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SARSON TEL KE FAYDE

छत्रपति शाहू महाराज Chhatrapati-Shahu-mahraj : Introduction and Biography

छत्रपति शाहू महाराज : Introduction and Biography

राजर्षि शाहू के नाम से प्रसिद्ध छत्रपति शाहूजी महाराज का जन्म 26 जून, 1874 को कोल्हापुर जिले के कागल गाँव में हुआ।

इनके पिता जयसिंहराव और माता राधाबाई थे।

शाहूजी महाराज कोल्हापुर रियासत के पहले महाराजा थे।

समाज सुधारक ज्योतिबा फुले और सत्य शोधक समाज आंदोलन के योगदान से प्रभावित, शाहू महाराज एक आदर्श नेता और सक्षम शासक थे, जो अपने शासन के दौरान कई प्रगतिशील और पथ-प्रदर्शक गतिविधियों से जुड़े थे।

उन्होंने विभिन्न जातियों और धर्मों के लिए अलग-अलग छात्रावासों की स्थापना की और मेधावी छात्रों के लिए कई छात्रवृत्तियाँ शुरू कीं।

उन्होंने वैदिक विद्यालयों की स्थापना की जो सभी जातियों और वर्गों के छात्रों को शास्त्र सीखने और सभी के बीच संस्कृत शिक्षा का प्रचार करने में सक्षम बनाते थे।

उन्होंने ग्राम प्रधानों या 'पाटिलों' को बेहतर प्रशासक बनाने के लिए उनके लिए विशेष स्कूल भी शुरू किए।

उन्होंने आह्वान किया कि "जातिवाद को समाप्त करना आवश्यक है।

उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने के लिए स्कूलों की स्थापना की और देवदासी प्रथा, भगवान को लड़कियों की पेशकश करने की प्रथा पर प्रतिबंध लगाने वाला एक कानून पेश किया, जिससे अनिवार्य रूप से लड़कियों का शोषण हुआ।

उन्होंने वर्ष 1917 में विधवा पुनर्विवाह को वैध बनाया और बाल विवाह को रोकने की दिशा में प्रयास किए।

उन्होंने कृषि पद्धतियों को आधुनिक बनाने के लिए उपकरण खरीदने के इच्छुक किसानों को ऋण उपलब्ध कराया और यहाँ तक कि किसानों को फसल की उपज और संबंधित तकनीकों को बढ़ाने के लिए सिखाने के लिए किंग एडवर्ड कृषि संस्थान की स्थापना की।

उन्होंने 18 फरवरी, 1907 को राधानगरी बाँध की शुरुआत की और यह परियोजना वर्ष 1935 में पूरी हुई।

वे कला और संस्कृति के महान संरक्षक थे और उन्होंने संगीत और ललित कलाओं के कलाकारों को प्रोत्साहित किया।

महान समाज सुधारक छत्रपति शाहूजी महाराज का निधन 6 मई, 1922 को हुआ था।

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस - 26 June

नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस

प्रतिवर्ष 26 जून को संयुक्त राष्ट्र द्वारा नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस  मनाया जाता है।

इसका मुख्य उद्देश्य समाज पर नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खतरनाक प्रभावों के बारे में जागरूकता का प्रसार करना तथा दुनिया को नशे से मुक्त करना है।

वर्ष 2023 के लिए इस दिवस की थीम "लोग पहले : कलंक और भेदभाव को रोकें, रोकथाम को मजबूत करें" (People first: stop stigma and discrimination, strengthen prevention) है।

7 दिसंबर, 1987 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 26 जून को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया।

इस दिवस की शुरुआत वर्ष 1989 में की गई थी।

26 जून की तारीख को ग्वांगडोंग में लिन ज़ेक्सू द्वारा अफीम व्यापार को समाप्त करने के उपलक्ष्य में चुनी गई है।
संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अवैध ड्रग का मूल्य प्रतिवर्ष 322 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि वर्ष 2018 में लगभग 269 मिलियन लोगों ने ड्रग्स का इस्तेमाल किया जो वर्ष 2009 की तुलना में 30% अधिक है।

UNODC संयुक्त राष्ट्र का एक अंग है जो विश्व को ड्रग्स, भ्रष्टाचार, अपराध और आतंकवाद से सुरक्षित रखने में मदद करता है।

राघोबा राणे - Raghoba Rane : Biography & Short Introduction

राघोबा राणे - Biography & Short Introduction

राघोबा राणे का जन्म 26 जून, 1918 को धारवाड़ ज़िले के हवेली गाँव में हुआ था।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा जिला बोर्ड स्कूल में हुई तथा आगे की शिक्षा उत्तर कन्नड़ जिले के ग्राम चेंदिया में हुई।

10 जुलाई, 1940 को वे 'बॉम्बे इंजीनियर्स' की सेना में शामिल हो गए।

सेना में भर्ती होते ही राम राघोबा राणे अपने बैच में 'सर्वश्रेष्ठ प्रवेशी' बने तथा उन्हें पुरस्कार के रूप में 'कमांडेंट की छड़ी' मिली।

उन्हें 'नाइक' के पद पर पदोन्नत किया गया था।

राणे की ट्रेनिंग के बाद वे 28वीं फील्ड कंपनी में शामिल हो गए जो कंपनी 26वीं इन्फैंट्री डिवीजन के साथ बर्मा में लड़ रही थी।

उनके साहस और दृढ़ता के लिए उन्हें तुरंत 'हवलदार' के पद पर पदोन्नत किया गया।

उनके उत्कृष्ट नेतृत्व को देखते हुए उन्हें वर्ष 1948 में सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में नियुक्त किया गया।

वर्ष 1948 में, पाकिस्तानी आक्रमणकारियों ने कश्मीर पर आक्रमण किया जिसके जवाब में, भारत ने जम्मू और कश्मीर के अपने पहले खोए हुए क्षेत्र को वापस पाने के लिए संघर्ष शुरू किया।

पाकिस्तानी आक्रमणकारियों से लड़ते हुए भारतीय सेना के लिए जम्मू-कश्मीर में झांगर, राजौरी, बरवालीरिज, चिंगास जैसे स्थानों पर कब्जा करना आवश्यक था।

दुश्मन ने इन जगहों के रास्ते में कई रुकावटें पैदा की तथा सड़कें नष्ट हो गई, फलस्वरूप गोला-बारूद का परिवहन करना, सैनिकों को ले जाना बहुत कठिन था।

ऐसे में रमा राणे ने सड़क को सुरक्षित यातायात के लिए खोलने का जोखिम भरा काम किया।

उनके दस्ते के दो लोग मारे गए और राणे सहित चार अन्य गोलाबारी में घायल हो गए।

स्वयं घायल होने पर भी उन्होंने 11 अप्रैल की देर रात 10 बजे तक अच्छे नेतृत्व, साहस, धैर्य, आत्म-विश्वास और प्रचंड राष्ट्रभक्ति के बल पर इन सड़कों को सुरक्षित एवं यातायात योग्य बनाने का कार्य किया। ताकि भारतीय टैंक आसानी से चिंगास तक पहुँच सके।

इस कार्य के लिए उन्हें 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया गया।

राणे 25 जून, 1958 को मेजर के पद से सेवानिवृत्त हुए तथा उसके बाद 7 अप्रैल, 1971 तक उन्होंने भारतीय सेना में पुनर्नियुक्त अधिकारी के रूप में काम किया।

11 अप्रैल, 1994 को पुणे के सैन्य अस्पताल में राणे का निधन हो गया।

पुणे के संगमवाड़ी इलाके में उनके नाम पर एक स्कूल की स्थापना की गई है।

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - Shyama-Prashad-Mukharjee : Short Introduction

श्यामा प्रसाद मुखर्जी - Short Introduction

श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को कलकत्ता में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

डॉ. मुखर्जी ने वर्ष 1921 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

उन्होंने वर्ष 1923 में एम.ए. और वर्ष 1924 में बी.एल. किया।

वह एक भारतीय राजनीतिज्ञ, बैरिस्टर और शिक्षाविद् थे जिन्होंने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में उद्योग और आपूर्ति मंत्री के रूप में कार्य किया।

वर्ष 1934 में 33 वर्ष की आयु में, श्यामा प्रसाद मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के कुलपति बने।

कुलपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, रवींद्रनाथ टैगोर ने विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को पहली बार बंगाली भाषा में संबोधित किया और भारतीय भाषा को सर्वोच्च परीक्षा के लिए एक विषय के रूप में प्रस्तुत किया गया।

वर्ष 1946 में उन्होंने बंगाल के विभाजन की माँग की ताकि इसके हिंदू-बहुल क्षेत्रों को मुस्लिम बहुल पूर्वी पाकिस्तान में शामिल करने से रोका जा सके।

वर्ष 1947 में उन्होंने सुभाषचंद्र बोस के भाई शरत बोस और बंगाली मुस्लिम राजनेता हुसैन शहीद सुहरावर्दी द्वारा बनाई गई एक संयुक्त लेकिन स्वतंत्र बंगाल के लिए एक असफल बोली का भी विरोध किया।

उन्होंने आधुनिक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ (BJS) की स्थापना की।

जम्मू और कश्मीर के मुद्दों पर तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के साथ मतभेद के कारण भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस से अलग होने के बाद, उन्होंने जनता पार्टी की स्थापना की, जो बाद में भारतीय जनता पार्टी बनी।

वर्ष 1953 में, कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे के विरोध में उन्होंने बिना अनुमति के कश्मीर में प्रवेश करने की कोशिश की और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

हिरासत के दौरान 23 जून, 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।

संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस - 23 June - Sanyukt-rashtra-lok-seva-day

संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस - 23 जून

संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस

प्रतिवर्ष 23 जून को सम्पूर्ण विश्व में संयुक्त राष्ट्र द्वारा लोक सेवाओं के प्रति सम्मान और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में 'संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस' का आयोजन किया जाता है।

यह दिवस लोक सेवकों के कार्य को मान्यता देते हुए समाज के विकास में उनके योगदान पर ज़ोर देता है और युवाओं को सार्वजनिक क्षेत्र में कॅरियर बनाने के लिए प्रेरित करता है।

20 दिसंबर, 2002 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 23 जून को संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा दिवस के रूप में घोषित किया था।

इस दिवस के संबंध में जागरूकता और लोक सेवा के महत्त्व को बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2003 में 'संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार' (UNPSA) कार्यक्रम की शुरुआत की थी, जिसे वर्ष 2016 में सतत् विकास के लिए वर्ष 2030 एजेंडा के अनुसार अपडेट किया गया था।

'संयुक्त राष्ट्र लोक सेवा पुरस्कार' कार्यक्रम सार्वजनिक संस्थाओं की नवीन उपलब्धियों और सेवाओं को मान्यता देकर लोक सेवाओं में नवाचार एवं गुणवत्ता को बढ़ावा देता है तथा उन्हें पुरस्कृत करता है, जो सतत् विकास के पक्ष में दुनिया भर के देशों में अधिक कुशल एवं अनुकूल लोक प्रशासन में योगदान दे रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस - 23 June - Antarrashtiya-Olympic-Divas

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस - 23 June

प्रतिवर्ष 23 जून को सैनिक गतिविधियों में खेल एवं स्वास्थ्य के महत्त्व को बढ़ावा देने के लिए 'अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस' का आयोजन किया जाता है।

यह दिवस 1894 ई. में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना को चिह्नित करता है।

इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम लोगों के बीच खेलों को प्रोत्साहित करना और खेल को जीवन का अभिन्न अंग बनाने का संदेश प्रसारित करना है।

आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरुआत ओलंपिया (ग्रीस) में आठवीं शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईस्वी तक आयोजित प्राचीन ओलंपिक खेलों से प्रेरित है।

यह ग्रीस के ओलंपिया में ज़ीउस (Zeus) (ग्रीक धर्म के सर्वोच्च देवता) के सम्मान में आयोजित किया जाता था।

बेरोन पियरे दी कोबर्टिन ने 1894 ई. में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) की स्थापना की और ओलंपिक खेलों की नींव रखी।

यह एक गैर-लाभकारी स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो खेल के माध्यम से एक बेहतर विश्व के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है।

यह ओलंपिक खेलों के नियमित आयोजन को सुनिश्चित करता है, सभी संबद्ध सदस्य संगठनों का समर्थन करता है और उचित तरीकों से ओलंपिक के मूल्यों को बढ़ावा देता है।

अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक दिवस के आयोजन का विचार वर्ष 1947 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की बैठक में प्रस्तुत किया गया और वर्ष 1948 में इस प्रस्ताव को आधिकारिक स्वीकृति दी गई।

गणेश घोष - Ganesh Ghosh : Biography & short introduction

गणेश घोष (Ganesh Ghosh)

▪️गणेश घोष का जन्म 22 जून, 1900 को ब्रिटिशकालीन भारत के बंगाल में हुआ था।

▪️घोष विद्यार्थी जीवन में ही स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए थे।

▪️वर्ष 1922 की गया (बिहार) कांग्रेस में जब बहिष्कार का प्रस्ताव स्वीकार हो गया तो गणेश घोष और उनके साथी अनंत सिंह ने नगर का सबसे बड़ा विद्यालय बंद करा दिया था।

▪️गाँधीजी के असहयोग आंदोलन स्थगित करने के पश्चात् गणेश ने कलकत्ता के जादवपुर इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला ले लिया।

▪️वर्ष 1923 में उन्हें 'मानिकतल्ला बम कांड' के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया तथा कोई प्रमाण न मिलने के कारण उन्हें सज़ा तो नहीं हुई, पर सरकार ने 4 वर्ष के लिए नज़रबंद कर दिया था।

▪️वर्ष 1928 में वे बाहर निकले और कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में भाग लिया।

▪️घोष प्रसिद्ध क्रांतिकारी सूर्य सेन के संपर्क में आए और शस्त्र बल से अंग्रेज़ों की सत्ता समाप्त करके चटगाँव में राष्ट्रीय सरकार की स्थापना की तैयारी करने लगे।

▪️पूरी तैयारी के बाद इन क्रांतिकारियों ने वहाँ के शस्त्रागार और टेलीफोन, तार आदि अन्य महत्त्व के स्थानों पर एक साथ आक्रमण कर दिया।

▪️कालांतर में इन्हें फ्रांसीसी बस्ती चंद्र नगर से गिरफ्तार करके कलकत्ता लाए और वर्ष 1932 में आजीवन कारावास की सज़ा देकर अंडमान भेज दिए गए।

▪️स्वतंत्रता के बाद भी उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया और अपने जीवन के लगभग 27 वर्ष जेलों में बिताए।

▪️घोष  कम्युनिस्ट विचारधारा से प्रभावित हुए और वर्ष 1946 में जेल से छूटने पर कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बन गए।

▪️गणेश घोष वर्ष 1952 में बंगाल विधानसभा के और वर्ष 1967 में लोकसभा के सदस्य चुने गए।

▪️गणेश घोष जी की मृत्यु 16 अक्टूबर, 1994 को कलकत्ता में हुआ था।

चतुर्मास : 29 जून (jun) सेto 23 नवम्बर (nov) 2023 - Chaturmas-special-for-adhyatm

* आध्यात्मिक कोष भरने का काल – चतुर्मास *

चतुर्मास : 29 जून से 23 नवम्बर 2023

*देवशयनी एकादशी से देवउठी एकादशी तक के ४ महीने भगवान नारायण ध्यानमग्न रहते हैं । (पुरुषोत्तम मास [श्रावण] होने से इस बार लगभग ५ महीने का चातुर्मास है ।) अत: ये मास सनातन धर्म के प्रेमी लोगों के बीच आराधना-उपासना के लिए विशेष महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं । चतुर्मास में अन्न, जल, दूध, दही, घी, मट्ठा व गौ का दान तथा वेदपाठ, हवन आदि महान फल देते हैं ।*

*स्कंद पुराण ( ब्राह्म खंड, चातुर्मास्य माहात्म्य : ३.११) में लिखा हैं :*

*सद्धर्म: सत्कथा चैव सत्सेवा दर्शनं सताम ।*
*विष्णुपूजा रतिर्दाने चातुर्मास्यसुदुर्लभा ।।*

*'सद्धर्म (सत्कर्म), सत्कथा, सत्पुरुषों की सेवा, संतों का दर्शन-सत्संग, भगवान का पूजन और दान में अनुराग – ये सब बातें चौमासे में दुर्लभ बतायी गयी हैं ।'*

*चतुर्मास में करणीय*

*चतुर्मास में प्रतिदिन सुबह नक्षत्र दिखे उसी समय उठ जाय और नक्षत्र-दर्शन करे । इन दिनों २४ घंटे में के बार भोजन करनेवाले व्यक्ति को अग्निष्टोम यज्ञ का फल मिल जाता है । यज्ञ में जो आहुति दे सकें सात्विक भोजन की, वैसा ही यज्ञोचित भोजन करें । ब्रह्मचर्य का पालन करें । चतुर्मास में पलाश की पत्तल पर भोजन बड़े-बड़े पातकों का नाशक है, ब्रह्मभाव को प्राप्त करनेवाला होता है । वटवृक्ष के पत्तों या पत्तल पर भोजन करना भी पुण्यदायी कहा गया है । पुरे चतुर्मास में पलाश की पत्तल पर भोजन करें तो धनवान, रूपवान और मान योग्य व्यक्ति बन जायेगा ।*

*पंचगव्य का शरीर के सभी रोगों और पापों को मिटाने तथा प्रसन्नता देने में बड़ा प्रभाव है । चातुर्मास में केवल दूध पर रहनेवाले को साधन-भजन में बड़ा बल मिलता है अथवा केवल फल-सेवन बड़े-बड़े पापों को नष्ट करता है ।*

*इस समय पित्त-प्रकोप होता है । गुलकंद या त्रिफला का सेवन, मुलतानी मिट्टी से स्नान, दूध पीना पित्त-शमन करता है । हवन आदि में यदि तिल-चावल की आहुति देते हैं तो आप निरोग हो जाते हैं ।*

*चतुर्मास में त्यागने योग्य*

*चतुर्मास में गुड़ व भोग-सामग्री का त्याग कर देना चाहिए । जो दही का त्याग करता है उसको गोलोक की प्राप्ति होती है । नमक का त्याग कर सकें तो अच्छा है । परनिंदा त्यागने की बहुत प्रशंसा शास्त्रों में लिखी है । चतुर्मास में परनिंदा महापाप है, महाभय को देनेवाली है । इन ४ महीनों में शादी और सकाम यज्ञ, कर्म आदि करना मना है ।*

*आध्यात्मिक कोष अवश्य भरें*

* चतुर्मास में बादल, बरसात की रिमझिम, प्राकृतिक सौंदर्य का लहलहाना यह सब साधन-भजनवर्धक है, उत्साहवर्धक है । अत: तपस्या, साधन-भजन करने का यह मौका चूकना नहीं चाहिए । अपनी योग्यता के अनुसार व्यक्ति कोई-न-कोई छोटा-बड़ा नियम ले सकता है । इन दिनों ज्यादा भूख नहीं लगती । उपवास, ध्यान, जप, शांति, आनंद, मौन, भगवत्स्मृति,सात्विक खुराक, स्नान-दान ये विशेष हितकारी, पुण्यदायी, साफल्यदायी है । चतुर्मास में संकल्प कर लें कि ८ महीने तो संसार का धंधा-व्यवहार करते हैं, सर्दी में शरीर की तंदुरुस्ती और दिनों में धन का कोष भरा जाता है किंतु इन ४ महीनों में साधना का खजाना, आध्यात्मिक कोष भरेंगे ।'*

*ऋषि प्रसाद – जून 2020*

*देवशयनी एकादशी - 29 जून 2023 *

*एकादशी 29 जून प्रातः 03:18 से रात्रि 02:42 तक*

*एकादशी व्रत के लाभ*

* एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*

* जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

* जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*

* धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*

* कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*

* परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*

चतुर्मास में विशेष पठनीय - पुरुष सूक्त

जो चतुर्मास में भगवान विष्णु के आगे खड़े होकर 'पुरुष सूक्त' का जप करता है, उसकी बुद्धि बढ़ती है ।

ॐ श्री गुरुभ्यो नमः । हरिः ॐ

सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् ।
स भूमिं सर्वतः स्पृत्वाऽत्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम् ॥ १॥

जो सहस्रों सिरवाले, सहस्रों नेत्रवाले और सहस्रों चरणवाले विराट पुरुष हैं, वे सारे ब्रह्मांड को आवृत करके भी दस अंगुल शेष रहते हैं ॥ १ ॥

पुरुष एवेद सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्यम् ।
उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति ॥२॥

जो सृष्टि बन चुकी, जो बननेवाली है, यह सब विराट पुरुष ही हैं । इस अमर जीव-जगत के भी वे ही स्वामी हैं और जो अन्न द्वारा वृद्धि प्राप्त करते हैं, उनके भी वे ही स्वामी हैं ॥२॥

एतावानस्य महिमातो ज्यायाँश्च पूरुषः ।
पादोऽस्य भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि ॥३॥

विराट पुरुष की महत्ता अति विस्तृत है । इस श्रेष्ठ पुरुष के एक चरण में सभी प्राणी हैं और तीन भाग अनंत अंतरिक्ष में स्थित हैं ॥३॥

त्रिपादूर्ध्व उदैत्पुरुषः पादोऽस्येहाभवत्पुनः ।
ततो विष्वङ् व्यक्रामत्साशनानशनेऽअभि ॥४॥

चार भागोंवाले विराट पुरुष के एक भाग में यह सारा संसार, जड़ और चेतन विविध रूपों में समाहित है । इसके तीन भाग अनंत अंतरिक्ष में समाये हुए हैं ॥४॥

ततो विराडजायत विराजोऽअधि पूरुषः ।
स जातोऽअत्यरिच्यत पश्चाद्भूमिमथो पुरः ॥५॥

उस विराट पुरुष से यह ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ। उस विराट से समष्टि जीव उत्पन्न हुए । वही देहधारीरूप में सबसे श्रेष्ठ हुआ, जिसने सबसे पहले पृथ्वी को, फिर शरीरधारियों को उत्पन्न किया ॥५॥

तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतः सम्भृतं पृषदाज्यम् । पशूंस्ताँश्चक्रे वायव्यानारण्या ग्राम्याश्च ये ॥६॥

उस सर्वश्रेष्ठ विराट प्रकृति यज्ञ से दधियुक्त घृत प्राप्त हुआ (जिससे विराट पुरुष की पूजा होती है)। वायुदेव से संबंधित पशु हरिण, गौ, अश्वादि की उत्पत्ति उस विराट पुरुष के द्वारा ही हुई ॥६॥

तस्माद्यज्ञात् सर्वहुतऽऋचः सामानि जज्ञिरे ।
छन्दांसि जज्ञिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत ।।७।।

उस विराट यज्ञ-पुरुष से ऋग्वेद एवं सामवेद का प्रकटीकरण हुआ । उसीसे यजुर्वेद एवं अथर्ववेद का प्रादुर्भाव हुआ अर्थात् वेद की ऋचाओं का प्रकटीकरण हुआ ।।७।।

तस्मादश्वाऽअजायन्त ये के चोभयादतः । गावो ह जज्ञिरे तस्मात्तस्माज्जाताऽअजावयः ॥८॥

उस विराट यज्ञ-पुरुष से दोनों तरफ दाँतवाले घोड़े हुए और उसी विराट पुरुष से गौएँ, बकरियाँ और भेड़ें आदि पशु भी उत्पन्न हुए ॥८॥

तं यज्ञं बर्हिषि प्रौक्षन् पुरुषं जातमग्रतः ।
तेन देवाऽअयजन्त साध्याऽऋषयश्च ये ॥ ९॥

मंत्रद्रष्टा ऋषियों एवं योगाभ्यासियों ने सर्वप्रथम प्रकट हुए पूजनीय विराट पुरुष को यज्ञ (सृष्टि के पूर्व विद्यमान महान ब्रह्मांडरूप यज्ञ अर्थात् सृष्टि-यज्ञ) में अभिषिक्त करके उसी यज्ञरूप परम पुरुष से ही यज्ञ (आत्मयज्ञ) का प्रादुर्भाव किया ॥९॥

यत्पुरुषं व्यदधुः कतिधा व्यकल्पयन् ।
मुखं किमस्यासीत् किं बाहू किमूरू पादाऽउच्येते ॥ १०॥

संकल्प द्वारा प्रकट हुए जिस विराट पुरुष का ज्ञानीजन विविध प्रकार से वर्णन करते हैं, वे उसकी कितने प्रकार से कल्पना करते हैं ? उसका मुख क्या है ? भुजा, जाँघे और पाँव कौन-से हैं ? शरीर-संरचना में वह पुरुष किस प्रकार पूर्ण बना ? ।।१०।।

ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद् बाहू राजन्यः कृतः ।
ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रोऽअजायत ।। ११।।

विराट पुरुष का मुख ब्राह्मण अर्थात् ज्ञानीजन (विवेकवान) हुए । क्षत्रिय अर्थात् पराक्रमी व्यक्ति, उसके शरीर में विद्यमान बाहुओं के समान हैं । वैश्य अर्थात् पोषणशक्ति-सम्पन्न व्यक्ति उसके जंघा एवं सेवाधर्मी व्यक्ति उसके पैर हुए ।।११।।

चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत ।
श्रोत्राद्वायुश्च प्राणश्च मुखादग्निरजायत ।।१२।।

विराट पुरुष परमात्मा के मन से चन्द्रमा, नेत्रों से सूर्य, कर्ण से वायु एवं प्राण तथा मुख 'से अग्नि का प्रकटीकरण हुआ ॥ १२॥

नाभ्याऽआसीदन्तरिक्ष शीणों द्यौः समवर्त्तत ।
पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रात्तथा लोकाँ२ऽअकल्पयन् ॥ १३॥

विराट पुरुष की नाभि से अंतरिक्ष, सिर से द्युलोक, पाँवों से भूमि तथा कानों से दिशाएँ प्रकट हुईं । इसी प्रकार (अनेकानेक) लोकों को कल्पित किया गया है (रचा गया है) ॥१३॥

यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत ।
वसन्तोऽस्यासीदाज्यं ग्रीष्मऽइध्मः शरद्धविः ॥१४॥

जब देवों ने विराट पुरुष को हवि मानकर यज्ञ का शुभारम्भ किया, तब घृत वसंत ऋतु, ईंधन (समिधा) ग्रीष्म ऋतु एवं हवि शरद ऋतु हुई ॥ १४॥

सप्तास्यासन् परिधयस्त्रिः सप्त समिधः कृताः ।
देवा यद्यज्ञं तन्वानाऽअबध्नन् पुरुषं पशुम् ॥ १५॥

देवों ने जिस यज्ञ का विस्तार किया, उसमें विराट पुरुष को ही पशु (हव्य) रूप की भावना से बाँधा (नियुक्त किया), उसमें यज्ञ की सात परिधियाँ (सात समुद्र) एवं इक्कीस (छंद) समिधाएँ हुई ॥१५॥

यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः ॥१६॥

आदिश्रेष्ठ धर्मपरायण देवों ने यज्ञ से यज्ञरूप विराट सत्ता का यजन किया । यज्ञीय जीवन जीनेवाले धार्मिक महात्माजन पूर्वकाल के साध्य देवताओं के निवास स्वर्गलोक को प्राप्त करते हैं ॥१६॥

ॐ शान्तिः ! शान्तिः !! शान्तिः !!! (यजुर्वेद : ३१.१-१६)

सूर्य के समतुल्य तेजसम्पन्न, अहंकाररहित वह विराट पुरुष है, जिसको जानने के बाद साधक या उपासक को मोक्ष की प्राप्ति होती है । मोक्षप्राप्ति का यही मार्ग है, इससे भिन्न और कोई मार्ग नहीं । (यजुर्वेद : ३१,१८)

📖 ऋषि प्रसाद जुलाई 20212

Donkey in The Well : Story of the Day

Donkey in The Well : Story of the Day

One day as farmer was passing by the well suddenly his donkey fell in to the well. Well was deep so donkey was not able to get out of it and cried for hours as farmer was trying to figure out idea to get it out of the well.

After hours of thinking and seeing donkey cry he finally decided that the well already needed to cover up and donkey was old and wasn't worth to retrieve. So, he invited all his friends and neighbor to help him cover up the well leaving donkey inside.

All the people grabbed shovel and started to through dirt inside the well. At first donkey didn't realized whats happening but when he realized he cried horribly. After some time he quieted down. Every one was amused to see this silence.

After farmer loaded few shovels he looked down in the well and was surprised to see that donkey did something amazing.

He saw that with every shovel dirt that fell on donkey's back it would shake it off and take a step up. As people continue to shovel dirt donkey continued to do same and take step up. Pretty soon he was at the edge of the well and it's life was saved.

Moral: When life shovel all kind of dirt on you, trick is to Not to get Down by all the problems and Take time to stop and think of way to solve it.

True Caring Nature : Story of the Day

True Caring Nature : Story of the Day

One day in forest, an old man was roaming around was he saw a little cat struck in a hole. He saw that it was struggling to get out of it very hard but still wasn't able to get out.

So old man thought of helping it and gave a hand to get him out of that hole. But because of fear that car scratched old man hand. This hurt-ed the man and he pulled his hand screaming with pain.

Despite this attack of cat he again and again tried to give his hand to cat.

Another man going that way saw this and watching the scene, screamed with surprise, "Man!! Stop helping that cat. it is going to get itself out of that hole."

Old man did not cared about what man said and continued saving tha cat until he finally succeeded to get it out of that hole.

Then, he walked to another man and said, "Son, its cat's instinct that make him scratch and hurt me. But it's my job to Love and Care."

Moral: Treat Everyone around you with your Ethics, not with Theirs. Treat the People the way you want to be Treated by Them.

21June ko manaya ja RHA h International day of Yoga

21June ko manaya ja RHA h International day of Yoga

Little boy who Wanted to meet God - Story of the Day

It's Story of Little boy who Wanted to meet God: Story of the Day

It's Story of Little boy who Wanted to meet God. So, He packed his suitcase with Twinkies and Juice for his long trip to meet God and started his journey.

About three blocks away he saw a long-haired, beard biker sitting by his motorcycle in park relaxing amongst nature. Boy sat down next to that biker and opened his suitcase. When boy was about to take out twinkie from his case to eat, he noticed that little boy looked hungry and he offer biker a twinkie.

Biker gratefully accepted it and smiled warmly at boy. Boy found his smile so pretty that he wanted to see that smile again, so he offered juice to biker wishing to see that smile again. Again accepting juice that biker smiled nicely at boy. Child was delighted.

Both of them sat all afternoon there munching twinkies and drinking juice, Smiling happily but never exchanged a word. As darkness came, boy realized that it was time to leave and got up walked few step. Suddenly he turned back to beard man(biker) and gave him a hug. Biker gave Biggest and Warmest smile ever as boy ran off back to his home.

When boy opened door of his house and entered house his mother was surprised by the look of joy on his face. Mother asked him, "What did you do today which made you so happy?" He replied, "I had lunch with God. You know what he has the coolest motorcycle I have ever see." His mother just stood there surprised by reply of boy.

Meanwhile, biker returned to his home radiant with joy. His pet was so awestruck by the look of peace on his face that he asked, "What you did today that made you so happy?" He replied, "I ate twinkies with God in park. You know God's much younger than i expected."

Moral: We often underestimate the Power of Touch, Smile, Kind Words, Smallest act of Caring, All of which have the Potential to Turn a Life around.

Father and Son in the Train : Story of the Day

Father and Son in the Train

A father and son were traveling by train. Boy was 24years old. The boy was really excited and was looking out of window.

Suddenly he shouted, "Dad look trees are going behind.."

His dad smiled. There was a young couple sitting near by them. When they saw the childish behavior of boy they felt weird with pity for boy.

Suddenly boy again exclaimed, "Dad look outside, Clouds are running with us."

Now seeing this again the couple couldn't resist and said to old man, "Why don't you take your son to Doctor?"

Old man understood and just smiled and said, "I did, We are just coming back from hospital. My son was blind from birth and there at hospital he had operation. He just got his Eyes and now we are going back to home."

Moral: Don't judge people before truly knowing them Because everyone has a story and Sometimes Truth might Surprise you.

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विश्व संगीत दिवस - Vishva-Sangeet-divas - 21June

विश्व संगीत दिवस - Vishva-Sangeet-divas

  प्रतिवर्ष 21 जून को 'विश्व संगीत दिवस' का आयोजन किया जाता है।

  इसका मुख्य उद्देश्य संगीत के माध्यम से शांति और सद्भावना को बढ़ावा देना है।

  इस दिवस के आयोजन की कल्पना सर्वप्रथम वर्ष 1981 में फ्रांस के तत्कालीन संस्कृति मंत्री द्वारा की गई थी।

  'विश्व संगीत दिवस' की शुरुआत में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाले फ्रांस के तत्कालीन संस्कृति मंत्री मौरिस फ्लेरेट स्वयं एक प्रसिद्ध संगीतकार, पत्रकार और रेडियो निर्माता थे।

  इस दिवस के अवसर पर भारत समेत विश्व के तमाम देशों में जगह-जगह संगीत प्रतियोगिताओं और संगीत कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

  वर्तमान समय में संगीत एक ऐसा सशक्त माध्यम बन गया है, जिसका प्रयोग वैज्ञानिकों द्वारा व्यक्ति को मानसिक रोगों व व्याधियों से मुक्ति प्रदान करने के लिए भी किया जा रहा है।

  कई अध्ययनों और विशेषज्ञों के मुताबिक, संगीत तनाव को कम करने और बेहतर नींद प्रदान करने में भी मददगार साबित हो सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस - 21 जून : International-yoga-day

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस - 21 जून

  प्रतिवर्ष 21 जून को 'ग्रीष्मकालीन संक्रांति' (Summer Solstice) के साथ विश्व स्तर पर 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस' (International Yoga Day) का आयोजन किया जाता है।

  विश्व स्तर पर सर्वप्रथम वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया था।

11 दिसंबर, 2014 को 'संयुक्त राष्ट्र महासभा' के 69वें सत्र के दौरान एक प्रस्ताव पारित करके 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस/विश्व योग दिवस के रूप में मनाए जाने के लिए मान्यता दी गई थी।

  संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस सत्र को संबोधित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विश्व में योग को पहचान दिलाने एवं योग की महत्ता से विश्व को अवगत कराते हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के इस सत्र में विश्व योग दिवस घोषित किए जाने से संबंधित प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया।

  प्रधानमंत्री की इस अपील के बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा के 123 सदस्यों की इस बैठक में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को रखा गया जिसमें 177 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।

  इस दिवस के लिए वर्ष 2023 की थीम 'वसुधैव कुटुम्बकम् के लिए योग' है जो एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य का वर्णन करती है।

  वसुधैव कुटुम्बकम् प्राचीन काल से ही भारतीय विरासत के लिए मार्गदर्शन कराने वाला प्रकाश रहा है और भारतीय लोकाचार व सामाजिक-सांस्कृतिक ताने-बाने इसके चारों ओर बुने गए हैं।

  भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के अनुसार, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है, जिसके बाद 21 जून वर्ष का सबसे बड़ा दिन माना जाता है।

  21 जून को सूर्य कुछ शीघ्र उगता है तथा देर से डूबता है।

  भारतीय परंपरा में दक्षिणायन के समय को आध्यात्मिक विद्या प्राप्त करने के लिए बेहद अनुकूल समय माना जाता है।

  वर्ष 2019 में 'आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी' (आयुष) (Ministry of Ayurveda, Yoga & Naturopathy, Unani, Siddha and Homoeopathy- AYUSH) मंत्रालय द्वारा अपने 'कॉमन योग प्रोटोकॉल' में, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि, बन्ध और मुद्रा, सत्कर्म, युक्ताहार, मंत्र-जाप, युक्ता-कर्म जैसे लोकप्रिय योग 'साधना' को सूचीबद्ध किया गया है।

  योग को प्राचीन भारतीय कला के एक प्रतीक के रूप में देखा जाता है।

  जीवन को सकारात्मक और ऊर्जावान बनाए रखने में योग महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय : Dr. Subhash-mukhopadhyay - Short introduction & Biography

डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय (Dr. Subhash Mukhopadhyay)

  भारत के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के जनक डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय का जन्म 16 जनवरी, 1931 को हुआ था।

  सुभाष मुखोपाध्याय की शिक्षा कलकत्ता और उसके बाद एडिनबर्ग में हुई थी।

  इनकी विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक के जरिए भारत में पहली टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म 3 अक्टूबर, 1978 को कलकत्ता में हुआ था।

डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय जब स्कॉटलैंड की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की डिग्री लेकर कलकत्ता लौटे, तब तक टेस्ट ट्यूब बेबी पर विश्वभर में चर्चा तेज हो चुकी थी, लेकिन कोई सफल प्रयोग होना अभी बाकी था।

  25 जुलाई, 1978 को चिकित्सक पैट्रिक स्टेप्टो और रॉबर्ट एडवर्ड्स ने टेस्ट ट्यूब के जरिए बच्चे को जन्म देने की घोषणा कर इतिहास रच दिया।
 
25 जुलाई की घोषणा के महज 67 दिनों के भीतर 3 अक्टूबर, 1978 को डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय ने भी एक घोषणा की तथा उन्होंने दुनिया को बताया कि टेस्ट ट्यूब के जरिए बच्चे को जन्म देने का उन्होंने भी सफल प्रयोग कर लिया है।

  टेस्ट ट्यूब के जरिए जन्मीं बच्ची को नाम मिला 'दुर्गा'। इस नाम के पीछे की कहानी यह है कि 3 अक्टूबर, 1978 को दुर्गा पूजा का पहला दिन था, इसलिए उसका नामकरण 'दुर्गा' कर दिया गया।

  बेहद कम संसाधन व तकनीक के बावजूद डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय का प्रयोग शत-प्रतिशत सफल रहा।

  डॉक्टर सुभाष मुखोपाध्याय वैश्विक प्लेटफॉर्म पर जाकर दुनिया को अपने प्रयोग के बारे में बताना चाहते थे, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इसकी इजाजत उन्हें नहीं दी। इसके उलट उस वक्त की पश्चिम बंगाल की सरकार ने उनके दावों की जाँच के लिए 18 नवंबर, 1978 को एक कमेटी बना दी।

  उन्हें जापान में अपने प्रयोग के बारे में बताने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन सरकार ने उन्हें वहाँ भी जाने की इजाजत नहीं दी।

  वर्ष 1981 में सजा के तौर पर उनका ट्रांसफर रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑफ्थॉल्मोलॉजी (कलकत्ता) में कर दिया गया।

  उन्होंने 19 जून, 1981 को आत्महत्या कर ली।

  वर्ष 1986 में भारत के ही एक डॉक्टर टी. सी. आनंद कुमार ने भी टेस्ट ट्यूब पद्धति से एक बच्चे को जन्म दिया। उन्हें 'भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी को जन्म देने वाले पहले डॉक्टर' का खिताब मिला।

  वर्ष 1997 में उनके हाथ वे महत्त्वपूर्ण दस्तावेज लग गए, जो इस बात की गवाही देते थे कि उनसे पहले डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय ने टेस्ट ट्यूब बेबी को जन्म दिया था। सभी दस्तावेजों के गहन अध्ययन के बाद डॉ. आनंद कुमार इस नतीजे पर पहुँचे कि भारत को टेस्ट ट्यूब बेबी की सौगात देने वाले पहले वैज्ञानिक डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय ही थे।

  डॉ. आनंद कुमार की पहल के चलते आखिरकार डॉ. सुभाष मुखोपाध्याय को भारत के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के जन्मदाता का खिताब मिला।

  इसी विषय पर वर्ष 1990 में प्रख्यात फिल्म निर्देशक तपन सिन्हा ने 'एक डॉक्टर की मौत' नाम से फिल्म बनाई।

WB ne prarambh kiya south Asia me first Project on Road Safety

WB ne prarambh kiya south Asia me first Project on Road Safety

सी. एस. वेंकटाचारी : C.S.Venkatachari - Short Introduction and Biography

सी. एस. वेंकटाचारी : C.S.Venkatachari - Short Introduction and Biography

● वेंकटाचारी का जन्म 11 जुलाई, 1899 को कोलार (कर्नाटक) में हुआ।

● वेंकटाचारी की शिक्षा महाराजा सेंट्रल कॉलेज, बैंगलौर (बेंगलुरू) में हुई।

● उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से वर्ष 1920 में रसायन विज्ञान में स्नातक किया।

● वर्ष 1922 में वे भारतीय सिविल सेवा में शामिल हुए।

● वेंकटाचारी को वर्ष 1941 के बर्थडे ऑनर्स में ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एम्पायर (OBE) का अधिकारी नियुक्त किया गया।

● स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1947 में वे भारत की संविधान सभा के लिए चुने गए।

● हीरालाल शास्त्री के इस्तीफे के बाद उन्होंने 6 जनवरी, 1951 से 25 अप्रैल, 1951 तक राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद संभाला।

● वर्ष 1951 में वेंकटाचारी भारत सरकार के राज्य मंत्रालय के सचिव बने।

● वर्ष 1955 में उन्हें भारत के राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद का सचिव नियुक्त किया गया।

● अगस्त, 1958 में वेंकटाचारी को कनाडा में भारत का उच्चायुक्त नियुक्त किया गया।

● 16 जून, 1999 को उनका निधन हो गया।

चित्तरंजन दास : Chittranjan-Das - Short Introduction and Biography

चित्तरंजन दास : Chittranjan-Das - Short Introduction and Biography

एनेछिले साथे करे मृत्युहीन प्रान।
मरने ताहाय तुमी करे गेले दान।।

● चित्तरंजन दास का जन्‍म 5 नवंबर, 1870 को कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में हुआ था।

● उनके पिता भुबन मोहन दास कोलकाता उच्‍च न्‍यायालय में एक जाने माने वकील थे।

● ब्रह्म समाज के एक कट्टर समर्थक देशबंधु अपनी तीक्ष्‍ण बुद्ध‍ि और पत्रकारीय दृष्टिकोण के लिए जाने जाते थे। चित्तरंजन दास कोलकाता उच्च न्यायालय के विख्यात वक़ील थे, जिन्होंने अलीपुर बम केस में अरविन्द घोष की पैरवी की थी।

● चित्तरंजन दास ने अपनी चलती हुई वकालत छोड़कर गाँधीजी के असहयोग आंदोलन में भाग लिया और पूर्णतया राजनीति में आ गए।

● उन्होंने विलासी जीवन व्यतीत करना छोड़ दिया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सिद्धान्तों का प्रचार करते हुए सारे देश का भ्रमण किया।

● वे कोलकाता के नगर प्रमुख निर्वाचित हुए। उनके साथ सुभाषचन्द्र बोस कोलकाता निगम के मुख्य कार्याधिकारी नियुक्त हुए।

● चित्तरंजन दास वर्ष 1922 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष नियुक्त हुए थे।

● उन्होंने मोतीलाल नेहरू और एन. सी. केलकर के सहयोग से 'स्वराज्य पार्टी' की स्थापना की, जिसका उद्देश्य था कि विधानमंडलों में प्रवेश किया जाए और आयरलैण्ड के देशभक्त श्री पार्नेल की कार्यनीति अपनाते हुए वर्ष 1919 के भारतीय शासन विधान में सुधार करने अथवा उसे नष्ट करने का प्रयत्न किया जाए।

● चित्तरंजन दास का 16 जून, 1925 को उनका निधन हो गया।

प्रफुल्लचन्द्र नटवरलाल भगवती (पी.एन. भगवती) : P.N.Bhagwati - Short Introduction and Biography

प्रफुल्लचन्द्र नटवरलाल भगवती (पी.एन. भगवती)

★ पी. एन. भगवती का जन्म  21 दिसम्बर, 1921 को गुजरात के अहमदाबाद में हुआ।

★ जस्टिस पी. एन. भगवती का निधन 15 जून, 2017 को नई दिल्ली में हुआ। 

★ पी. एन. भगवती जनहित याचिका के समर्थकों में से एक थे।

★ भारत में चलित न्यायालय (मोबाइल कोर्ट) इन्हीं की देन है।

★ इन्हें जुलाई, 1973 में उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

★ जस्टिस पी. एन. भगवती 12 जुलाई, 1985 से 20 दिसम्बर, 1986 तक भारत के मुख्य न्यायाधीश रहे।

★ इन्होंने गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में भी अपनी सेवाएँ दी थी।

★ इन्होंने गुजरात में मुफ्त कानूनी सहायता और सलाह की पायलट परियोजना चलाने के लिए राज्य कानूनी सहायता समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।

जनहित याचिका/लोकहितवाद

(1) लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा हेतु उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय द्वारा याचिका स्वीकार करना जनहित याचिका या लोकहित वाद कहलाता है।

(2) लोकहित वाद जैसा शब्द संविधान में उल्लिखित नहीं है। यह अवधारणा अमेरिका से ली गई है।

★  पी. एन. भगवती भारत के 17वें मुख्य न्यायाधीश थे। इन्हें भारत में 'लोकहित वाद का जनक' कहा जाता है।

नोट – लोकहित वाद के सन्दर्भ में वी. आर. कृष्णन अय्यर का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। वे उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश थे। वे एकमात्र व्यक्ति हैं, जो व्यवस्थापिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका तीनों के सदस्य रह चुके हैं।

नोट – बेगम हुश्न आरा खातून बनाम बिहार राज्य (1978) के मामले से भारत में P.I.L. की शुरुआत मानी जाती है। इस मामले में अधिवक्ता कपिला हिंगोरानी थी, जिन्हें भारत में 'लोकहित की जननी' कहा जाता है। 

नोट – S. P. गुप्ता बनाम भारत संघ (1982) के मामले में लोकहित वाद (PIL) को भारतीय सन्दर्भ में परिभाषित किया गया।

sarvadhik pradushit shahar hai Bangalore

सर्वाधिक प्रदुषित शहर है बंगलुरु
sarvadhik pradushit shahar hai Bangalore

Little Boys Tip to Waiter : Story of the Day

Little Boys Tip to Waiter :

A 9 year old boy went to an Ice cream shop. There he sat on table and waiter came.

Waiter: What do you want??

Boy: Can you tell me how much an ice cream cone cost??

Waiter: Rs 15/-

After knowing rate boy checked his pocket for money. After checking it he asked waiter for the cost of smaller ice cream cone.

Waiter replied: Rs12/-

After waiter's reply boy ordered for smaller cone. He ate his ice cream and paid bill and left.

When boy left waiter came to pick up the empty plate and paid bill But as he took the paid bill tears rolled down from his eyes.

Boy paid with Rs 15 he had and had left Rs 3 as Tip..!!

Moral: We should try to Make people Happy around us with Something you Have. Sometimes even a small kind of Kindness can make someone happy.

Story of Alfred: Story of the Day

Story of Alfred:

About hundred of years ago, A man woke and got his newspaper from door. As he sat to read newspaper to his horror ans surprise he read his name in the obituary column.

Newspaper reported the death of person himself by mistake. Firstly he got shocked but after sometime he regained his mental state to normal and now he wanted to find out about what people had said about him

"Dynamite king Died. He was merchant of death."

That man was inventor of dynamite. After reading this obituary he asked him self, "Is this how i want to be remembered?"

He felt something inside and decide that it's not way he wanted to be remembered and from that day onward he started working for Peace.

His name was Alfred Nobel and he is not remember for Great Nobel Prize. The most prestigious Peace prize given to people from different fields for their work towards peace.

Moral: What ever we have done in past but still we can change our life and people views towards us. So never give up. Anytime is good to start good work.

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस - 12 जून (June)- Vishva-balshram-nishedh-divas

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस - 12 जून

सम्पूर्ण विश्व में बाल श्रम की क्रूरता को समाप्त करने के लिए प्रतिवर्ष 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया जाता है।

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस की शुरुआत अंतर्राष्ट्रीय संगठन द्वारा वर्ष 2002 में की गई थी।

इसका मुख्य उद्देश्य बाल श्रम की वैश्विक सीमा पर ध्यान केंद्रित करना और बाल श्रम को पूरी तरह से खत्म करने के लिए आवश्यक प्रयास करना है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार सम्पूर्ण विश्व में बाल श्रम में शामिल 152 मिलियन बच्चों में से 73 मिलियन बच्चे खतरनाक काम करते हैं।

खतरनाक श्रम में मैनुअल सफाई, निर्माण, कृषि, खदानों, कारखानों तथा फेरी वाला एवं घरेलू सहायक इत्यादि के रूप में काम करना शामिल है।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्राप्त आँकड़ों के अनुसार, 541 मिलियन युवा श्रमिकों (15 से 24 वर्ष) में 37 मिलियन बच्चे हैं जो खतरनाक बाल श्रम का काम करते हैं।

बाल श्रम आमतौर पर मज़दूरी के भुगतान के बिना या भुगतान के साथ बच्चों से शारीरिक कार्य कराना है। बाल श्रम केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, यह एक वैश्विक घटना है।

बच्चे अपनी उम्र के अनुरूप कठिन काम जिन कारणों से करते हैं, उनमें आमतौर पर गरीबी पहला कारण है।

इसके अलावा, जनसंख्या विस्फोट, सस्ता श्रम, उपलब्ध कानूनों का लागू नहीं होना, बच्चों को स्कूल भेजने के प्रति अनिच्छुक माता-पिता (वे अपने बच्चों को स्कूल की बजाय काम पर भेजने के इच्छुक होते हैं, ताकि परिवार की आय बढ़ सके) जैसे अन्य कारण भी हैं।

भारत में आदिकाल से ही बच्चों को ईश्वर का रूप माना जाता रहा है। लेकिन वर्तमान परिदृश्य इस सोच से काफी भिन्न है। बच्चों का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। गरीब बच्चे स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने की उम्र में मज़दूरी कर रहे हैं।

पिछले कुछ वर्षों से भारत सरकार एवं राज्य सरकारों की पहल इस दिशा में सराहनीय है। उनके द्वारा बच्चों के उत्थान के लिए अनेक योजनाओं को प्रारंभ किया गया है, जिससे बच्चों के जीवन व उनकी शिक्षा पर सकारात्मक प्रभाव दिखे।

संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप भारत का संविधान मौलिक अधिकारों और राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धातों की विभिन्न धाराओं के माध्यम से बल श्रम को निषेध करता है। 

भारत में बाल श्रम एक ऐसा विषय है, जिस पर संघीय व राज्य सरकारें, दोनों कानून बना सकती हैं।

बाल श्रम (निषेध व नियमन) कानून 1986- यह कानून 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी अवैध पेशे और 57 प्रक्रियाओं में, जिन्हें बच्चों के जीवन और स्वास्थ्य के लिए अहितकर माना गया है, नियोजन को निषिद्ध बनाता है। इन पेशों और प्रक्रियाओं का उल्लेख कानून की अनुसूची में है।

भारत में बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई में महत्त्वपूर्ण न्यायिक हस्तक्षेप वर्ष 1996 में उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से आया, जिसमें संघीय और राज्य सरकारों को खतरनाक प्रक्रियाओं और पेशों में काम करने वाले बच्चों की पहचान करने, उन्हें काम से हटाने और गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया था।

न्यायालय ने यह आदेश भी दिया था कि एक बाल श्रम पुनर्वास सह-कल्याण कोष की स्थापना की जाए, जिसमें बाल श्रम कानून का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं के अंशदान का उपयोग हो।

TIBIYA-FIBULA Posterior and Anterior Anatomy

TIBIYA FIBULA - Posterior and Anterior drawing Anatomy

Human leg FEMER TIBIYA FIBULA - Anatomy and Physiology

Human Leg FEMER TIBIYA FIBULA - Anatomy and Physiology

14 Facial Bones - Human Anatomy & Physiology

14 Facial Bones - Human Anatomy & Physiology

Hari mirch aur Iron

खूबसूरत त्वचा के लिए जरूरी है - Garmiyon me kare chehre ki dekhbhal : Beauty & Care

खूबसूरत त्वचा के लिए जरूरी है - Garmiyon me kare  chehre ki dekhbhal : Beauty & Care

खूबसूरत त्वचा के लिए जरूरी है कि आप दिन में कम से कम 6 से 7 ग्लास पानी पिएं। इससे आपका पेट साफ रहेगा और त्वचा टोन्ड रहेगी। इसके अलावा ऐसे
फलों को खाएं, जिनमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जैसे -खीरा, ककड़ी, कच्चा टमाटर, संतरा. इससे
आपकी बॉडी में पानी की कमी नहीं होगी।

स्किन को टैनिंग और सनबर्न से बचाने के लिए ठंडी तासीर की चीजें खाने के साथ ही त्वचा पर उन चीजों को लगाना
भी होता है, जो त्वचा को ठंडक दें। ऐलोवेरा जेल, चंदन पाउडर, नींबू और दही, कच्चा आलू के अलावा केला और गुलाब-जल को चेहरे पर लगाकर चेहरे को ठंडा बनाकर रख सकते हैं। इससे चेहरे की स्किन सॉफ्ट बनी रहेगी।
और सूरज की गर्मी से जलेगी नहीं।

गेहूं को धुलने के बाद रात को पानी में भिगोकर रख दें। भीगे हुए गेहूं को पानी से निकालकर गुलाबजल के साथ पीसकर पेस्ट बना लें। अब इस पेस्ट में 2 चुटकी हल्दी मिलाएं और सूखने तक इसे चेहरे पर लगा लें। उसके बाद ताजे पानी से धोकर मॉइश्चराइजर लगाएं।

धूप में निकलने से पहले  सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। लेकिन ध्यान रहे कि इसे घर से निकलने के 15 मिनट पहले लगाना होता है। सनस्क्रीन लगाने के तुरंत बाद धूप में ना निकलें।

बिरसा मुंडा (BIRSA MUNDA) : Short-Intoduction & Biography

बिरसा मुंडा (BIRSA MUNDA) : Short-Intoduction
▪️ 'धरती आबा' या 'जगत पिता' के नाम से प्रसिद्ध बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को राँची जिले के उलिहतु गाँव में हुआ था। वे छोटा नागपुर पठार क्षेत्र की मुंडा जनजाति के थे।

▪️ मुंडा रीति-रिवाज के अनुसार उनका नाम बृहस्पतिवार के हिसाब से बिरसा रखा गया था।

▪️ उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सलगा में अपने शिक्षक जयपाल नागो के मार्गदर्शन में प्राप्त की।

▪️ वर्ष 1899-1900 में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुआ मुंडा विद्रोह छोटा नागपुर (झारखंड) के क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चित विद्रोह था। इसे 'मुंडा उलगुलान' (विद्रोह) भी कहा जाता है।

▪️ इस विरोध में महिलाओं की उल्लेखनीय भूमिका रही और इसकी शुरुआत मुंडा जनजाति की पारंपरिक व्यवस्था खूँटकटी की ज़मींदारी व्यवस्था में परिवर्तन के कारण हुई थी।

▪️ उन्होंने धर्म को राजनीति से जोड़ दिया और एक राजनीतिक-सैन्य संगठन बनाने के उद्देश्य से प्रचार करते हुए गाँवों की यात्रा की।

▪️ बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदाय को लामबंद किया और औपनिवेशिक अधिकारियों को आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा हेतु कानून बनाने के लिए मज़बूर किया।

▪️ उनके प्रयासों के परिणामस्वरूप 'छोटा नागपुर काश्तकारी अधिनियम' पारित किया गया, जिसने आदिवासी से गैर-आदिवासियों में भूमि के हस्तांतरण को प्रतिबंधित कर दिया।

▪️ 3 मार्च, 1900 को बिरसा मुंडा को ब्रिटिश पुलिस ने चक्रधरपुर के जामकोपई जंगल में उनकी आदिवासी छापामार सेना के साथ गिरफ्तार कर लिया गया।

▪️ 9 जून, 1900 को राँची जेल में उनका निधन हो गया।

अंतर्राष्ट्रीय अभिलेख दिवस - 9 जून : Antarrashtriya-abhilekh-divas-9June

अंतर्राष्ट्रीय अभिलेख दिवस - 9 जून

▪️ प्रतिवर्ष 9 जून को अभिलेखों और अभिलेखागार के महत्त्व के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने, सुशासन और विकास के लिए रिकॉर्ड प्रबंधन के लाभों के बारे में वरिष्ठ निर्णयकर्ताओं के बीच जागरूकता बढ़ाने, दीर्घकालिक अभिलेखीय संरक्षण और पहुँच की आवश्यकता के बारे में सार्वजनिक, निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों की समझ में सुधार एवं अभिलेखीय संस्थानों में संरक्षित अद्वितीय, असाधारण और दुर्लभ दस्तावेजों का प्रदर्शन और विश्व स्तर पर उनकी दृश्यता बढ़ाने के लिए अभिलेखों और अभिलेखागार की छवि को आगे बढ़ाने हेतु अंतर्राष्ट्रीय अभिलेख दिवस का आयोजन किया जाता है।

▪️ वर्ष 2005 में, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने  पेरिस, फ्रांस में आयोजित यूनेस्को सामान्य सम्मेलन के 33वें सत्र के दौरान 27 अक्टूबर को ऑडियो-विज़ुअल हेरिटेज (WDAH) के लिए विश्व दिवस के रूप में घोषित किया।

▪️ WDAH हमारी साझा विरासत और स्मृति के प्रतिनिधित्व के रूप में तत्काल उपाय करने और ऑडियो-विजुअल दस्तावेजों के महत्त्व को स्वीकार करने की आवश्यकता के बारे में व्यापक जागरूकता बढ़ाने का एक अवसर बनाता है।

▪️ ऑडियो-विजुअल दस्तावेज हमारी दस्तावेजी विरासत का केवल एक हिस्सा है जो अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित करते हैं।

▪️ कालांतर में वर्ष 2007 की आईसीए वार्षिक आम बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 9 जून को अंतर्राष्ट्रीय अभिलेखागार दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

▪️ भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत एक संबद्ध कार्यालय है।

▪️ इसकी स्‍थापना 11 मार्च, 1891 को कोलकाता (कलकत्ता) में इंपीरियल रिकॉर्ड विभाग के रूप में की गई थी।

▪️ वर्ष 1911 में राजधानी के कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरण के बाद भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार के इस वर्तमान भवन का निर्माण वर्ष 1926 में किया गया था।

▪️ इसे सर एडविन लुटियन द्वारा डिज़ाइन किया गया था। कलकत्ता से नई दिल्ली में सभी अभिलेखों के हस्तांतरण का कार्य वर्ष 1937 में पूरा हुआ।

▪️ यह सार्वजनिक रिकॉर्ड अधिनियम, 1993 (Public Records Act, 1993) और सार्वजनिक रिकॉर्ड नियमावली, 1997 (Public Record Rules, 1997) के कार्यांवयन के लिए एक नोडल एजेंसी है।

माता-पिता के लिए बच्चों (card to parents)का कार्ड‌ : Hindi Story of the Day

एक परिवार में पिता माता और एक बच्चा रहता था। माता-पिता उसे घर की दीवारों पर पेंटिंग के रंगों से अपने हाथ की छाप छापने के लिए डांटते थे।

एक दिन बच्चे ने अपने माता-पिता को एक हस्तनिर्मित कार्ड दिया।

जब माता-पिता को कार्ड मिला तो उन्होंने देखा कि कार्ड पर उनके बेटे के हाथ की एक छोटी सी छाप थी। अंदर उनकी एक तस्वीर थी जिसमें उनकी तस्वीर के साथ एक छोटा सा नोट लिखा हुआ था।

लिखे गए शब्द थे "कभी-कभी आप गुस्सा और निराश हो जाते हैं क्योंकि मैं बहुत छोटा हूं और अपनी उंगलियों के निशान फर्नीचर और दीवारों पर छोड़ देता हूं।
लेकिन
हर रोज बढ़ रहा हूं और एक दिन ये फिंगर प्रिंट मिट जाएंगे। इसलिए, यहां कार्ड पर मेरे हाथ का अंतिम हैंड प्रिंट लगाया गया है ताकि एक दिन आप याद कर सकें कि जब मैं छोटा था तो मेरा फिंगरप्रिंट बिल्कुल कैसा दिखता था।

उन्हें एहसास हुआ कि वे जीवन की दौड़ में क्या खोते जा रहे हैं और यह बात दिल को छू गई और उन्होंने उन्हें प्यार से गले लगाया और चूमा।

Moral: बच्चों के साथ समय बिताने के लिए इंतजार न करें। धीमा और आनंद जीवन लें और परिवार के साथ बिताएं। एक बार समय बीत जाने के बाद आपको वह वापस नहीं मिलेगा और जीवन का आनंद लेना बेहतर है न कि बाद में पछताना।

Kid Card to Parents : Story of the Day

Kid Handmade Card to Parents : Story of the Day

In a family lived father mother and a child. Parents used to scold him for printing his hand print with painting colors all over the walls of house.

One day kid gave a Handmade card to his parents.

When parents got the card they saw there was a little hand print of their son on card. Inside there was a photograph of him with a little note writing with his photo.

Words written were " Sometimes you get angry and discouraged because i am so small and leave my fingerprints on furniture and walls.
But
Am growing everyday and some day these finger prints will fade away. So, here is put a final hand print of my hand here on card so that one day you can recall how my fingerprint exactly looked when i was small."

They realized what they have been losing in the race of life and this touched heart heart and they hugged and kissed him with love.

Moral: Don't wait to spend time with kids. Slow down and enjoy and spend with family. Once time pass away you will not get that back and its better to enjoy life now then to regret later.

You Will Never Lose Your Value : Story of the Day

You Will Never Lose Your Value:

A very well known speaker started his seminar holding a note of Rs100. In that seminar room there were total 200 people.

Now looking at the people he asked, "Who would like to have this 100rs (note)?"

Hands started to go up.

Now he said, "I will give you this but let me first do this." then he proceeded and started to crumple the note.

After crumpling phone he then asked again, "Who still wants it?"

Still there were hands up in the air.

"Well", He responded. "What if i do this?"

Then he dropped it on the ground and pressed it on the floor with his shoes. Now he picked it up and this time note was all crumpled and dirty, "Now who still wants it?" He asked

Again there were hands up in the air.

"My friends, you have all learned a very important lesson today and that is No matter what i did to this note but it doesn't decrease the value of this (note) it still values 100rs."

Moral: Many times in life situation come when we drop, crumple and get dirt by making wrong decisions. We fell like worthless but no matter what happens, you will Never Lose you Value.

@Story_oftheday
@kahaniya_channel

PET KE BAL LETNA

खीरा और खीरा के छिलके (Khira Cucumber Benefit)- Health & Care

खीरा और खीरे के छिलके (Khira Cucumber Benefit)- Health & Care

kabj me sahayak

Shark in the Tank - Never Give Up : Story of the day

Shark in the Tank - Never Give Up

For research some marine biologist started to do an experiment. For this they place a Shark into large tank and then released several small fishes in the same tank.

As shark and fished were left in tank after sometime shark swam around and attacked around and ate all the small fishes.

Now, next time biologist inserted a strong piece of clear fiber glass in middle of tank creating to separate partitions one for small fishes and other for shark alone.

Now again as sharks and fishes were left, shark started to attack but this time shark slammed into the fiber glass inserted in the tank. However the shark kept repeating this behavior again and again. Meanwhile all the small fishes used to swam around it unharmed behind the fiber glass. Eventually after some hour shark gave up and stopped attacking.

Same experiment was repeated for several days. Biologist noticed change in behavior of shark. Now, shark was less aggressive and made lesser attempt to attack small fishes. With time shark simply got tired and stopped attacking.

After this biologists removed the fiber glass from the tank but even after removal of glass shark didn't attack Because shark was not trained to believe that a barrier existed between it and smaller fishes. After this smaller fishes swam with shark in same tank unharmed.

Moral: After experiencing Setbacks and Failures again and again most of us Emotionally Give Up and Stop trying. We start to believe that because we failed in past we will Fail every time But that's just a Barrier in our Head. So, we should keep on working without fear of Failure.

विश्व महासागर दिवस (World Ocean day) - 8 June

विश्व महासागर दिवस (World Ocean day) - 8 June

प्रतिवर्ष 8 जून को सम्पूर्ण विश्व में महासागरों के प्रति जागरूकता फ़ैलाने के लिए विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day) का आयोजन किया जाता है।

विश्व महासागर दिवस मनाए जाने का प्रस्ताव वर्ष 1992 में रियो डी जेनेरियो में आयोजित 'पृथ्वी ग्रह' नामक फोरम में लाया गया था।

इसी दिन विश्व महासागर दिवस को हमेशा मनाए जाने की घोषणा भी की गई थी, लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ ने इससे संबंधित प्रस्ताव को वर्ष 2008 में पारित किया था और इस दिन को आधिकारिक मान्यता प्रदान की थी।

पहली बार विश्व महासागर दिवस 8 जून, 2009 को मनाया गया था।

वर्ष 2023 के लिए इस दिवस की थीम : 'ग्रह महासागर: ज्वार बदल रहे हैं' (Planet Ocean: tides are changing) है।

इसका उद्देश्य केवल महासागरों के प्रति जागरूकता फैलाना ही नहीं, बल्कि दुनिया को महासागरों के महत्त्व और भविष्य में इनके सामने खड़ी चुनौतियों से भी अवगत करवाना है।

इस दिन कई महासागरीय पहलुओं; जैसे- सामुद्रिक संसाधनों के अंधाधुंध उपयोग, पारिस्थितिक संतुलन, खाद्य सुरक्षा, जैव-विविधता तथा जलवायु परिवर्तन आदि पर भी प्रकाश डाला जाता है।

विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस (world brain-tumor day) - 8 June

विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस (world brain tumor day) - 8 June : Important Days

प्रतिवर्ष 8 जून को ब्रेन ट्यूमर के बारे में जागरूकता फैलाने और लोगों को शिक्षित करने के लिए सम्पूर्ण विश्व में विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है।

इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम जनमानस को ब्रेन ट्यूमर के बारे में जागरूक बनाना और उन्हें इस संबंध में शिक्षित करना है।

विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस के लिए वर्ष 2023 की थीम 'Uniting for Hope: Empowering Brain Tumor Patients' है।

विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस का आयोजन पहली बार वर्ष 2000 में लीपज़िग (जर्मनी) स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन 'जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन' द्वारा किया गया था।

इस दिवस को दुनिया भर में ब्रेन ट्यूमर के रोगियों और उनके प्रियजनों के प्रति सम्मान प्रकट करने हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में घोषित किया गया था।

ब्रेन ट्यूमर का आशय मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि से है।

ब्रेन ट्यूमर के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं- कैंसरयुक्त ट्यूमर और गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर। इसमें कैंसरयुक्त ट्यूमर अधिक घातक होता है।

ब्रेन ट्यूमर एक जानलेवा बीमारी है, लेकिन यह पूरी तरह से इलाज योग्य है। ब्रेन ट्यूमर के कुछ सामान्य उपचारों में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, एंटी-सीज़र दवा, स्टेरॉयड उपचार आदि शामिल हैं।

20 से 40 उम्र के लोगों को ज़्यादातर नॉन कैंसर और 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को कैंसर वाले ट्यूमर होने की संभावना बनी रहती है। नॉन कैंसर ट्यूमर के बढ़ने की स्पीड, कैंसर वाले ट्यूमर की तुलना में धीमी होती है।

नटराज रामकृष्ण (Natraj Ramakrishna) : Short Introduction & Biography

नटराज रामकृष्ण : Short Introduction

● नटराज रामकृष्ण का जन्म 21 मार्च, 1923 को, बाली, इंडोनेशिया में आंध्र प्रदेश के एक भारतीय प्रवासी परिवार में हुआ था।

● मात्र 18 साल की उम्र में ही रामकृष्ण को मराठा के तत्कालीन शासक द्वारा नागपुर में 'नटराज' की उपाधि दी गई थी।

● नटराज रामकृष्ण को 700 साल पुराने नृत्य रूप 'पेरिनी शिवतांडवम्' को पुनर्जीवित करने के लिए जाना जाता है।

● आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीलम संजीव रेड्डी के अनुरोध पर नटराज रामकृष्ण ने हैदराबाद में 'नृत्य निकेतन' नामक नृत्य विद्यालय की स्थापना की थी।

● उन्होंने कुचिपुड़ी को पारंपरिक नृत्य रूप के साथ अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई तथा वर्ष 1991 में उन्हें 'राजा-लक्ष्मी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था।

● नटराज रामकृष्ण ने डोमारस, गुरवाययालु, उरुमुलु और वेदी भगवतुलु जैसे नृत्य कलाकारों को भी प्रोत्साहित किया।

● उन्होंने भगवान वेंकटेश्वर के जीवन की रचना 'नृत्य नाटक' (बैले) के रूप में की थी।

● भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक शोध छात्र के रूप में नटराज रामकृष्ण ने तत्कालीन यूएसएसआर (अब रूस) और फ्रांस में भारतीय नृत्य कला का प्रचार करने के लिए काम किया, जिससे भारतीय और पश्चिमी शास्त्रीय और लोक नृत्यों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया।

● वर्ष 1992 में उन्हें 'पद्म श्री' से सम्मानित किया गया।

● उन्हें 21 जनवरी, 2011 को संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप से सम्मानित किया गया था।

● 7 जून, 2011 को 88 वर्ष की आयु में इनका निधन हो गया।

तीन अमीर आदमी और उनकी दयालुता (Ways for kindness) : Hindi Story of the Day

तीन अमीर आदमी और उनकी दयालुता : Hindi Story of the Day

एक बार की बात है एक गांव था जो बहुत गरीबी का सामना कर रहा था। एक दिन तीन अमीर आदमी और उनके नौकर एक ही रास्ते से जा रहे थे, रास्ते में वे इस गरीब गाँव में आ गए। गाँव की गरीबी देखकर तीनों आदमियों ने गाँव के लोगों की मदद करने की सोची।

पहला आदमी उनकी गरीबी नहीं देख सका इसलिए उसने अपनी गाड़ियों से सारा सोना और चाँदी ले लिया और उन्हें गाँव वालों में बाँट दिया। उन्होंने उन्हें शुभकामनाएं दीं और चले गए।

दूसरे अमीर आदमी ने गांव की गरीबी और हालत देखकर उनकी मदद करने का फैसला किया। इसलिए उसने अपना सारा खाना-पीना उन्हें दे दिया क्योंकि उसे लगा कि पैसा उनके बहुत काम नहीं आ सकता। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि गाँव में हर एक को उचित हिस्सा मिले और पर्याप्त भोजन मिले जो समय तक चले। फिर वह चला गया।

तीसरा अमीर आदमी, ग्रामीणों की गरीबी को देखकर तेजी से बढ़ा और बिना रुके सीधे गाँव से होकर निकल गया।

दो और अमीर लोगों ने इसे दूर से ही देखा और आपस में कहने लगे कि तीसरे अमीर आदमी में शालीनता और करुणा की कमी कैसे है और यह अच्छा है कि उन्होंने उन ग्रामीणों की मदद की।

तीन दिन बाद, अन्य दो अमीर आदमी तीसरे अमीर आदमी से मिले जो विपरीत दिशा में यात्रा नहीं कर रहा था। वह अभी भी गति में था लेकिन उसकी वेगन अब खेती के उपकरण, उपकरण और बीज और अनाज की बोरियों से भरी हुई थी। वह गरीब लोगों की मदद करने के लिए उनके गांव जा रहे थे।

कुछ उदार लोग होते हैं जो केवल इसलिए देते हैं ताकि लोग देख सकें कि वे कितने उदार हैं लेकिन वास्तव में वे उन लोगों के बारे में कुछ भी जानना नहीं चाहते जिन्हें वे दे रहे हैं।

लेकिन कुछ उदार लोग: उत्तम दयालु उनके लिए यह मायने नहीं रखता कि दूसरे उनके बारे में क्या सोचेंगे। न ही वे दिखावटी तरीके से देते हैं। इसके बजाय वे वास्तव में चिंता करते हैं और उन लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के सर्वोत्तम तरीकों के बारे में सोचते हैं जिनकी वे मदद कर रहे हैं। वे अपने समय, दृष्टि और अपने जीवन को पैसे से कहीं अधिक मूल्यवान चीजें देते हैं।

Moral: अगर हम किसी को ज़रूरतमंद देखते हैं तो हमें उसकी समस्या जानने की कोशिश करनी चाहिए और उसकी मदद करने का सबसे अच्छा तरीका खोजना चाहिए

Power of Trust in God : Story of the Day

Power of Trust & Faith in God : Story of the Day

A person had to go a round a river to reach his home. it was trouble some for him to go through long way. The flow of river was to much to swim through it and man was scared to swim through it. So, he went to a Saint and told him about this situation.

The saint gave him a paper and told him to keep it in pocket while crossing the river and he will not Sink in the river but remember not to open that paper.

Man understood that and did that. To his surprise he could pass river without sinking in it. Now, it was easier for him to reach home.

One day man decided to see what's there in the paper so before going into river he opened that paper it was written, "In The Name of God". Reading this man realized this was just ordinary piece of paper and simple sentence written on it.

After reading it he went in to river but this time he got carried away with the flow of river. This happened because before reading it he believed that there is some power helping him but as he read it he thought of it as ordinary line and didn't believe.

Moral: We should believe in power of God and trust that we can use the power God gave us. We have to Believe in God and ourselves before doing anything and Then we will much good at doing same thing.

Harmonies in Human Body - Anatomy & Drawings

Harmonies in Human Body - Anatomy & Drawings

Human Ear Drawing - Anatomy & Physiology

Human Ear - Anatomy

आलसी किसान और भगवान : Lazy-Farmer-Hindi-story-of-the-day

आलसी किसान और भगवान:

एक बार एक गाँव में पूरी रात बारिश हो रही थी। उस गाँव की सड़कें कीचड़ से भरी थीं और रास्ते में गड्ढे थे और बारिश के कारण वे लबालब भरे हुए थे।

अगले दिन मनु (किसान) को अपना माल बेचने के लिए जल्दी बाजार जाना पड़ा। घोड़ों के लिए बाजार तक पहुँचने के लिए गहरे कीचड़ भरे रास्ते पर भार खींचना वास्तव में कठिन था। अचानक गाड़ी का पहिया कीचड़ में फंस गया। जितना वह घोड़े को खींचता, पहिया उतना ही गहरा धँसता जाता।

किसान सीट से नीचे उतरा और अपने ठेले के पीछे खड़ा हो गया। उसने इधर-उधर देखा लेकिन उसकी मदद करने वाला कोई नहीं मिला। उसने गाड़ी को उठाने और कीचड़ से पहिया निकालने का जरा सा भी प्रयास नहीं किया। इसके बजाय, अपने दुर्भाग्य का पीछा करते हुए, वह उदास और पराजित महसूस कर रहा था।

आकाश की ओर देखकर वह भगवान को चिल्लाने लगा, "मैं कितना बदनसीब हूँ! मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ है? हे भगवान, मेरी मदद करने के लिए नीचे आओ।

थोड़ी देर के बाद, भगवान अंत में उसके सामने प्रकट हुए और उससे पूछा, "क्या आपको लगता है कि आप गाड़ी को केवल देखकर और उसके बारे में शिकायत करके आगे बढ़ सकते हैं? कोई भी आपकी मदद तब तक नहीं करेगा जब तक कि आप अपनी मदद के लिए कुछ प्रयास नहीं करते। क्या आपने खुद ही पहिया को गड्ढे से बाहर निकालने की कोशिश की? उठो और अपने कंधे को पहिया से लगाओ और तुम जल्द ही रास्ता निकाल लोगे।"

भगवान की बात सुनकर किसान अपने आप पर लज्जित हो गया और उसने अपना कंधा पहिए से लगाने के लिए झुक कर घोड़ा को आगे किया।

देखते ही देखते पहिया उस गहरी मिट्टी से बाहर हो गया। किसान ने भगवान को धन्यवाद दिया और खुशी-खुशी अपनी यात्रा पर चल पड़ा।

Moral: भगवान उनकी मदद करता है जो अपनी मदद खुद करते हैं।

God and Lazy Farmer : Story of the Day

God and Lazy Farmer : Story of the Day

Once in a village, it was raining whole night. Roads in that village were muddy and there were pot holes in the way and due to rain they were filled to brim.

Next day, Manu ( the farmer ) had to go to market early to sell his goods. For horses it was really difficult to drag load on the deep muddy way to reach market. Suddenly the wheel of the cart got stuck in the mud. The more he pulled horse, deeper the wheel sank.

Farmer came down from the seat and stand behind his cart. He looked around but couldn't find anyone to help him. He didn't made the slightest effort to lift up the cart and get wheel out of mud. Instead cursing his bad luck, he felt sad and defeated.

Looking up at the sky, he started shouting at God, "I am so unlucky! Why has this happened to me? Oh God, come down to help me."

After a while, God finally appeared before him and asked him, "Do you think you can move the cart by simply looking at it and whining about it? Nobody will help you unless you make some effort to help yourself. Did you try to get the wheel out of the pothole by yourself? Get up and put your shoulder to wheel and you will soon find the way out."

After listening to God, Farmer was ashmed of himself and he bent down to put his shoulder to the wheel and urged on the horses.

In no time the wheel was out of that deep mud. Farmer thanked God and carried on his journey happliy.

Moral: God helps those who help themselves.

विश्व पर्यावरण दिवस (world environment day) - 5 जून

विश्व पर्यावरण दिवस ( ) - 5 जून

  प्रतिवर्ष 5 जून को पर्यावरण की रक्षा हेतु सम्पूर्ण विश्व में जागरूकता और कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है।

  इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1972 में खराब पर्यावरणीय परिस्थितियों और उसके बढ़ते दुष्प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए की गई थी।

  वर्तमान में यह प्रदूषण की समस्या पर चर्चा करने के लिए एक वैश्विक मंच बन गया है तथा 100 से अधिक देशों में इसका आयोजन किया जाता है।

  वर्ष 2023 के लिए पर्यावरण दिवस की थीम " Solutions to Plastic Pollution" है तथा इसका वैश्विक मेज़बान कोत दिव्वार (आईवरी कोस्ट) है।

  वर्ष 2018 में भारत ने 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' (Beat Plastic Pollution) थीम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस के अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम की मेज़बानी की थी।

  वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 [Air (Prevention and Control of Pollution) Act, 1981] 'वायु प्रदूषक' को वातावरण में मौजूद किसी भी ठोस, तरल या गैसीय पदार्थ के रूप में परिभाषित करता है, जो मनुष्य या अन्य जीवित प्राणियों या पौधों या संपत्ति या वातावरण के लिए हानिकारक हो सकता है।

  वायु प्रदूषण हार्ट अटैक अथवा हृदयघात के कारण होनी वाली मौतों में से एक चौथाई मौतों तथा स्ट्रोक, श्वसन संबंधी बीमारियों, फेफड़ों के कैंसर के कारण होने वाली कुल मौतों में से एक तिहाई के लिए ज़िम्मेदार है।

  दुनिया भर में लगभग 92 प्रतिशत लोग दूषित हवा में सांस लेने को विवश है। वायु प्रदूषण के कारण हर साल स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर 5 ट्रिलियन डॉलर का बोझ पड़ता है।

  सतही ओज़ोन प्रदूषण (Ground-level ozone pollution) के कारण वर्ष 2030 तक फसलों की पैदावार लगभग 26 प्रतिशत तक कम होने की आशंका है।

  भारत ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme-NCAP) का प्रारूप तैयार कर इसे लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य वायु गुणवत्ता निगरानी नेटवर्क को बढ़ाने के अलावा वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन करना है।

  वायु (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 में शीर्ष स्तर पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board- CPCB) की स्थापना और राज्य स्तर पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Boards-SPCB) को वायु गुणवत्ता में सुधार नियंत्रण एवं वायु प्रदूषण के उन्मूलन से संबंधित किसी भी मामले पर सरकार को सलाह देने का प्रावधान किया गया है।

  CPCB वायु की गुणवत्ता के लिए मानक भी तय करता है तथा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करता है।

Health & Care

Hindi Story of the Day 1

Motivation of the Day 1

Story of the Day 1

आज का हिन्दू पंचांग - 04 जून 2023

आज का हिन्दू पंचांग - 04 जून 2023

*दिनांक - 04 जून 2023*
*दिन - रविवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*

प्रेरक साक्षात्कार वार्तालाप (Inspirational Interview) - Hindi Story of the Day

प्रेरक साक्षात्कार वार्तालाप:

एक दिन एक युवा व्यक्ति ने, जो अकादमिक रूप से उत्कृष्ट था, बड़ी कंपनी में मैनेजर के पद के लिए आवेदन किया। उन्होंने लिखित परीक्षा और फिर ग्रुप इंटरव्यू पास किया। इसके बाद युवक को कंपनी के निदेशक द्वारा लिए जाने वाले अंतिम साक्षात्कार का सामना करना पड़ा। अंतिम साक्षात्कार में निदेशक ने युवक के सीवी की जांच की और देखा कि युवक ने अपने पूरे अध्ययन जीवन में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है। डायरेक्टर ने उनसे पूछताछ शुरू की।

निदेशक: क्या आपने कभी अपने स्कूल या कॉलेज में कोई छात्रवृत्ति प्राप्त की है?
युवक : नहीं

डायरेक्टर: क्या तुम्हारे पापा ने तुम्हारे स्कूल की फीस भरी थी?
युवक: जब मैं 3 साल का था तब मेरे पिता का निधन हो गया था, मेरी माँ ने फीस का भुगतान किया था।

संचालक: तुम्हारी माँ कहाँ काम करती थी?
युवक: सर, मेरी मां कपड़े साफ करने का काम करती थी।

इसके बाद डायरेक्टर ने युवक से हाथ दिखाने को कहा। युवक ने अपने हाथ दिखाए जो चिकने और मुलायम थे। इसके बाद डायरेक्टर ने उनसे दोबारा पूछताछ की।

डायरेक्टर: क्या तुमने कभी अपनी मां की कपड़े धोने में मदद की है?
युवक: नहीं, वह हमेशा चाहती थी कि मैं पढ़ूं और अधिक सीखूं। और तो और, वह मुझसे ज्यादा तेजी से कपड़े धो सकती थी।

अब डायरेक्टर ने उस युवक से कहा कि आज जब वह अपने घर वापस जाए तो बस अपनी मां के पास जाए और उसके हाथ साफ करे, उसके बाद वह वापस आकर उसे नौकरी के लिए देख सकता है।

नौकरी पाने का मौका देखकर युवक बेहद खुश हुआ। इसलिए, जब वह अपने घर वापस गया तो उसने अपनी माँ से अनुरोध किया कि वह उसे अपने हाथ साफ करने दे। इस विनती को सुनकर उसे अजीब और खुशी हुई और उसने मिश्रित भावनाओं के साथ उसे अपने हाथ दिखाए।

अब युवक धीरे-धीरे अपने हाथ साफ करने लगा और जैसे ही उसने अपना हाथ धीरे-धीरे साफ किया, उसकी आंखों से आंसू गिरने लगे। पहले तो उसने देखा कि उसकी माँ के हाथ इतने झुर्रीदार थे और उसके हाथों में चोट के निशान थे और कुछ चोट के निशान इतने दर्दनाक थे कि जब उन्हें साफ किया जाता था तो वह दर्द से काँप जाती थी।

यह पहली बार था जब युवक को यह अहसास हुआ कि उसकी मां उसे स्कूल की फीस देने के लिए रोज कपड़े धोती है। उसके हाथों पर चोट की कीमत माँ को उसके स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए चुकानी पड़ी। मां का हाथ साफ करने के बाद उसने बचे हुए कपड़े चुपचाप धोए और उस दिन काफी देर तक उससे बातें करता रहा।

अगली सुबह वह निदेशक के कार्यालय गया। डायरेक्टर ने उनकी आंखों में आंसू देखे।

निदेशक ने उससे पूछा, "कल तुमने क्या किया?"
युवक ने उत्तर दिया, "मैंने अपनी माँ के हाथ साफ किए और बचे हुए कपड़ों की सफाई पूरी की।"

निदेशक ने उनसे पूछा, "कृपया मुझे बताएं कि आप अब क्या महसूस कर रहे हैं?"
युवक ने उत्तर दिया, "पहले, अब मुझे पता है कि प्रशंसा क्या होती है। मेरी मां के बिना मैं आज यहां नहीं होता। दूसरा, अपनी मां की मदद करने से अब मुझे एहसास हुआ कि काम पूरा करना कितना मुश्किल है। तीसरा, अब मैंने परिवार के महत्व और मूल्य की सराहना करना सीख लिया है।"

युवक का जवाब सुनने के बाद डायरेक्टर ने कहा, "यही तो मैं अपने मैनेजर में ढूंढ रहा था। मैं किसी ऐसे व्यक्ति को भर्ती करना चाहता हूं जो दूसरों की मदद की सराहना कर सके और काम पूरा करने के लिए दूसरों की पीड़ा को समझ सके। आपको नौकरी पर रखा जा रहा है।"

Moral: यदि कोई व्यक्ति यह नहीं समझता है कि किसी प्रियजन ने उन्हें आराम प्रदान करने के लिए किस कठिनाई का सामना किया है, तो वे कभी भी इसकी कद्र नहीं करेंगे।

Inspiring Interview Conversation - Story of the Day

Inspiring Interview Conversation - Story of the Day

One day a young person who was academically excellent applied for manager's post in big company. He passed written exam and then group interview. After this young man had to face final interview to be taken by company's director. In final interview Director looked into young man CV and saw that young person did extremely well throughout his study life. Director started questioning him.

Director: Did you ever obtained any scholarship in your school or college?
Young man: None

Director: Did your father paid for your school fees?
Young man: My father passed away when i was 3, It was my mother who paid for fees.

Director: Where did your mother worked?
Young man: Sir, my mother used to work as cloths cleaner.

After this director asked young man to show his hand. Young man showed his hands that were smooth and soft. After this director questioned him again.

Director: Have you ever helped your mother for washing cloths?
Young man: No, She always wanted me to study and learn more. Further more, she could wash cloths much faster than i could.

Now, Director asked the young man that when he go back to his home today just go to his mother and clean her hands, after that he can come back and see him for job.

Seeing of getting a chance to get the job young man was very happy. So, when he went back to his home he requested his mother to let him clean her hands. Listening to this request she felt strange and happy and with such mixed emotions she showed her hands to him.

Now young man started to clean her hands slowly and as he slowly cleaned her hand tears fell from his eyes. For first he noticed his mother hands were so wrinkled and there were bruises in her hands and some bruises were so painful that she shivered with pain when they were cleaned.

This was the first time young man realized that his mother washed clothes everyday to enable him to pay his school fees. Bruises on her hands was price that mother had to pay for his graduation. After cleaning of his mother's hand he washed up remaining clothes quietly and that day he spent a long time talking to her.

Next morning he went to director's office. Director noticed tears in his eyes.

Director asked him, "What you did yesterday?"
Young man replied, "I cleaned my mother's hands and finished cleaning remaining cloths."

Director asked him, "Please tell me what are you feeling now?"
Young man replied, "Firstly, Now i know what's appreciation. Without my mother i wouldn't be here today. Second, By helping my mother now i realize how difficult is to get things done. Third, Now i learned to appreciate importance and value of family."

After listening to young man answer director said, "This is what i had been looking for in my manager. I want to recruit someone who can appreciate help of others and understand suffering of others to get things done. You are hired."

Moral: If a person doesn't understand what difficulty loved one have faced to provide them comfort then they will never value it.

वी. वी. सुब्रह्मण्यम अय्यर ( V. V. Subrahmanyam ) - Short Introduction

वी. वी. सुब्रह्मण्यम अय्यर - Short Introduction & Biography

▪️क्रांतिकारी राष्ट्रभक्त वराहनेरी वेंकटेश सुब्रह्मण्यम अय्यर का जन्म 2 अप्रैल, 1881 को मद्रास प्रदेश के तिरुचिरापल्ली जिले में हुआ था।

▪️वह स्वतंत्रता सेनानियों के एक चरमपंथी समूह से संबंधित थे।

▪️कालांतर में अय्यर बैरिस्टर ऑफ़ लॉ की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए जहाँ उनकी मुलाकात वीर सावरकर से हुई।

▪️वीवीएस अय्यर ने सावरकर को भारत के विभिन्न हिस्सों, विशेष रूप से पंजाब, महाराष्ट्र, बंगाल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने में मदद की।

▪️उन्होंने 'द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस – 1857' (मराठी में सावरकर द्वारा लिखित) पुस्तक के अंग्रेजी में अनुवाद का पर्यवेक्षण किया और इसे गुप्त रूप से भारत में प्रसारित किया।

▪️इसका तमिल में अनुवाद भी किया गया था और पांडिचेरी में सुब्रह्मण्यम बाराठी द्वारा संचालित 'इंडिया' पत्रिका में प्रकाशित किया गया।

▪️हालाँकि उन्होंने लंदन में बैरिस्टर ऑफ लॉ की परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन उन्होंने डिग्री लेने से इनकार कर दिया।

▪️भारत लौटने के बाद वे भारती और मंडयम श्रीनिवासचारी जैसे अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ पांडिचेरी में बस गए।

▪️वर्ष 1917 में गाँधी की पांडिचेरी यात्रा के दौरान, वीवीएस अय्यर उनसे मिले और अहिंसा के अनुयायी बन गए।

▪️वी. वी. सुब्रह्मण्यम अय्यर वर्ष 1920 तक पांडिचेरी में रहे और यहाँ उनकी मुलाकात महर्षि अरविंद से हुई।

▪️पांडिचेरी से मद्रास आने के बाद उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला और सजा हुई।

▪️वे बाल गंगाधर तिलक के अनुयायी तथा तमिल पत्रिका 'देसबक्थन' के संपादक थे।

▪️उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण फ्रांसीसी अधिकारियों ने भी एक बार उन्हें पांडिचेरी से देश निकाला देकर अलजीयर्स पहुँचा दिया था।

▪️वराहनेरी वेंकटेश सुब्रह्मण्यम अय्यर का 3 जून, 1925 को निधन हो गया।

आज का हिन्दू पंचांग - 03 जून (June) 2023

आज का हिन्दू पंचांग - 03 जून 2023


*दिनांक - 03 जून 2023*
*दिन - शनिवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - चतुर्दशी सुबह 11:16 तक तत्पश्चात पूर्णिमा*
*नक्षत्र - विशाखा सुबह 06:16 तक तत्पश्चात अनुराधा*
*योग - शिव दोपहर 02:48 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*राहु काल - सुबह 09:16 से 10:57 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:22*
*दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:29 से 05:12 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 से 12:59 तक*
*व्रत पर्व विवरण - वट पूर्णिमा, वटसावित्री व्रत (पूर्णिमांत)*
*विशेष - चतुर्दशी एवं पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

* वट पूर्णिमा / वटसावित्री व्रत - 03 जून 2023 🌹*

* व्रत-विधि : इसमें वटवृक्ष की पूजा की जाती है । विशेषकर सौभाग्यवती महिलाएँ श्रद्धा के साथ ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी से पूर्णिमा तक अथवा कृष्ण त्रयोदशी से अमावास्या तक तीनों दिन अथवा मात्र अंतिम दिन व्रत-उपवास रखती हैं । यह कल्याणकारक व्रत विधवा, सधवा, बालिका, वृद्धा, सपुत्रा, अपुत्रा सभी स्त्रियों को करना चाहिए ऐसा ‘स्कंद पुराण’ में आता है ।*

* प्रथम दिन संकल्प करें कि ‘मैं मेरे पति और पुत्रों की आयु, आरोग्य व सम्पत्ति की प्राप्ति के लिए एवं जन्म-जन्म में सौभाग्य की प्राप्ति के लिए वट-सावित्री व्रत करती हूँ ।’*

* वट के समीप भगवान ब्रह्माजी, उनकी अर्धांगिनी सावित्री देवी तथा सत्यवान व सती सावित्री के साथ यमराज का पूजन कर ‘नमो वैवस्वताय’ इस मंत्र को जपते हुए वट की परिक्रमा करें । इस समय वट को 108 बार या यथाशक्ति सूत का धागा लपेटें । फिर निम्न मंत्र से सावित्री को अर्घ्य दें ।*

* अवैधव्यं च सौभाग्यं देहि त्वं मम सुव्रते ।* *पुत्रान् पौत्रांश्च सौख्यं च गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते ।।*

* निम्न श्लोक से वटवृक्ष की प्रार्थना कर गंध, फूल, अक्षत से उसका पूजन करें ।*

*वट सिंचामि ते मूलं सलिलैरमृतोपमैः । यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले ।*
*तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मां सदा ।।*
* ऋषि प्रसाद - जून 20087*

*इस गलती से घेर लेंगी बीमारियाँ*

*आइसक्रीम तो वैसे ही हानि करती है लेकिन भोजन के बाद आइसक्रीम खाना तो अत्यंत हानिकारक है। जो भोजन के बाद आइसक्रीम खाते हैं उन्हें जवानी में तो पता नहीं चलता परंतु ४० साल की उम्र के बाद उन्हें अस्पताल जाना पड़ता है ।*

*अरे, तवे पर तो रोटी डाली है और ऊपर से ठंडा पानी डालें तो क्या रोटी का सत्यानाश नहीं होगा ? ऐसे ही भोजन किया है, पेट में तो जठराग्नि खाना पचा रही है और फिर पेट में कुछ ठंडा डाला तो जठराग्नि मंद होगी । भोजन के साथ ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए, गुनगुना पानी पीना चाहिए । ठंडा पानी, कोल्ड ड्रिंक्स आदि भोजन के समय पीते हैं तो बीमारियाँ होती हैं ।*


* शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*

* शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*

* हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*

*आर्थिक कष्ट निवारण हेतु*

*एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
* ऋषि प्रसाद - मई 2018 से*

इच्छाओं पर काबू पाना - Hindi Story of the Day

इच्छाओं पर काबू पाना :

एक बार एक आदमी था जिसकी इच्छाएँ जीवन से भी बड़ी थीं। उसने पैसा कमाने और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए हर संभव कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ। एक दिन वह एक सत्संग में आया और उसका अनुसरण करते हुए संत के मार्ग का अनुसरण किया। अब वह संत हो गया था और उसकी किसी चीज की लालसा नहीं रही। वह योग, ध्यान के अभ्यासों से मानसिक रूप से संतुष्ट और प्रसन्न रहते थे।

एक बार वह काफी देर तक बैठा रहा और उसने ईश्वर से प्रार्थना की। भगवान उसके समर्पण से प्रसन्न हुए और उसके पास आए और उससे कुछ भी मांगने को कहा।

संत ने उत्तर दिया कि, "जब मैं चीजों की कामना करता था, तो आपने मुझे कभी नहीं दिया और अब जब मुझे कुछ भी नहीं चाहिए तो आप चाहते हैं कि मैं आपसे कुछ भी मांगूं। अब, मुझे कुछ नहीं चाहिए।

भगवान ने कहा, "आपने इच्छा की इंद्रियों पर विजय प्राप्त की है और जो मुझे प्रसन्न करता है। तुम्हारी इच्छाएँ ही तुम्हारे और मेरे बीच एकमात्र बाधा थीं। अब इच्छाओं की वह बाधा नहीं रही और आपका हृदय पवित्र हो गया। इसलिए, मैं आपको कुछ देना चाहता हूं।

संत ने कुछ देर सोचा और कहा, "मुझे केवल एक स्पर्श से बीमार लोगों को ठीक करने की शक्ति चाहिए और मेरे स्पर्श से सूखे पेड़ उनके जीवन में वापस आ गए।"

भगवान सहमत हो गए और उनकी इच्छा पूरी कर दी।

संत एक क्षण के लिए रुके और बोले, "मैं अपनी इच्छा में थोड़ा परिवर्तन करना चाहता हूँ। मैं चाहता हूं कि मैं अपने स्पर्श से नहीं बल्कि उस पर अपनी छाया की उपस्थिति से बीमार लोगों और सूखे बालों को ठीक कर सकूं।

भगवान ने पूछा, "क्या स्पर्श से ठीक होने में कोई संदेह है?"

संत ने उत्तर दिया, "नहीं भगवान, लेकिन मैं नहीं चाहता कि लोगों को पता चले कि वे मेरे स्पर्श से लाभान्वित हो सकते हैं। क्योंकि एक बार जब व्यक्ति को लगता है कि उसके पास शक्ति है तो वह आसानी से इस जीवन चक्र और इच्छाओं में वापस आ सकता है। तब यह शक्ति जो तूने मुझे दी है, मेरे लिए भलाई से अधिक बुराई करेगी। मैं सिर्फ चुपचाप लोगों की मदद करना चाहता हूं।

शिक्षा: अत्यधिक इच्छा मानसिक दुख का कारण है। हमें दूसरों की मदद करने की भावना रखनी चाहिए लेकिन बिना यह सोचे कि हम उन पर उपकार कर रहे हैं।

Overcoming Desires - Story of the Day

Overcoming Desires - Story of the Day

Once there was a man who had desires larger than life. He tried everything to earn money and fulfill his desires but didn't succeed. One day he came attended a satsang and following it be followed the path of saint. Now he became saint and his longing for anything weren't there anymore. He used to be mentally satisfied and happy with practices of yoga, meditation..

Once he did long sat for long and dedicated prayer to God. God were pleased by his dedication and came to him and asked him to demand anything he want from him.

Saint replied that, "When i used to wish for things, you never gave me and now when i don't wish for anything anymore you want me to ask you for anything i want. Now, i don't want anything."

God said, "You have conquered you senses of desire and that what pleased me. Your desires were the only barrier between you and me. Now that obstacle of desires is no more and Your heart is pure. So, i want to give you something."

Saint thought for while and said, "I want power to heal sick people by just single touch and dry trees came back to their life with my touch."

God agreed and granted his wish.

Saint stopped for a second and said, "I want to make a little change in my wish. I want that i would be able to heal sick people and dry tress not by my touch but by presence of my shadow on that.

God inquired, "Is there any doubt about healing with touch?"

Saint replied, "No God, But i don't want that people get to know that they can benefit from my touch. Because once a person feel that he has power he can easily get back in this life circle and desires. Then this power you gave me will do more evil to me than good. I just want to help people in silent."

Moral: Too much desire is the cause of mental unhappiness. We should Keep a sense of helping others but without thinking that we are doing a favor to them.

आज का हिन्दू पंचांग - 02 जून (June) 2023

आज का हिन्दू पंचांग - 02 जून 2023

*दिनांक - 02 जून 2023*
*दिन - शुक्रवार*
*विक्रम संवत् - 2080*
*शक संवत् - 1945*
*अयन - उत्तरायण*
*ऋतु - ग्रीष्म*
*मास - ज्येष्ठ*
*पक्ष - शुक्ल*
*तिथि - त्रयोदशी दोपहर 12:48 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*नक्षत्र - स्वाती सुबह 06:53 तक तत्पश्चात विशाखा*
*योग - परिघ शाम 05:10 तक तत्पश्चात शिव*
*राहु काल - सुबह 10:57 से दोपहर 12:38 तक*
*सूर्योदय - 05:54*
*सूर्यास्त - 07:22*
*दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:29 से 05:12 तक*
*निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 से 12:59 तक*
*व्रत पर्व विवरण -*
*विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*चतुर्दशी के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*जून मास - पुण्यदायी तिथियाँ एवं योग*

*03 जून - वट पूर्णिमा, वटसावित्री व्रत (पूर्णिमांत)*

*04 जून - ज्येष्ठ पूर्णिमा, देवस्नान पूर्णिमा, संत कबीरजी जयंती*

*05  जून - गुरु हरगोविंद सिंहजी जयंती( ति.अ ), विश्व पर्यावरण दिवस*

*06 जून - विद्यालभ योग (पूर्णिमांत) - रात्रि ११:१३ से रात्रि ११:४५ तक १०८ बार जप लें और फिर मंत्रजप के बाद रात्रि ११:३० से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से 'ह्रीं' मंत्र लिख दें ।*

*07 जून - विद्यालभ योग (पूर्णिमांत)*
*प्रातः ३ से रात्रि ९:०२ बजे तक १०८ बार मंत्र जप लें और रात्रि ११ से १२ बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से 'ह्रीं' मंत्र लिख दें ।*

*विद्यालाभ के लिए मंत्र : ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा ।'*

*14 जून - योगिनी एकादशी*

*15 जून - षडशीति संक्रांति (पुण्यकाल : शाम ६:२९ से सूर्यास्त तक) (इस दिन किये गये ध्यान, जप आदि पुण्यकर्मों का ८६ हजार गुना फल होता है । - पद्म पुराण)*

*16 जून - मासिक शिवरात्रि*

*18 जून - आषाढ़ अमावस्या*

*20 जून - भगवान जगन्नाथ रथयात्रा*

*21 जून - वर्षा ऋतु (21 जून से 23 अगस्त ) प्रारम्भ*

*23 जून - श्री बल्लभाचार्य वैकुण्ठ-गमन, संत टेऊँरामजी जयंती*

*25 जून : रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से रात्रि १२-२५ तक), विजया सप्तमी*

*29 जून - देवशयनी एकादशी, चातुर्मास (29 जून से 23 नवम्बर) प्रारम्भ*

*वास्तु शास्त्र*

*घर की रसोई हमेशा अग्नि कोण में हो, गैस चूल्हा भी अग्नि कोण (साऊथ ईस्ट) में, खाना पूर्व की ओर मुंह करके बनाएं, शैंक (बर्तन धोने वाला) हमेशा नार्थ ईस्ट (ईशान कोण) में रखें । शयन कक्ष या रसोई में रात को जूठे बर्तन मत छोड़ें । हमेशा धो-मांज कर रखें ।*

*मृतक की सद्गति के लिए*

*जिस किसी के घर में किसी की मृत्यु हो, तो वो चाहे विदेश में रहते हो तो उसकी हड्डियां हरिद्वार भेज न पाएँ लेकिन, आंवले के रस में उसकी हड्डियां धो लें, और वहीं किसी नदी में डाल दे तो दुबारा उस मृतक आत्मा का जन्म नहीं होगा, उसकी सद्गति होगी, ऐसा पुराणों में लिखा है ।*

Motivation of the Day - 1 June 2023

Things to always remember.

1. The past can't be changed.

2. Opinions don't define your reality.

3. Everyone's journey is different.

4. Judgements are not about you.

5. Overthinking will lead to sadness.

6. Happiness is found within.

7. Your thoughts affect your mood

8. Smiles and contagious.

9. Kindness is free.

10. It's okay to let go and move on

11. What goes around, comes around.

12. Things always get better with time.

Fisherman and Tourist - Story of the Day

Fisherman and Tourist - Story of the Day

Once in a village a tourist met a fisherman on the coast. Fisherman was going home with catch he did for the day in the way tourist stopped him started talking to him.

Tourist: How long it took you to catch such type of fish?
Fisherman: Not very long.

Tourist: Then why didn't you stayed for more time and catch more?
Fisherman: This small catch is sufficient to meet my and my family need.

Tourist: What do u do with rest of your time?
Fisherman: I sleep late, play with my children, spend time with my family and friends.

Tourist (interrupted): I have MBA from IIM and i can help you! You should start fishing for longer hours everyday then you can sell extra fish in the market and with that money you can buy bigger boat.

Fisherman: After that?

Tourist: With bigger boat you can catch more fish and then with that extra money you can buy even bigger boat and then second and third boat and this way you can have entire fleet of ships. You can then sell you fish directly to processing plants and may be one day open your own plant. Then you can move to city and handle your new enterprise work from there.

Fisherman: How long would it take?
Tourist: Twenty, May be twenty five years..

Fisherman: Afterwards?
Tourist: Well my friend, that's what interesting. When your business gets really big then you can make millions.

Fisherman: Millions? OK? And after that?
Tourist: After that you'll be able to retire, live in a tiny village near the coast, sleep late, play with your children, catch a few fish and spend time with your friends and family.

Now Fisherman responded," With all due respect sir, but that's exactly what i am doing now.. So what's point of wasting 25 years?"

Moral: Throughout our life we only struggle and forget to enjoy the real happiness, we are in so much anxiety and worried always for the future that we forget to live today. Being Satisfied with what we have is key to Happiness.

@Story_oftheday