत कम भाग मस्तिष्क में जा पाता है और उसे वहां कम आघात पहुँचता है.


कठफोड़वा के बारे में अन्य रोचक तथ्य | Amazing Facts about Woodpecker In Hindi

38. कठफोड़वा प्रति सेकंड 20 बार अपना सिर पेड़ पर ठोकता है. यह प्रति दिन 8,000 से 12,000 बार अपना सिर पेड़ पर ठोकता है.

39. कठफोड़वा 24 किलोमीटर/घंटे की रफ़्तार से उड़ान भरता है.

40. कठफोड़वा किसी भी पेड़ के तने में उर्ध्व (vertically) चढ़ सकता है और फिर उतर भी जाता है. ऐसा इसके जाइगोडैक्टल पैर (zygodactly feet) के कारण है, जिसमें चार उँगलियाँ होती है. पहली और चौथी उंगली पीछे की और और दूसरी और तीसरी उंगली आगे की ओर होती है. इससे उसके पेड़ का तना पकड़ने में आसानी होती है और ये सीधा पेड़ पर चढ़ पाते हैं.

41. कठफोड़वा के पंख उसके नथुने को एक हेयर-ब्रश की तरह ढके रहते हैं. इस तरह वह पेड़ को ठोकते/कुरेदते समय लकड़ी ने महीन अंश साँस लेते समय उसके नथुने में नहीं जा पाते.

42. साल में एक बार कठफोड़वा अपने पंख झड़ा देते हैं. इसका अपवाद wrynecks woodpecker हैं, जिनमें प्रजनन के पूर्व आंशिक रूप से पंख झड़ जाते हैं.

43. कठफोड़वा एक एकांतप्रिय और असामाजिक जीव है, जो भीड़-भाड़ से अलग अकेले या अपने जोड़े के साथ घूमना पसंद करता है.

44. कठफोड़वा मोनोगैमस होते हैं और एक ही साथी के साथ जीवन भर रहते हैं.

45. कठफोड़वा के मुख्य शिकारियों में जंगली बिल्लियाँ, लोमड़ियाँ, कोयोट्स, साँप और बड़े पक्षी शामिल हैं.

46. कई बार लोग हुदहुद और कठफोड़वे को एक समझने की भूल कर देते हैं. दोनों भिन्न पक्षी है, हुदहुद की चोंच नुकीली, तीखी और पतली होती है, वहीं कठफोड़वा की चोंच मजबूत, मोटी और तीखी होती है.

सब कुछ बदल जाता है (Tomorrow will be ) - Hindi Story of the Day

सब कुछ बदल जाता है: Tomorrow will be

एक बार की बात है एक गाँव में एक बूढ़ा किसान रहता था जो बहुत मेहनत करता था। उसके पास एक घोड़ा था।

एक दिन उसका घोड़ा भाग गया। यह सुनने के बाद उसका पड़ोसी उसके पास आया और कहा, "ऐसी बदकिस्मती"।
किसान ने उत्तर दिया, "हो सकता है।"

अगली सुबह घोड़ा अपने साथ तीन अन्य जंगली घोड़ों के साथ लौटा। यह सुनने के बाद फिर से पड़ोसी आया और कहा, "कितना अच्छा है।"
बूढ़े किसान ने फिर उत्तर दिया, "हो सकता है।"

अगले दिन, उसके बेटे ने एक जंगली घोड़े की सवारी करने की कोशिश की और उसका पैर टूट गया। फिर से पड़ोसी उसे सहानुभूति देने आए।
किसान ने उत्तर दिया, "हो सकता है।"

अगले दिन, सैन्य अधिकारी गाँव में नौजवानों को सेना में भर्ती करने के लिए आए। वृद्ध के बेटे का पैर टूटा देखकर उन्होंने उसकी ड्राफ्टिंग नहीं की। यह देखकर पड़ोसी फिर आया और किसान को बधाई दी कि चीजें कितनी अच्छी निकली हैं।
इस पर भी किसान ने जवाब दिया, "हो सकता है।"

हम देख सकते हैं कि किसान गैर-निर्णय का अभ्यास कर रहा है। वह जीवन की वास्तविक प्रकृति को समझते हैं कि हम किसी भी घटना को एक तरह से "अंत" के रूप में नहीं आंक सकते।

Moral: हमेशा कल होता है और चाहे दिन अच्छा हो या बुरा, हमेशा लाखों प्रभाव होते हैं जो एक घटना से उत्पन्न हो सकते हैं। चीजें हर समय एक पल में बदल जाती हैं।

Decision Changes Everything - Story of the Day

Decision Changes Everything  - Story of the Day

Once many pupil from many parts of Japan came to attend seclusion weeks of meditation. During one of these gatherings One of then was caught stealing. Whole matter was reported to Bankei. All pupil requested Bankei to expel that person from gatherings but Bankei ignored the case.

Again that person was caught in similar act of stealing and again people demanded Bankei to detain that person from gatherings but Bankei refused.  Pupil who asked for dismissal of thief got angry and drew up a petition and stated that If the person who is stealing is not dismissed then all other people will leave the gathering.

This petition reached to Bankei. After reading petition he asked everyone to gather before him and said, "You are Wise Brothers. You know what's right what's wrong. You may go somewhere else to study if you wish but this brother doesn't even know the difference between right and wrong. If i will not teach him then who will? I am going to keep him here even if you all leave."

Tears came out of the person who had stolen and all desire to steal had vanished from his mind.

Moral: If someone commits crime then sometimes we need to look deeper and we might just see that that person simply need to be shown right path. We also need to take time to teach them right and wrong.

आज का हिन्दू पंचांग - 27 मई 2023

आज का हिन्दू पंचांग  - 27 मई 2023

*दिनांक - 27 मई 2023*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - सप्तमी सुबह 07:42 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*नक्षत्र - मघा रात्रि 11:43 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी*
*योग - व्याघात शाम रात्रि 07:58 तक तत्पश्चात हर्षण*
*राहु काल - सुबह 09:16 से 10:56 तक*
*सूर्योदय - 05:55*
*सूर्यास्त - 07:19*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:12 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 से 12:58 तक*
*व्रत पर्व विवरण -*
*विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*नींबू रस के चौकानेवाले फायदे :*

*शरीर में अम्लता (खटाई) के कारण जो विष उत्पन्न होता है उसे नींबू में स्थित पोटेशियम अम्ल नष्ट करता है I*

*नींबू में स्थित विटामिन सी शरीर की रोगप्रतिकारक शक्ति को बढ़ाता है और स्कर्वी रोग में उपयोगी है I नींबू ह्रदय को स्वस्थ रखता है I*

*विपरीत आहार विहार के कारण शरीर में "यूरिक एसिड" बनता है, उसका नाश करने के लिए प्रात: खाली पेट गर्म पानी में नींबू का रस लेना चाहिए I*

*कब्ज, पेशाब में जलन, मन्दाग्नि, रक्तविकार, यकृत की शुद्धि, अजीर्ण, संग्रहणी, आदि रोगों में लाभकारी है I*

*गर्म पानी में नींबू का रस एवं शहद मिलाकर लेने से सर्दी और इन्फ्लूएंजा आदि में पूरी राहत मिलती है I*

*सावधानी : कफ, खाँसी, दमा, सिरदर्द और शरीर में दर्द के स्थाई रोगियों को नींबू का सेवन नहीं करना चाहिए I*

* - लोक कल्याण सेतु - मार्च से अप्रैल 2001*

*भारतीय संस्कृति के आधारभूत तथ्य*

*ग्यारह*

*एकादश रुद्र :*
*कपाली पिंगलो भीमो विरूपाक्षो विलोहितः ।* *अजकः शासनः शास्ता शम्भुश्चण्डो भवस्तथा ॥* *कपाली, पिंगल, भीम, विरूपाक्ष, विलोहित, अजक, शासन, शास्ता, शम्भु, चण्ड और भवः ।*

*बारह🔹*
*बारहखड़ी : देवनागरी वर्णमाला के १२ स्वर अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः ।*

*बारह आदित्य : धाता, मित्र, अर्यमा, शक्र, वरुण, अंशु, भग, विवस्वान्, पूषा, सविता, त्वष्टा और विष्णु ।*

*बारह मास : चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन ।*

*द्वादश ज्योतिर्लिंग सोमनाथ, मल्लिकार्जुन, महाकालेश्वर (महाकाल), ओंकारेश्वर (अमरेश्वर), केदारनाथ (केदार), भीमशंकर, विश्वनाथ, त्र्यम्बकेश्वर, वैद्यनाथ, रामेश्वर व घुश्मेश्वर ।*

*द्वादश मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ और मीन ।*

*ऋषिप्रसाद - जनवरी 2012*

* शनिवार के दिन विशेष प्रयोग *

*शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

* हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*

*एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
*📖 ऋषि प्रसाद - मई 2018 से*

बलबीर सिंह ( Balveer Singhgg ) : Short Introduction

बलबीर सिंह

● बलबीर सिंह का जन्म 10 अक्टूबर, 1924 में पंजाब राज्य के जालंधर ज़िले में हरीपुर नामक स्थान पर हुआ था।

● बलबीर सिंह की प्रारम्भिक शिक्षा देव समाज स्कूल तथा डी.एम. कॉलेज मोगा में हुई तथा उन्होंने अमृतसर के खालसा कॉलेज से स्नातक शिक्षा प्राप्त की।

● बलबीर सिंह को पहली बार वर्ष 1947 में भारतीय टीम में शामिल किया गया।

● उन्होंने भारत को श्रीलंका के खिलाफ विजय दिलाई। वर्ष 1950 में अफ़ग़ानिस्तान तथा सिंगापुर के खिलाफ तथा वर्ष 1954 में मलेशिया के खिलाफ भारतीय टीम का नेतृत्व करते हुए उन्होंने टीम को विजय दिलाई।

● वे 'इंडिया वंडर्स' टीम के भी सदस्य थे। इस टीम ने न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर तथा श्रीलंका के खिलाफ 1955 में अनेक मैच खेले।

● बलबीर सिंह हॉकी टीम के सेंटर-फॉरवर्ड खिलाड़ी रहे तथा तीन बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

● लंदन ओलंपिक (1948), हेलंसिकी (1952) और मेलबर्न (1956) में स्वर्ण जीतने वाले बलबीर सिंह सीनियर वर्ष 1975 में एकमात्र विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के मैनेजर थे।

● वर्ष 1957 में बलबीर सिंह को 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया।

● वे 'पंजाब स्टेट स्पोर्ट्स काउंसिल' के सेक्रेटरी रहे तथा वर्ष 1982 में रिटायरमेंट तक पंजाब सरकार के खेल निदेशक रहे।

● मोगा में उनके नाम पर स्टेडियम का नाम रखा गया है।

● बलबीर सिंह ने 'द गोल्डन हैट ट्रिक' नामक पुस्तक भी लिखी है।

● बलबीर सिंह सीनियर का निधन 25 मई, 2020 को 96 साल की उम्र में मोहाली में हुआ।

रास बिहारी बोस ( Ra's Bihari Bos): Short Introduction and Biography

रास बिहारी बोस

● रास बिहारी बोस का जन्म 25 मई, 1886 को बंगाल प्रांत के सुबलदाहा गाँव में हुआ था।

● बोस ने गदर आंदोलन का नेतृत्‍व करने से लेकर भारतीय राष्ट्रीय सेना की स्थापना तक स्वतंत्रता संग्राम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

● रास बिहारी बोस 1789ई. की फ्रांसीसी क्रांति से अत्यधिक प्रभावित थे।

● वर्ष 1905 में बंगाल विभाजन और उसके बाद की घटनाओं ने रास बिहारी बोस को क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया।

● उन्होंने प्रख्यात क्रांतिकारी नेता जतिन बनर्जी के मार्गदर्शन में अपनी क्रांतिकारी गतिविधियों का संचालन किया।

● गदर आंदोलन में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका तो निभाई किंतु यह अल्पकालिक थी, क्योंकि जल्द ही ब्रिटिश अधिकारियों के खिलाफ विद्रोह की उनकी योजना का खुलासा हो गया था, जिसने अंततः उन्हें जापान जाने के लिए मजबूर कर दिया, जहाँ उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों का नया अध्याय उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।

● उन्होंने एक जापानी महिला से शादी की और 1923 में जापान के नागरिक बन गए।

● द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, बोस ने जापानी अधिकारियों को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन करने के लिए राजी किया। उन्होंने विदेशों में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए समर्थन जुटाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

● उन्होंने 'इंडियन इंडिपेंडेंस लीग' की स्थापना की।

● वर्ष 1942 में जापान के टोक्यो में रास बिहारी बोस ने 'आज़ाद हिंद फौज' की स्थापना की। 'आज़ाद हिंद फौज' की स्थापना का उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ना था।

● जापान ने 'आज़ाद हिंद फौज' के गठन में सहयोग दिया तथा कालांतर में 'आज़ाद हिंद फौज' की कमान सुभाषचंद्र बोस के हाथों में सौंप दी गई।

● स्वतंत्रता संग्राम में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए जापान की सरकार ने उन्हें 'सेकंड ऑर्डर ऑफ मेरिट ऑफ द राइज़िंग सन' से सम्मानित किया था।

● बोस की 21 जनवरी, 1945 को 59 वर्ष की आयु में तपेदिक से मृत्यु हो गई।

आज का हिन्दू पंचांग - 26 मई 2023

आज का हिन्दू पंचांग - 26 मई 2023

*दिनांक - 26 मई 2023*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - सप्तमी (वृद्धि तिथि) पूर्ण रात्रि तक*
*नक्षत्र - अश्लेषा रात्रि 08:50 तक तत्पश्चात मघा*
*योग - ध्रुव शाम 07:04 तक तत्पश्चात व्याघात*
*राहु काल - सुबह 10:56 से 12:37 तक*
*सूर्योदय - 05:55*
*सूर्यास्त - 07:18*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:13 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 12:58 तक*
*व्रत पर्व विवरण -*
*विशेष -सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*तिलक का महत्त्व*

*ललाट पर दोनों भौंहों के बीच विचारशक्ति का केन्द्र है । योगी इसे आज्ञाचक्र कहते हैं । इसे शिवनेत्र अर्थात् कल्याणकारी विचारों का केन्द्र कहा जाता है ।*

*दोनों भौहों के बीच ललाट पर चंदन या सिंदूर आदि का तिलक आज्ञाचक्र और उसके नजदीक की पीनियल और पीयूष ग्रंथियों को पोषण देता है । यह बुद्धिबल व सत्त्वबलवर्धक है तथा विचारशक्ति को भी विकसित करता है । अतः तिलक लगाना आध्यात्मिक तथा वैज्ञानिक, दोनों दृष्टिकोणों से बहुत लाभदायक है । इसलिए हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करते समय ललाट पर तिलक लगाते हैं ।*

*अधिकांश स्त्रियों का मन स्वाधिष्ठान और मणिपुर केन्द्र में ही रहता है । इन केन्द्रों में भय, भाव और कल्पना की अधिकता होती है । वे भावनाओं और कल्पनाओं में न बह जायें, उनका शिवनेत्र, विचारशक्ति का केन्द्र विकसित हो, इस उद्देश्य से ऋषियों ने स्त्रियों के लिए तिलक लगाने का विधान रखा है ।*

*चंदन, सिंदूर के तिलक से जो फायदा होता है, वह आजकल की केमिकल युक्त बिंदियों से नहीं होता ।*

*ललाट पर प्लास्टिक की बिंदी चिपकाना हानिकारक है, इसे दूर से ही त्याग दें ।*

*तुलसी या पीपल की जड़ की मिट्टी अथवा गाय के खुर की मिट्टी पुण्यदायी, कार्यसाफल्यदायी व सात्त्विक होती है। उसका या हल्दी या चंदन का अथवा हल्दी-चंदन के मिश्रण का तिलक हितकारी है ।*

*भाइयों को भी तिलक करना चाहिए । इससे आज्ञाचक्र (जिसे वैज्ञानिक पीनियल ग्रंथि कहते हैं) का विकास होता है और निर्णयशक्ति बढ़ती है ।*

*गर्मी में विशेष लाभकारी - पुदीना*

*पुदीना गर्मियों में विशेष उपयोगी एक सुगंधित औषध है। यह रुचिकर, पचने में हलका, तीक्ष्ण, हृदय - उत्तेजक, विकृत कफ को बाहर लानेवाला, गर्भाशय व चित्त को प्रसन्न करनेवाला है । पुदीने के सेवन से भूख खुलकर लगती है और वायु का शमन होता है । यह पेट के विकारों में विशेष लाभकारी है। श्वास, मूत्राल्पता तथा त्वचा के रोगों में भी यह उपयुक्त है ।*

*औषधि-प्रयोग*

*पेट के रोग : अजीर्ण, अरुचि, मंदाग्नि, अफरा, पेचिश, पेट में मरोड़, अतिसार, उलटियाँ, खट्टी डकारें आदि में पुदीने के रस में जीरे का चूर्ण व आधे नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ होता है ।*

*मासिक धर्म : पुदीने को उबालकर पीने से मासिक धर्म की पीड़ा तथा अल्प मासिक स्राव में लाभ होता है । अधिक मासिक स्राव में यह प्रयोग न करें ।*

*गर्मियों में : गर्मी के कारण व्याकुलता बढ़ने पर एक गिलास ठंडे पानी में पुदीने का रस तथा मिश्री मिलाकर पीने से शीतलता आती है ।*

*पाचक चटनी : ताजा पुदीना, काली मिर्च, अदरक, सेंधा नमक, काली द्राक्ष और जीरा- इन सबकी चटनी बनाकर उसमें नींबू का रस निचोड़कर खाने से रुचि उत्पन्न होती है, वायु दूर होकर पाचनशक्ति तेज होती है । पेट के अन्य रोगों में भी लाभकारी है ।*

*उलटी-दस्त, हैजा : पुदीने के रस में नींबू का अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पिलाने से लाभ होता है ।*

*सिरदर्द : पुदीना पीसकर ललाट पर लेप करें तथा पुदीने का शरबत पियें ।*

*ज्वर आदि गर्मी में जुकाम, खाँसी व ज्वर होने पर पुदीना के पीने से लाभ होता है ।*

*नकसीर : नाक में पुदीने के रस की ३ बूँद डालने से रक्तस्राव बंद हो जाता है ।*

*मूत्र- अवरोध पुदीने के पत्ते और मिश्री पीसकर १ गिलास ठंडे पानी में मिलाकर पियें ।*

*गर्मी की फुंसियाँ : समान मात्रा में सूखा पुदीना एवं मिश्री पीसकर रख लें । रोज प्रातः आधा गिलास पानी में ४ चम्मच मिलाकर पियें ।*

*हिचकी : पुदीने या नींबू के रस सेवन से राहत मिलती है ।*

*मात्रा : रस ५ से २० मि.ली. । अर्क - १० से २० मि.ली. (उपरोक्त प्रयोगों पुदीना रस की जगह अर्क का भी उपयोग किया जा सकता है) । पत्तों का चूर्ण - २ से ४ ग्राम (चूर्ण बनाने के लिए पत्तों को छाया में सुखाना चाहिए)।*

आज का हिन्दू पंचांग - 25 मई 2023

आज का हिन्दू पंचांग - 25 मई 2023

*दिनांक - 25 मई 2023*
*दिन - गुरुवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - षष्ठी 26 मई प्रातः 05:19 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*नक्षत्र - पुष्य शाम 05:54 तक तत्पश्चात अश्लेषा*
*योग - वॄद्धि शाम 06:08 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*राहु काल - दोपहर 02:17 से 03:57 तक*
*सूर्योदय - 05:55*
*सूर्यास्त - 07:18*
*दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:13 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 12:58 तक*
*व्रत पर्व विवरण - स्कंद षष्ठी, अरण्य षष्ठी, संत टेऊँरामजी पुण्यतिथि, महारानी लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस (झाँसी), गुरुपुष्यामृत योग (सूर्योदय से शाम ५-५४ तक)*
*विशेष -षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

* 25 मई 2023 : गुरुपुष्यामृत योग *

*🔹पुण्य काल - 25 मई सूर्योदय से शाम 05:54 तक*

* पुष्य नक्षत्र का गुरुवार से योग होने पर वह अति दुर्लभ 'गुरुपुष्यामृत योग' कहलाता है ।*

* गुरुपुष्यामृत योग व्यापारिक कार्यों के लिए तो विशेष लाभदायी माना गया है ।*

*गुरुपुष्यामृत योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है ।*

*गुरुपुष्यामृत योग में विद्या एवं धार्मिक अनुष्ठान प्रारम्भ करना, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना शुभ होता है ।*

*गुरुपुष्यामृत योग में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित है ।*

*कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में🔹*

* बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें ।*
*-लोक कल्याण सेतु – जून २०१४ से*

*गुरुवार विशेष 🔹*

*हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।*

*गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :*

*एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।*
 
*ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।*
* फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।*

*( लोक कल्याण सेतु , अंक - ११६ )*

*गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।*

*गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।*

आज का हिन्दू पंचांग - 24 मई 2023

आज का हिन्दू पंचांग - 24 मई 2023

*दिनांक - 24 मई 2023*
*दिन - बुधवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - पंचमी 25 मई प्रातः 03:00 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*नक्षत्र - पुनर्वसु दोपहर 03:06 तक तत्पश्चात पुष्य*
*योग - गण्ड शाम 05:20 तक तत्पश्चात वॄद्धि*
*राहु काल - दोपहर 12:37 से 02:17 तक*
*सूर्योदय - 05:56*
*सूर्यास्त - 07:18*
*दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:30 से 05:13 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 12:58 तक*
*व्रत पर्व विवरण - महादेव विवाह (ओडिशा)*
*विशेष - पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*विद्यालाभ व अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति हेतु*

* विद्यालाभ के लिए मंत्र : ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा ।'*

*विधि : जिन राज्यों में पूर्णिमा को माह का अंत माना जाता है वहाँ यह मंत्र ६ जून को रात्रि ११:१३ से रात्रि ११:४५ तक १०८ बार जप लें और फिर मंत्रजप के बाद रात्रि ११-३० से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से 'ह्रीं' मंत्र लिख दें । अथवा ७ जून को प्रातः ३ से रात्रि ९:०२ बजे तक १०८ बार मंत्र जप लें और रात्रि ११ से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से 'ह्रीं' मंत्र लिख दें ।*

*महाराष्ट्र, गुजरात आदि जहाँ अमावस्या को माह का अंत माना जाता है वहाँ ४ जुलाई को सुबह ८:२५ से रात्रि ११:४५ बजे तक १०८ बार मंत्र जप लें और रात्रि ११ से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन 'ह्रीं' मंत्र लिख दें ।*

*जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा उसे विद्यालाभ व अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति होगी ।*

*रिटायर लाइफ में सुखी रहने के लिए मुख्य बिन्दु*

* १. बिना मांगे सलाह न दें ।*
* २. कम बोलें, मौन रहें ।*
* 3. सहनशीलता बढ़ाएं ।*
* ४. निक्कमे न रहें, कुछ न कुछ काम में व्यस्त रहें ।*

   

दाद, खाज, खुजली की समस्या के लिये घरेलु नुस्खे (Home Remedy for Itching and irritation ): Health & Beauty Care


"दाद, खाज, खुजली की समस्या को करें बाय-बाय इन घरेलू नुस्खों को आजमाकर"
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हल्दी

एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरपूर होती है हल्दी। जो इस संक्रमण को बढ़ने से रोकती है। तो हल्दी में पानी मिलाकर गाढ़ा सा पेस्ट तैयार कर दाद वाली जगह पर लगाकर छोड़ दें, सूखने पर धो लें। बहुत जल्द इसका असर नजर आता है…

टमाटर और नींबू

खूबसूरती बढ़ाने के अलावा दाद से छुटकारा दिलाने में भी टमाटर और नींबू का रस है बेहद कारगर, क्योंकि इसमें विटामिन सी पाया जाता है। जो स्किन से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है और बचाता भी है। तो टमाटर के जूस का सेवन करें। और नींबू के रस के साथ इमली के बीज को पीस कर दाद पर लगाएं…

नारियल तेल

नारियल के तेल में माइक्रोबियल और एंटीफंगल तत्व होते है। बरसों से नारियल तेल का इस्तेमाल स्किन से जुड़ी समस्याओं में ही नहीं बल्कि दाद के इलाज में भी किया जाता रहा है। तो इस्तेमाल से पहले इसे हल्का गर्म कर लें और फिर प्रभावित जगह पर लगाएं। दिन में दो से तीन बार यूज करें…

नीम

नीम का तेल हो या इसकी पत्तियां का पेस्ट, दोनों ही दाद खत्म करने का सटीक इलाज हैं। आधे चम्मच नीम के पत्ते के पाउडर में एक चम्मच गर्म पानी मिलाकर पेस्ट बना लीजिए और इसे दाद पर लगाएं….

लहसुन

लहसुन में एंटीफंगल गुण मौजूद होता है जो फंगल इंफेक्शन दूर करने में मदद करता है। लहसुन की दो से तीन कलियों का पेस्ट बनाएं। इसमें थोड़ा शहद और ऑलिव ऑयल भी मिला लें और दाद पर लगाएं। बेहद असरदार है ये नुस्खा...
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आज का हिन्दू पंचांग - 23 मई 2023

आज का हिन्दू पंचांग - 23 मई 2023

*दिनांक - 23मई 2023*
दिन        मंगलवार 
तिथि - शुक्ल चतुर्थी
नक्षत्र    पुनर्वसु
करण   विष्टि
पक्ष   शुक्ल पक्ष
योग गंड till 41:19:19
दिन        मंगलवार 

सूर्य एवं चन्द्र गणना
सूर्योदय - सूर्यास्त       5:27:30 -19:0:46
चंद्र उदय - चन्द्रास्त    8:9:35 - 22:37:21
चंद्र राशि     मिथुन
ऋतु              ग्रीष्म

हिन्दू मास एवं वर्ष
शक संवत्          1945
विक्रम संवत्       2080
माह-अमान्ता        ज्येष्ठ
माह-पुर्निमान्ता     ज्येष्ठ
अशुभ मुहूर्त
राहु कालं          5:37:27 to 17:19:06
यंमघन्त कालं    08:50:49 to 10:32:28
गुलिकालं     12:14:08 to 13:55:47

शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त  11:47 to 12:41

लकड़हारा और उसकी कुल्हाड़ी : Hindi Story of the Day

लकड़हारा और उसकी कुल्हाड़ी :- सोचने और आराम करने के लिए समय निकालें

एक बार की बात है, एक गाँव में एक लकड़हारा रहता था। लकड़हारा एक लकड़ी व्यापारी के पास नौकरी के लिए गया और उसे वह मिल गया। उनका वेतन अच्छा था और काम करने की स्थिति भी अच्छी थी और इस वजह से लकड़हारे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहते थे।

अब काम के पहले दिन उसके बॉस ने उसे एक कुल्हाड़ी दी और उसे वह क्षेत्र दिखाया जहाँ लकड़हारे को काम करना था।

काम के पहले दिन शाम को एक लकड़हारे ने 18 पेड़ खरीदे। उनके बॉस ने उन्हें उनके काम के लिए बधाई दी और कहा, "जाओ .."

अपने बॉस के शब्दों से प्रेरित होकर, लकड़हारे ने पहले से अधिक मेहनत की लेकिन फिर भी केवल 16 बाल ही ला सका। अगले दिन उसने और भी मेहनत की लेकिन फिर से केवल 13 बाल ही ला सका।

दिन-ब-दिन वह बहुत कोशिश करने के बाद भी कम पेड़ ला रहा था। इससे लकड़हारे को बहुत दुख हुआ।

लकड़हारे ने सोचा कि शायद उसकी ताकत कम हो रही है इसलिए वह अपने मालिक के पास गया और सब कुछ समझाया और माफी मांगते हुए कहा, "मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि क्या हो रहा है.."

उसके मालिक ने समस्या को समझा और पूछा, "आखिरी बार तुमने अपनी कुल्हाड़ी की धार कब तेज की थी?"

लकड़हारे ने उत्तर दिया, "तीखी कुल्हाड़ी ?? मेरे पास ऐसा करने का समय नहीं था क्योंकि मैं पेड़ों को काटने में बहुत व्यस्त था।"

Moral: हमारा जीवन एक जैसा है। हम हर चीज में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हमें आत्मनिरीक्षण करने का समय ही नहीं मिलता। गतिविधियों और कड़ी मेहनत में कुछ भी गलत नहीं है लेकिन इसके कारण हम उपेक्षा करते हैं कि क्या अधिक महत्वपूर्ण है।

सीखने और बढ़ने के लिए हम सभी को आराम करने और सोचने और ध्यान लगाने के लिए समय चाहिए। अगर हम अपने लिए इतना समय नहीं निकालेंगे तो हम सुस्त हो जाएंगे और अपनी प्रभावशीलता खो देंगे।

Brother’s Conflict : Story of the Day

Brother's Conflict over small thing...

Once in village lived two brothers who used to live on adjoining farms for last 40 years. For all these years they lived happily side by side farming, sharing machinery and trading labor and good as per need.

Once they both got into conflict which started with a small misunderstanding and grew into major difference between them. Their collaboration felt apart. It grew so serious that both started to use bitter words for each other and this ended with silence between them. Both stopped just any kind of communication between them.

One day someone knocked on elder brother Jamie's door. When he opened the door he found a person with carpenter's toolbox.

Person said to Jamie, "I am looking for some work. Perhaps you would have some small jobs. If you have any small job may be i can help you do it..?"

Older brother thought for a while and said, "Yes, I do have job for you."

He pointed toward the creek in the farm and said, "That's my neighbor, My younger brother. Last week there was a meadow but he took his bulldozer and now there is creek between us. Now i want you to build a fence so that i don't have to see his place anymore."

Carpenter agreed and said, "I think i understand. Please how me nails and other things i need so that i will be able to do a job that please you."

Older brother had to go to town for some work so he helped carpenter to get material ready and complete work till he come back from town.

After sunset when older brother returned but there was no fence but he could see a bridge streching from one side to another of creek. It was beautiful bridge. A fine piece of work handrail and older brother's neighbor was coming across, his hand outstretched.

Younger brother said to his older brother, "After all i have said and done you still build this brigde.!! " Both stood at each end and then they both met in middle taking each others hand. As soon as they turned to see carpenter, he waved at them.

Seeing him leaving both shouted, "No, wait we have lots more work for you. Please stay."
Carpenter replied, "I would love to stay but i have many more bridges to build.."

Moral: We fight over small things and these become big with time. Instead of making conflicts big we should look for solutions. Sometimes we just need a new outlook and Understand what's more important.

बूढ़ा आदमी और उसका बेटा ( Old man and Son ): Hindi Story of the Day

बूढ़ा आदमी और उसका बेटा: शैली और सम्मान

एक बार रहने वाला एक बूढ़ा व्यक्ति जो एक छोटे से गाँव में रहता था जिसे उसके बेटे ने मुंबई आने का निमंत्रण दिया था जो वहाँ पत्नी और बेटे के साथ रहने वाला एक सफल व्यवसायी था।

बूढ़ा आदमी शहर जाने से थोड़ा डरा हुआ था क्योंकि उसने अपना अधिकांश जीवन गाँव में अपने जन्मस्थान पर बिताया था। वह केवल अपनी स्थानीय भाषा जानता था और हिंदी या अंग्रेजी को ज्यादा नहीं समझता था। साथ ही बूढ़े आदमी को धोती कुर्ता जैसे पारंपरिक कपड़े पहनने की आदत थी।

फिर भी वह खुश था कि उसे अपने बेटे और परिवार के साथ कुछ दिन बिताने का मौका मिलेगा। उसने मन ही मन सोचा, "ठीक है। मैं अपने बेटे के साथ सबसे अच्छा समय बिताऊंगा।"

तय दिन बूढ़ा आदमी मुंबई आया। उनके बेटे ने उनका स्वागत किया और अपने पिता की यात्रा को लेकर बहुत उत्साहित थे। बेटा और उसकी पत्नी उसे शहर के चारों ओर दिखाना चाहते थे। उसका बेटा उसे सबसे नज़दीकी जगह पर ले जाता और वहाँ वे अपनी मनपसंद शराब पीते। बेटा अपने पिता को विभिन्न स्थानों पर घुमाने ले जाता और सभी ने खूब मस्ती की।

बूढ़ा आदमी परिवार के साथ बहुत अच्छा समय बिता रहा था और बहुत खुश था। एक बूढ़े आदमी की यात्रा के अंतिम सप्ताह में, बेटे ने अपने पिता से कहा, "चलो यहाँ के सबसे अच्छे होटल में चलते हैं।"

बेटा और पिता होटल गए। उन्होंने अपने पेय और कुछ स्नैक्स को अपने पेय के साथ संगत के रूप में ऑर्डर किया। बूढ़े का उस समय ड्रिंक्स के साथ खाने का मन नहीं कर रहा था तो जब वे जाने के लिए उठे तो बूढ़े ने बस एक मुट्ठी चना लिया और उसे धोती में लपेट कर रास्ते में खाने के लिए ले गया।

जब वे लॉबी में वापस आ रहे थे, बूढ़ा व्यक्ति लड़खड़ा गया और सारे चने आलीशान कालीन पर गिर गए। जैसे ही पिता गिरने वाले थे, उन्होंने उनका साथ दिया और उन्हें गिरने से बचाया।

धीरे से उसने अपने पिता को अपने पैरों पर वापस आने में मदद की और चिढ़ने के बजाय वह खुश हो गया और अपने पिता के साथ हंसी-मजाक किया कि क्या हुआ और वापस जाते समय उन्होंने उस होटल में वापस आने का फैसला किया क्योंकि पिता को वहां पसंद आया।

कुछ दिनों बाद वह अपने दोस्तों की पार्टी में गया और इस घटना को साझा किया और वे सभी इस पर हंस पड़े।

दोस्तों में से एक ने पूछा, "क्या आप शर्मिंदा नहीं थे?"

उन्हें जवाब दिया जाता है, "मुझे क्यों शर्मिंदा होना चाहिए ?? वह मेरे पिता है। वह अपनी मातृभाषा में बात करना पसंद करते हैं और महंगे होटल में धोती पहनना पसंद करते हैं और चना बाद में खाते हैं...तो क्या हुआ?"

उन्होंने आगे कहा, "क्या मुझे उसके स्वभाव और आदतों के कारण शर्मिंदगी महसूस करनी चाहिए?? जब तक वह दूसरों को नुकसान नहीं पहुँचा रहा है, तब तक उसे वह करने की अनुमति दी जानी चाहिए जो वह सहज महसूस करता है।

उस समय मुझे इस बात की परवाह नहीं थी कि वहां के लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे या होटल के कर्मचारी उसके बारे में क्या सोचेंगे, लेकिन चिंता तो मेरे पिता की खुशी की थी।

Moral: हमें दूसरे व्यक्ति की जीवन शैली को समझना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए। हमें अपने बड़ों के काम करने के तरीकों से शर्मिंदा नहीं होना चाहिए।

Old Man and his Son: Story of the Day

Old Man and his Son : Respect and understanding

Once an old man living who used to live in small village who was invited by his son to visit Mumbai who was a successful businessman living with wife and son there.

Old man was bit scared to go to city as he had spent most of his life at his birthplace in village. He only knew his local language and wouldn't understand Hindi or English much. Also Old man was habitual to wearing traditional clothes like dhoti kurta.

Yet he was happy that he would get to spend few days with his son and family. He thought to himself, "It's OK. I will spend best time with my son."

On decided day old man came to Mumbai. His son received him and was very much excited about his father visit. Son and his wife wanted to show him around city. His son would take him out to nearest place and there they would have their favorite drinks. Son would take his father to visit various places and all had lots of fun.

Old man had very good time with family and was very happy. In last week of old man's visit, son said to his father, "Let's go to best hotel here."

Son and father went to hotel. They ordered their drinks and some snacks as accompaniments with their drinks. Old man wasn't feeling like eating with drinks at that time so when they got up to leave, old man simply took a handful of chana and stuffed it in fold of his dhoti to eat them on his way.

While their way back in the lobby, old man stumbled and down went all the chana on the plush carpet. As father was going to fall, son supported him and saved him from falling.

Gently he helped his father to get back on his feet and instead of feeling irritated he was amused and laughed with his father about what happened and on their way back they decided to come back at that hotel as father liked it there.

A few days later he went to his friends party and shared this incident and they all laughed it off.

One of friends asked, "Weren't you embarrassed?"

Son replied, "Why should i be embarrassed?? He is my father. He is a person who loves to talk in his native language and prefer to wear dhoti to posh hotel and takes chana to eat later… so what?"

He continued, "Should i feel embarrassed because of his nature and habits?? He should be allowed to do what ever he feels comfortable with as long as he is not harming others.

At that time i didn't cared about what people there would think about me or what hotel staff thought about that but only concern then was my father's happiness."

Moral: We should understand and have respect for other's person life style. We shouldn't we embarrassed of our elder's ways to do work.

आज का हिन्दू पंचांग - 22 मई 2023

आज का हिन्दू पंचांग - 22 मई 2023
*दिनांक - 22 मई 2023*
*दिन - सोमवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - तृतीया रात्रि 11:18 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*नक्षत्र - मृगशिरा सुबह 10:37 तक तत्पश्चात आर्द्रा*
*योग - धृति शाम 04:34 तक तत्पश्चात शूल*
*राहु काल - सुबह 07:36 से 09:16 तक*
*सूर्योदय - 05:56*
*सूर्यास्त - 07:17*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:14 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 12:58 तक*
*व्रत पर्व विवरण - रम्भा तृतीया, महाराणा प्रताप जयंती, वीर छत्रसाल जयंती*
*विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*गर्मी के प्रभाव से सुरक्षा हेतु – प्रकृति के उपहार*

*नारियल पानी :-  नारियल का पानी पित्तशामक, स्वादिष्ट, स्निग्ध और ताजगी प्रदान करनेवाला है । यह प्यास को शांत कर ग्रीष्म ऋतू की उष्णता से सुरक्षा करता है । अत: गर्मियों में नारियल पानी का सेवन विशेष लाभदायी हैं ।*

*लू लगने पर नारियल पानी के साथ काला जीरा पीस के शरीर पर लेप करने से लाभ होता है ।*

*प्रतिदिन नारियल खाने व नारियल पानी पीने से शारीरिक शक्ति का विकास होता है, वीर्य की तेजी से वृद्धि होती है । ( अष्टमी को नारियल न खायें । )*

*मूत्र में जलन होने पर पिसा हरा धनिया तथा मिश्री नारियल पानी में मिला के पीने से जलन दूर होती है ।*

*खीरा : -  खीरा शरीर को शीतलता प्रदान करता है । इसमें बड़ी मात्रा में पानी और खनिज तत्त्व पाये जाते हैं ।*
*अत: इसके सेवन से शरीर में खनिज तत्त्वों का संतुलन बना रहता हैं । यह मूत्र की जलन शांत करता है एवं यकृत ( लीवर ) के लिए भी हितकारी है । खीरा भूख बढाने के साथ ही आँतों को सक्रिय करता हैं ।*

* अधिक पढने – लिखने, चित्रकला, संगणक व सिलाई का काम करने से आँखों में थकावट होने पर खीरे के दुकड़े काटकर आँखों पर रखें । इससे उनको आराम मिलता है तथा थकावट दूर होती है ।*

*नींबू  और खीरे का रस मिलाकर लगाने से धूप से झुलसी हुई त्वचा ठीक होती है ।*

*तरबूज : ग्रीष्म ऋतू में प्यास की अधिकता से मुक्ति दिलाता है तरबूज । इसके सेवन से शरीर में लू का प्रकोप कम होता है और बेचैनी से रक्षा होती है ।*

* तरबूज के रस में सेंधा नमक और नींबू का रस मिलाकर पीने से लू से सुरक्षा होती है ।*

* गर्मी के प्रकोप से मूत्रावरोध होने पर तरबूज का रस पिलाने से मूत्र शीघ्र निष्कासित होता है ।*

* तरबूज के छोटे – छोटे टुकड़ों पर थोडा – सा  जीरा चूर्ण और मिश्री डाल के सेवन करने से शरीर की उष्णता दूर होती है ।*

*धनिया : - धनिया ग्रीष्म ऋतू में अधिक प्यास के प्रकोप को शांत करता है ।*

*१० ग्राम सूखा धनिया व ५ ग्राम आँवला चूर्ण रात को मिटटी के पात्र में  १ गिलास पानी में भिगो दें । प्रात: मसलकर मिश्री मिला के छान के पियें । यह गर्मी के कारण होनेवाले सिरदर्द व मूँह के छालों में हितकर हैं । धनिया पीसकर सिर पर लेप करने से भी आशातीत लाभ होगा । इससे पेशाब की जलन, गर्मी के कारण चक्कर आना तथा उलटी होना आदि समस्याएँ दूर होती हैं ।*

*📖स्त्रोत – लोककल्याण सेतु – अप्रैल  २०१६ से*

* सोमवार विशेष *

*कार्यों में सफलता-प्राप्ति हेतु*

*जो व्यक्ति बार-बार प्रयत्नों के बावजूद सफलता प्राप्त न कर पा रहा हो अथवा सफलता-प्राप्ति के प्रति पूर्णतया निराश हो चुका हो, उसे प्रत्येक सोमवार को पीपल वृक्ष के नीचे सायंकाल के समय एक दीपक जला के उस वृक्ष की ५ परिक्रमा करनी चाहिए । इस प्रयोग को कुछ ही दिनों तक सम्पन्न करनेवाले को उसके कार्यों में धीरे-धीरे सफलता प्राप्त होने लगती है ।*

*ऋषिप्रसाद – जनवरी २०२१ से*

*सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है ।*

*सोमवार को तथा दोपहर के बाद बिल्वपत्र न तोड़ें ।

हिरण और उसकी प्रथमिकता ( Deer and Her Priority) - Hindi Story of the Day

हिरण और उसकी प्रथमिकता - Hindi Story of the Day

घने जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने वाली थी। उसने इधर-उधर देखा और एक नदी के पास एक दूर घास का मैदान पाया। उसने इसे एक सुरक्षित जगह के रूप में सोचा और जैसे ही वह जाने वाली थी, उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई।

उसी क्षण, ऊपर काले बादल एकत्र हो गए और बिजली चमकी जिससे जंगल में आग लग गई। हिरण ने अपनी बाईं ओर देखा और देखा कि एक शिकारी धनुष के साथ उसकी ओर इशारा कर रहा है और उसके ठीक बाद जब उसने दाहिनी ओर देखा, तो उसे एक भूखा शेर दिखाई दिया, जो उसकी ओर आ रहा था।

अब हालात देख रहे हैं। गर्भवती हिरण क्या कर सकती है ?? उसे प्रसव पीड़ा हो रही है !!

अगर हम सवालों के बारे में सोचते हैं.. सोचते हैं कि क्या होगा ??
क्या हिरण बच पाएगा ?? क्या यह शावक को जन्म दे पायेगी ?? क्या शावक जीवित रहेगा?
सोना
क्या जंगल की आग से सब कुछ जल जाएगा ?? क्या वह शिकारी के तीर से मर जाएगी ?? क्या शेर उसके पास आकर खा जाएगा ??

गर्भवती हिरण को शिकारी और नेचर के बीच फस कर रह गयी थी. .. उसे क्या करना चाहिए???

बस हिरन ने सिर्फ एक नए जीवन को जन्म देने पर ध्यान दिया.. और एक स्वस्थ शावक का जन्म हुआ.. मां और बच्चा दोनों सुरक्षित थे.. लेकिन कैसे??

ऐसे हुआ घटना का क्रम..
बिजली कड़कती है और शिकारी को अंधा कर देती है। शिकारी का तीर उसी क्षण छूट गया और वह हिरण के पास से गुजरा और भूखे शेर पर जा गिरा।
ठीक उसी समय भारी बारिश होने लगी और बारिश से जंगल की आग बुझ गई।

हम देख सकते हैं कि उस समय हिरण की प्राथमिकता अपने बच्चे को जन्म देना थी। आराम उसके हाथ में नहीं था और अगर वह अपना ध्यान बदल लेती और परिस्थितियों से डरकर कोई कार्रवाई या प्रतिक्रिया देती तो मौत होने की संभावना होती।

नैतिक: हमारे जीवन में कई बार ऐसा समय आता है जब हम नकारात्मक विचारों और संभावनाओं के साथ हर तरफ से सामना करते हैं लेकिन फिर भी किसी भी तूफान के बीच में, हमें उस समय जो करना सबसे महत्वपूर्ण है उसे करने पर ध्यान देना चाहिए और हमेशा ईश्वर में अपना विश्वास रखना चाहिए .

@Story_oftheday

Listening to Sound of Silence : Story of the Day

Listening to Sound of Silence : Story of the Day

Once there was a farmer who lost his watch in barn. For farmer that lost watch had very deep sentimental value. So, he searched all over to find watch.

Even after searching all, among hay and corners of barn for long he couldn't find the watch. At last he gave up and asked the help of some children playing outside barn. He promised to reward them if they would find his lost watch.

After knowing that they can get reward, children hurried inside the barn to start searching. They went through all around and all the stacks of hay lying there but couldn't find the watch.

After trying for long children were not able to find that watch. They felt tired couldn't look for watch anymore so they left. After children left farmer was thinking to give up the thought of looking for watch. Same time a child came to him and asked farmer to give him another chance to find that lost watch.

Farmer looked at him and thought for while and said, "Why not..!! Sure you can try if you want."

So, farmer permitted the boy to go inside the barn. After sometime that boy came out with the watch in his hands.

Farmer was happy because he got his precious watch and kid was happy to get the reward.

Farmer was surprised to see that when all failed how that boy succeeded in finding that watch. So he asked boy, "How were you able to find watch?"

Boy replied, "I did nothing but just sat on the ground and listen. In the silence, i was able to hear the ticking of watch and searched in the direction of ticking sound."

Moral: Always allow your Mind to have few minutes Silence because a Peaceful mind can think Better than a Worked up Mind and Our soul always knows what to do to Heal itself.

आज का हिन्दू पंचांग - 21 मई 2023

आज का हिन्दू पंचांग - 21 मई 2023

*दिनांक - 21 मई 2023*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - द्वितीया रात्रि 10:09 तक तत्पश्चात तृतीया*
*नक्षत्र - रोहिणी सुबह 09:05 तक तत्पश्चात मृगशिरा*
*योग - सुकर्मा शाम 05:44 तक तत्पश्चात धृति*
*राहु काल - शाम 05:36 से 07:16 तक*
*सूर्योदय - 05:57*
*सूर्यास्त - 07:16*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:14 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 12:58 तक*
*व्रत पर्व विवरण -*
*विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*धन व विद्या प्रदायक मंत्र*

*श्रीहरि भगवान सदाशिव से कहते हैं : "हे रूद्र ! भगवान श्री गणेश का यह मंत्र 'ॐ गं गणपतये नम: ।' धन और विद्या प्रदान करनेवाला है । १०० बार इसका जप करनेवाला प्राणी अन्य लोगों का प्रिय बन जाता है ।"  (गरुड़ पुराण, आचार कांड, अध्याय:१८५ )*

*वह अन्य लोगों का प्रिय तो होगा किंतु ईश्वर का प्रिय होने के लिए जपे तो कितना अच्छा !*

*ऋषि प्रसाद – मार्च २०२०*

*गौमाता रोग-दोष निवारिणी*

*कमजोर बच्चों के लिए : अत्यधिक निर्बल, रोगी तथा सूखाग्रस्त बच्चों को गाय के थन से सीधे ही धार बच्चे के मुँह में डालें । प्रतिदिन दो-चार धार बच्चे के मुँह में डालने से बच्चे का स्वास्थ्य धीरे-धीरे ठीक होने लगेगा ।*

*निर्बल तथा रोगी व्यक्तियों को गाय के धारोष्ण दूध (तुरंत निकाला गया दूध) का झाग चाट चाटकर धीरे-धीरे पीना चाहिए । इस प्रकार मात्र २० मिलिलिटर दूध पीने से ही एक लिटर दूध के बराबर लाभ मिलता है ।*

*चक्कर आना तथा प्यास लगना : गोदुग्ध चक्कर आना, अधिक प्यास लगना, पुराना ज्वर, रक्त विकार आदि तकलीफों को दूर करता है तथा क्रोध को शांत करता है ।*

*आँख में चमक लगना या गर्मी के कारण आँख लाल होना : वैल्डिंग की चमक से या गर्मी के दिनों में तेज धूप से कभी-कभी आँखों में चमक लग जाती है, आँखें लाल हो जाती हैं तथा दर्द करने लगती हैं । इसके निवारण के लिए गाय के दूध में फिटकरी डालकर उसे उबालें ताकि दूध फट जाय । फटे दूध का छैना साफ-स्वच्छ रूई के फाहे पर रख लें । उस छैने को फाहेसहित आँखों पर बाँधकर आराम से लेट जायें । आँखें बहुत जल्दी ठीक हो जाएँगी ।*

*दुग्ध वर्जित : बासी दूध, ठंडा, खट्टा, दुर्गंधयुक्त, फटा, खराब रंग का दूध नहीं पीना चाहिए । कफ, खाँसी, अतिसार, श्वास और गैस के रोगी दूध का प्रयोग न करें । अगर करें तो बताई गई विधि और दवा के साथ ही प्रयोग करें ।*

* रविवार विशेष*

*रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

* रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

* रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

* रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

*रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

* स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*

* रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*

क्यों होता है घुटनों का दर्द (Knee Joint Pain )?? Health and Care

आपको पता है - क्यों होता है घुटनों का दर्द ??

जो व्यक्ति एक घुटना मोड़ता है उसका वही घुटना दर्द करता है और दूसरा ठीक रहता है. इसके अलावा दैनिक जीवन में चलने-फिरने, चढ़ाव चढ़ने, सैर करने, व्यायाम करने, व्यायाम करने से घुटनों के जोड़ों में स्थित कारटीलेज का क्षय होता है इसकी क्षतिपूर्ति रात्रि को घुटनों के सीधे रखने एवं रक्तसंचार सुचारू रूप से संभव है कारटीलेज में द्रव या कोलोजन रक्त प्रवाह के अभाव में आपस में जुड़ने लगती है. रोगी को खडे होने पर अपना वजन ढोना और चलते समय संतुलन बनाना मुश्किल लगता है. हड्डियां आपस में टकराकर टेढ़ी होने लगती हैं. रोगियों को घुटनों पर नीकैप या क्रेप बैंडेज बांधकर रात्रि सोने की सलाह दी जाती है. घुटनों के अधिक दर्द में वज्रासन या पद्मासन वर्जित माना जाता है |

कारण
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* घुटने के दर्द की मुख्य वजह, खून में युरिक एसिड के लेविल का बढना है| इसे शरीर से बाहर निकालने के लिये रोगी को दो बातों का अनुसरण करना हितकर होता है -

1- मौसम के मुताबिक तीन से छ: लिटर पानी पीने की आदत बनानी चाहिये |

2- हरी सब्जी और फल या इनका जूस का सेवन |

दर्द के अन्य कारण
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* घुटने पर बार-बार दबाव से सूजन (जैसे लंबे समय के लिए घुटने के बल बैठना, घुटने का अधिक उपयोग करना अथवा घुटने में चोट) बरसाइटिस कहते हैं |

* आपके घुटने में सामने की ओर दर्द जो सीढ़ियों अथवा चढ़ाव पर चढ़ते और उतरते समय बढ़ जाता है. यह धावकों, और साइकिल चलाने वालों को होता है | टेन्टीनाइटिस घुटने के पीछे पानी के भरने से सूजन, साथ आथर्राइटिस जैसे अन्य कारणों से सूजन भी हो सकती है | यदि सिस्ट फट जाती है तो आपके घुटने के पीछे का दर्द नीचे आपकी पिंडली तक पहुंच सकता है |

* घिसा हुआ काटिर्लेज घुटने के जोड़ के अंदर की ओर अथवा बाहर की ओर दर्द पैदा कर सकता है |

* झटका लगना अथवा मोच- अचानक अथवा अप्राकृतिक ढंग से मुड़ जाने के कारण लिगमेंट में मामूली चोट |

* जोड़ में संक्रमण (इंनफेक्शन)

* घुटने की चोट- आपके घुटने में रक्त स्राव हो सकता है जिससे दर्द अधिक होता है |

घरेलू देखभाल
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1- आराम करें और ऐसे कार्यों से बचे जो दर्द बढ़ा देते हैं, विशेष रूप से वजन उठाने वाले कर्यों से बचें |

2- किसी भी प्रकार की सूजन को कम करने के लिए अपने घुटने को जहां तक संभव हो ऊपर उठा कर रखें |

3- कोई ऐसा बैंडेज अथवा एलास्टिक स्लीव पहनकर घुटने को धीरे धीरे दबाएं | (ये दोनों वस्तुएं लगभग सभी दवाइयों की दुकानों पर मिलती है) यह सूजन को कम कर सकता है और सहारा भी देता है (नी कैप की तरह)

4- अपने घुटनों के नीचे अथवा बीच में एक तकिया रखकर सोयें |

घुटनों के व्यायाम
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1- घुटनों का संचालन जंघा से पैर को दोनों हाथों से ऊपर उठाकर घुटने से पैर को आगे-पीछे दस पंद्रह बार चलाना |

2- वहीं पकडे़ हुए घुटने के निचले हिस्से से गोल घुमाना 10-10 बार सीधे-उलटे |

3- पैर लंबे करके बैठें और टखनों को आगे-पीछे दस बार चलाना और सीधे-उलटे घुमाना |

4- घुटनों की कटोरियां की मांसपेशियों को खींचना और ढीला छोड़ना - 100 बार |

5- अधिक दर्द न हो तो गद्दे पर 5 मिनट पद्मासन या वज्रासन करें |

6- पेट के बल लेटकर मकरासन की स्थिति बनाकर एक पैर का घुटना मोड़कर ऊपर हिस्से को गोल 10-10 बार सीधे-उलटे घुमाएं |

7- पीठ के बल लेटकर एक-एक पैर बिना घुटने से मोड़े 90 डिग्री पर उठाने का प्रयत्न करें पांच-पांच बार एक-एक पैर उठाएं |

यौगिक साइकिलिंग-
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1- पीठ के बल लेटकर एक-एक पैर को साइकिल जैसे चलाएं. अभ्यस्त हो जाने पर दोनों पैरों से लेटे-लेटे साइकिलिंग सीधे-उलटे 25 से 50 बार करें, उपरांत शवासन करें |

2- सवेरे भूखे पेट तीन चार अखरोट की गिरियां निकालकर कुछ दिन खाने मात्र से घुटन का दर्द समाप्त हो जाता है |

किसान और‌ उनकी आदत (Farmer and Habbit) की खेती : Hindi Story of the Day

किसान और‌ उनकी आदत (Farmer and Habbit) की  खेती

एक बार एक किसान था जो अपने खेतों में उत्तम किस्म का मक्का उगाता था। वह हमेशा क्षेत्र में सबसे अच्छी उगाई जाने वाली मकई के लिए पुरस्कार जीतता था।

एक दिन एक न्यूज रिपोर्टर किसान का इंटरव्यू लेने गया और उससे उसकी जीत का राज पूछा। इसलिए, उन्होंने अपने काम के बारे में शोध किया और पता चला कि किसान अपने सबसे अच्छे उगाए गए बीजों को अपने पड़ोसियों के साथ साझा करता था।

तो जब इंटरव्यू शुरू हुआ तो रिपोर्टर ने सवाल किया, "सर, आप अपने पड़ोसियों के साथ सबसे अच्छे बीज क्यों साझा करते हैं, यह जानते हुए कि वे भी आपके खिलाफ प्रतियोगिता में शामिल होने जा रहे हैं। क्या आपके लिए प्रतियोगिता जीतना कठिन नहीं हो जाएगा?"

किसान ने उत्तर दिया, "क्या आप नहीं जानते कि हवा पके हुए मकई से पराग उठाती है और उसे एक खेत से दूसरे खेत में घुमाती है। यदि मेरे पड़ोसी कम गुणवत्ता की मकई उगाते हैं तो क्रॉस परागण से मेरी मकई की गुणवत्ता ख़राब हो जाएगी। इसलिए, अगर मुझे अच्छा मक्का उगाना है तो मुझे अपने पड़ोसी को अच्छा मक्का उगाने में मदद करनी चाहिए।"

Moral: सार्थक और सुखी जीवन जीने के लिए हमें दूसरों के जीवन को समृद्ध बनाने में मदद करनी चाहिए। सच्ची खुशी तब मिलती है जब हम दूसरों के साथ बांटते हैं।
दूसरों की मदद करने का मतलब है खुद की मदद करना..

Deer's Faith in GOD: Story of the Day

Deer's Faith in GOD: Story of the Day

Deep inside forest, A pregnant deer was about to give birth. She looked here and there and found a remote grass field near a river. She thought of it as a safe place and just the time she was about to go that way her labor pain begin..

Same moment, dark clouds gathered above and lightning occurred which started the forest fire. Deer looked to its left and saw a hunter approaching her with a bow pointed at her and just after that when she looked toward right side, she spots a hungry lion which was also approaching her..

Now looking at circumstances. What can pregnant deer do?? She is in labor pain!!

If we think of questions.. lets think what will happen??
Will Deer survive?? Will it be able to give birth to fawn?? Will fawn survive?
Or
Will everything be burnt by forest fire?? Will she die of hunter's arrow?? Will she be ate by Lion approaching her??

Pregnant deer was boxed in by nature and is predators.. What should she do???

Just than deer just focused on giving birth to a new life.. A Healthy fawn was born.. Both mother and child were safe.. But how??

This is how sequence of event happened..
Lightning strikes and blind the Hunter. Hunter arrow was released at same moment and it zip past the deer and strikes the hungry lion.
Just same time it started to rain heavily and forest fire was stopped by the rain.

We can see that deer priority in that moment was to give birth to its baby. Rest was not in her hand and even if she would have changed her focus and gave any action or reaction getting scared to circumstances could have likely to result in death.

Moral: In our Life there are time when we are confronted on all sides with Negative thoughts and Possibilities but still In midst of any Storm, we should Focus on doing what's most important to do at that time and Should always keep our Faith in GOD.

नीलम संजीव रेड्डी (Neelam Sanjeev Reddy) - 19 मई, 1913

नीलम संजीव रेड्डी - 19 मई, 1913

नीलम संजीव रेड्डी का जन्म 19 मई, 1913 को आंध्र प्रदेश के अनंतपुर ज़िले के इल्लुर ग्राम में हुआ।

नीलम संजीव रेड्डी की प्राथमिक शिक्षा 'थियोसोफिकल हाई स्कूल' अडयार, मद्रास में हुई तथा आगे की शिक्षा आर्ट्स कॉलेज, अनंतपुर में हुई।

महात्मा गाँधी के आह्वान पर जब लाखों युवा पढ़ाई और नौकरी का त्याग कर स्वाधीनता संग्राम में जुड़ रहे थे, तभी नीलम संजीव रेड्डी मात्र 18 वर्ष की उम्र में ही इस आंदोलन में कूद पड़े थे।

संजीव रेड्डी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी भाग लिया था।

रेड्डी वर्ष 1936 में आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति के सामान्य सचिव निर्वाचित हुए और इस पद पर 10 वर्ष से अधिक समय गुजारा।

नीलम संजीव रेड्डी संयुक्त मद्रास राज्य में कुमारास्वामी राजा के मंत्रिमंडल में आवासीय वन एवं मद्य निषेध मंत्रालय के कार्यों का भी सम्पादन करते थे।

वर्ष 1951 में इन्होंने आंध्र प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष पद के चुनाव में भाग लेने हेतु मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया तथा प्रोफेसर एन.जी. रंगा को हराकर अध्यक्ष निर्वाचित हुए।

वर्ष 1956 में जब राज्यों के पुनर्गठन का कार्य किया गया तो नीलम संजीव रेड्डी आंध्र प्रदेश के 'प्रथम मुख्यमंत्री' बने।

9 जून, 1964 को रेड्डी राष्ट्रीय राजनीति में आए और प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने इन्हें केन्द्र में स्टील एवं खान मंत्रालय प्रदान किया।

वर्ष 1964 में रेड्डी राज्यसभा के लिए मनोतीत हुए और वर्ष 1967 तक इसके सदस्य बने रहे।

जनवरी, 1966 से मार्च, 1967 तक वह प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी के मंत्रिमंडल में रहे। इन्होंने यातायात, जहाजरानी, नागरिक उड्डयन एवं टूरिज्म का कार्य कैबिनेट मंत्री के रूप में देखा।

वर्ष 1971 में जब लोकसभा के चुनाव आहूत हुए तो नीलम संजीव रेड्डी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे लेकिन इन्हें हार का सामना करना पड़ा।

जनवरी, 1977 में यह जनता पार्टी की कार्य समिति के सदस्य बनाए गए और छठवीं लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी की ओर से आंध्र प्रदेश की नंड्याल सीट से उन्होंने अपना नामांकन पत्र भरा। जब चुनाव के नतीजे आए तो वह आंध्र प्रदेश से अकेले गैर-कांग्रेसी उम्मीदवार थे, जो विजयी हुए थे।

नीलम संजीव रेड्डी को वर्ष 1958 में वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, त्रिमूर्ति द्वारा सम्मानार्थ डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की गई।

रेड्डी 25 जुलाई, 1977 को भारत के निर्विरोध राष्ट्रपति निर्वाचित हुए तथा तथा 25 जुलाई, 1982 को अपना कार्यकाल पूरा करने के पश्चात् नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति पद के दायित्व से मुक्त हो गए।

1 जून, 1996 को इनका निधन हो गया।

आज का हिन्दू पंचांग - 20 मई 2023

आज का हिन्दू पंचांग - 20 मई 2023

*दिनांक - 20 मई 2023*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - प्रतिपदा रात्रि 09:30 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*नक्षत्र - कृतिका सुबह 08:03 तक तत्पश्चात रोहिणी*
*योग - अतिगण्ड शाम 05:18 तक तत्पश्चात सुकर्मा*
*राहु काल - सुबह 09:17 से 10:56 तक*
*सूर्योदय - 05:57*
*सूर्यास्त - 07:16*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:31 से 05:14 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 12:57 तक*
*व्रत पर्व विवरण - गंगा दशहरा प्रारंभ, चन्द्र-दर्शन (शाम 07:16 से 08:03 तक)*
*विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*गंगा दशहरा प्रारंभ - 20 मई 2023*

* जो गंगास्नान न कर पायें, वे 3 ढक्कन गंगाजल बाल्टी में डालकर गंगाजी की भावना करते हुए स्नान करें और शाम को गंगाजी के निमित्त दीपदान करें ।*

* गंगा स्नान का फल *

* "जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है ।" (पद्म पुराण , उत्तर खंड)*

*- लोक कल्याण सेतु - दिसंबर 2012*

*गंगा स्नान का मंत्र*

*गंगा स्नान के लिए रोज हरिद्वार तो जा नहीं सकते, घर में ही गंगा स्नान का पुण्य पाने के लिए एक छोटा सा मन्त्र है..*

*ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा*

*ये मन्त्र बोलते हुए स्नान करें तो गंगा स्नान का लाभ होता है । गंगा दशहरा के दिन इसका लाभ जरुर लें...*

* गंगाजी का मूल मंत्र *

* वेद व्यासजी कहते थे कि गंगाजी का एक गोपनीय मंत्र है । और वो गंगाजी का मूल मंत्र एक बार भी जप करो तो तुम निष्पाप होने लगोगे ।*

*गंगाजी का मंत्र - ॐ नमो गंगायै विश्वरुपिणी नारायणी नमो नम: ।*

* जीभ तालू में लगाओ और मन में खाली एक बार बोलो । एक बार जपने से आप का मन पवित्र हो जायेगा । गंगा मैया !! आप विश्वरुपिनी हो, नर नारायण स्वरूपी हो, गंगामाई तुमको नमस्कार !!*

* शनिवार के दिन विशेष प्रयोग *

* शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

* हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*आर्थिक कष्ट निवारण हेतु*

*एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*

* ऋषि प्रसाद - मई 2018 से*

*अकाल मृत्यु व घर में बार बार मृत्यु होने पर🔹*

*जिसे मौत का भय होता है या घर में मौतें बार-बार होती हों, तो शनिवार को "ॐ नमः शिवाय" का जप करें और पीपल को दोनों हाथों से स्पर्श करें । खाली १०८ बार जप करें तो दीर्घायुष्य का धनी होगा । अकाल मृत्यु व एक्सिडेंट आदि नहीं होगा । ऐसा १० शनिवार या २५ शनिवार करें, नहीं तो कम से कम ७ शनिवार तो जरूर करें ।*