7 सितंबर (sep) 2025 का चंद्र ग्रहण: जानें राशियों पर असर और सूतक काल के नियम

साल का आखिरी चंद्र ग्रहण: क्या सावधानियां बरतनी चाहिए और कौन सा दान है शुभ?

इसको और बेहतर ढंग से समझने के लिए, नीचे दिए गए वीडियो को देखना न भूलें।


चंद्र ग्रहण: विशेष कार्यक्रम

ग्रहण का समय और अवधि

यह चंद्र ग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा के दिन लग रहा है और दिल्ली, मुंबई, कोलकाता समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में दिखाई देगा।

  1. प्रारंभ: 7 सितंबर, रात 9:58 बजे
  2. चरम स्थिति: रात 11:42 बजे
  3. समाप्ति: 8 सितंबर, रात 1:26 बजे
  4. कुल अवधि: 3 घंटे 28 मिनट

ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:19 बजे शुरू हो जाएगा और इसका समापन 8 सितंबर की रात 1:26 बजे होगा।

आप सभी का स्वागत है। आज हम बात करने जा रहे हैं आसमान में घटने जा रही अनोखी खगोलीय घटना की, उस चंद्र ग्रहण की जो रविवार 7 सितंबर को लगने जा रहा है। ये चंद्र ग्रहण इसलिए खास है क्योंकि एक तो यह इस साल 2025 का अंतिम चंद्र ग्रहण है। साथ ही दूसरी अहम बात यह है कि यह चंद्र ग्रहण भारत में भी देखा जाएगा।

तो देखिए भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में इसका दीदार हो सकेगा। हालांकि हम पहले ही आपको आगाह कर दे रहे हैं कि चंद्र ग्रहण हो या सूर्य ग्रहण किसी भी ऐसी खगोलीय घटना को सीधे खुली आंखों से नहीं देखना चाहिए। माना जाता है कि इस दौरान कुछ ऐसी किरणें धरती पर आती हैं जो नुकसान पहुंचा सकती हैं। हालांकि खगोलीय शास्त्री इस तरह के ग्रहणों के देखने के लिए खास तरीके के इस्तेमाल की सलाह देते हैं।

बहरहाल, इस बार का चंद्र ग्रहण कई मायनों में बेहद खास माना जा रहा है। क्योंकि इस दौरान कई अद्भुत और दुर्लभ योग बनने जा रहे हैं। जिनके बारे में हम ज्योतिष शास्त्री मेहमानों से भी चर्चा करेंगे और यह भी जानेंगे कि यह चंद्र ग्रहण किन लोगों के लिए शुभ होगा। किन लोगों को इस दौरान खास सावधानी बरतनी चाहिए? किन राशियों पर इसका क्या असर पड़ेगा और चंद्र ग्रहण के बाद किन चीजों के दान से आपका कल्याण होगा। क्योंकि चंद्र ग्रहण खगोलीय घटना तो है लेकिन ग्रहों की चाल से इसका रिश्ता है तो इस पर खास बातचीत करेंगे।

7 सितंबर यानी कि रविवार का दिन बेहद ही खास रहने वाला है क्योंकि इस दिन भारत समेत पूरी दुनिया चंद्र ग्रहण के रूप में इस विशेष खगोलीय घटना की साक्षी बनने जा रही है। इस दिन इस साल का अंतिम चंद्र ग्रहण लगेगा। भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन लगने वाला यह पूर्ण चंद्र ग्रहण दिल्ली, मुंबई, कोलकाता समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में दिखाई देने वाला है।

दो दिन बाद साल का सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। 7 सितंबर यानी रविवार को चंद्र ग्रहण के दौरान पितृ पक्ष और भाद्रपद पूर्णिमा का संयोग भी बन रहा है। साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण 7 सितंबर की रात 9:58 से रात 1:26 तक रहेगा। ग्रहण की कुल अवधि 3 घंटे 28 की रहेगी। रात 11:42 पर ग्रहण चरम स्थिति में होगा। हालांकि चंद्र ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:19 पर शुरू हो जाएगा और सूतक का समापन 8 सितंबर की रात 1:26 पर होगा।

वैज्ञानिक नजरिए से समझें तो चंद्र ग्रहण उस खगोलीय स्थिति को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी छाया में आ जाता है। ऐसा तभी होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में हों। जब पृथ्वी की पूरी छाया चंद्रमा को ढक लेती है तो चंद्रमा गहरा लाल रंग का दिखाई देता है। इस अवस्था को ब्लड मून कहा जाता है।

बहरहाल भारत के अलावा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका, फिजी और अंटार्कटिका जैसे दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई देगा। सनातन परंपरा में ग्रहण के दौरान दान का विशेष महत्व है। जानकारों के अनुसार चंद्र ग्रहण के दौरान दूध, दही, चीनी और चांदी जैसी सफेद चीजें दान करना लाभकारी रहेगा।

चंद्र ग्रहण के कई मायने निकाले जा रहे हैं जो कि बेहद ही खास माना जा रहा है। इस दौरान कई अद्भुत और दुर्लभ योग भी बन रहे हैं।

क्या योग बन रहे हैं इस दौरान? 

देखिए चंद्र ग्रहण जो इस बार पड़ रहा है 7 तारीख को यानी रविवार के दिन तो उस दिन जो है पूर्णिमा का श्राद्ध भी है यानी पितृ पक्ष भी शुरू हो रहे हैं। उसी दिन यह ग्रहण भी प्रारंभ हो रहा है। जो सूतक काल है, सूतक काल 12 बजके जो है 56 से शुरू हो जाएगा आपका। तो पहले तो मैं यह बता दूं कि यह चंद्र ग्रहण जो है कुंभ राशि में लग रहा है। शनि की मूल त्रिकोण राशि है। पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में लग रहा है। तो जिनका पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र है कुंभ राशि है उनके लिए यह ग्रहण जो है हानिकारक रहेगा। आगामी लगभग जो है 15 दिन तक विशेष और वैसे लगभग जो है सवा महीने तक। एक तो यह है। दूसरा यह है कि जिनका पूर्णिमा का श्राद्ध है उनको भी काफी इस चीज की चिंता होगी कि हम कैसे किस तरह से करें। तो जिनका पूर्णिमा का श्राद्ध है वो 12 बजे से पहले पहले करने की कोशिश करें। मैक्सिमम यदि जाते हैं तो 12:30 इससे पहले अपना वो श्राद्ध कर लें और यदि पूर्णिमा के दिन श्राद्ध नहीं कर पाते हैं तो फिर वो अमावस्या को अपने जो है पितृ गणों का श्राद्ध करें।

यह तो यह बता दिया। ग्रहण के विषय में बताते हैं कि ग्रहण आपका जो सूतक काल है 12:56 पे शुरू हो जाएगा दिन में और इसकी समाप्ति काल यानी मोक्ष काल जाकर के रात्रि में 1:30 बजे है। 1:29 या 28 तक और स्थानिक पंचांगों के अनुसार अलग-अलग है। जो मेन इसका ग्रहण का जो जिसको कहें कि समय शुरू होगा ग्रहण काल वो आपका 9:58 से शुरू हो के और 1:29 तक रहेगा। लगभग 3 घंटे यह ग्रहण काल रहेगा। तो जो ग्रहण होता है वह ग्रहण हमारे परम तपस्या के लिए होता है। परम सिद्धि के लिए होता है। जो आप जो है कई कई वर्षों तक किसी मंत्र का जाप करते हैं और वह जाप आपका यानी वह मंत्र आपका जो है सिद्ध नहीं हो पाता है। उस जाप से बहुत ज्यादा आपको जो फल नहीं मिल पाता है। वह मात्र इस तीन सा घंटे की तपस्या यानी जाप में आप उस चीज को प्राप्त कर सकते हो।

ग्रहण काल के टाइम आपको मूर्ति स्पर्श नहीं करना है। अपने मंदिर को बंद रखना है। लेकिन आप जो है ग्रहण काल के समय सोएं नहीं। ग्रहण से पूर्व स्नान। ग्रहण के बाद वस्त्र सहित स्नान जो आपने वस्त्र पहन रखे हैं उसके सहित स्नान और ग्रहण के मध्य में कोई स्नान नहीं होता है। ग्रहण के मध्य में सिर्फ जो है जब से शुरू होता है और मोक्ष काल तक आप जाप पाठ आदि सब कर सकते हो। और यह विशेष है किनको क्या नहीं करना है? जो गर्भणी स्त्री हैं उनको ज्यादा देर तक जो है आंखें बंद करके नहीं बैठना है। एक चीज का यह ध्यान देंगी। दूसरा उनको किसी भी छुरीदार जो है छुरीदार जो नुकले किसी प्रकार का भी जो जैसे चाकू है, छुरी है आदि आदि चीजें हैं तो उनसे कोई भी जो है फल आदि सब्जी नहीं काटनी है।

एक बात की सूतक काल के बारे में। हिंदू धर्म में सूतक काल की महत्ता जरा समझना चाहेंगे।

देखो जब भी कोई ग्रहण लगता है सबसे पहले जीएनटी के सभी दर्शकों को नमस्कार। आप सबको भी नमस्कार। आचार्य जी को भी नमस्कार। कहा जाता है कि जो सूतक काल होता है कहते हैं कि जब चंद्र ग्रहण होता है तो उसमें 9 घंटे पहले जो है ग्रहण का सूतक काल लग जाता है। सूतक का अर्थ है कि जब कोई भी छाया कहते हैं कि राहु केतु और राहु का और केतु का क्या है कि इन दोनों को जब समुद्र मंथन हुआ था तो भगवान विष्णु ने जब ये अमृतपान कर रहे थे तो दोनों राक्षसों को धड़ से अलग कर दिया था। तो 9 घंटे पहले से ही जो है सूतक लग जाता है। उसमें आपको अपने मंदिर के कपाट जिस प्रकार से आचार्य जी ने बताया बंद कर देना चाहिए। अपना जो भी भोजन आपने बनाया हुआ है उसके अंदर कुशा रख दें। तुलसी रख दें जिससे कि उस ग्रहण पर भोजन को ढक करके रखें क्योंकि जिससे कि आपका भोजन जो है खराब ना हो।

और ग्रहण के सूतक काल के पश्चात जो है भोजन नहीं करना चाहिए। अगर कोई बीमार है, बच्चा है तो वह कर सकते हैं। पर जो स्वस्थ है उसको जो है भोजन इत्यादि ग्रहण काल में नहीं करना चाहिए। और सूतक के दौरान अगले दिन ही आप अपना मंदिर खोलें। क्योंकि जब सूतक लग जाएगा तो अगले दिन भगवान जी को भी स्नान करा करके और आप खुद भी स्नान कर करके जो है मंदिर को ओपन करें और उसके पश्चात जब सूतक के बाद में जब ग्रहण लगता है तो ग्रहण की ना कुछ अवस्थाएं होती हैं। उन अवस्थाओं को देखना बहुत जरूरी है। जैसे इस बार जो चंद्र ग्रहण लग रहा है वह लग रहा है उत्तर से पूर्व और पश्चिम से दक्षिण की तरफ लग रहा है।

तो इसमें क्या है ग्रहण का जो प्रारंभ होता है वो रात को 9:00 बज के और 57 पर होगा पर चंद्र उदय पहले ही हो जाएंगे तो उसके डेढ़ दो घंटे बाद में जो है ग्रहण प्रारंभ होगा तो ग्रहण के बाद में खग्रास प्रारंभ होता है रात को 11:01 से उसके बाद ग्रहण का जो मध्यकाल होता है वो रात को 11:42 पे रहेगा। खग्रास का समाप्त जो होगा रात को 12:23 पे होगा पर ग्रहण की जो समाप्ति होगी वह एक बज 26 पे ये ग्रहण जो है टोटल जो है 3 घंटे 28 मिनट और दो सेकंड का ग्रहण है।

तो इस ग्रहण में जो है कोई भी जप आप सिद्ध कर सकते हैं, मंत्र कर सकते हैं, भगवान का आवाहन कर सकते हैं, पूजा पाठ कर सकते हैं, दान पुण्य कर सकते हैं। तो इसमें क्या है कि जब भी कोई ग्रहण पड़ता है तो आप मंत्र सिद्धि करें। आचार्य जी ने बड़ा सुंदर कहा कि मंत्रों का जाप करें। इस वक्त जो है मंत्र का जाप करें और सुबह उठकर के स्नान इत्यादि करके सफेद वस्तुओं को क्योंकि चंद्रमा का ग्रहण है तो सफेद वस्तुओं का दान अन्न का दान जल का दान भोजन का दान ये सब दान करने से जो है जीवन में सुख शांति रहेगी और चंद्रमा के मंत्र ओम श्रम श्रीम श्रम सह चंद्रमा से नमः इस मंत्र का जो है जाप जरूर करें क्योंकि पूर्ण चंद्र ग्रहण है पूर्ण दान भी जरूर करें।

बिल्कुल कलयुग में दान और नाम तो नाम का मतलब सुमिरन करते जाए, भगवान का ध्यान करते जाए और जाप करते जाए। ये सब करने से जीवन में क्या है कि आपको जब कोई भी आप कोई भी चीज सिद्ध कर लेते हैं। कोई मंत्र सिद्ध करना है आपको तो इस वक्त किया जा सकता है और ग्रहण के दौरान आपका मन जो एकाग्रित बिल्कुल एकाग्र हो जाता है।

दान करने से तो पुण्य भी प्राप्त होता है। राशियों के हिसाब से अगर हम समझें तो किनको सावधानी बरतनी चाहिए और किन लोगों के लिए यह शुभ होगा और जिन्हें सावधानी बरतनी चाहिए क्या उपाय किया जा सकता है उसके लिए।

देखिए ग्रहण का शब्द होता है ग्रहणात ग्रहण किसी के लिए शुभ नहीं होता यदि कोई कहे कि इस राशि के लिए ऐसा है या फलाना है तो वह ठीक है उस राशि के लिए ज्यादा अरिष्टकारी नहीं होगा लेकिन शुभत्व के लिए नहीं कहा जा सकता। ग्रहण जो सबसे ज्यादा अरिष्टकारी होगा वह पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र और साथ में जिनकी राशि जो है शनि की राशि है उन दोनों राशियों पे प्रभाव ज्यादा करेगा। लेकिन प्रधान जो शनि की मूल त्रिकोण राशि है कुंभ राशि है कुंभ राशि पे ग्रहण पड़ रहा है और इस राशि में जो है विशेष प्रधान जो है इसको जो है वो पीड़ित करेगा।

तो कहने का तात्पर्य यह है कि ग्रहण काल में आप जो है अपने पीड़ित स्थिति में जैसे कि आपने पूछा किन-किन राशियों के लिए तो खास करके जैसे कि शनि यदि चंद्रमा के साथ बैठा है तो ग्रहण योग विष योग बन जाता है। चंद्रमा के साथ यदि राहु है तो ग्रहण योग बनता है। चंद्रमा के साथ यदि सूर्य है तो क्षीण योग बनता है। चंद्रमा के साथ यदि केतु है तो भी ग्रहण योग बनता है। कहने का तात्पर्य कि यह ग्रहण पड़ किस में रहा है? यह पड़ रहा है जो है राशि आपकी जो है कुंभ में और यह जो राशि आपकी कुंभ है यह है किसकी? शनि की।

अब ये पीड़ित किसको कर रहे हैं? पीड़ित कर रहे हैं चंद्रमा को। तो जिनका भी कुंडली में चंद्रमा पीड़ित है। किसी भी स्थिति में जो जो मैं योग बता गया चार पांच योग बताए मैंने। ग्रहण योग, आपका विष योग, आपका क्षीण योग। तो इन किसी भी योगों में यदि आपकी जन्म कुंडली में निर्मित है तो चंद्रमा पीड़ित होगा और चंद्रमा कारक किसका होता है? चंद्रमा मन का, मनोबल का, मानसिकता का, चित्त का, चिंतन का, मना स्थिति का और मां का कारक होता है। यदि आप अपने चंद्रमा को बलिष्ठ कर लेंगे, तो यह मैं सच कह रहा हूं कि इस पृथ्वी में वह हर चीज प्राप्त कर लेंगे जिसे आप चाहेंगे।

क्योंकि सबसे बड़ी हार और जीत है कहां? अपने मन के अंदर कहते हैं कि इस व्यक्ति की सबसे बड़ी संपत्ति सबसे बड़ी धरोहर क्या है? उसका मनोबल। यदि मन से व्यक्ति बलिष्ठ है तो हर चीज को प्राप्त करने की वो कोशिश करता है। और मान लीजिए मन से पहले ही वो नीरस और हताश हो गया तो जो वह प्राप्त कर सकता है जो उसके लिए बहुत ही सिंपल साधारण है उसको भी वह प्राप्त करने की चेष्टा छोड़ देगा। तो इस टाइम पे आप जो है मंत्रों का जाप करें। इस टाइम पे आप जो है विशेष करके यदि कुछ भी आपको नहीं आता है तो ओम सोम सोमाए नमः नहीं तो ऐसे टाइम पे आप किसी भी मंत्र के लिए जो है सिद्धिकरण कर लें।

एक छोटी सी यदि आप पूजा कहें तो बात बताऊं मैं परम सुंदरी जो है सब जानते हैं कि जो अहिल्या गौतम ऋषि की पत्नी थी। अहिल्या को भगवान प्रभु राम ने जो है अपने चरण स्पर्श करा के उनको तारा था। कहानी सबको पता होगी कि इंद्र ने उनके जो है पतित्व व्रत को नष्ट किया था। तो अहिल्या को ब्रह्मा ने बड़े ही उससे जो है बनाया। जब ब्रह्मा ने उनका सृष्टि की तो ब्रह्मा जी ने उनके लिए जो है एक बहुत बड़ी शर्त भी रखी कि इस परम सुंदरी की शादी उसी के साथ होगी जो पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा सबसे पहले लगा लेगा। तो गाय जो है अब गौतम ऋषि भी जो है तो इस उसमें थे होड़ में कि मुझे भी जो है अहिल्या को प्राप्त करना है। तो गौतम ऋषि के आश्रम में गाय जो है बछड़े को जन्म दे रही थी। तो बछड़े को गाय जन्म दे रही थी तो बछड़े का मुंह अग्रिम था और गाय का भी मुंह इधर था। यानी दो मुख हो गए जन्म देते समय, तो उसी टाइम पे गौतम ऋषि ने गाय की परिक्रमा लगाई। तो ऐसी स्थिति में  गाय की जब परिक्रमा लगाई तो पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा लग गई। तो उनके साथ शादी अहिल्या की हुई। क्यों हुई? क्योंकि गाय की परिक्रमा लगाई कैसे टाइम पर लगाई? जिस टाइम पर गाय बछड़े को जन्म दे रही थी।

तो ये वही परम क्षण होता है ग्रहण का कि आप एक मंत्र का भी यदि जाप कर लेते हो एक माला का जाप कर लेते हो तो अमोग जो है संख्या का जाप हो जाता है। कहने का तात्पर्य पूरे जीवन में जो आप जाप करके और पाठ करके अपनी संख्या को परिपूर्ण और फल को नहीं प्राप्त कर सकते हो। वह ग्रहण काल में यदि आप करते हो तो वह फल आपको प्राप्त होता है। तो ग्रहण काल में आप किसी भी स्थिति से पीड़ित हो और सब चीज के जो दाता हैं वो भगवान शिव है। जो तुम तप करहु कुमारी का नहीं मेट सके त्रिपुरारी। यदि कोई देने वाला है तो सदा सच्चिदानंद दाता पुरारी भगवान शिव देने वाले हैं। आप नहीं कुछ जानते तो ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। इससे भी आपके सभी नवग्रहों की शांति होगी। किसी भी राशि में किसी प्रकार का कोई दुष्परिणाम नहीं होगा और भगवान शिव तो ऐसा है कि जड़ और चेतन सबको जो है दाता ही है वो देते ही है सदा सच्चिदानंद दाता पूरा।

चंद्र ग्रहण के बाद वो कौन सी खास चीजें हैं जिनका दान जरूर करना चाहिए वो समझाइएगा।

देखो सबसे बढ़िया दान तो जो है आप अन्न का दान करें अन्न में जो है सफेद अन्न का दान करें वह सबसे बड़ा महत्वपूर्ण दान होता है। तिल का दान करें, दूध का दान करें, मिठाई का दान करें, पेठे का दान करें। इन सब का दान करना बड़ा शुभ है। और कहा जाता है कि हर राशि वाले के लिए बहुत अच्छा दान मैं बता देता हूं। जैसे मान के चलो मेष राशि के लिए यह ग्रहण जो धन को देने वाला है। धन और प्रसिद्धि को देने वाला है। जिनकी मेष राशि है उनके 11वें भाव में जो है यह ग्रहण गह रहा है। और चंद्रमा और राहु कहते हैं 11वें भाव में कोई भी ग्रह दुष् नहीं होता। परंतु मानसिक अशांति मानसिक पीड़ा जो है थोड़ी हो सकती है क्योंकि चंद्रमा राहु में विष योग बन रहा है। तो इनको पेठे का दान करना चाहिए। वृषभ राशि वालों को शारीरिक रोग का योग बन रहा है कि शरीर में कोई कष्ट आ सकता है तो उनको दही का दान करना चाहिए। मिथुन राशि को संतान संबंधी गुप्त चिंता हो सकती है। बच्चों को लेकर के फिक्र हो सकती है तो उनको पुस्तक का दान या अन्न का दान दोनों ही दान कर सकते हैं या कलम का दान भी करा जा सकता है। कर्क राशि वालों को क्योंकि जल तत्व की राशि है। शत्रु भय का योग बन रहा है। तो आप जो है दूध और फल दोनों का दान आप कर सकते हैं और चावल भी कर सकते हैं। सिंह राशि वालों के लिए और कुंभ राशि वालों के लिए ग्रहण थोड़ा सा पति पत्नी के बीच में वैमनश्य पूर्ण रहने वाला है। आपस में संबंध विच्छेद करने वाला है। तो इस दिन जो है इनको जो है अन्न का दान जो है पांच अन्न का दान या सात अन्न का दान जो है जरूर करना चाहिए। उसमें दालें भी हो सकती हैं। गेहूं, चावल, मक्का, ज्वार, जौ हो सकता है। इनका दान करना चाहिए। कन्या राशि वालों के लिए गुप्त रोग का डर है। तो रोग से बचने के लिए जो है सफेद मिठाई कोई भी ले लें उसका दान कर सकते हैं। उसके बाद तुला राशि के लिए एक्सपेंसिव है। बहुत ज्यादा खर्चे कराएगा। बहुत ज्यादा जीवन में उथल-पुथल करेगा। तो आपका जो है अच्छे कार्यों पर धन खर्च हो। ग्रहण के 15 दिन के बाद क्योंकि हर ग्रहण का प्रभाव 15 20 दिन आपके ऊपर रहता है। तो आपको जल या दूध का दान अवश्य कर लेना चाहिए। वृश्चिक राशि वालों के सभी कार्य सिद्ध करने वाला है ग्रहण। तो जब जिनकी वृश्चिक राशि है उनको जो है सात अनाज का दान अवश्य कर लेना चाहिए या वाइट चंदन की लकड़ी जो है किसी गरीब को दे देनी चाहिए या कहीं पे स्वच्छ करके मंदिर में भी चढ़ा सकते हैं। धनु राशि वालों के लिए धन देने वाला है। तो आप पीले और सफेद दोनों अन्न का दान कर सकते हैं। चने की दाल का दान कर सकते हैं। मकर राशि के लिए थोड़ा धन हानि का योग है। अपना पैसा किसी को दें और ले नहीं और गुप्त रूप से अपना धन रखें। व्यर्थ की यात्रा से बचना है तो आपको भी जो है अन्न का दान साफ धान्य का दान करना चाहिए। कुंभ राशि वालों के लिए दुर्घटना और शत्रुता का योग बन रहा है। किसी से कोई दुश्मनी ना पा लें। संभल करके चलें। जल्दबाजी से कोई निर्णय ना लें। मानसिक संतुलन बना करके रखें और आप जो है मुरब्बे का दान करें। जो मुरब्बा खाने वाला होता है उसका दान करें। आंवले का मुरब्बा हो उसका दान करने से विशेष लाभ आपको प्राप्त होगा। मीन राशि वालों के लिए धन का आप कुछ सिक्के लेकर के किसी गरीब को दे दें और चावल और घी दोनों जो है अपने हाथ से दान कर सकते हैं और बच्चों को मिठाई बांट सकते हैं। और मीन राशि वालों को लिए मैं एक ही बात कहूंगा संभल करके चलें। अपना सब पैसा इत्यादि संभाल करके चल जिससे कि इस ग्रहण का जो कोई भी दुष्प्रभाव है आपके ऊपर ना आए क्योंकि कहते हैं कि इतना बड़ा ग्रहण 3 घंटे 28 मिनट 2 सेकंड का जो ग्रहण है काफी लंबा ग्रहण है और ग्रहण के वक्त कोशिश यही करें कि बाहर बिल्कुल भी ना निकले।

राशियों के हिसाब से ये सभी चीजें दान की जा सकती हैं। 7 सितंबर वो तारीख है जो बेहद ही खास रहने वाली है क्योंकि भारत ही नहीं  पूरी दुनिया में चंद्र ग्रहण के रूप में इस विशेष खगोलीय घटना के साक्षी बनने जा रहे हैं। अगर हम भारत की बात करें तो भारत में क्या प्रभाव पड़ने वाला है इसका?

देखिए ग्रहण का प्रभाव पूजा जी, पहले भी मैंने कहा कि अच्छा नहीं होता। ग्रहण का प्रभाव सदैव अरिष्टकारी होता है। इसीलिए अरिष्टकारी समय पे जो है हम भगवान के नाम का जपते जाप करते हैं। भगवान के नाम का स्मरण करते हैं। क्योंकि यदि किसी भी प्रकार की अरिष्टता और किसी भी प्रकार की विपदा परेशानी आनी है तो उसका हरण जो है भगवान ही कर सकते हैं। और यह भी बात सत्य है कि जड़ और चेतन दोनों को प्रभावित करने वाले यदि कोई ग्रह हैं तो सूर्य और चंद्रमा हैं। यह दोनों अपने आप में विशिष्ट ग्रह हैं। और उसके साथ-साथ जो है, जो ज्यादा अरिष्टकारी चीजें स्थिति होंगी, वह जल से संबंधित ये अचानक आपदा जो आती है उससे संबंधित और उसके साथ-साथ जो है, किसी भी प्रकार की कोई घटना हो जाना, उससे संबंधित आपदा जो है विशेष रहेगी और यह ज्यादा प्रभाव जो है लगभग एक सवा महीने तक विशेष रहेगा।

मैं यहां उनको ही बता दूं कि जो ये ग्रहण पड़ रहा है यह 7 तारीख दिन रविवार पूर्णिमा के दिन पड़ रहा है। पूर्णिमा का लोग व्रत रखेंगे तो अब सोचेंगे कि नहीं हम यह सूतक लग गया है तो इसमें हम किस तरह से कैसे क्या पूजा करें तो आप चंद्रमा को बाकायदे अर्घ दे सकते हैं क्योंकि आप चंद्रमा की मूर्ति को स्पर्श नहीं कर रहे हैं और आप थोड़ा सा यह कोशिश मत कीजिएगा कि चंद्रमा को देखते हुए अर्घ दें। आप जो है गमले में या किसी भी जगह चंद्रमा के नाम का आप अर्घ दे दें। आप आंखों से देखें नहीं। बाहर निकल के बेशक जो है दे सकते हैं। उसमें टाइम कितना लगना है। तो व्रत वाले व्रत भी रखेंगे और चंद्रमा को अर्घ भी देंगे। उनको उस दिन विशेष व्रत की जो है व्रत के फल की प्राप्ति होगी। क्योंकि उस दिन वो जो है जो भी नाम जपेंगे जो भी वह मंत्र का जाप करेंगे शतप्रिशत उनको उसका जो है लाभ मिलेगा।

इसके साथ-साथ और कुछ चीजें बता दें। जैसे आप खाने में जो भी आपकी वस्तुएं हैं पूर्व में ही उनके जो है तुलसी दल या कुशा आदि जो है कुशा का तण आदि डाल लें ताकि वह चीज आपकी पहले से जो है शुद्ध बनी रहे। यदि कोई बुजुर्ग है या कोई गर्भणी महिला है या कोई बच्चे हैं तो उन पे यह ज्यादा लागू नहीं होता है क्योंकि उनकी हारी बीमारी पोजीशन ऐसी होती है कि वह अपने आप को खाने पीने से नहीं रोक पाते हैं। तो यह सारी चीजें जल में आप पहले से डाल लें। खाने में आप पहले से डाल लें। खाना आदि आप पहले से पका के रख लें। उस टाइम पे खाना ना खाएं। जब यह ग्रहण काल पूरी तरह से समाप्त हो जाए तो आप अपने मंदिर में आप अपने हर जगह जो है गंगाजल का छिट्टा मारें और मंदिर की तो खैर पूरी तरह से आप सफाई साफ सफाई करेंगे ही। उसके अलावा जो है जो आपका बचा हुआ खाना है वो खाना आपका शेष जो है किसी पोजीशन पे बचना नहीं चाहिए। उस खाने को आप जो है पूरी तरह से खत्म कर दें और आप फिर जो है स्नान करने के बाद मंदिर अवश्य जाएं और मंदिर में आप बाकायदे जैसे कि अभी संजय जी ने बताया कि यह ग्रहण जो है चंद्रमा से विशेष संबंधित है। तो जो सफेद चीजें हैं जैसे चावल है, चीनी है, आटा है, दूध है, दही है या वस्त्र भी आप दान करना चाहते हैं तो सफेद वस्त्र है, सफेद पुष्प है आदि आदि चीजें आप सफेद चीजें जो है अवश्य दान करें और उसके साथ कुछ जो है दक्षिणा आपकी होनी चाहिए। तो कहते हैं ना कि दानेन सदृश्यम पवित्र विद्यते दान आपको हर तरह से जो है पवित्र करती है। आपके किए गए किसी भी प्रकार के जो कभी कोई अज्ञानता में पाप हुए हैं उन सभी को जो है समन करती है और आपको परम फल और परम पुण्य की जो है प्राप्ति होती है।

खाने पीने की चीजों से परहेज करना चाहिए। कई सावधानियां बताई। ऐसा लेकिन किया क्यों जाता है? इसका मुख्य कारण क्या होता है?

जब भी कोई ग्रहण लगता है जैसे चंद्रमा पर ग्रहण लग रहा है या सूर्य पर ग्रहण कर रहा है लग रहा है तो हमें अपने जीवन को शुद्ध करने के लिए हमारी आत्मा को पवित्र करने के लिए मन को पवित्र करने के लिए क्योंकि हमारा जो शरीर है वो पांच तत्वों से निर्मित है। उसमें जल है, भूमि, गगन, वायु, अग्नि और नीर। तो जो नीर तत्व है वह चंद्रमा का ही कारक ग्रह माना गया है। जब आप स्नान करते हैं तो आपका मन एकदम प्रफुल्लित हो जाता है। अब जब ग्रहण का वक्त है तो उसके बाद में आप जो है किसी भी तीर्थ स्थान में जाते हैं स्नान करते हैं पर अभी क्या है इस वक्त माहौल जो चल रहा है कि बहुत ज्यादा बारिशें हैं और जो नदियां है वो भी उफान के ऊपर हैं।


7 सितंबर को चंद्र ग्रहण: खगोलीय घटना और इसका प्रभाव

इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण रविवार, 7 सितंबर को लगने जा रहा है। यह ग्रहण इसलिए खास है क्योंकि यह न सिर्फ साल का अंतिम चंद्र ग्रहण है, बल्कि यह भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में भी दिखाई देगा।

हालांकि, ग्रहण को सीधे खुली आंखों से देखने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि इस दौरान कुछ हानिकारक किरणें पृथ्वी पर आ सकती हैं। खगोल शास्त्रियों का मानना है कि ग्रहण देखने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग करना चाहिए।

ग्रहण का समय और अवधि

यह चंद्र ग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा के दिन लग रहा है और दिल्ली, मुंबई, कोलकाता समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में दिखाई देगा।

  1. प्रारंभ: 7 सितंबर, रात 9:58 बजे
  2. चरम स्थिति: रात 11:42 बजे
  3. समाप्ति: 8 सितंबर, रात 1:26 बजे
  4. कुल अवधि: 3 घंटे 28 मिनट

ग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:19 बजे शुरू हो जाएगा और इसका समापन 8 सितंबर की रात 1:26 बजे होगा।


वैज्ञानिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण

वैज्ञानिक रूप से, चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच में आ जाती है और उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है। जब पूरी पृथ्वी की छाया चंद्रमा को ढक लेती है तो यह गहरे लाल रंग का दिखाई देता है, जिसे 'ब्लड मून' भी कहते हैं।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, इस चंद्र ग्रहण को कई मायनों में बेहद खास माना जा रहा है क्योंकि इस दौरान कई दुर्लभ योग बन रहे हैं।

ग्रहण और पितृ पक्ष का संयोग

क्या ग्रहण के दौरान पितृ पक्ष का श्राद्ध किया जा सकता है? पितृ पक्ष भी इसी दिन शुरू हो रहे हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि पूर्णिमा का श्राद्ध कैसे किया जाए। जानकारों के अनुसार, श्राद्ध का कार्य सूतक काल शुरू होने से पहले ही कर लेना चाहिए। यदि पूर्णिमा के दिन श्राद्ध संभव न हो तो अमावस्या को इसे करना उचित रहेगा।


ग्रहण का राशियों पर प्रभाव और उपाय

क्या यह ग्रहण सभी के लिए शुभ होगा? किन राशियों पर इसका क्या असर पड़ेगा? ज्योतिषियों के अनुसार, ग्रहण किसी भी राशि के लिए पूर्णतः शुभ नहीं होता है, लेकिन कुछ राशियों पर इसका प्रभाव ज्यादा होता है। यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि में लग रहा है, जो शनि की राशि है। इसका सबसे अधिक प्रभाव कुंभ राशि और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र वालों पर पड़ेगा।

किन लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए? यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा, राहु या शनि के साथ पीड़ित है, तो उसे विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन, मानसिक स्थिति और माता का कारक माना गया है। कमजोर चंद्रमा वाले लोगों को इस दौरान अपने मन और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

क्या उपाय किए जा सकते हैं? ग्रहण के दौरान किसी भी मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इस समय की गई तपस्या का फल कई गुना ज्यादा मिलता है। यदि कोई मंत्र याद न हो तो आप 'ॐ सोम सोमाय नमः' या 'ॐ नमः शिवाय' का जाप कर सकते हैं। इसके अलावा, गर्भवती महिलाओं को इस दौरान बाहर नहीं निकलना चाहिए और किसी भी नुकीली वस्तु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।


ग्रहण के बाद दान का महत्व

ग्रहण के बाद क्या दान करना चाहिए? सनातन परंपरा में ग्रहण के बाद दान का विशेष महत्व है। इस दौरान दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। चंद्र ग्रहण के बाद सफेद वस्तुओं का दान करना बेहद शुभ माना गया है, जैसे:

  1. दूध
  2. दही
  3. चावल
  4. चीनी
  5. मिठाई
  6. सफेद वस्त्र

यह दान करने से नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।


ग्रहण से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियम

क्या ग्रहण के दौरान खाना-पीना और सोना चाहिए? ग्रहण काल के दौरान कुछ नियमों का पालन करना जरूरी माना जाता है। इस समय मूर्ति को स्पर्श नहीं करना चाहिए और मंदिर के कपाट बंद कर देने चाहिए।

  1. भोजन: ग्रहण के सूतक काल के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए। यदि घर में पहले से पका हुआ भोजन हो तो उसमें तुलसी या कुशा डाल दें, ताकि वह शुद्ध रहे। बीमार, बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह नियम लागू नहीं होता।
  2. स्नान: ग्रहण से पहले और बाद में वस्त्रों सहित स्नान करना चाहिए। ग्रहण के दौरान स्नान नहीं किया जाता है, बल्कि जप-तप और पाठ किया जाता है।
  3. मंदिर: सूतक के बाद मंदिर के कपाट अगले दिन ही खोलने चाहिए। भगवान की मूर्तियों को गंगाजल से स्नान कराकर साफ-सफाई करने के बाद ही मंदिर में प्रवेश करें।
  4. बाहर जाना: ग्रहण के समय घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए, क्योंकि इस दौरान निकलने वाली ऊर्जा नकारात्मक मानी जाती है।

ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचने और जीवन को शुद्ध करने के लिए ये सभी उपाय करने चाहिए, जिससे शारीरिक, मानसिक और भौतिक सुख प्राप्त हो सके।


Source GNT